माँ दुर्गा की कहानियां व प्रेरक-प्रसंग
जय माता दी
आइये नवरात्र के शुभ अवसर पर हम माँ दुर्गा से जुड़े कुछ बेहद रोचक व भक्तिपूर्ण प्रेरक प्रसंगों को जानते हैं और माँ की आराधना करते हैं। सबसे पहले माँ दुर्गा के नौ रूपों के नाम जानते हैं:
दुर्गा माँ के नौ रूप
- माँ शैलपुत्री
- माँ ब्रह्मचारिणी
- माँ चन्द्रघण्टा
- माँ कुष्मांडा
- माँ कालरात्रि
- माँ कात्यायनी
- माँ सिद्धिदात्री
- माँ महागौरी
- माँ स्कंदमाता
प्रेरक प्रसंग #1: क्यों माता शक्ति (माँ भगवती) का नाम दुर्गा पड़ा?
पुरातन काल में दुर्गम नाम का एक अत्यंत बलशाली दैत्य हुआ करता था। उसने ब्राहमाजी को प्रसन्न कर के समस्त वेदों को अपनें आधीन कर लिया, जिस कारण सारे देव गण का बल क्षीण हो गया। इस घटना के उपरांत दुर्गम नें स्वर्ग पर आक्रमण कर के उसे जीत लिया।और तब समस्त देव गण एकत्रित हुए और उन्होने देवी माँ भगवती का आह्वान किया और फिर देव गण नें उन्हे अपनी व्यथा सुनाई। तब माँ भगवती नें समस्त देव गण को दैत्य दुर्गम के प्रकोप से मुक्ति दिलाने का आश्वासन दिया।
माँ भगवती नें दुर्गम का अंत करने का प्रण लिया है, यह बात जब दुर्गम को पता चली तब उसने सवर्ग लोग पर पुनः आक्रमण कर दिया। और तब माँ भगवती नें दैत्य दुर्गम की सेना का संहार किया और अंत में दुर्गम को भी मृत्यु लोक पहुंचा दिया। माँ भगवती नें दुर्गम के साथ जब अंतिम युद्ध किया तब उन्होने भुवनेश्वरी, काली, तारा, छीन्नमस्ता, भैरवी, बगला तथा दूसरी अन्य महा शक्तियों का आह्वान कर के उनकी सहायता से दुर्गम को पराजित किया था।
इस भीषण युद्ध में विकट दैत्य दुर्गम को पराजित करके उसका वध करने पर माँ भगवती दुर्गा नाम से प्रख्यात हुईं।
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प्रेरक प्रसंग #2: माँ दुर्गा नें जब नष्ट किया देवगण का अभिमान
देवताओं और राक्षसों के बीच एक बार अत्यंत भीषण युद्ध हुआ। रक्त से सराबोर इस लड़ाई में अंततः देवगण विजयी हुए। जीत के मद में देव गण अभिमान और घमंड से भर गए। तथा स्वयं को सर्वोत्तम मानने लगे। देवताओं के इस मिथ्या अभिमान को नष्ट करने हेतु माँ दुर्गा नें तेजपुंज का रूप धारण किया और फिर देवताओं के समक्ष प्रकट हुईं। तेजपुंज विराट स्वरूप देख कर समस्त देवगण भयभीत हो उठे। और तब सभी देवताओं के राजा इन्द्र नें वरुण देव को तेजपुंज का रहस्य जानने के लिए आगे भेजा।
तेजपुंज के सामने जा कर वरुण देव अपनी शक्तियों का बखान करने लगे। और तेजपुंज से उसका परिचय मांगने लगे। तब तेजपुंज नें वरुण देव के सामने एक अदना सा, छोटा सा तिनका रखा और उन्हे कहा की तुम वास्तव में इतने बलशाली हो जितना तुम खुद का बखान कर रहे हो तो इस तिनके को उड़ा कर दिखाओ।
वरुण देव नें एड़ी-चोटी का बल लगा दिया पर उनसे वह तिनका रत्ती भर भी हिल नहीं पाया और उनका घमंड चूर-चूर हो गया। अंत में वह वापस लौटे और उन्होने वह वास्तविकता इन्द्र देव से कही ।
इन्द्र देव नें फिर अग्नि देव को भेजा। तेजपुंज नें अग्नि देव से कहा की अपने बल और पराक्रम से इस तिनके को भस्म कर के बताइये।
अग्नि देव नें भी इस कार्य को पार लगाने में अपनी समस्त शक्ति झोंक दी। पर कुछ भी नहीं कर पाये। अंत में वह भी सिर झुकाये इन्द्र देव के पास लौट आए। इस तरह एक एक-कर के समस्त देवता तेजपुंज की चुनौती से परास्त हुए तब अंत में देव राज इन्द्र खुद मैदान में आए पर उन्हे भी सफलता प्राप्त ना हुई।
अंत में समस्त देव गण नें तेजपुंज से हार मान कर वहाँ उनकी आराधना करना शुरू कर दिया। तब तेजपुंज रूप में आई माँ दुर्गा में अपना वास्तविक रूप दिखाया और देवताओं को यह ज्ञान दिया की माँ शक्ति के आशीष से आप सब नें दानवों को परास्त किया है। तब देवताओं नें भी अपनी गलती के लिए क्षमा मांगी और अपना मिथ्या अभिमान त्याग दिया।
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प्रेरक प्रसंग #3: माँ दुर्गा का वाहन शेर क्यों है?
