
सबसे बड़ा दानवीर!
सोचिए, महीने की पहली तारीख है; आज आपको अपनी सैलरी मिल गयी है जिसका आप इतनी बेसब्री से इंतज़ार कर रहे थे…लेकिन तभी आपको पता चलता है कि कोई गरीब-लाचार आदमी बहुत कष्ट में है और उसे पैसों की सख्त ज़रूरत है तो आप अपनी सैलरी का कितना हिस्सा उसे दे देंगे?
1%..2%…या शायद 5%
But in any case क्या आप उसे अपनी 100% salary दे पायेंगे?
Frankly, मैं तो नहीं दे पाऊंगा…and I guess, ज्यादातर लोग नहीं दे पायेंगे!
खैर ये तो हो गयी सिर्फ १ सैलरी में से कुछ हिस्सा देने की बात…लेकिन अगर आपसे कहा जाए की आप जितने साल तक काम करें, उतने साल तक हर महीने अपनी सैलरी से एक हिस्सा किसी ज़रूरतमंद के लिए दे दीजिये तो आप कितना बड़ा हिस्सा दे पायेंगे??
मुझे लगता है, अगर किसी तरह की बाध्यता न हो तो शायद अधिकतर लोग इसके लिए तैयार ही नहीं होंगे! Isn’t it?
लेकिन Tirunelveli के रहने वाले पालम कल्याणसुन्दरम तो ना जाने किस मिट्टी के बने हैं, उन्होंने लगातार तीस साल तक, हर महीने मिलने वाली अपनी पूरी सैलरी दान में दे दी…जी हाँ पूरी की पूरी सैलरी!
आइये आज हम उस महान सख्श की कहानी जानते हैं-
- जो शायद दुनिया का पहला और अकेला इंसान है जिसने अपनी सारी कमाई दान में दे दी
- जिसे सुपर स्टार रजनीकांत अपने पिता के रूप में अडॉप्ट कर चुके हैं
- जिसे यूनाइटेड नेशंस ने 20th century के outstanding लोगों में शुमार किया है
- जिसे अमेरिका की एक संस्था, “Man of the Milennuim” award दे चुकी है
- जिससे अमेरिका के भूतपूर्व राष्टपति Mr. Bill Clinton, अपनी भारत यात्रा के दौरान मिलना चाहते थे
- जिसे भारत सरकार ने “Best Librarian of India” माना है, और
- जिसे `The International Biographical Centre, Cambridge ने ‘one of the noblest of the world’ का सम्मान दिया है
पालम कल्याणसुन्दरम का प्रेरणादायी जीवन
Palam Kalyanasundaram Biography in Hindi
प्रारंभिक जीवन
पालम कल्याणसुन्दरम का जन्म 1953 में तमिलनाडु के तिरूनेवेली जिले के मेलाकरुवेलान्गुलम गाँव में हुआ था। जब वे सिर्फ एक साल के थे तभी उनके पिता का देहांत हो गया। उनकी माँ ने उन्हें पाल-पोस कर बड़ा किया और उनके अन्दर अच्छे संस्कारों के बीज डाले।
कल्याणसुन्दरम जी के अनुसार, उनकी माँ ने उन्हें खुश रहने के तीन मन्त्र सिखाये थे:
- पहला, कभी लालच मत करो
- दूसरा, अपनी कमाई का दसवां हिस्सा किसी नेक काम में खर्च करो और
- तीसरा, रोज कम से कम कोई एक दयालुता का काम करो
और कल्याणसुन्दरम जी ने तो माँ की सीख से कहीं आगे बढ़ कर काम किया है और साथ ही लाखों लोगों को inspire किया है!
