गांधी जी का सम्पूर्ण जीवन प्रेरणा का स्रोत है। आज के इस प्रसंग से भी हमें उनके ” सादा जीवन उच्च विचार” के दर्शन का पता चलता है।
बात इलाहाबाद की है, उन दिनों वहां कांग्रेस का अधिवेषन चल रहा था । सुबह का समय था , गांधी जी ; नेहरू जी एवं अन्य स्वयं सेवकों के साथ बातें करते -करते हाथ -मुंह धो रहे थे ।
गांधी जी ने कुल्ला करने के लिए जितना पानी लिया था वो खत्म हो गया और उन्हें दोबारा पानी लेना पड़ा । इस बात से गांधी जी थोड़ा खिन्न हो गए ।
गांधी जी के चेहरे के भाव बदलते देख नेहरू जी ने पुछा , ” क्या हुआ , आप कुछ परेशान दिख रहे हैं ?”
बाकी स्वयंसेवक भी गांधी जी की तरफ देखने लगे ।
गांधी जी बोले , ” मैंने जितना पानी लिया था वो खत्म हो गया और मुझे दोबारा पानी लेना पड़ रहा है , ये पानी की बर्वादी ही तो है !!!”
नेहरू जी मुस्कुराये और बोले -” बापू , आप इलाहाबाद में हैं , यहाँ त्रिवेणी संगम है , यहाँ गंगा-यमुना बहती हैं , कोई मरुस्थल थोड़े ही है कि पानी की कमी हो , आप थोड़ा पानी अधिक भी प्रयोग कर लेंगे तो क्या फरक पड़ता है ? “
गाँधीजी ने तब कहा- ” किसकी हैं गंगा-यमुना ? ये सिर्फ मेरे लिए ही तो नहीं बहतीं , उनके जल पर तो सभी का समान अधिकार है ?हर किसी को ये बात अच्छी तरह से समझनी चाहिए कि प्राकृतिक संसाधनो का दुरूपयोग करना ठीक नहीं है , कोई चीज कितनी ही प्रचुरता में मौजूद हो पर हमें उसे आवश्यकतानुसार ही खर्च करना चाहिए ।
और दूसरा , यदि हम किसी चीज की अधिक उपलब्धता के नाते उसका दुरूपयोग करते हैं तो हमारी आदत बिगड़ जाती है , और हम बाकी मामलों में भी वैसा ही व्यवहार करने लगते हैं ।”
नेहरू जी और बाकी लोग भी गांधी जी की बात समझ चुके थे ।
मित्रों , गांधी जी की सोच कितनी प्रबल थी , इसे आज और भी अच्छी तरह से समझा जा सकता है । आज मनुष्य प्रकृति से हुए खिलवाड़ का खामियाजा भुगत रहा है , ऐसे में हमारी जिम्मेदारी और भी बढ़ जाती है कि हम प्राकृतिक संसाधनो का सही उपयोग करें और एक बेहतर विश्व के निर्माण में अपना योगदान दें ।
दिलीप पारेख
सूरत, गुजरात
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We are grateful to Dilip Ji for sharing this inspirational Gandhi ji’s Life incident on saving natural resources with AKC readers.
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bhut achha Likha jhe deelip ji very nace
सरकार बाद मेँ पहले आप और हम!
wah wah kya khabar hai sir ji
Nice sir really its not only waste of resources but also Disorders our behaviour and habitats
यदि यही सोच आज हम सब का होता तो देश में जगह जगह पानी के डार्क जोन न बनते , हम आज भी पानी का इतना दुरूपयोग करते हैं , जो देश के लिए संकट ही पैदा करेगा
I we and our governments are following this principle or having a will to do so.
Thank you sir ji very nice post Iike it .