Cricket Coach Chandrakant Pandit Biography in Hindi
क्रिकेट कोच चंद्रकांत पंडित की जीवनी
नाम : चंद्रकांत सीताराम पंडित (चंदू सर)
जन्म : 30 सितंबर 1961
उम्र : 61 साल (वर्ष 2023 पर)
जन्मस्थान : बॉम्बे (मुंबई), महाराष्ट्रा भारत
पेशा : क्रिकेटर, कोच
भूमिका : विकेटकीपर, बल्लेबाज
वर्तमान : IPL में KKR टीम के कोच (2024)
Cricket Coach Chandrakant Pandit Biography in Hindi
अगर गुरु द्रोणाचार्य नहीं होते तो अर्जुन भी नहीं होता, अगर कोच रमाकांत अचरेकर नहीं होते तो क्रिकेट का भगवान सचिन र्तेंदुलकर भी नहीं होता. किसी भी क्षेत्र में सफलता पाने के लिए गुरु का होना बहुत आवश्यक है. और जब बात क्रिकेट के गुरुओं की होती है तो उसमे एक नाम बहुत आदर और सम्मान के साथ लिया जाता है.
वह नाम है- चंद्रकांत सीताराम पंडित यानी क्रिकेट के प्रसिद्ध कोच चंदू सर. चंदू सर ने अपनी अनोखी और असरकारक कोचिंग स्किल से बहुत प्रसिद्धि हासिल की है. वे इस समय IPL की सबसे तगड़ी टीमों में से एक KKR (2024) के कोच हैं, जिसने IPL 2024 का फाइनल जीता है.
चंद्रकांत पंडित सर की तुलना हिंदी सुपरहिट फिल्म Chak de India के करैक्टर Kabir Khan से की जाती है। इस प्रभावशाली किरदार को एक्टर शाहरुख़ खान नें अदा किया था। IPL Team Coach के तौर पर लाइमलाईट में आने से पूर्व इन्होने भारत के लिए International Cricket भी खेला है, और रिटायरमेंट के उपरांत India के Domestic Cricket में Coach के तौर पर अद्भुत योगदान दिया है।
➡ Chandrakant Pandit की प्रमुख उपलब्धियां रणजी ट्रॉफी, और ईरानी ट्रॉफी में आई हैं, जहाँ इन्होने मुंबई, विदर्भ और मध्यप्रदेश की टीमों को चैंपियन बनाया है।
आइये क्रिकेट की दुनियां के इस अनसंग हीरो की जीवनी पर बात करें।
युवा चंद्रकांत पंडित की आक्रामक शैली
चंद्रकांत पंडित एक डेशिंग स्ट्रोक प्लेयर और चपल विकेटकीपर रहे हैं। 80 के दशक में इंडियन टीम में सैयद किरमानी का उत्तराधिकारी बनने वालों की लिस्ट में युवा चंद्रकांत पंडित का नाम भी शामिल था। प्रतिभा के दम पर 1986 में उन्हें भारत के दल में जगह तो मिली पर 5 में से 3 टेस्ट मैच में विकेट कीपिंग के जौहर दिखाने का अवसर प्राप्त न हुआ।
लेकिन आगे समय बदला, वर्ष 1991-92 के दौरान उन्हें हाथों में दस्ताने पहनने का मौका मिला। इस मौके को उन्होंने बेहतरीन तरीके से भुनाते हुए 11 कैच लपके। टेस्ट क्रिकेट में चंदू को ज्यादा सक्सेस नहीं मिली, लेकिन ताबड़तोड़ स्ट्रोक प्ले स्किल्स के दम पर उन्होंने भारत के लिए पूरे 36 वन डे मैच खेले। तगड़े कंपीटिशन और परफॉर्मेंस में गिरावट के चलते 1992 के बाद राष्ट्रीय टीम में उनकी जगह नहीं बन सकी। फिर भी उन्होंने परिश्रम नहीं छोड़ा, वह मध्यप्रदेश टीम के साथ सालों तक खेलते रहे।
MP की टीम के साथ चंद्रकांत पंडित के जुड़ने से टीम की रुपरेखा बदल गई। सालों से खेल रही मध्यप्रदेश टीम 1998-99 में पहली बार रणजी ट्रॉफी फाइनल में थी। यह हाई वॉल्टेज मैच एम् चिन्नास्वामी स्टेडियम में खेला गया। इस मैच में मध्यप्रदेश के सामने कर्नाटक की टीम थी। पूरी स्पर्धा में बेजोड़ खेल दिखाने वाली MP की टीम 96 रन से हार गई। इस घटना के एक-आध साल बाद अपना अंतिम डोमेस्टिक मैच खेल कर Chandrakant Pandit ने प्रॉफेशनल क्रिकेट को अलविदा कह दिया।
