मान्यवर केस स्टडी – Manyavar Case Study in Hindi
Success Story of Ravi Modi in Hindi
कपड़ों का बिजनेस इंसान को कहाँ से कहाँ पहुंचा सकता है आज उसकी एक बहुत interesting कहानी मैं आपको सुनाने जा रहा हूँ. सबसे पहले बता दूँ कि ये कहानी किसी सच्ची घटना पर आधारित नहीं है बल्कि 100% सच्ची है और इसका एक भी पात्र काल्पनिक नहीं है. ये दास्ताँ है Indian Ethnic Wear के सबसे बड़े ब्रांड “Manyavar” की…. ये दास्ताँ है मान्यवर के फाउंडर रवि मोदी की.
इस पोस्ट में मैं आपको बताऊंगा कि ये ब्रांड –
- शुरू कैसे हुआ?
- इसने बाज़ार की ज़रूरत को कैसे समझा ?
- अपने ब्रांड की Positioning कैसे की ?
- इनकी बेहद कामयाब Marketing Strategy क्या-क्या रही और
- कैसे कोलकाता के एक 20-22 साल के लड़के ने इस Unknown Company को हज़ारों-करोड़ का बना दिया?
नमस्कार दोस्तों मैं अजय अजमेरा स्वागत करता हूँ आपका Achhikhabar.Com पर!
जो मित्र नहीं जानते उन्हें बताना चाहूँगा कि मैं खुद एक Textile Manufacturer हूँ और कपड़ों का बिजनेस कर रहे या करने की चाहत रखने वाले लाखों लोगों की समस्याओं और excuses को बहुत अच्छी तरह से जानता हूँ.
इन्ही excuses में से एक सबसे बड़ा excuse होता है –
“मेरे पास बिजनेस करने के लिए पैसे नहीं हैं!” तो चलिए सबसे पहले यही जान लेते हैं कि आज 24,000 करोड़ रूपये की valuation पर पहुँच चुके “मान्यवर” ब्रांड की शुरुआत कैसे हुई थी और कितने रुपये से हुई थी?
दोस्तों, इस कहानी की शुरुआत कोलकाता के AC Market से होती है. 140 sq. feet की Men’s Wear की एक दुकान में बैठा 13 साल का रवि अपने मारवाड़ी पिताजी से धंधे की बारीकियां सीखता है. धीरे-धीरे उसका आत्मविश्वास बढ़ता जाता है!
एक दिन अपनी दुकान में काम करने वाले salesman से वह पूछता है-
“आप कुछ ग्राहकों से तो बहुत अच्छे से पेश आते हैं पर कुछ पर बिलकुल भी ध्यान नहीं देते, क्यों ?”
जवाब मिलता है – “हम जानते हैं कि कौन सा ग्राहक खरीदने आया है और कौन टाइम पास कर रहा है!”
रवि कहता है, “क्या आप ज्योतिषी हैं जो पहले से जान जाते हैं कि कौन खरीदेगा और कौन नहीं?
और अगर कोई कुछ लेने ही चाहता है और आपने उसे वो दे दिया तो ये तो postman का काम है, salesman का नहीं….आज से आप दुसरे टाइप के ग्राहकों को मेरे पास भेज दिया करिए.”
बेचने की जबरदस्त क्षमता
छोटी उम्र से ही रवि में गज़ब की salesmanship थी. कोई एक कपड़ा लेने आता तो वो उसे 3-4 कपड़े आराम से बेच देते. एक बार तो उन्होंने मात्र एक शर्ट लेने आये व्यक्ति को 20 कपड़े बेच दिए. MBA में सिखाये जाने वाले cross-selling और up-selling के कांसेप्ट रवि अपनी दुकान में practically implement कर रहे थे.