अपने बचपन के बारे में कल्याणसुन्दरम जी बताते हैं कि-
तब वहां सिर्फ तीस घर थे। न कोई सड़क, न कोई स्कूल, न बिजली और ना ही कोई दूकान। 10 साल का होने तक मैं केरोसीन लैंप या मोमबत्ती की रौशनी में पढता था।
शिक्षा
स्कूल की पढाई ख़त्म हो जाने के बाद, कल्याणसुन्दरम जी ने तमिल विषय में BA degree लेने का निश्चय किया। लेकिन चूँकि इस subject को opt करने वाले वो अकेले व्यक्ति थे इसलिए St. Xavier’s College के मैनेजमेंट ने उन्हें कोई और सब्जेक्ट लेकर पढने को कहा, लेकिन उन्होंने मन कर दिया।
जब MTT Hindu College के फाउंडर Karumuttu Thygaraja Chettiar को ये पता चला तो उन्होंने ना सिर्फ उन्हें उनके पसंदीदा कोर्स में एडमिशन दिया बल्कि उनकी पढाई का खर्च भी उठा लिया।
इस पर कल्याणसुन्दरम जी कहते हैं-
मैं उन दिनों को कभी नहीं भूल सकता, खासतौर से चेट्टियार जी की उदारता को।
BA करने के बाद कल्याणसुन्दरम जी ने साहित्य और इतिहास में MA degree हासिल की और लाइब्रेरी साइंस की भी पढाई पूरी की, जिसमे वे गोल्ड मेडलिस्ट रहे। शायद आपको जानकार आश्चर्य हो की पालम कल्याणसुन्दरम जी दुनिया के 10 सबसे अच्छे लाइब्रेरियन में भी गिने जाते हैं…what an achievement!
आत्महत्या करने का विचार
अगर आप उनका कोई विडियो देखें तो आपको उनकी आवाज़ कुछ अलग सी लगेगी, दरअसल शुरू से ही उनकी आवाज़ बहुत पतली थी जिसकी वजह से उनमे आत्मविश्वास की कमी थी और एक समय वो इस बात से इतने परेशान थे की अपनी ज़िंदगी ही ख़त्म कर लेना चाहते थे। लेकिन तभी उनकी मुलाक़ात एक motivational author से हुई जिसने कुछ ऐसा कहा की उनकी ये हीन भावना हमेशा के लिए ख़त्म हो गयी…उसने कहा-
इसकी चिंता मत करो कि तुम कैसे बोलते हो बल्कि कुछ ऐसा करो कि दूसरे तुम्हारे बारे में अच्छा बोलें।
समाज सेवा की शुरुआत
गरीब, अनाथ, बेसहारा बच्चों की पीड़ा देख कर कल्याणसुन्दरम जी का ह्रदय पिघल उठता था, इसलिए उन्होंने पढाई करते समय ही ऐसे बच्चों की मदद करने के लिए International Children’s Welfare Organisation नाम से एक संस्था बनायी। इसके बारे में अभी कोई जानकारी नहीं मिली, संभवतः यह संस्था कुछ समय बाद बंद हो गयी। हालांकि, उनका ऐसा करना दर्शाता है कि मानवता की सेवा के बीज उनके अन्दर शुरू से ही थे।
1962 में कल्याणसुन्दरम जी मद्रास यूनिवर्सिटी से Library Science की शिक्षा ले रहे थे। उसी दौरान भारत-चीन युद्ध भी अपने चरम पे था। तभी कल्याणसुन्दरम जी ने रेडियो पर पंडित जवाहरलाल नेहरु का सन्देश सुना जिसमे इ देशवासियों से डिफेंस फण्ड में अपना योगदान देने की अपील कर रहे थे।
कल्याणसुन्दरम जी बताते हैं-
मैं रेडियो पर नेहरु जी का डिफेंस फण्ड में योगदान देने का अनुरोध सुन रहा था। मैं फ़ौरन चीफ मिनिस्टर कामराज जी के पास गया और अपनी गोल्ड चेन दे दी। शायद में ऐसा करने वाला पहला स्टूडेंट था।
कल्याणसुन्दरम जी के इस काम की लोकल न्यूज़ पेपर्स में काफी प्रसंशा हुई और खुद मुख्य मंत्री उनके इस कदम से इतने प्रभावित हुए की 1963 में May Day के दिन उन्हें सम्मानित किया।
कल्याणसुन्दरम जी चाहते थे कि उनकी गोल्ड चेन डोनेट करने की बात उस समय की पॉपुलर मैगज़ीन आनंद विकाटन में छपे, ताकि और लोग भी प्रेरित हो डिफेंस फण्ड में अपन योगदान दें। लेकिन मैगज़ीन के एडिटर एस. बाला सुब्रमणियन ने इसे एक पब्लिसिटी स्टंट समझा और कल्याणसुन्दरम जी को अगले पांच साल में अपनी sincerity साबित करने को कहा।
