क्या कोई बच्चा भी दुनिया बदल सकता है?
हाँ, बदल सकता है!
आज 12 जुलाई मलाला दिवस के दिन हम बात कर रहे हैं मलाला युसुफ़ज़ई की जिसने हंसने-खलने की उम्र में ही दुनिया के सबसे खतरनाक आतंकादियों के सामने झुकने से इनकार कर दिया और पूरी दुनिया को निडरता और साहस से जीने का सन्देश दे डाला।
आइये जानते हैं उनकी कहानी-
Malala Yousafzai Biography in Hindi / मलाला युसुफ़ज़ई की जीवनी
मलाला युसुफ़ज़ई का जन्म 12 जुलाई, 1997 को पाकिस्तान के ख़ैबर-पख़्तूनख़्वा प्रान्त के स्वात जिले में स्थित मिंगोरा शहर में हुआ था। वह पश्तून जाति के एक सुन्नी मुस्लिम परिवार से सम्बंधित हैं। “मलाला” का शाब्दिक अर्थ दुखी होने से है, हालांकि अब दुनिया इस नाम को शौर्य और पराक्रम से जोड़ कर देखती है।
उनके पिता का नाम जियाउद्दीन युसुफ़ज़ई और माता का नाम तोर पेकायी युसुफ़ज़ई है। मलाला के दो छोटे भाई खुशहाल और अटल हैं।
मलाला के पिता खुद भी एक education activist हैं और Khushal Public School नाम से private schools की एक chain चलाते हैं।
मलाला जब 10-11 साल की थीं तभी से उन्होंने एजुकेशन राइट्स के लिए बोलना शुरू कर दिया था। एक बार पेशावर के लोकल प्रेस क्लब में उन्होंने कहा था-
“तालिबान की हिम्मत कैसे हुई मेरा शिक्षा का बुनियादी अधिकार छीनने की?”
मलाला कैसे बनीं बीबीसी की ब्लॉगर?
2008 के अंत में बीबीसी उर्दू के आमेर अहमद खान और उनके साथियों को आईडिया आया कि स्वात में तालिबान के बढ़ते असर को दुनिया के सामने लाने के लिए कोई स्कूली लड़की गुमनाम रूप से (anonymously) एक ब्लॉग लिखे। इस काम के लिए मलाला के पिता से भी बात की गयी और उन्होंने प्रयास किया कि कोई बड़ी लड़की ऐसा करने को तैयार हो जाए।
पर तालिबान के खौफ के कारण कोई भी इस काम के लिए रेडी नहीं हुआ, अंत में उन्होंने अपनी बेटी मलाला को ही ब्लॉग लिखने के लिए कहा।
मलाला, जो तब सिर्फ 11 साल की थीं; ने गुल मकई नाम से ब्लॉग लिखना और वहां के हालात के बारे में दुनिया को बताना शुरू किया। मलाला एक पन्ने पर अपनी थोट्स लिखती और उसे एक रिपोर्टर को दे देतीं, जो उसे स्कैन कर के मेल कर देता।
3 जनवरी 2009 को मलाला की पहली एंट्री बीबीसी उर्दू ब्लॉग पर डाली गयी।
आप यहाँ वो पोस्ट देख सकते हैं: Diary of a Pakistani schoolgirl (पेज के अंत में उनकी पहली पोस्ट है)
तालिबान लड़कियों की शिक्षा के खिलाफ था, उसने फरमान जारी कर दिए कि अब कोई भी लड़की स्कूल नहीं जायेगी और उनके लड़ाको ने कई गर्ल स्कूल्स तबाह कर दिए।
मलाला को ये सब बिलकुल भी मंज़ूर नहीं था, वो जैसे भी संभव होता तालिबान का विरोध करतीं और लड़कियों की शिक्षा की वकालत करतीं।
स्वात वैली से विस्थापन और वापसी
12 मार्च 2009 को उन्होंने आखिर बार ब्लॉग पोस्ट लिखी। इसके बाद स्वात वैली में फिर से युद्ध के बादल छाने लगे और उनका इलाका खाली करा दिया गया।