पढ़ाई के साथ-साथ दुकान सम्भालने में रवि को बहुत मजा आ रहा था. नया खून नई सोच भी अपने साथ लेकर आता है. जींस-पैंट, शर्ट-टीशर्ट, बेचते बेचते उन्होंने महसूस किया कि बहुत से ग्राहक कुर्ता-पैजामा खोजते हुए उनकी दुकान में आते हैं. पिताजी से दुकान में कुर्ता-पैजामा रखने को कहा तो उन्होंने उल्टा रवि को ही डांट दिया. लेकिन कुछ समय बाद जब पिताजी तीरथ करने निकले तो उसी समय रवि कहीं से 100 जोड़ी कुर्ता -पैजामा ले आये और दुकान में रख लिया.
पिताजी लौट कर आये तो रवि के इस डिसिजन से बहुत नाराज हो गये. लेकिन जब पता चला कि बेटे ने एक हफ्ते में ही 80 जोड़े बेच दिए हैं और मुनाफा भी कमा लिया है तो वे शांत हो गए. ये साल 1996 की बात है तब रवि 19 साल का हो चुका था पर वह अपनी उम्र से कहीं अधिक जिम्मेदार और समझदार था. परिवार वालों ने 21 साल में उसकी शादी भी कर दी और जल्द ही वह एक बेटे का बाप बन गया, जिसका नाम रखा वेदांत.
टर्निंग पॉइंट – शुरुआत वेदांत फैशंस की
उम्र बढ़ने के साथ-साथ रवि की व्यापारिक आकांक्षाएं भी बढ़ने लगी. उसी को पूरा करने के लिए उन्होंने एक दिन पिताजी से पूछे बिना बिजनेस बढाने के लिए 20,000 रु लगा दिए.
इस एक घटना ने उनकी आगे की ज़िन्दगी बदल दी. क्योंकि इस छोटी सी अमाउंट को बिना पूछे खर्च करने पर पिताजी इतने नाराज़ हुए कि उन्होंने रवि से यहाँ तक कह दिया कि “ तुम हमको बर्बाद कर दोगे, और शायद तुम्हारे कारण मुझे एक दिन आत्महत्या करनी पड़े!”
वह दिन उस दुकान में रवि आखिरी दिन था. उन्होंने फैसला कर लिया कि अब किसी भी कीमत पर वो अपना खुद का काम शुरू करेंगे. और तभी साल 1999 में रवि ने माँ से दस हज़ार रुपये मांगे और अपने बेटे के नाम पर शुरुआत की “Vedant Fashions” की.
जो लोग सोचते हैं कि बिजनेस शुरु करने के लिए लाखों-करोड़ों रु चाहिए होते हैं वो इस बात को ध्यान से समझ लें कि बड़े से बड़ा बिजनेस एक छोटे से निवेश के साथ शुरू हो सकता है. 24 हज़ार करोड़ रु की कम्पनी भी सिर्फ 10 हज़ार रु से ही शुरू हुई थी. दोस्तों, रवि मोदी की ये सफलता अगर आपको झकझोर रही हो तो इस पोस्ट को शेयर ज़रूर कर दीजियेगा.
बताना चाहूँगा कि मेरी कम्पनी अजमेरा फैशन भी कपड़ों का बिजनेस करने की चाहत रखने वाले Entrepreneurs को सिर्फ 25-30 हज़ार रूपये में बिजनेस शुरू करने का अवसर देती है. मुझे गर्व है कि आज एक लाख से अधिक व्यापारी, जिसमे कम से कम 15 हज़ार महिलाएं हैं, अजमेरा फैशन से जुड़ कर अपना खुद का बिजनेस शुरू कर चुकी हैं.
इसलिए अगर कोई मेरे सामने पैसों का रोना रोता है तो मैं तुरंत उसका मोबाइल देखता हूँ….और पूछता हूँ….आप 40-50 हज़ार का मोबाइल ले सकते हैं …. लेकिन उसका आधा पैसा लगा कर बिजनेस नहीं शुरू कर सकते.
