Chanakya Niti Story in Hindi
चाणक्य नीति पर हिंदी कहानी
एक बार की बात है , मगध साम्राज्य के सेनापति किसी व्यक्तिगत काम से चाणक्य से मिलने पाटलिपुत्र पहुंचे । शाम ढल चुकी थी , चाणक्य गंगा तट पर अपनी कुटिया में, दीपक के प्रकाश में कुछ लिख रहे थे।
कुछ देर बाद जब सेनापति भीतर दाखिल हुए, उनके प्रवेश करते ही चाणक्य ने सेवक को आवाज़ लगायी और कहा , ” आप कृपया इस दीपक को ले जाइए और दूसरा दीपक जला कर रख दीजिये।”
सेवक ने आज्ञा का पालन करते हुए ठीक वैसा ही किया।
जब चर्चा समाप्त हो गयी तब सेनापति ने उत्सुकतावश प्रश्न किया-“ हे महाराज मेरी एक बात समझ नही आई ! मेरे आगमन पर आपने एक दीपक बुझवाकर रखवा दिया और ठीक वैसा ही दूसरा दीपक जला कर रखने को कह दिया .. जब दोनों में कोई अंतर न था तो ऐसा करने का क्या औचित्य है ?”
इस पर चाणक्य ने मुस्कुराते हुए सेनापति से कहा- “भाई पहले जब आप आये तब मैं राज्य का काम कर रहा था, उसमे राजकोष का ख़रीदा गया तेल था , पर जब मैंने आपसे बात की तो अपना दीपक जलाया क्योंकि आपके साथ हुई बातचीत व्यक्तिगत थी मुझे राज्य के धन को व्यक्तिगत कार्य में खर्च करने का कोई अधिकार नही, इसीलिए मैंने ऐसा किया। ”
उन्होंने कहना जारी रखा-“ स्वदेश से प्रेम का अर्थ है अपने देश की वस्तु को अपनी वस्तु समझकर उसकी रक्षा करना..ऐसा कोई काम मत करो जिससे देश की महानता को आघात पहुचे, प्रत्येक देश की अपनी संस्कृति और आदर्श होते हैं.. उन आदर्शों के अनुरूप काम करने से ही देश के स्वाभिमान की रक्षा होती है। ”
धन्यवाद
किरण साहू
रायगढ़ (छ.ग.)
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We are thankful to Mr. Kiran Sahu for sharing this inspirational Hindi story which exemplifies Chanakya Niti .
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this story is full of love of country
Muje ye kahani bahut pasand hai. Yah hamare jivan me bahut badi seekh deti hai. Yadi aaj ke neta aur sabhi karyakarta yah samaje to is desh mai naa to bhrstachar hoga aur naa hi koi anyay.
Dhanyavad Acharya Chanakya
truly inspirational story. we should all have this type of spirit
Its nice story but it must be in all leaders then our nation will develop.
True feeling for the nation. Thank you Gopal Sir.
very-very thankful to you
Ek chhooti se story Kitna shikh deteti hi.desh prem hona chaye Apke sare kam me Uska effect dekhta hi
वाह! एक आदर्श देश प्रेम से भरी हुई कहानी ! हमें अपने देश के प्रति कर्तव्यों को समझना चहिये/ कितना अच्छा होता अगर हमारे देश के नेता इस बात को समझ पाते/
द्वारा –
amulsharma
काश, आज के हमारे नेताओं में भी ऐसी भावना आ पाती ,हमारे नेताओं के कार्य बिलकुल इसके विपरीत हैं वे देश की धन राशि पर अपना व अपने परिवार का जन्मसिद्ध अधिकार समझते हैं और उसका दुरूपयोग करने में जरा भी नहीं हिचकिचाते
प्रेरणादायक कहानी. चाणक्य जी का जीवन और उनकी नीति हम सभी के लिए प्रेरणा का स्त्रोत है.
आने वाले नए वर्ष की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं और बधाईयाँ.
अनिल साहू
http://www.anilsahu.blogspot.in