रिश्ते निभाने पर कहानी
Hindi Story on Relationships
भैया का फोन सुनते ही बिना समय गंवाये रिचा पति के संग मायके पहुंच गई। मम्मी की सबसे लाडली बेटी थी वो। इसलिए अचानक मां की गम्भीर हालत को देख कर रेखा की आंखों से आंसुओं की झड़ी लग गयी। मां का हाथ अपने हाथों में थाम कर ” मम्मी sss ” सुबकते हुए बस इतना ही कह पायी रिचा।”
बेटी की आवाज कानों में पड़ते ही मां ने धीरे से आँखें खोल दीं। लाडली बेटी को सामने देकर उनके चेहरे पर खुशी के भाव साफ झलक रहे थे। ” तू.. आ.. गयी.. बिटिया!.. कैसी है तू!, देख. मेरा.. अब.. जाने का.. वक्त.. आ. गया.. है , बस तुझ से.. एक ही बात.. कहनी थी बेटा ! ”
” पहले आप ठीक हो जाओ मम्मी!! बात बाद में कह लेना ” रिचा नेआंखों से हो रही बरसात पर काबू पाने की असफल कोशिश करते हुए कहा।
” नहीं बेटा!.. मेरे पास.. वक्त नहीं है,.. सुन!.. मां बाप किसी.. के हमेशा.. नहीं रहते,.. उनके बाद.. मायका. भैया भाभियों से बनता है.. “। मां की आवाज कांप रही थी।
रिचा मां की स्थिति को देख कर अपना धैर्य खो रही थी। और बार बार एक ही बात कह रही थी ऐसा न कहो मम्मा!सब ठीक हो जायेगा “।
मां ने अपनी सारी सांसों को बटोर कर फिर बोलने की हिम्मत जुटाई-
मैं तुझे एक ही… सीख देकर जा.. रही हूं बेटा!…मेरे बाद भी.. रिश्तों की खुशबू यूं ही… बनाये रखना, भैया भाभियों के… प्यार.. को कभी लेने -देने की.. तराजू में मत तोलना.. बेटा!.. मान का.. तो पान ही.. बहुत.. होता है…
मां ने जैसे तैसे मन की बात बेटी के सामने रख दी। शरीर में इतना बोलने की ताकत न थी, सो उनकी सांसें उखड़ने लगीं।
” हां मम्मा! आप निश्चिंत रहो, हमेशा ऐसा ही होगा, अब आप शान्त हो जाओ, देखो आप से बोला भी नहीं जा रहा है “, रेखा ने मां को भरोसा दिलाया और टेबल पर रखे जग से पानी लेकर, मां को पिलाने के लिए जैसे ही पलटी, तब तक मां की आंखें बन्द हो चुकी थीं। उनके चेहरे पर असीम शान्ति थी, मानों उनके मन का बोझ हल्का हो गया था।
धन्यवाद!
सुनीता त्यागी
पता: जागृतिविहार मेरठ
शिक्षा: परास्नातक
उपलब्धि: राष्ट्रीय पत्र पत्रिकाओं में लघुकथाओं का प्रकाशन।
We are grateful to Sunita Ji for sharing a very meaningful Hindi Story on Relationships ( रिश्ते निभाने पर कहानी ). Thanks Ma’am.
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बहुत अच्छी कहानी सुनीता त्यागी जी. रिश्तों में अगर समझदारी राखी जाये तभी रिश्ते निभते हैं.
गोपाल सर जी, एक पोस्ट में आपके फीडबर्नर एड्रेस को मेंशन करना चाहता हूँ. क्या मैं ऐसा कर सकता हूँ.
Please reply me.
जी हाँ, बिलकुल!
Beautiful article. Thanks for sharing Sunita ji
maa awam pita jab hote hain tab hum inki keemat nahin jante ,parantu jab ye nahin hote tab inki keemat ka pata chalta hai…
इनकी जुबा पर कभी बदुआ नहीं होती
एक माँ ही तो है जो कभी जुदा नहीं होती..धन्यवाद सुनीता जी
समय, सत्ता, सम्पत्ति और शरीर चाहे साथ दे या ना दे लेकिन अच्छा स्वभाव, समझदारी और सच्चे संबंधी हमेशा साथ देते है । यह बात एक मॉ बहुत अच्छे से समझती और जानती भी है । एक मॉ से मिले संस्कार ही तो बेटी को दो परिवारों को जोडे रखने मे मदद करते हैं । धन्यवाद सुनीता जी ।
बबीता जी आपके कमेन्ट ने इस आर्टिकल की वैल्यू और बढ़ा दी. धन्यवाद्
bahut achhi sikh deti hui kahani.
thanks for this article
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