इस घटना को याद करते हुए कल्याणसुन्दरम जी कहते हैं-
उन्होंने मुझे ये कहते हुए भगा दिया कि मैं उस दिन तुम्हारे बारे में कुछ लिखूंगा जब मैं कुछ ऐसा डोनेट करूँ जो मैंने खुद अर्न किया हो। इसके बाद मैंने जो किया उसके बारे में किसी से एक शब्द नहीं कहा। मैंने इसे एक चुनौती के रूप में लिया।
नौकरी और सोशल वर्क
पढाई के बाद उनकी नौकरी Kumarkurupara Arts College at Srivaikuntam, में बतौर लाइब्रेरियन लग गयी, जहाँ उन्होंने 35 साल तक काम किया। शुरू के कुछ सालों में वो अपनी कमाई का एक छोटा हिस्सा ही दान में देते थे लेकिन जल्द ही वे अपनी पूरी कमाई ही दान में देने लगे और अपना खर्चा चलाने के लिए छोटे-मोटे काम करने लगे।
पालम कल्याणसुन्दरम कहते हैं, “ये समझने के लिए की गरीब होना कैसा होता है मैं फुटपाथों पे और रेलवे प्लेटफार्मस पर सोया हूँ, सर पर बिना किसी छत के।”
कई बार कल्याणसुन्दरम जी को ऐसा करते उनके स्टूडेंट्स देख लेते और बाद में उनसे आ कर कहते की हमने आज प्लेटफार्म पर आपके एक डुप्लीकेट देखा…बिलकुल आपकी तरह! और कल्याणसुन्दरम जी ये सुनकर मुस्कुरा देते।
उनका कहना है, “मैं एक बैचलर हूँ और मेरी पर्सनल ज़रूरतें बहुत कम हैं। मैं होटल और लांड्री वगैरह में छोटे-मोटे काम करके अपना खर्चा चला लेता हूँ। मैं…बस किसी चीज पर अपना अधिकार नहीं चाहता। Actually, मेरे जीवन का सबसे सुखद पलों में से एक वो पल था जब मुझे एक अमेरिकी आर्गेनाइजेशन ने “Man of the Millennium” चुना और मैंने इनाम में मिले 30 करोड़ रुपये चैरिटी में दे दिए। इसलिए, सबकुछ एक state of mind है। अंत में जब हम दुनिया छोड़ कर जाते हैं तो अपने साथ क्या ले जाते हैं?”
कल्याणसुन्दरम जी का मानना है कि हर किसी को अपने चुने हुए क्षेत्र में कुह अचीव करना चाहिए। लाइब्रेरी साइंस में उनका बहुत बड़ा योगदान है। लाइब्रेरी में किस प्रकार किताबों को ट्रेस और एक्सेस किया जाए, इसके लिए उहोने एक सरल तरीका इजात किया है। काम के प्रति उनकी लगन की वजह से वे इस क्षेत्र में भी बड़े सम्मान प्रपात कर चुके हैं।
70 से अधिक उम्र का होने के बावजूद कल्याणसुन्दरम जी को बच्चे और युवाओं के साथ घनिष्टता बनाने में समय नहीं लगता। वो एक घटना बताते हैं जब उन्होंने खादी पहनना शुरू किया।
मुझे कॉलेज में गाँधी जी की सादगी और उनके आदर्शों के बारे में बात करनी थी, और मैं वहां महंगे कपड़ों में खड़ा था। तभी मैंने निश्चय किया कि अबसे मैं खादी पहनूंगा।
तबसे उन्होंने जो कुछ भी औरों को follow करने के लिए कहा है उसे पहले खुद फॉलो किया है और इसी वजह से बहुत से युवा और बच्चे उन्हें अपने रोल मॉडल के रूप में देखते हैं।
कल्याणसुन्दरम जी के बारे में दुनिया को कैसे पता चला
कल्याणसुन्दरम जी चुपचाप अपना काम किये जा रहे थे और उन्होंने कभी इस बात को हाईलाइट करने की कोशिश नहींकी। जब 1990 में उन्हें UGC से बतौर arrear 1 लाख रुपया मिला तो हमेशा की तरह उन्होंने उसे भी दान करने का निश्चय किया। वे District Collector के पास गए और अनाथ बच्चों की उच्च शिक्षा के लिए ये पैसे charity में दे दिए।
उनके ना चाहते हुए भी कलेक्टर ने ये बात मीडिया को बता दी और इस माहन आदमी की कहानी पूरी दुनिया के सामने आ गयी। जिसके बाद उन्हें देश-विदेश हर जगह से सम्मानित किये जाने का सिलसिला शुरू हो गया।

वो इंसान जिसे रजनीकांत अपना पिता मानते हैं!