एक धार्मिक (पौराणिक) कथा अनुसार माँ पार्वती नें भगवान शिव को पाने के लिए कठोर तपस्या की थी। हजारों वर्षों तक चली इस कठोर तपस्या के फल स्वरूप माँ पार्वती नें शिवजी को तो पा लिया पर तप के प्रभाव से वह खुद सांवली पड़ गयी।
विनोद में एक दिन शिवजी नें माँ पार्वती को काली कह दिया, यह बात माँ पार्वती को इतनी बुरी लग गयी की उन्होने कैलाश त्याग दिया और वन गमन किया। वन में जा कर उन्होने घोर तपस्या की। उनकी इस कठिन तपस्या के दौरान वहाँ एक भूखा शेर, उनका भक्षण करने के इरादे से आ चढ़ा। लेकिन तपस्या में लीं माँ पार्वती को देख कर वह शेर चमत्कारिक रूप से वहीं रुक गया और माँ पार्वती के सामने बैठ गया। और उन्हे निहारता रहा।
माँ पार्वती नें तो हठ ले ली थी की जब तक वह गौरी (रूपवान) नहीं हो जाएंगी तब तक तप करती ही रहेंगी। शेर भी भूखा प्यासा उनके सामने बरसों तक बैठा रहा। अंत में शिवजी प्रकट हुए और माँ पार्वती को गौरी होने का वरदान दे कर अंतरध्यान हो गए। इस प्रसंग के बाद पार्वती माँ गंगा स्नान करने गईं तब उनके अंदर से एक और देवी प्रकट हुई। और माँ पार्वती गौरी बन गईं। और उनका नाम इसीलिए गौरी पड़ा। और दूसरी देवी जिनका स्वरूप श्याम था उन्हे कौशकी नाम से जाना गया।
स्नान सम्पन्न करने के उपरांत जब माँ पार्वती (गौरी) वापस लौट रही थीं तब उन्होने देखा की वहाँ एक शेर बैठा है जो उनकी और बड़े ध्यान से देखे जा रहा है। शेर एक मांस-आहारी पशु होने के बावजूद, उसने माँ पर हमला नहीं किया था यह बात माँ पार्वती को आश्चर्यजनक लगी। फिर उन्हे अपनी दिव्य शक्ति से यह भास हुआ की वह शेर तो तपस्या के दौरान भी उनके साथ वहीं पर बैठा था। और तब माँ पार्वती नें उस शेर को आशीष दे कर अपना वाहन बना लिया।
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प्रेरक प्रसंग #4: माँ दुर्गा नें किया प्रचंड पराक्रमी असुर महिषासुर का संहार ( Mahishasura Story in Hindi)
अत्याचारी असुरों का नाश करने हेतु माँ भगवती नें कई अवतार लिए हैं। असुर महिषासुर का वध करने के लिए शक्ति माँ नें दुर्गा का अवतार लिया था। एक धार्मिक कथा अनुसार महिषासुर नें अपने बल और पराक्रम से स्वर्ग लोक देवताओं से छीन लिया था। तब सारे देवता मिल कर विष्णु भगवान एवं शंकर भगवान से सहाय मांगने उनके समक्ष गए। पूरी बात जान कर भगवान विष्णु एवं शंकर भगवान क्रोधित हो उठे।
और तब उन सभी के मुख से दिव्य तेज प्रकट हुआ जिस तेज से एक नारी का सर्जन हुआ। जिन्हें “दुर्गा” कहा गया।
- भगवान शिव के तेज से मुख बना।
- यमराज के तेज से केश बने।
- भगवान विष्णु के तेज से भुजाएँ बनी।
- चंद्रमाँ के तेज से वक्ष स्थल की रचना हुई।
- सूर्यदेव के तेज से पैरों की उँगलियों की रचना हुई।
- कुबेरदेव के तेज से नाक की रचना हुई।
- प्रजापतिदेव के तेज से दांत बने।
- अग्निदेव के तेज से तीनों नेत्र की रचना हुई।
- संध्या के तेज से भृकुटी बनी।
- वायुदेव तेज से कानों की उत्पति हुई।
दुर्गा माँ के दिव्य रूप के सर्जन करने के बाद देव गण नें उन्हे इन शस्त्रों से शुशोभित किया।
- भगवान विष्णु नें सुदर्शन चक्र दिया
- भगवान शंकर नें त्रिशूल दिया।
- अग्निदेव नें अपनी प्रचंड श्कती प्रदान की।
- वरुणदेव नें शंख भेट किया।
- इन्द्रदेव नें वज्र और घंटा अर्पण किया।
- पवनदेव नें धनुषबाण दिये।
- यमराज नें काल दंड अर्पण किया।
- प्रजापति दक्ष नें स्फटिक माला अर्पण की।
- भगवान ब्रह्मा नें कमंडल दिया।
- सूर्यदेव नें असीम तेज प्रदान किया।