चंदू सर का मुंबई टीम के लिए योगदान
क्रिकेट को भले ही उन्होंने छोड़ दिया, लेकिन क्रिकेट भला उन्हें कहाँ छोड़ने वाला था, अब उनके कोचिंग करियर का सफर शुरू होने वाला था। 2003 में उन्हें मुंबई टीम का कोच नियुक्त कर दिया गया। पहले ही साल की कोचिंग में उन्होंने मुंबई टीम को चैंपियन बनाया, इस टीम का यह 35वां रणजी ट्रॉफी टाइटल था। अगले साल 2004 में भी Mumbai Team ही रणजी ट्रॉफी विजेता बनी। चंद्रकांत पंडित के मार्गदर्शन में मुंबई टीम 2016 में भी चैंपियन बनी। इसके बाद चंदू सर इस टीम से अलग हुए।
विदर्भ ने 2017-18 और 2018-19 में टाइटल जीता, हैरत की बात नहीं है कि उनके कोच अब चंद्रकांत पंडित थे। धीरे-धीरे उनकी छवि ऐसी बनती जा रही थी जैसे की पारसमणि, जो जिस चीज़ को छुए, वही सोना बन जाए।
चंद्रकांत का विदर्भ से जुड़ने का रोचक किस्सा
मौका दिलीप वेंगेस्कर की बेटी की शादी का था। जहाँ चंद्रकांत मेहमान बन कर पहुंचे थे। वहीँ पर विदर्भ क्रिकेट एसोसिएशन के वाइस प्रेसिडेंट प्रशांत वैद्य ने चंदू सर को विदर्भ टीम की कोचिंग का ऑफर दिया जो उन्होंने स्वीकार भी कर लिया।
थप्पड़ काण्ड और स्ट्रिक्ट कोचिंग स्टाइल
आगे का सफर बिलकुल आसान नहीं था, विदर्भ के खिलाड़ी नए कोच की कोचिंग पद्धति से बिलकुल संतुष्ट नहीं थे, उन्होंने इसे ले कर वहां के आला अधिकारियों से शिकायत तक कर डाली। खबरें तो यहाँ तक थीं कि विदर्भ टीम के एक खिलाड़ी को चंदू सर ने गुस्से में एक थप्पड़ भी मारा था। लेकिन यह मामला उसी दिन शांत हो गया।
उनका विदर्भ टीम की कोचिंग का अनोखा लेकिन असरकारक स्टाइल था, डिसिप्लिन और हार्डवर्क के हिमायती चंद्रकांत पंडित ने प्लेयर्स के खानपान, मनोरंजन और फिटनेस के लिए के लिए अलग अलग कमिटियां बना रखी थीं।
जो प्लेयर लगातार गलती करे उसे जुर्माना, जिसमें नॉ बॉल पर 500 का जुर्माना और अगर उसी बॉल पर विकेट मिली तो 1000 जुर्माना। इसके अलावा खाने में ऑलिव ऑयल का रेगुलर उपयोग वगेरह, ऐसे कई कड़े नियम उनकी कोचिंग का हिस्सा रहे हैं।
मध्यप्रदेश टीम के लिए चंदू सर का योगदान
विदर्भ के बाद वर्ष 2020 में चंद्रकांत पंडित मध्यप्रदेश टीम से जुड़े। उन्होंने पद ग्रहण करने से पहले ही अधिकारियों को साफ साफ कहा, नतीजे की गारंटी नहीं दे सकता हूँ। लेकिन पूरी टीम की कड़ी मेहनत, लगन और उत्कृष्ट कार्यनीति की 100% जिम्मेदारी लेता हूँ।
- प्रेक्टिस मैच में खुद ही अंपायरिंग करना
- बाउंड्री से खिलाडियों को माइक द्वारा निर्देश दे कर ट्रेनिंग देना,
- आधी रात में फ्लड लाईट में प्रेक्टिस,
ऐसे कई यूनिक आइडिया उनके मार्गदर्शन का हिस्सा थे, जिनके द्वारा खिलाड़यों की मैंटल टफनेस और बॉडी लिमिट्स को समझा जा सके। MP की टीम को आगे ले जाने के लिए उन्होंने प्लेयर्स को डिफेन्स स्कूल के ट्रेनर्स से भी सेशन दिलाए।