रजनीकांत द्वारा पिता के रूप में अडॉप्ट किया जाना
जब सुपरस्टार रजनीकांत, जो खुद बहुत से सामजिक कार्य किया करते हैं, को उनके बारे में पता चला तो उनका माथा भी इस व्यक्ति के सम्मान में झुक गया और उन्होंने कल्याणसुन्दरम को अपने पिता के रूप में adopt कर लिया।
रजनीकांत उन्हें अपने घर ले जाकर साथ रखना चाहते थे, पर कल्याणसुन्दरम जी तो अपने छोटे से कमरे में ही खुश थे और उन्होंने उनका ये आग्रह अस्वीकार कर दिया।
पालम संस्था की शुरुआत
कल्याणसुन्दरम जी जब तक नौकरी में रहे वे मुख्यतः बच्चों के वेलफेयर के लिए काम करते रहे। लेकिन 1998 में रिटायरमेंट के बाद उन्होंने और लोगों की भी सेवा करने का सोचा और इस तरह उनकी संस्था पालम का जन्म हुआ।
कल्याणसुन्दरम जी ने पालम बनाने के बाद जो सबसे पहला काम किया वो था उन्हें रिटायरमेंट पर मिलने वाला 10 लाख रुपया समाज सेवा में लगाना। उन्होंने ये सारा पैसा Collector’s Fund में जमा करा दिया और वो आज भी हर महीने वाली पेंशन भी समाज सेवा में लगा देते हैं। इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि वे अपनी पैत्रिक संपत्ति भी दान में दे चुके हैं।
आज उनकी संस्था donors और beneficiaries के बीच में एक लिंक का काम करती है और बच्चों की शिक्षा, बीमार लोगों का ईलाज, विकलांग लोगों की मदद और किसी प्राकृतिक आपदा की वजह से प्रभावित हुए लोगों को रिलीफ पहुंचाने में अग्रसर है ।
कल्याणसुन्दरम जी पैसों से बिलकुल भी आकर्षित नहीं होते। उनका कहना है, “ कोई व्यक्ति तीन तरह से पैसे पा सकता है। पहला, खुद कमा के, दूसरा पेरेंट्स की कमाई से और तीसरा किसी से दान में पैसे पाकर। लेकिन अपने कमाए पैसों को डोनेट करने से ज्यादा सुखद और संतोषजनक कुछ भी नहीं है।”
मौजूदा वक़्त में
कल्याणसुन्दरम जी अब 73 साल के हो चुके हैं और अब साइदापेट, चेन्नई में एक छोटे से घर में अकेले रहते हैं। उन्होंने सिर्फ इसलिए कभी शादी नहीं की क्योंकि वे तन-मन-धन से सिर्फ समाज सेवा करना चाहते थे। आज भी, वे रोज अड्यार स्थित अपने ऑफिस आते हैं और underprivileged लोगों की बेहतरी के लिए काम करते हैं। उनके भीतर के कल्याण की भावना इतनी कूट-कूट कर बहरी है कि वे मरने के बाद अपनी आँखें और शरीर दान में देने की शपथ ले चुके हैं।
कल्याणसुंदरम जी का कहना है-
जब तक हम किसी रूप में समाज में अपना contribution न दें तब तक हम खुद को sustain नहीं कर सकते। मैं दृढ़ता से मानता हूँ कि अगर एक इंसान भी social good के लिए कुछ करता है तो इससे कुछ बदलाव आएगा।
सचमुच कितने महान हैं पालम कल्याणसुन्दरम जी जो जीते जी तो अपना सब कुछ समाज सेवा में लगा ही रहे हैं और जीवन का अंत भी मानवता की सेवा करते हुए ही करना चाहते हैं। हम सभी को उनके जीवन से सीख लेनी चाहिये और सोसाइटी की बेहतरी के लिए छोटा ही सही पर कुछ न कुछ योगदान ज़रूर करना चाहिए।
Friends, आज उनके बारे में लिखते हुए मुझे दानवीर कर्ण का ध्यान आ रहा है। कर्ण द्वापरयुग का वो महादानी था जिसके द्वार से कभी कोई खाली हाथ नहीं गया और आज कलियुग में एक महादानी है दानवीर पी. कल्याणसुन्दरम जिसके द्वार पर भी नहीं जाना पड़ता वो खुद ज़रुरतमंदों के द्वार पर पहुँच जाता है और अपना सर्वस्व उसकी सेवा में लगा देता है। सचमुच, इस महान व्यक्ति के लिए ह्रदय से प्रेम और सम्मान अपने आप ही निकल पड़ता है। चलिए आज हम उन्हें शत-शत नमन करते हैं और ईश्वर से उनकी अच्छी सेहत और लम्बी उम्र की कामना करते हैं।
Thank You!
