असफलता के कारण ( Asafalta Ke Karan) पर हिंदी लेख
कुछ दिनों पहले मैं संदीप माहेश्वरी का एक मोटिवेशनल विडियो देख रहा था। उसमे उन्होंने एक बड़ी ही अच्छी बात कही जो मैं यहाँ as it is quote कर रहा हूँ…
वो स्टेज पे खड़े हो कर कहते हैं —
आप imagine करो एक क्रिकट का match चल रहा है ….आप यहाँ पर batting कर रहे हो….ये लाइफ का गेम है क्रिकेट का गेम नहीं है ..
क्रिकेट से related है ,मैं आपको बस एक example दे रहा हूँ…लेकिन ये ज़िन्दगी है… आप यहाँ पर बैटिंग कर रहे हो….
पीछे कोई विकेट्स नहीं है…कोई विकेट कीपर नहीं है… कोई और प्लेयर्स नहीं हैं …
सामने से लाइफ है…ज़िन्दगी है …जो एक के बाद एक बॉल फेंकते चली जा रही है …
बॉल आ रही है …एक बॉल आई …..आपने बैट घुमाया …. बॉल छूट गयी…पीछे निकल गयी..
अब आप क्या करोगे ???
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ये गेम ऐसी है, जहाँ मैंने आपको कहा न… कोई विकेट्स नहीं हैं… कोई और प्लेयर नहीं है …. मतलब की
आप चाहो भी तो भी ज़िन्दगी के खले में आउट नहीं हो सकते ….तब तक जब तक कि आप खुद मैदान को छोड़ कर भाग नहीं जाते! दुनिया की कोई ताकत आपको हरा नहीं सकती अगर आप पिच पर डंटे रहो…”
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कितनी सही और आसानी से समझ में आने वाली बात है ये। नहीं?
संदीप माहेश्वरी ने real life को क्रिकेट के example से समझाया और अब मैं आपको क्रिकेट के ही example से रियल लाइफ को समझाने की कोशिश करता हूँ।
श्रीलंका का एक खिलाड़ी था, उसके दिमाग में बस एक ही चीज चलती थी…. क्रिकेट.क्रिकेट और बस क्रिकेट…
अपनी कड़ी मेहनत और लगन के दम पर उसे श्री लंका की टेस्ट टीम में डेब्यू करने का मौका मिला….
पहली इन्निंग्स…… जीरो पे आउट
दूसरी इन्निंग्स……. जीरो पे आउट
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टीम से निकाल दिया गया….
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practice…practice….practice….
फर्स्ट क्लास मैचेज में लगातार अच्छा प्रदर्शन किया और एक 21 महीने बाद फिर से मौका मिला।
पहली इन्निंग्स…… जीरो पे आउट
दूसरी इन्निंग्स……. 1 रन पे आउट
…
फिर टीम से बाहर।
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प्रैक्टिस….प्रैक्टिस….प्रैक्टिस….
फर्स्ट क्लास मैचेज में हजारों रन बना डाले और 17 महीने बाद एक बार फिर से मौका मिला….
पहली इन्निंग्स…… जीरो पे आउट
दूसरी इन्निंग्स……. जीरो पे आउट
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फिर टीम से निकाल दिया गया….
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प्रैक्टिस…प्रैक्टिस….प्रैक्टिस….प्रैक्टिस…प्रैक्टिस….प्रैक्टिस…
और तीन साल बाद एक बार फिर उस खिलाड़ी को मौका दिया गया…..जिसका नाम था मर्वन अट्टापट्टू
इस बार अट्टापट्टू नहीं चूका उसने जम कर खेला और ….श्रीलंका की ओर से 16 शतक और 6 दोहरे शतक जड़ डाले और श्रीलंका का one of the most successful कप्तान बना!
सोचिये जिस इंसान को अपना दूसरा रन बनाने में 6 साल लग गए अगर वो इतना बड़ा कारनामा कर सकता है तो दुनिया का कोई भी आदमी कुछ भी कर सकता है!
और कुछ कर गुजरने के लिए डंटे रहना पड़ता है…लगे रहना पड़ता है…मैदान छोड़ देना आसान होता है…मुश्किल होता है टिके रहना…और जो टिका रहता है वो आज नहीं तो कल ज़रूर सफल होता है।
इसलिए आपने जो कुछ भी पाने का निश्चय किया है उसे पाने की अपनी जिद मत छोडिये….अपने लक्ष्य को छोटा मत करिए…अपने focus को डाइवर्ट मत होने दीजिये….
और ऐसा करना कोई पहाड़ नहीं है…हज़ारों लोगों ने किया है….लगभग 6 साल पहले जब मैंने हिंदी में blogging स्टार्ट की थी तब इसमें न पैसा था न ट्रैफिक ….शुरू करने के 6 महीने बाद भी मुझे 100 page views per day भी नहीं मिलते थे…उस समय मैं तमाम logical excuses के साथ मैदान छोड़ सकता था….लेकिन मैं लगा रहा और एक दिन AKC दुनिया का सबसे ज्यादा पढ़ा जाने वाला मोटिवेशनल हिंदी ब्लॉग बना। (आप मेरी कहानी यहाँ पढ़ सकते हैं: एक MNC जॉब छोड़ कर फुल टाइम ब्लॉगर बनने की कहानी )
दोस्तों, अकसर लोग सफलता पाने के लिए जूनून की या एक तरह के पागलपन के होने की बात करते हैं।
I understand, इस तरह का जूनून होना आपके लिए advantageous हो सकता है लेकिन अगर वो समझ में नहीं आ रहा है तो आप इसके चक्कर में ज्यादा मत फंसिए…इंतज़ार मत करिए कि आप कभी किसी चीज के लिए जुनूनी होंगे और फिर आप उसमे सफलता प्राप्त करेंगे… कौन जानता है ऐसा कब होगा….और होगा भी कि नहीं!
बस सोच समझ कर अपने लिए सफलता के मापदंड निर्धारित करिए और मैदान में कूद पड़िए… सफलता की मेरी definition बड़ी है या छोटी ..मतलब नहीं….. मेरी सफलता मेरी नज़र में मेरी सफलता है! फिर चाहे दुनिया उसे admire करे या उसका मजाक उड़ाए….फरक नहीं पड़ता!
यानि, इस सवाल कि-
हम कब फेल हो जाते हैं?
का बस एक छोटा सा जवाब है….
हम सिर्फ और सिर्फ एक ही सूरत में फेल होते हैं….तब जब हम सक्सेस के लिए अपने एफर्ट्स को छोड़े देते हैं….मैदान से भगा जाते हैं….
इसलिए कभी खुद मत फेल हो बल्कि उन लोगों को फेल करो जो ये सोचते हैं कि तुम फेल हो जाओगे!
All the best!
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neeta bisht says
आपने बहुत ही अच्छे ढंग से समझाया की कैसे किसी काम में हमे डटे रहना है, थैंकू सर
Dheeraj kannaujiya says
सर ऐसी कहानियां पढने में पूरी तरह जोश आता है पर जैसे ही कहानी समाप्त होती है वैसे ही हमारा जोश भी समाप्त हो जाता है फिर भी कोचीस करता हूँ सर हम कोचिस करतें हैं की लक्ष्य पूरा करें पर हो नहीं पता है क्या करें सर please tell me sir
Gopal Mishra says
Plz read this