समीर बहुत परेशान था। पिछले कुछ दिनों से एक के बाद एक उसे किसी न किसी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा था। कभी ऑफिस में बॉस के साथ बहस हो जाती तो कभी घर पर वाइफ से तो कभी उसे किसी कलीग की बात ठेस पहुंचा दे रही थी।
उसे समझ नहीं आ रहा था कि वो क्या करे इसलिए वो एक आश्रम में अपने गुरु जी के पास पहुंचा और अपनी समस्या बता दी।
गुरु जी ने उसकी बात सुनी और कहने लगे-
“क्या तुम जानते हो नेवले सांप को मारकर खा जाते हैं?”
“क्या?”
“कितना अद्भुत है, ये छोटे से नेवले इतने ज़हरीले कोबरा सांप तक को मारकर खा जाते हैं। ऐसा लगता है कि इन नेवलों को साँपों ने इतनी बार काटा है कि उनके अन्दर एक प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो गयी है और अब उनके ऊपर इस ज़हर का कोई असर नहीं होता!”
“क्या?”, समीर को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि गुरूजी क्या बात कर रहे हैं।
“और क्या तुम जानते हो, जंगली इलाकों में एक प्रजाति के छोटे-छोटे मेंढक होते हैं जो बेहद जहरीले होते हैं। वे पैदाइशी ऐसे नहीं होते, वे रोज थोड़ा-थोड़ा कर के ऐसा खाना खाते हैं कि उनके पूरे शरीर में ज़हर भर जाता है और लोग उनसे दूर ही रहते हैं।
ये सुनकर समीर से रहा नहीं गया, और वह झल्लाहट में बोला, ” मुझे समझ नहीं आता कि मैंने आपसे अपनी लाइफ की एक प्रॉब्लम शेयर की और आप मुझे जंतु विज्ञान का पाठ पढ़ा रहे हैं!”
गुरु जी मुस्कुराए।
बेटा, जब तुम ज़हर रुपी दर्द या परेशानी को अनुभव करो तो तुम्हारे पास दो विकल्प होते हैं। तुम नेवले की तरह उस अनुभव को ज़हर के प्रति प्रतिरोधक क्षमता विकसित करने में प्रयोग कर सकते हो यानि कि तुम विपरीत परिस्थितियों का सामना करके खुद को और मजबूत बना सकते हो… या तुम उन मेंढकों की तरह बन सकते हो जो ज़हर को अपने शरीर का हिस्सा बनाते जाते हैं और इसी वजह से से हर कोई उनसे दूरी बना कर रखना चाहता है।
ऐसा कोई इंसान नहीं जिसके साथ कभी कुछ बुरा नहीं होता, ऐसा होने पर कोई कैसे प्रितिक्रिया करता है ये उसके ऊपर है!
बताओ तुम कैसे बनना चाहोगे…नेवले की तरह या मेंढक के जैसे?
दोस्तों, life में bad experiences को avoid नहीं किया जा सकता। जो किया जा सकता है वो ये कि हम इन अनुभवों को कैसे लेते हैं…हम खुद पे इनका क्या असर होने देते
हैं। किसी खट्टे अनुभव की वजह से खुद में खटास ला देना आसन ज़रूर है पर ऐसा करना हमें उन मेंढकों की तरह ज़हरीला बना देता है और धीरे-धीरे हमारे friends, relatives, और colleagues हमसे कटने लगते हैं…लेकिन अगर हम उस bad experience को positively लेते हैं और खुद को मजबूत बनाते हैं तो हम उन नेवलों की तरह सशक्त हो जाते हैं और फिर बड़ी से बड़ी बाधाओं को पार करना सीख जाते हैं। इसलिए चलिए प्रयास करें कि life में आने वाली problems की वजह से हम उनसे पार पाना सीखें ना कि खुद ही समस्या बन जाएं!
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Note: This story is inspired from The Meerkat and the Frog – A Story About Dealing With Pain
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Gurjit_singh says
Bahut achi story hai .aise motivational story write karte rahana…
Achhipost says
Nice post. fantastic message
anand says
Aisi achhi -2 kahaniyan post karne ke liye bahut …dhanyavaad ..,
Babita Singh says
जीवन जीना भी एक कला है । यह हमारे उपर ही निर्भर करता है कि इसे हम कैसे जी रहे हैं । इस कहानी में यह बात सटीक बैठती है । मेढक के जैसे जीना है जिससे सब दूर भागते है या नेवले के जैसे जो परिस्थितियों का सामना करके खुद को और मजबूत बना लेता है… धन्यवाद गोपाल जी ।
Anil Sahu says
अच्छी शिक्षाप्रद कहानी.
Manpreet singh says
Very Motivational Story , I read every Story From Your Websit Acchikhaber
viram singh says
बहुत शानदार कहानी । Life me problem ko hm base bna kr success ho skte h.
shilpa k says
bahut badhiya sikh dene vali story, jivan me har kisi ko bad experience aate hain lekin ham unhe kis njariye se dekhte hain ye ham par nirbhar karta hain.
Asween says
Amazing story
Bahut se log apne jivan me taklifo ke chalte apna vyvhar bhi chidchida kar lete he or fir sare log unse dur hone lgte he or vah akele pd jaate he.
Aisa n kar hume Nevale or Medhak ki yah story se kaafi kuchh shikhna chahiye or jivan me aanevale sabhi bad experience ko positively lekar apne aapko majbut banana chahiye
dharmendra chouhan says
taught me a very beautiful lesson. ty admin. i will spread the word.