समाजशास्त्री इमाईल दुर्खीम की जीवनी
Sociologist Emile Durkheim Biography in Hindi
समाजशास्त्र के उद्भव और विकास में फ्रांस और फ्रांसीसी विद्वानों का विशेष योगदान है। वैज्ञानिक अध्ययनों के द्वारा ठोस आधार प्रदान करने वाले फ्रांसीसी विद्वान इमाईल दुर्खीम ने निरीक्षण, परिक्षण, और वर्गीकरण के माध्यम से समाजशास्त्र को एक विज्ञान के रूप में प्रस्तुत किया। गौरतलब है कि, समाजशास्त्र के जन्मदाता के रूप में आगस्त कॉम्त का नाम पहले आता है, परंतु इमाईल दुर्खीम ने उनके उत्तराधिकारी के रूप में उनके अधूरे कार्यों को पूरा किया। आपने समाज को एक नई दिशा दी और व्यक्ति के विकास या पतन में समाज की भूमिका को तर्क देकर समझाया।
इमाईल दुर्खीम का बचपन
समाजशास्त्र को अपनी एक पहचान दिलाने वाले समाजशास्त्री ईमाइल का जन्म 15 अप्रैल 1858 को फ्रासं के एक छोटे से कस्बे एपीनल में हुआ था। यहुदी परिवार में जन्में इमाईल बचपन से ही अत्यन्त होनहार एवं प्रतिभासम्पन्न थे। प्रारंभिक पढाई में वे अपनी कैथोलिक धार्मिक अध्यापिका से बहुत प्रभावित हुए थे, इस कारण आपका रूझान यहुदी होने के बावजूद कैथोलिक धर्म की तरफ भी रहा। बचपन से ही आप अपनी विद्वता के बल पर अनेक पुरस्कार अर्जित कर चुके थे।
शिक्षा
एनिपल कॉलेज से स्नातक की उपाधी प्राप्त करने के पश्चात दुर्खीम ने पेरिस की विख्यात इकोल अकादमी में शिक्षा ग्रहण की थी। इकोल अकादमी में शिक्षा प्राप्त करने वाले को फ्रांस में जीवन भर के लिये उच्च पदों पर नियुक्त किया जाता था। 21 वर्ष की आयु में इमाईल की गिनती इकोल अकादमी के होनहार छात्रों में होने लगी थी।
एक समाजशास्त्री के रूप में
1885 में शिक्षा ग्रहण करके आप जर्मनी चले गये, जहाँ आपने अर्थशास्त्र, लोक मनोविज्ञान और सांस्कृतिक मानवशास्त्र का विस्तृत अध्ययन किया। आपकी काबिलियत की वजह से आपको बोर्डियक्स विश्वविद्यालय में प्रोफेसर के रूप में नियुक्त किया गया। इसी दौरान बोर्डियक्स विश्वविद्यालय में मनोविज्ञान के प्रोफेसर एस्पिनास से आप बहुत प्रभावित हुए। एस्पिनास के प्रभाव की ही असर था कि आप समाजशास्त्र को मनोविज्ञान से एक अलग विज्ञान के रूप में सत्यापित करने में सफल हुए। 1896 में दुर्खीम को बोर्डियक्स विश्वविद्यालय समाज विज्ञान का प्रोफेसर बनाया गया। फ्रांस में आपकी पहचान प्रमुख विद्वान और शिक्षाशास्त्री के रूप में प्रसारित हो चुकी थी।
1902 में पेरिस विश्वविद्यालय में शिक्षाशास्त्र के अध्यापक के रूप में आपको आमंत्रित किया गया। इमाईल दुर्खीम की समाजशास्त्रीय रूची और उपलब्धियों के कारण ही 1913 में शिक्षाशास्त्र विभाग का नाम शिक्षाशास्त्र एवं समाजशास्त्र विभाग रखा गया। इस तरह 1838 में आगस्त कॉम्त ने जो शुरुवात की थी, उसे इमाईल दुर्खीम ने 1913 में समाजशास्त्र के पहले प्रोफेसर के रूप में समाजशास्त्र को एक मान्यता प्राप्त विषय के रूप में प्रतिष्ठित किया।
दुर्खीम एक महान शिक्षक तथा विचारक भी थे। उनकी विद्वता से प्रभावित होकर एकबार ‘हैरी एल्पर्ट’ ने कहा था कि-
जो व्यक्ति उनके प्रभाव से बचना चाहते हैं, उन्हे या तो उनके पाठ्यक्रम से अलग होना होगा अथवा इच्छा या अनिच्छा से उनकी विद्वता को स्वीकार करना होगा।
लेख, शोध, पुस्तकें व समाजशास्त्र में योगदान