मलाला के पिता पेशवर चले गए और तालिबान के विरोध में लोगों को एकजुट करने लगे, परिवार के बाकी लोग किसी रिश्तेदार के यहाँ चले गए।
New York Times, इसी दौरान मलाला को लेकर एक documentary बना रहा था। इसमें मलाला ने कहा –
मैं सचमुच बोर हो गयी हूँ क्योंकि मेरे पास पढने के लिए कोई बुक नहीं है।
जुलाई 2009 तक पाकिस्तानी सेना ने तालिबान को स्वात वैली से भार धकेल दिया और मलाला का परिवार एक बार फिर से वापस लौट गया।
लौटते वक़्त मलाला को अमेरिका के एक ambassador से मिलने का मौका मिला और उन्होंने उनसे इस मामले में दखल देने को कहा-
रेस्पेक्टेड एम्बसडर, यदि आप हमारी शिक्षा में मदद कर सकते हैं, तो कृपया करिए।
मलाला को अब मीडिया अटेंशन मिलने लगी थी, न्यू यॉर्क टाइम्स की डाक्यूमेंट्री के बाद और भी कई चैनल्स और पत्रकारों ने उनका इंटरव्यू लिया। उन्होंने कई अवार्ड्स के लिए नोमिनेट किया जाने लगा और दिसम्बर 2011 में उन्हें पाकिस्तान का पहला नेशनल यूथ पीस प्राइज दिया गया।
तालिबान को ये सब बिलकुल भी पसंद नहीं आया, एक छोटी सी लड़की आज निडरता से उसके खिलाफ बोल रही थी और पूरी दुनिया उसकी सराहना कर रही थी। तालिबान ने मलाला को फेसबुक, अखबारों और अन्य तरीकों से धमकियाँ देनी शुरू कीं..पर मलाला पर इन सब का कोई असर नहीं हुआ।
2012 की गर्मियों में तालिबान लीडर्स की हुई बैठक में मलाला को जान से मारने का फैसला किया गया।
मलाला पर हमला- वो घटना जिसने दुनिया को झकझोर दिया
9 अक्टूबर 2012 को मलाला कोई एग्जाम देकर बस से अपने घर वापस लौट रहीं थीं, तभी मुंह पर मास्क लगाये एक गनमैन बस में घुसा और जोर से चीखा-
बताओ तुम में से मलाला कौन है वरना मैं तुम सबको गोली मार दूंगा…
इसके बाद गनमैन ने मलाला को पहचान कर पॉइंट ब्लैंक रेंज से उसपे गोली चला दी…गोली मलाला के सर और गले से होते हुए कंधे में जा घुसी।
इस घटना में मलाला के साथ सफ़र कर रही दो और लड़कियां कैनात और शाजिया भी घायल हो गयीं, इन्होने ही रिपोर्टर्स को आँखों देखी घटना बयान की।
शूटिंग के तुरंत बाद मलाला को हवाई मार्ग से पेशावर के मिलिट्री हॉस्पिटल ले जाया गया, जहाँ पांच घंटे चले ऑपरेशन के बाद उनकी गोली निकाली जा सकी। मलाला बुरी तरह घायल थीं उनके लेफ्ट ब्रेन में स्वेलिंग हो गयी थी जिस वजह से डॉक्टर्स को उनके स्कल का एक हिस्सा निकालना पड़ा ताकि ब्रेन को स्वेल करने की जगह मिल सके।
इस बर्बर घटना की खबर जंगल में लगी आग की तरह फ़ैल गयी, हर किसी ने तालिबान की निंदा की और मलाला के ईलाज के लिए हाथ आगे बढाया।
15 अक्टूबर 2012 को मलाला को Queen Elizabeth Hospital, London ले जाया गया, और दो दिन बाद वो कोमा से बहार आ गयीं। बेहतरीन ईलाज और देखभाल के कारण वो जल्द ही स्वस्थ होने लगीं। 3 जनवरी 2013 को उन्हें डिस्चार्ज कर दिया गया, जिसके बाद वे बिर्मिंघम में अपने एक अस्थायी घर में रहने लगीं।