- सरोवर नें कभी ना मुरझानें वाली कमल की माला प्रदान की।
- पर्वतराज हिमालय नें सवारी करने के लिए शक्तिशाली सिंह भेट किया।
- कुबेरदेव नें मधु से भरा एक दिव्य पात्र दिया।
- समुद्रदेव नें माँ दुर्गा को एक उज्ज्वल हार, दो दिव्य वस्त्र, एक दिव्य चूड़ामणि, दो कुंडल, दो कड़े, अर्ध चंद्र, एक सुंदर हँसली एवं उँगलियों में पहन नें के लिए रत्न जड़ित अंगूठियां दी।
श्स्त्रो से सुसज्जित माँ दुर्गा नें असुर महिषासुर से भीषण युद्ध किया और उसे परास्त कर के उसका वध कर दिया। उसके पश्चात दुर्गा माँ नें स्वर्गलोक पुनः देवताओं को सौप दिया। बलशाली असुर महिषासुर का हनन करने के बाद दुर्गा माँ महिषासुरमर्दिनी नाम से प्रसिद्धि हुईं।
प्रेरक प्रसंग #5: रामायण से जुड़ी दुर्गा माँ की कथा
भगवान राम जब अपनी भार्या सीता और भाई लक्ष्मण के साथ अपना वनवास काट रहे थे,तब लंका नगरी के राक्षस राजा रावण नें देवी सीता का छल से हरण किया था और वह उन्हे बंदी बना कर जबरन समुद्र पार लंका नगरी ले गया था। माँ सीता को मुक्त कराने श्री राम लक्षमण, हनुमान, जांबवान, विभीषण और अपने मित्र सुग्रीव, तथा उसकी सेना सहित समुद्र तट पर पहुंचे थे, ताकि समुद्र पार कर के रावण से युद्ध कर के देवी सीता को मुक्त कराया जा सके।
उस महान कल्याणकारी युद्ध पर जाने से पहले श्री राम नें समुद्र पर नौ दिन तक माँ दुर्गा की पूजा की थी। और उन से विजय प्राप्ति के लिए आशीष ले कर दसवें दिन युद्ध के लिए प्रस्थान किया था। दुर्गा माता के आशीर्वाद से श्री राम नें रावण को परास्त कर के यमलोक भेज दिया और देवी सीता को लंका से बंधनमुक्त कराया।
विशेष
माँ दुर्गा की पूजा का विशेष महत्व है। पापीयों का नाश करने वाली माँ अपने भक्तों के प्रति करुणा भी रखती हैं। भक्तगण दुर्गा माँ की पूजा अर्चना कर के, उनका व्रत रख के अपने जीवन में सुख-समृद्धि की कामना करते हैं। दुर्गाष्ट्मि के पावन दिन पर देश के विभिन्न क्षेत्रों में माँ की पूजा कर के उन्हे भोग लगा कर भक्तों में प्रसाद बाटा जाता है।
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Robin says
बहोत ही रोचक कहानियां शेयर की है आपने माँ दुर्गा की. हमें इनसे बहोत कुछ सिखने को मिलता है. आपको ब्लॉग भी काफी अच्छा लगा. ढेर साड़ी चीजें हैं पढने को. आपको इसके लिए साधुवाद
Manoj Dwivedi says
बहुत बहुत धन्यवाद,माँ दुर्गा के प्रेरक प्रसंग के बेस्ट आर्टिकल को हम सब के बीच देने के लिए।
ethiraj mehta says
jai maa durga jai mata di.you are providing best and best content.keep it up bro
Pravin Akhilesh Tiwari says
🕉 JAI MATA DI 🕉 💐 🙏
Arvind Tiwari says
bahut badhiya lagi apko bahut bahut dhanyavad.
RAHUL says
Excellent sir. apke jysa unique lekhak shyad hi koi ho . har post me aap puri shradha ke saath detalt me explain krte hain .. apka bahut bahut dhnyawaad
Manoranjan Pandey says
जय माता दी!सर्वप्रथम आपको नवरात्री की शुभकामनायें. माँ दुर्गा से जुड़े जानकारी बहुत हीं detailed में बताने के लिए आपका धन्यवाद. वाकई में रोचक जानकारी उपलब्ध कराई है आपने. कमाल का post है.
Amit sharma says
माँ दुर्गा का वाहन शेर क्यों है? is story k baare mein nhi pta tha sir thanx for bsharing with us
kumar says
इतना डिटेल से मेने ये जानकारी शायद ही कही पढ़ी हो. धन्यवाद विस्तृत जानकारी शेयर करने के लिए और इतने अच्छे शब्द देने के लिए.
BACHCHA BABOO VISHWAKARMA says
JAI MAA DURGE