तो दोस्तों, इस केस स्टडी का पहला सबक है– “अगर धंधा करना है तो जल्दी शुरू करो और पैसे का रोना मत रो”
चलिए और भी Eye Opening Lessons के लिए अब आगे बढ़ते हैं. शायद आप सोच रहे होंगे कि रवि ने इन दस हज़ार रूपये का किया क्या? मैं बताता हूँ.
पिताजी की दुकान पर मिले अनुभव से रवि भारतीय कपड़ा बाज़ार की एक बहुत बड़ी हिडन डिमांड को समझ चुके थे जिस पर कोई ध्यान नहीं दे रहा था. वो डिमांड थी ब्रांडेड एथनिक वियर की. रवि ने इन पैसों से कुर्ता-पैजामा manufacture करवाना शुरू किया. उन्होंने ना खुद कोई मशीन खरीदी ना किसी को हायर किया…सब कुछ outsourced, बस माल तैयार करवाते और finished products को Uttar Pradesh, Odisha, Bihar, Madhya Pradesh और West Bengal में बेचते.
इस काम के लिए उन्होंने छोटे-छोटे रिटेलर्स को approach करने की जगह बड़े Multi-Brand Outlets यानी MBOs को पकड़ा. उन्ही में से एक था – “विशाल मेगा मार्ट”
आपको जानकार आश्चर्य होगा कि रवि अपना 20% माल सिर्फ “विशाल मेगा मार्ट” को देते थे वो भी 10 रु नुक्सान पे. यानी जो कुर्ता पैजामा बनाने में उन्हें 200 रु लगते थे वे उसे 190 रु में विशाल मेगा मार्ट को देते थे!
क्यों?
क्योंकि सिर्फ वही एक ऐसी कम्पनी थी जो उन्हें माल मिलते ही कैश दे देती थी, बाकी सभी क्रेडिट पर काम करते थे.
दोस्तों, कहते हैं मारवाड़ी Calculator लेकर पैदा होता है. रवि भी नंबरों के जादूगर थे. उन्होंने पक्का हिसाब-किताब बना लिया कि कैसे वे दस रु के नुक्सान पे डील करके भी बाकी के 80% बिजनेस से मुनाफा कमा सकते हैं.
उनका ये फ़ॉर्मूला चल पड़ा. बिजनेस से पैसे आने लगे. वे बड़ी मात्रा में प्रोडक्शन करने लगे, नए नए बाजारों में अपना माल पहुँचाने लगे. काम बढाने के लिए मजबूत टीम बिल्ड करने लगे और इस तरह वे महीने दर महीने मोटा मुनाफ़ा कमाने लगे.
तो इस तरह रवि ने किसी भी धंधे को चलाने में आने वाले सबसे बड़े इशू यानी Cash-Flow की दिक्कत को Solve कर लिया.
और यही हमारा दूसरा सबक है – किसी भी कीमत पर अपने बिजनेस में Cash-Flow बना कर रखो!
दोस्तों, अगर मान्यवर पर ये केस स्टडी अच्छी लग रही हो तो comment करके मेरा उत्साह ज़रूर बढ़ाइयेगा, ताकि मैं इस तरह के और भी posts आपके सामने लेकर आ सकूँ.
दोस्तों, जब किसी के पास बहुत अधिक कैश आने लगता है तो उसके साथ इनमे से कोई एक चीज हो सकती है – या तो उसका दिमाग खराब हो जाता है या वो और तेजी से काम करने लगता है.
जाहिर है रवि मोदी का दिमाग खराब नहीं हुआ, लेकिन कुछ समय के लिए भटका ज़रूर था. अच्छा पैसा आने के बाद वे एक Mercedes Car लेने का मन बना चुके थे. लेकिन उस समय उनके पिता जी ने समझाया कि इन पैसो कि ज़रूरत तुमसे अधिक तुम्हारे बिजनेस को है. रवि इस बात को अच्छी तरह समझ गए. और इसके बाद कई सालों तक अपनी पुरानी कार ही चलते रहे. अब उनका माइंड पूरी तरह एक ब्रांड establish करने पर focused हो गया.
