Friends, एक बार फिर हाज़िर हूँ एक नयी डिबेट के साथ, हमारा आज का टॉपिक है-
डॉक्टरों को हड़ताल पर जाने की अनुमति नहीं होनी चाहिए!
आज कल अक्सर समाचार देखते वक़्त एक news दिख जाती है— “XYZ State या जिले के Doctors हड़ताल पर चले गए हैं!”
अमूमन हड़ताल पर जाने वाले डॉक्टर्स सरकारी होते हैं पर कई बार इनके सपोर्ट में private nursing homes & hospitals के डॉक्टर्स भी strike कर देते हैं. ज्यादातर मामलों में strike का कारण किसी डॉक्टर के साथ patients द्वारा किया गया दुर्व्यवहार होता है, और कई बार अन्य कारणों से डॉक्टर्स अपनी किसी डिमांड को लेकर भी स्ट्राइक पर चले जाते हैं.
आप इस विषय में क्या सोचते हैं?
यदि आपका सोचना है कि -“डॉक्टरों को हड़ताल पर जाने की अनुमति नहीं होनी चाहिए!” तो इस विषय के पक्ष यानि FOR में अपने तर्क comment के माध्यम से रखिये.
यदि आप इस बात से सहमत नहीं हैं कि -“डॉक्टरों को हड़ताल पर जाने की अनुमति नहीं होनी चाहिए!” तो इस debate topic के विपक्ष यानि AGAINST में अपने तर्क रखिये.
Please note:
- कोई व्यक्ति “For” और “Against” दोनों में तर्क नहीं दे सकता. आप पहले तय कर लीजिये कि आप पक्ष में हैं या विपक्ष में और उसी के मुताबिक अपना कमेंट डालिए.
- आप किसी के कमेन्ट को रिप्लाई करके उसे सपोर्ट या काउंटर भी कर सकते हैं.
💡 कमेन्ट डालने के लिए इस पोस्ट के अंत में जाएं. कमेन्ट करते ही वे आपको साईट पर दिखाई नहीं देंगे. अप्प्रूव होने के बाद ही वे नज़र आयेंगे.
एक पेज पर अधिक से अधिक 10 latest comments ही दिखते हैं, पुराने कमेंट्स देखने के लिए केम्न्ट्स के अंत में दिए “Older Comments” लिंक पर क्लिक कीजिये.
A request: कृपया अपनी बातें numbering करके रखें. ऐसा करने से मुझे debate summarize करने में आसानी रहेगी.
कब तक चलेगी डिबेट ?
यह डिबेट Sunday (11/06/17) तक ओपन रहेगी*. यानि 11 जून तक डाले गए कमेंट्स के हिसाब से ही-
- मैं यहाँ पर “For” और “Against” में दिए points को summarize करूँगा.
- Review Committee फैसला करेगी कि “For” वाले जीते या “Against” वाले.
*रिजल्ट आने तक
और इस दौरान किये गए कमेंट्स में से जिसका कमेंट सबसे प्रभावशाली होगी वही बनेगा- “The Most Effective Debater”
इस डिबेट का रिजल्ट कब पता चलेगा ?
Winner Group और “The Most Effective Debater” का नाम 11 June को ही इसी पोस्ट में अपडेट कर दिया जाएगा.
So, the DEBATE is now open ….comment करना स्टार्ट करिए और दुनिया को अपनी डिबेटिंग स्किल्स दिखाइए.
All the best!
यदि आप एक डॉक्टर हैं या Health Industry से जुड़े हैं तो इस डिबेट में अपना पक्ष ज़रूर रखें!
RESULT OF THE DEBATE Updated- 11th June 2017
इस debate में हिस्सा लेने वाले सभी participants का धन्यवाद. कुछ विचारों को पढ़कर तो सचमुच बहुत अच्छा लगा. Personally मुझे इन डिबेट्स से बहुत फायदा हो रहा है….मेरा अपना vision, सोचने की क्षमता और out of the box solutions खोजने की स्किल्स better हो रही हैं.
तो आइये सबसे पहले मैं “FOR” और “AGAINST” में आये points को यहाँ summarize कर देता हूँ:
For- डॉक्टरों को हड़ताल पर जाने की अनुमति नहीं होनी चाहिए!
- ऐसा करने से कई बेगुनाहों की मौत हो जाती है, किसी और के गलती की सजा निर्दोष लोगों को क्यों दी जाए?