दुर्खीम गहन चिंतन और रचनात्मक लेख के लिये भी प्रख्यात हैं। 1893 में दुर्खीम का शोध प्रबंध “The Division of Labour in Society” प्रकाशित हुआ था। इसके दो वर्ष बाद आपकी दुसरी पुस्तक “The Rules of Sociological Methods” प्रकाशित हुई। 1897 में आपकी तीसरी पुस्तक “Le Suicide” (आत्महत्या) प्रकाशित हुई।
उनके इस काम में उनकी पत्नी का भरपूर सहयोग मिला। जिनसे दुर्खीम की मुलाकात बोर्डियक्स विश्वविद्यालय में अध्ययन के दौरान हुई थी। आपने लुइस ड्रेफस शादी करने का निर्णय लिया। दुर्खीम के दो बच्चे थे, बेटा आंद्रे और बेटी मेरी। लुइस ड्रेफस ने यहुदी परंपरा का निर्वाह करते हुए अपना सम्पूर्ण समय परिवार के कार्यों में सहायता करने में व्यतीत किया।
आपकी इन तीनों पुस्तकों के प्रकाशित होने के बाद फ्रांस की जनता में आप एक विशिष्ट समाजशास्त्री के रूप में प्रख्यात हो गये। आपकी पुस्तकों का ऐसा असर हुआ कि फ्रांस की जनता समाजशास्त्र में रुची लेने लगी। दुर्खीम ने भी जनता की रुची को देखते हुए 1898 में ‘L Annee Sociologique’ नामक समाजशास्त्रीय पत्रिका का सम्पादन प्रारम्भ किया। इस उच्चकोटि की समाजशास्त्रीय पत्रिका में समाजशास्त्र में रुची रखने वाले युवाओं ने अपने विचारों को स्पष्ट किया। जिससे एक नये समाजशास्त्रिय समप्रदाय की शुरुवात हुई, जिसे दुर्खीम समप्रदाय कहा जाता है।
दुखिर्म ने समाजशास्त्र को एक पृथक विज्ञान के रूप में प्रतिष्ठित तो किया ही, साथ में आपने समाजशास्त्रीय अध्ययनों को वैज्ञानिक स्वरूप देते हुए अनेक पुस्तकों की रचना भी की। कुछ पुस्तकें आपके जीवनकाल में ही प्रकाशित हुईं किंतु कुछ पुस्तकें ‘L Annee Sociologique’ पत्रिका में प्रकाशित आपके लेखों के आधार पर मृत्यु के पश्चात प्रकाशित हुई।
इमाईल दुर्खीम को आगस्त कॉम्त का अनुयायी और उत्तराधिकारी माना जाता है लेकिन एक समाजशास्त्री के रूप में दुर्खीम ने आगस्त कॉम्त के विपरीत समाजशास्त्र की सीमाएं निर्धारित करने का प्रयास किया था। आपने समाजशास्त्र को स्वतंत्र और विशिष्ट विज्ञान बताया। दुर्खीम ने समाज का मौलिक चिंतन करते हुए समाजशास्त्र को एक वस्तुनिष्ठ विज्ञान बनाने का प्रयास किया और रहस्यवाद, अधिप्राकृतिकवाद एवं परंपरावाद का विरोध करते हुए सामूहिकता और सामजिक मूल्यों को सामाजिक जीवन का वास्तविक आधार बताया।
आत्महत्या का सिद्धांत / Emile Durkheim Theory of Suicide in Hindi
इमाईल दुर्खीम द्वारा प्रतिपादित आत्महत्या का सिद्धान्त समाशास्त्रीय अध्ययन के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान है। अनेक शोधों के बाद उन्होने सिद्ध कर दिया था कि, आत्महत्या एक सामजिक घटना है। दुर्खीम ने आत्महत्या की परिभाषा देते हुए लिखा है कि,-
आत्महत्या शब्द का प्रयोग मृत्यु के उन सभी प्रकारों के लिये किया जाता है जो कि प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष आत्महत्या करने वाले व्यक्ति के सकारात्मक अथवा नकारात्मक कार्य का परिणाम है, जिसका कि उसे ज्ञान है।
आत्महत्या की व्याख्या करते हुए दुर्खीम कहते हैं, “प्रत्येक समाज में आत्महत्या की प्रवृत्ति होती है, फर्क सिर्फ इतना होता है कि किसी में कम किसी में अधिक होती है।”