ब्रांड का नामकरण
और जब इस ब्रांड का नाम रखने की बारी आई तो उन्होंने सोचा, “इंसान को सबसे अधिक क्या चाहिए होता है – अन्दर से आवाज आई “सम्मान”…. और चूँकि बात Men’s Wear Ethnic Brand बनाने की थी तो उन्होंने नाम रखा – “मान्यवर”
मैं उनकी सोच को सलाम करता हूँ और मुझे ये ख़ुशी भी होती है कि अजमेरा फैशन में भी हमारी सोच कुछ ऐसी ही है, इसीलिए हमने भी Ajmera Fashion में हमेशा “सम्मान भरी सुन्दरता” की बात की है. खैर, रवि अब ‘मान्यवर’ ब्रांड से पुरुषों के परिधान बनाने लगे. फोकस था, लाखों करोड़ का “The Great Indian Wedding” बाज़ार.
शादी का बाज़ार
भारत में हर साल 1 करोड़ शादियाँ होती हैं. जिनमे दस लाख करोड़ रुपये पानी की तरह बहा दिए जाते हैं. ये ऐसा बाज़ार है जिस पर ना मंदी का असर होता है न कोरोना की मार पड़ती है…क्योंकि शादी कोई रोज-रोज थोड़े न होती है, ऐसे मौकों पर लोग कर्ज लेकर भी अपनी शान-ओ-शौकत दिखाने का फर्ज निभाते हैं.
रवि इस इंडियन Mentality को अच्छी तरह समझते थे.
लेकिन उनके दिमाग की दाद देनी होगी कि उन्होंने सबसे पहले इस बड़ी केटेगरी के सबसे अधिक वैल्युएबल सेगमेंट को पकड़ा, यानी ऐसी शादियाँ जिनमे 5 लाख से 50 लाख रूपये तक खर्च होते हों. क्योंकि अकेले ऐसी शादियों की संख्या 35 लाख थी. यानी उनका टारगेट मार्केट बहुत विशाल था.
और सचमुच उन्होंने इस बाज़ार को पूरी तरह disrupt कर दिया. जहाँ पहले दूल्हा सूट और टाई पहन का बारात में जाता था वहीं अब नक्काशीदार शेरवानी उसकी पहचान बनने लगी. यही नहीं, दुल्हे के साथ जाने वाले बाराती भी इंडियन एथनिक वियर के बिना incomplete नज़र आने लगे. Indian Consumer के दिमाग में धीरे-धीरे “शादी मतलब मान्यवर” हो गया.
मान्यवर ब्रांड को लोगों के दिमाग में बैठाने के लिए रवि मोदी ने –
- कभी होर्डिंग्स पे ऐड दिया
- तो कभी सिनेमा हॉल के ब्रेक में
- कभी अखबारों में
- तो कभी सोशल मीडिया पर….
और इस तरह उन्होंने “मान्यवर” को एक सुपर ब्रांड बनाने में उन्होंने कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी.
2017 में रवि का मास्टर स्ट्रोक सामने आया जब उन्होंने पहले विराट कोहली और फिर उनकी गर्ल फ्रेंड अनुष्का शर्मा को मान्यवर के ऐड के लिए sign कर लिया. इस समय तक भी उनके पास वही पुरानी वाले कार थी…इससे आप उनकी simplicity का अंदाजा लगा सकते हैं.
दोस्तों, इतने बड़े celebrities के आ जाने से मिडल क्लास पुरुषों के लिए Manayvar और महिलाओं के लिए Mohey एक inspirational brand बन गया. इसकी बिक्री और डिमांड बहुत तेजी से बढ़ने लगी. और इसके बाद अमिताभ बच्चन से लेकर कार्तिक आर्यन और आलिया भट्ट से लेकर राम चरण तक North-South हर बड़ा चेहरा मान्यवर के ऐड में नज़र आने लगा.
तो दोस्तों, इस केस स्टडी से तीसरी सीख हमें मिलती है कि – अवसर को पहचानो और एक Strong Brand Build करो.