Malala Day / मलाला दिवस
अपने सोलहवें जन्मदिन 12 जुलाई 2013 को मलाला ने संयुक्त राष्ट्र (UN) को संबोधित करते हुए कहा-
आतंकवादियों ने सोचा वे मेरा लक्ष्य बदल देंगे और मेरी महत्त्वाकांक्षाओं को दबा देंगे, लेकिन मेरी ज़िन्दगी में इसके सिवा बदला: कमजोरी, डर और निराशा की मौत हो गयी। शक्ति, सामर्थ्य और साहस का जन्म हो गया।
मलाला के सम्मान में United Nations ने इस दिन को “मलाला दिवस / Malala Day” का नाम दे दिया।
इसके कुछ दिनो बाद वे बकिंघम पैलेस में क्वीन एलिज़ाबेथ से मिलीं। इसके बाद उन्होंने हार्वर्ड में भी भाषण दिया और अक्तूबर 2013 में अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा से भी मिलीं। ओबामा से उन्होंने पाकिस्तान में हो रहे ड्रोन हमले पर खेद जाहिर किया।
वे हर एक मौके पर बच्चों की शिक्षा और महिलाओं के अधिकारों के लिए बात करती रहीं। अक्टूबर 2014 में स्वीडन में उन्हें World Children’s Prize for the rights of the child देकर सम्मानित किया गया। इनाम में मिले 50000 डॉलर्स को उन्होंने गाज़ा में तबाह हुए 65 स्कूलों को वापस खड़ा करने के लिए डोनेट कर दिया।
नोबेल शांति पुरस्कार
10 अक्टूबर 2014 को मलाला को 2014 का नोबेल शांति पुरस्कार दिया गया। यह पुरस्कार उन्हें बच्चों और युवाओं के दमन के खिलाफ उनके संघर्ष और सभी बच्चों को शिक्षा का अधिकार दिलाने का प्रयास करने के लिए दिया गया। मलाला यह पुरस्कार पाने वाली दुनिया कि सबसे कम उम्र की व्यक्ति हैं।
मलालाा युसुफ़ज़ई को प्राप्त हुए प्रमुख सम्मान
- वर्ष 2011 में मलालाा युसुफ़ज़ई को पाकिस्तान का राष्ट्रिय शांति पुरस्कार प्राप्त हुआ
- वर्ष 2011 में मलालाा युसुफ़ज़ई को आंतरराष्ट्रिय शांति पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया था। और उन्हे वर्ष 2013 में आंतरराष्ट्रिय बाल शांति पुरस्कार से नवाज़ा गया था।
- मलालाा युसुफ़ज़ई को वर्ष 2013 में सखारोव पुरस्कार दिया गया था। यह सम्मान उन्हे वैचारिक स्वतन्त्रता के लिए, और बच्चों के शिक्षा अधिकार के लिए संघर्ष करने के लिए दिया गया था।
- सयुंक्त राष्ट्र के द्वारा वर्ष 2013 में मलालाा युसुफ़ज़ई को “मानवाधिकार सम्मान” (Human Right Award) से सम्मानित किया था। यह सम्मान हर पांच साल में एक बार ही दिया जाता है। मलालाा युसुफ़ज़ई के पहले “मानवाधिकार सम्मान” पुरस्कार नेल्सन मंडेला, और पूर्व अमरीकी राष्ट्रपति जिम्मी कार्टर जैसे दिग्गज व्यक्तियों को ही दिया गया है।
- मलालाा युसुफ़ज़ई को 10 दिसंबर, 2014 के दिन नॉर्वे कंट्री में आयोजित एक कार्यक्रम में “नोबेल पुरस्कार” प्रदान किया गया था।
पुरस्कारों की पूरी सूचि यहाँ देखें
मलाला पर बनी डाक्यूमेंट्री : He Named Me Malala
मलाला की लिखी किताब: I am Malala
इसे ज़रूर पढ़ें: मलालाा युसुफ़ज़ई के अनमोल विचार
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