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टीम की कमान अपने हाथों में लेने के बाद उन्होंने 405 कैम्प्स लगवाए, जिनमें MP से 150 खिलाड़ी जुड़े। कैम्प की ट्रेनिंग 9 to 6 रोजाना चलती। यह सिलसिला लगातार 2 साल चला, जिसके फल स्वरूप MP की under 19 महिला टीम ODI Tournament के फाइनल तक पहुंची, इसके अलावा सीनियर टीम रणजी चैंपियन बनी।
कोच चंद्रकांत पंडित की प्रमुख उपलब्धियां
- वर्ष 2002-03 में मुंबई को विजयी बनाया, स्पर्धा – रणजी ट्रॉफी।
- वर्ष 2003-04 में मुंबई को फिर विजयी बनाया, स्पर्धा – रणजी ट्रॉफी।
- वर्ष 2015-16 में मुंबई को विजयी बनाया, स्पर्धा – रणजी ट्रॉफी।
- वर्ष 2017-18 में विदर्भ को विजयी बनाया, स्पर्धा – रणजी ट्रॉफी।
- वर्ष 2018-19 में विदर्भ को फिर विजयी बनाया, स्पर्धा – रणजी ट्रॉफी।
- वर्ष 2021-22 में मध्यप्रदेश को विजयी बनाया, स्पर्धा – रणजी ट्रॉफी।
- वर्ष 2017-18 में विदर्भ को विजयी बनाया, स्पर्धा – ईरानी ट्रॉफी।
- वर्ष 2018-19 में विदर्भ को विजयी बनाया, स्पर्धा – ईरानी ट्रॉफी।
चंद्रकांत पंडित का क्रिकेट करियर
- इस खिलाड़ी ने वनडे डेब्यू 10 अप्रैल, 1986 को ऑस्ट्रेलिया-एशिया कप में न्यूजीलैंड के खिलाफ शारजाह में किया था।
- उन्होंने 19 जून, 1986 के दिन पर हेडिंग्ले, लीड्स में इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट क्रिकेट में डेब्यू किया था।
- वह भारत की राष्ट्रीय टीम के लिए कुल 5 टेस्ट मैच और 36 एक दिवसीय मैच खेल चुके हैं।
- चंद्रकांत पंडित वर्ष 1987 वर्ल्ड कप में भारतीय टीम का हिस्सा रहे, उन्हें दिलीप वेंगसरकर की जगह खिलाया गया था। इस मैच में वह 24 रन बना सके, भारत यह मैच हार गया था।
KKR टीम से कैसे जुड़े ?
चंद्रकांत पंडित ने खुलासा किया था कि वह आईपीएल के शुरुआती वर्षों के दौरान एक बार केकेआर के मालिक शाहरुख खान उनसे कोचिंग करने की बात कर चुके थे, लेकिन तब बात नहीं बन सकी थी। लेकिन जब 2023 में KKR के सीईओ वेंकी मैसूर ने मुख्य कोच के पद की ऑफर दी तो उन्हें दूसरी बार सोचने की जरूरत नहीं पड़ी।
पहले साल असफलता – विदेशी खिलाड़ी का आरोप
KKR को IPL के लिए तैयार करने के लिए के लिए करीब 8 महीने थे, और मैनेजमेंट की और से काम के तरीके पर पूरी आज़ादी थी। सख्त कोच की इमेज वाले चंदू सर ने मेहनत तो खूब की लेकिन इतने कम समय में वे सभी खिलाडियों से सही तालमेल नहीं बैठा पाए. खासकर विदेशी खिलाडी उनके देशी अंदाज को नहीं पचा पाए. नतीजा KKR ने IPL 2023 7 वें पोजीशन पर ख़तम की.
यह नहीं, March 2024 में अखबारों में हैडलाइन आई – “KKR’s Chandrakant Pandit slammed for ‘militant type’ control: ‘Don’t need anyone telling us how to behave, what to wear” – overseas player David Wiese
Chandrakant Pandit Biography in Hindi
दुसरे साल फाइनल में
लेकिन चंदु से इन सबसे कहाँ विचलित होने वाले थे. वे टीम को संवारने में लगे रहे और उसका नतीजा हमें साल 2024 में देखने को मिला. KKR Vs Sunrisers Hyderabad के फाइनल मुकाबले को KKR ने जीत लिया. यह KKR का तीसरा IPL ख़िताब था.