अब बात करते हैं एक ऐसे खजाने की जिस पर आम व्यापारी बहुत कम ध्यान देते हैं और ये उनके बिजनेस में पीछे रह जाने का बहुत बड़ा कारण बनता है. उस खजाने का नाम है – DATA
2005-06 तक रवि मान्यवर को Pantaloons, Shoppers Stop और बिग बाज़ार जैसे Large Format Stores तक पहुंचा चुके थे. हर साल 20-25 करोड़ रु की सेल हो रही थी. रवि इसे बढ़ाना चाहते थे. और सेल बढाने के लिए उन्हें ज़रूरत थी “DATA” की. ऐसा Data जो उन्हें कस्टमर का टेस्ट, उसकी choices, उसकी पसंद – नापसंद, Affordability, हर तरह की जानकारी दे सके.
शुरुआत खुद के आउटलेट्स की
उन्होंने इन बड़े स्टोर्स से डेटा माँगा, पर उन्हें यह देने से मना कर दिया गया. मान्यवर के लिए ये एक Turning Point था. क्योंकि इसी मोड़ पर आ कर रवि मोदी ने अपने खुद के Exclusive Brand Outlets स्टार्ट करने का डिसीजन लिया. 2008 में Bhubaneswar में Manyavar का पहला स्टोर खुला… और ये इतना सफल रहा कि अगले एक साल में 12 और stores खुल गए.
अब कम्पनी हर रोज सीधा ग्राहकों से interact कर रही थी. उसे जो data चाहिए था वो मिल रहा था. इस data का प्रयोग कस्टमर के टेस्ट को समझने और नए प्रोडक्ट डिजाईन करने में होने लगा. साथ ही यह रिपीट कस्टमर लाने का बहुत बड़ा सोर्स बन गया.
FOFO Model
लेकिन दूसरी तरफ नए स्टोर खोलने में करोड़ों खर्च करना और उसे मैनेज करने में दिमाग खपाना, ये रवि मोदी को समझ नहीं आ रहा था. इसलिए उन्होंने धीरे-धीरे मान्यवर का FOFO model, यानी franchise owned franchise operated model launch कर दिया और बहुत तेजी से पूरे भारत में छा गए.
दोस्तों, अगर आप एक स्ट्रोंग ब्रांड बना लेते हैं तो सचमुच ये मॉडल कमाल की चीज है. अजमेरा फैशन द्वारा शुरू की गई अजमेरा ट्रेंड्स की फ्रैंचाइज़ी भी FOFO मॉडल पर ही काम करती है और एक -डेढ़ साल के अन्दर ही हमने पूरे भारत में 100 फ्रेंचाइजी आउटलेट्स Finalize कर लिए हैं. In case आप इस affordable Franchise के बारे में अधिक जानकारी चाहते हैं तो स्क्रीन पर दिख रहे नंबर्स पर कॉल करके पूरी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं.
मान्यवर के Presence की बात करें तो आज यह पांच देशों के 240 शहरों में 600+ stores के साथ मजबूती से अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहा है. Feb 2022 में IPO आने के बाद से Vedant Fashions का Market cap 24 हज़ार करोड़ तक पहुँच चुका है.
दोस्तों, आज मान्यवर के पास ना कस्टमर की कमी है ना DATA की. शायद आपको यकीन ना हो पर आज कम्पनी के पास इतना सटीक DATA है कि वह भारत के हर Pin-code के हिसाब से उस इलाके में कब क्या और किस रंग का बिकेगा ये तक बता सकती है.
और यही कारण है कि मान्यवर का डेड स्टॉक नहीं के बराबर है, कुल स्टॉक का मात्र 3% और यही कारण है कि आप कभी भी इस कम्पनी के आउटलेट में SALE चलते हुए नहीं देखेंगे.
तो दोस्तों, मान्यवर से मिलने वाले हमारी चौथी सीख है – अगर बिजनेस को बड़ा बनाना है तो Data पर काम करें, अंदाजे या Emotions पर नहीं!