समाजशास्त्री दुर्खीम ने अपनी पुस्तक “दी एलीमेंट्री फॉर्म्स ऑफ रिलीजियस लाइफ (The Elementary Forms of Religious Life) में धर्म की प्रकृत्ति, उन्नति और प्रभाव के विषय में विस्तृत विवेचना की है।
आपने अपने सिद्धान्त के द्वारा यह प्रमाणित करने का प्रयास किया है कि धर्म एक सामजिक तथ्य है और इस अर्थ में नैतिक रूप से सामुहिक चेतना का प्रतीक ही धर्म है। दुर्खीम का मानना था कि, समाज ही वास्तविक देवता है। आपने एडवर्ड टायलर, मैक्समूलर, फ्रेजर आदि मतों का भी खंडन किया। दुर्खीम का धर्म सिद्धांत पवित्र और पार्थिव के बीच अंतर पर आधारित सिद्धांत है। आपने लिखा कि (Quote)–
जैसा समाज होगा वैसे ही देवी देवता होंगे। भगवान की छवी लोगों में कैसी होगी। इसे समाज ही निर्धारित करता है। निःसंदेह आज दुर्खीम की ये बातें एक सीमा तक सत्य भी है।
आपकी प्रसिद्ध पुस्तकें हैः- (List of Famous Books)
- De Le Division Dei Travali Social (1893)
- Lee Relges de la Methode Sociollgieuse (1895)
- Le Suicide 1895
- Les Forms Elementaries de Lavie Religieuse (1912)
- Education and Sociology 1922
- Sociology and Philosophy 1924
- Le Education Morale 1925
- Le Socialisme 1928
- The evolution of pedagogy in France 1938
- Le Cons de Sociologic 1950
- Peagmatisme et Sociologie 1955
संघर्षपूर्ण जीवन व मृत्यु
दुर्खीम का जीवन एक संघर्षमय जीवन रहा है। आपने अपना सारा जीवन सामाजिक समस्याओं को सुलझाने और उसके तरीके ढूंढने में व्यतीत किया। शोषण के खिलाफ आपने आवाज उठाई। समाज सुधार एवं समाज सेवा में आपने जीवन का सर्वस्य न्योछावर कर दिया। आप एक देशभक्त समाजशास्त्री के रूप में भी याद किये जाते हैं। 1914 में प्रथम विश्व युद्ध में बुद्धिजीवियों की क्षति से आप बहुत व्यथित थे। जीवन के अंतिम पलों को आपने युद्ध सम्बन्धी प्रचार सामग्री के सम्पादन और प्रकाशन कार्य में व्यतीत किये और फ्रांस की जनता को धैर्य, प्रयत्न और विश्वास का नारा दिया।
दुर्खीम के पुत्र आन्द्रे भी इकोल अकादमी में शिक्षा प्राप्त करके समाशास्त्र और भाषाशास्त्र में संलग्न थे। लेकिन देशभक्ती की भावना से वशीभूत होकर आन्द्रे विश्वयुद्ध में देश की तरफ से जंग में शामिल हो गये। युद्ध में आन्द्रे घायल हो गये और उनकी मृत्यु हो गई। इकलोते पुत्र की मृत्यु से दुर्खीम को बहुत ज्यादा आघात लगा और वे अंदर ही अंदर टूट गये और 15 नवम्बर 1917 को 59 वर्ष की आयु में इमाईल दुर्खीम इहलोक छोड़कर परलोक सिधार गये।
समाजशास्त्र के क्षेत्र में आपका योगदान आज भी अतयन्त प्रासंगिक है। आज अनेक समाजशास्त्री इमाईल दुर्खीम के मार्गदर्शन को
आधार बनाकर समाजशास्त्र को एक विज्ञान के रूप में निरंतर समृद्ध कर रहे हैं।
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अनिता शर्मा (अनिता मैम के बारे में यहाँ पढ़ें : नेत्रहीन लोगों के जीवन में प्रकाश बिखेरती अनीता शर्मा)
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We are grateful to Anita Ji for sharing an excellent article on “महान समाजशास्त्री इमाईल दुर्खीम की जीवनी / Emile Durkheim Biography in Hindi.”
Tags: Life History Theory of Sociologist Emile Durkheim in Hindi
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Thank you sir ji