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wah ….is papi kalyug m aise mahan log bhi h ..jaankar accha lga
PUBLIC CHEATERS : Rajani and Nalli Kuppuswamy Chetty are the promoters and supporters of Paalam Kalyana Sundaram at New No16, 46th street, 9th avenue, Ashok Nagar, Chennai 600 083. He is running a monthly magazine called “Anpup paalam”.It is a magazine of 60 to 100 pages per month with many high paid colour advertisements. Monthly he publishes and sell over 5,000 copies by mail and directly. It is about a person in the front cover page. The magazine is filled with many false messages about the person, who pays lakhs and crores of money to Paalam Kalyana Sundaram, for their publicity. He does not collect any GST and pays to the government. He do not keep any account or records for the receipts and payments. He makes profits and do not pay any Income tax. In the name helping for education, he gives the money to girls for sexy performances. He keeps a prostitute girl by name “Rajarajeswari” at his home. He gives large sums of his money to her (Dress, Hotel food, jewels, jolly tours etc…). Using his popularity gained through some unknown reasons, he cheats the world people and plays fraud…!!! He begs and blackmails rich people and helps to distribute their black money for his self enjoyment and fame…..!!! He has collected over Rs 4,000 crores to celebrate his 80th birth day menu items… From where he gets this money ??? He is an international criminal…!!!! This is going on for the past 10 years. WHY ???????. In May 2019, Nalli Kuppuswamy Chetti put up a big show in an air conditioned hall in T.Nagar, Chennai, introducing the Zamindar of of Chingam patti, as the only King ruler in India. In July or August issue of the Anbu Paalam issue, Palam Kalyana Sundaram put the photo of the Zamindar in the cover page and wrote lavish praises about him. Both are fraud and propagated unauthorised matters. Both have received black money in crores from the Zamindar???? This fake Zamindar Raja, Rajani, Nalli KuppuSwamy Chetti and Paalam Kalyana Sundaram are jointly playing many frauds to cheat the public !!!! – A World Press reporter.
महानुभाव आपका लेख पढ़ा लेकिन इस लेख में मुझे कल्याण सुंदरम जी की जन्म तिथि में शंका हो रही है क्योंकि यदि कल्याण सुंदरम जी का जन्म 1953 में में हुआ तो 1962 में विश्व-विद्यालय कैसे पहुंच गए कृपया जन्म-तिथि के बारे में या विश्व-विद्यालय की पढ़ाई की तिथि की सही जानकारी देने की कृपा करें धन्यवाद
Very good article for those who do social works, thanks to author for such post.
आपका ब्लॉग पढ़कर आनंद आ गया, आपने ऐसे ब्यक्तियो के बारे में बताया, हमे पड़कर अच्छा महसूस हुआ आपको ऐसी लेखनी के लिए साशुवाद !!
REALLY SIR SALUTE HA APKO ……………….ACHE KAAM KARNE KE LIYE MAN MEIN VAISE ICCHA BHI HONI CHAHIYE INHONE JO KIYA KABILE TARIF HA
Truly this guys is not a common guys like us. Such type of guys is god gifted. Real life inspiration. Lot’s of respect from my bottom of heart
इनके बारे में सुना तो हुआ था, लेकिन आपने इनके बारे में विस्तार से बताया। जिस युग में लोग दूसरों की किसी भी प्रकार से ठगने की सोचते है ,वहीँ इन्होंने एक मिसाल कायम की है ,अपना तन ,मन और धन सब कुछ समाज की सेवा में न्यौछावर करके।
mene inke bare m aaj hee suna h inse great Parson whole world m na khabi hua h na hee kabhi huga
the great man sir apko mera salam