दोस्तों, अब तक हमें इस केस स्टडी से 4 बेहद जरूरी और बड़े सबक मिल चुके हैं –
- पहला, अगर धंधा करना है तो जल्दी शुरू करो और पैसे का रोना मत रो
- दूसरा, किसी भी कीमत पर अपने बिजनेस में Cash-flow बना कर रखो!
- तीसरा, अवसर को पहचानो और एक Strong Brand Build करो. और
- चौथा, अगर बिजनेस को बड़ा बनाना है तो Data पर काम करो, अंदाजे या Emotions पर नहीं!
और अंत में मैं आपको इस केस स्टडी से मिलने वाला सबसे बड़ा सबक बताने जा रहा हूँ.
इसके लिए हमें काल चक्र में थोड़ा पीछे जाना होगा.
रवि मोदी के बचपन की घटना
जब रवि मोदी क्लास 2 में थे तो उनके Maths (Mathematics) में 100 में से 100 नंबर आये. स्कूल में खूब तारीफ़ मिली, घर पे खुशियाँ मनाई गईं. नन्हा रवि इससे खुश हो कर और मेहनत से पढने लगा और क्लास 3 में भी उसने Maths में 100 में से 100 अंक प्राप्त किये.
उम्मीद थी खूब शाबाशी मिलेगी, घर पे पार्टी होगी. पर इस बार ऐसा कुछ नहीं हुआ. मास्टर जी ने तो तारीफ़ में दो शब्द कह भी दिए घर पे सब नॉर्मल ही रहा. रवि ने तभी से ये बात समझ ली कि एक ही तरह की उपलब्धि पर बार बार तालियाँ नहीं बजती.
उन्होंने कुछ नया करने का सोचा वे अपनी स्पीड बढ़ाने लगे और बारहवीं की बोर्ड परीक्षा का Maths पेपर मात्र 45 मिनट में करके निकल गए. आज भी उनके स्कूल डेज को दोस्त उन्हें उनकी गज़ब की Mathematical Skills के लिए याद करते हैं.
दोस्तों, इस छोटे से लाइफ इंसिडेंट से समझने वाली चीज ये नहीं है कि हमें मैथ्स में तेज होना चाहिए….. समझने वाली चीज ये है कि हेमशा खुद को बेहतर और बेहतर करने के लिए efforts करते रहना चाहिए.
➡ इसी Attitude के कारण उन्होंने अपने पिताजी कि दुकान में कुर्ता -पैजामा बेचने का प्रयास किया…. इसी Attitude के कारण वे multi ब्रांड स्टोर्स से … Large Format Stores, और फिर अपने एक्सक्लूसिव ब्रांड आउटलेट्स की ओर अग्रसर हो पाए.
उनका ये Attitude आज भी कायम है. कुछ नया करने, कुछ बड़ा करने की उनकी भूख का ही नतीजा है कि आज Manyavar के साथ-साथ अलग-अलग टारगेट कस्टमर के लिए लॉन्च किये गए मोहे, त्वमेव, मंथन और मेबाज जैसे ब्रांड्स Vedant Fashions की पहचान बन चुके हैं.
तो दोस्तों, इस केस स्टडी का आखिरी और पांचवा सबसे बड़ा सबक है – खुद को चुनौती दो और कुछ नया कुछ बड़ा करते जाओ.
आप यहाँ तक पोस्ट में मेरे साथ बने रहे, अपना कीमती समय मुझे दिया ये मेरे लिए बड़े सम्मान की बात है. कृपया कमेंट में ज़रूर बताएं कि ये केस स्टडी आपको कैसी लगी? ये भी बताएँ कि कौन सा सबक आज आप अपने साथ लेकर जा रहे हैं? अंत में ईश्वर से आपकी सलामती और तरक्की की मंगल कामनाओं के साथ इस पोस्ट को यहीं समाप्त करता हूँ.
जय हिन्द जय भारत
अजय अजमेरा
फाउंडर & सीईओ
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