डोमेस्टिक क्रिकेट पर चंद्रकांत पंडित की विचारधारा
पूर्व भारतीय क्रिकेटर चंद्रकांत पंडित भले ही एक खिलाड़ी के तौर पर अधिक कामयाब नहीं बन सके, लेकिन कोच एवं दार्शनिक के तौर पर उन्होंने बड़ी उपलब्धियां हासिल की है। उनका मानना है कि घरेलु क्रिकेट को ज़्यादा सम्मान मिलना चाहिए, तथा क्रिकेट के सब से बड़े फॉर्मेट Test Cricket को ले कर युवाओं में उत्साह लाने की जरुरत है। जब इक्का दुक्का IPL पारी की बदौलत खिलाडियों को राष्ट्रीय टीम में चुन लिया जाता है तो Domestic Cricket में पसीना बहाने वाले मेहनती खिलाड़यों का दिल टूट जाता है, ऐसा नहीं होना चाहिए, सही टेलेंट को ज़्यादा मौके देने से ही एक सशक्त टीम का गठन हो पाएगा।
“कप्तान बन कर जो ट्रॉफी जीत न सका, उसने कोच बन कर रच दिया इतिहास ”
चंद्रकांत पंडित की अन्य कोचों को सलाह
ज़रूरी नहीं है कि एक पथ दर्शक के तौर पर हम खिलाड़ी को जो सलाह दें, वह उसके लिये काम कर जाएगी, कई बार ऐसा होता है कि किसी खिलाड़ी की त्रुटियुक्त तकनीक उसके लिए काम करती है, ऐसे में एक कोच के तौर पर हमें अहम् नहीं पालना चाहिए, चूँकि अंततः एक दार्शनिक का काम है अपने खिलाड़ी से सर्वोत्तम प्रदर्शन निकलवाना। इसलिए, कभी-कभी खिलाडियों को सिखाने के साथ साथ, उनके लिए जो चीज़ काम कर रही है उसका भी सम्मान करना जरुरी होता है।
चंद्रकांत पंडित की BCCI को सलाह
घरेलु क्रिकेटर्स और राष्ट्रीय टीम के स्टार क्रिकेटर्स की जीवनशैली में जमीन आसमान का फर्क रहता है। ऐसे में ग्रास-रुट पर स्ट्रगल कर रहे डोमेस्टिक क्रिकेटर्स को अपने भविष्य की चिंता होना आम बात है, चूँकि हर खिलाड़ी बड़े लेवल तक नहीं पहुंच पाता है। इस परिस्थिति में भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड को कुछ टेलेंटेड डोमेस्टिक प्लेयर्स को अनुबंध (Contract) देने चाहिए, जिससे वह अपना फ्यूचर सिक्योर महसूस करे, और अन्य युवा खिलाड़यों को भी ज़्यादा घरेलु क्रिकेट खेलने का प्रोत्साहन मिले।
न्यूट्रल पिच क्यूरेटर नियुक्ति पर चंद्रकांत पंडित का व्यू
एक तरफा पिचें अच्छा मैच नहीं बना सकती हैं, वैसे ही खराब पिचें अच्छे खिलाड़ी प्रोड्यूस नहीं कर पाती है, ऐसे में अगर अच्छी मिट्टी न दी जाए तो न्यूट्रल पिच क्यूरेटर भी क्या ही कर लेंगे, इसका केवल एक ही समाधान है कि सभी राज्य संघ इसमें निवेश करे और BCCI सब के लिए एक समान सख्त दिशा निर्देश जारी करे। यह सब को याद रखना चाहिए की क्रिकेट का खेल तभी तक पॉपुलर है जब तक इसमें भरपूर रोमांच है।
“चंद्रकांत पंडित: IPL में परफॉर्मेंस के बराबर ही रणजी ट्रॉफी प्रदर्शन की एहमियत होनी चाहिए”
KKR के कोच चंद्रकांत पंडित से रिलेटेड FAQs
Q : कोच के तौर पर चंद्रकांत पंडित का स्वभाव कैसा है?
A : इन्हें डिसिप्लिन पसंद है, सख्त मिजाज हैं और रूटीन फॉलो कराने में विश्वास रखते हैं।
Q : कोच के तौर पर इनकी खासियत क्या है?
A : पुरे दल के सभी खिलाड़ियों को एक बराबर एहमियत देते हैं, उनके साथ अच्छा खासा समय बिताते हैं, और खिलाड़यों में विश्वास जगाते हैं।
Q : चंद्रकांत पंडित की तुलना किस फिल्मी किरदार से की जाती है।
A : उनकी तुलना चक दे इंडिया फिल्म के “कबीर खान” से की जाती है।
Q : चंद्रकांत पंडित नें डेब्यू कब किया और आखरी अंतर्राष्ट्रीय मैच कब खेला ?
A : डेब्यू – 10 अप्रैल, 1986 (ODI) “न्यूजीलैंड विरूद्ध”, लास्ट इंटरनेशनल मैच – 25 जनवरी 1992 ” (Test) ओस्ट्रेलिया विरूद्ध”
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Good information Good
He is really a great GURU. Hats off.
Chandu Sir ko Bharatiy team ka coach bana dena chahiye.
The man with golden touch bahut achhe coach hain Chandu SIr