- भारत इतना बड़ा देश है उस हिसाब से देखा जाए…डॉक्टर्स के साथ जो misbehave होता है वो बहुत कम है….इसलिए छुटपुट घटनाओं के कारण इतना बड़ा कदम उठाना गलत है.
- भारत में पहले ही डॉक्टरों की बड़ी कमी है…2000 लोगों पर मात्र 1 doctor होता है…ऐसे में ये भी स्ट्राइक पे जाने लगे तो जनता का क्या होगा?
- यदि उन्हें अपनी कोई बात बतानी है या अपनी मांग रखनी है तो वे इसके लिए कोई और तरीका अपना सकते है जैसे हाथ पर काली पट्टी बांध कर काम करना.
- लोगो के लिए डॉक्टर भगवान् के समान है और वे विश्वास लेकर आते है उनके भरोसे को नहीं तोडना चाहिए.
- Human service is topmost as they take oath while receiving medical degrees.
- सरकार ढंग से काम नही करती यही बोलकर हर व्यक्ति अपनी जिम्मेदारी अपने राष्ट्र के प्रति कर्तव्यों से मुंह फेर लेता है । यदि डॉक्टर्स ढंग से काम नही कर रहे हे? यदि डॉक्टर्स टाइम पर हॉस्पिटल पर नही पँहुच रहे हे तो वहा दरवाजे के बाहर क्या चिकित्सा मंत्री को बिठाओगे। अब क्या सरकार ये करेगी । नही दोस्तों उस वक्त हमारी जिम्मेदारी बनती हे की हम उस लेट लतीफ को याद दिलाये की वो सरकारी कर्मचारी हे जिसे सरकार ने जन सेवा के लिए चुना है।
- कुछ लोग कह रहे हे की टेक्सी ड्राईवर, शिक्षक, रेलवे इत्यादि हड़ताल करते हे तो डॉक्टर्स क्यों नही??
- चलिए डॉक्टर्स को भी हड़ताल करने दीजिये क्या हड़ताल से डॉक्टर्स के अच्छे दिन आ जाएंगे??? भाई साहब अगर हड़ताल करने से अच्छे दिन आते तो हर पांच साल की पञ्च वर्षीय योजना में हड़ताल का पंचांग तैयार कीजिये और उसके लिये बजट भी।। हड़ताल राष्ट्र के विकास में बाधा हे इसे प्रत्येक क्षेत्र में प्रतिबंधित कर देना चाहिए विशेष कर आपातकालीन क्षेत्र जेसे चिकित्सा क्षेत्र में.
- क्या डॉक्टर का दायित्व नहीं कि वो पहले मरीज की जान बचाये? कहा जाता है कि “मारने वाले से बचाने वाला बड़ा होता है” और हम सभी जानते हैं कि डॉक्टरों को तो दूसरा भगवान अर्थात् ईश्वर का दर्जा प्राप्त है, फिर आजकल के डॉक्टरों में सहानुभूति,उदारता आदि गुणों का अभाव क्यों?
- ऐसा कहा गया है कि “मरीज को औषधि से अधिक प्रेम एवं सहानुभूति के बल पर अधिक शीघ्र ठीक किया जा सकता है” इसलिए मेरे विचार से डॉक्टरों को “पैसे से नहीं पेशे से प्यार करना” चाहिए| न केवल डॉक्टर प्रत्येक कार्यरत व्यक्ति(शिक्षक,इंजीनियर आदि) को ‘कर्म ही पूजा है’ के सिद्धान्त को अपनाकर अपने क्षेत्र में त्याग एवं समर्पण की भावना सहित कार्य करना चाहिए|
- कभी कुछ क्षणों की देर हो जाने पर मरीज की जान चली जाती है तो फिर डॉक्टर एक दिन, दो दिन, तीन दिन……. हड़ताल पर चले जायें तब कितने मरीजों की जान जा सकती है?
- डॉक्टर्स का पेशा इंसान की जान से जुड़ा होने के कारण ही इसे नोबल प्रोफेशन की संज्ञा दी जाती है | डॉक्टर्स के मन में संवेदनाओं का होना ज्यादा जरूरी है क्योंकि वह इंसानों की सेवा में रत है | हर जान कीमती है |जिसका काम लोगों को जीवन देना है लेना नहीं.
- कई बार देखा गया है की दवा से ज्यादा डॉक्टर्स के सहानुभूति पूर्ण शब्द ही बीमार में जीवन शक्ति का संचार कर देते हैं | क्योंकि मनुष्य केवल शरीर ही नहीं मन भी है | अगर मन में डॉक्टर्स के प्रति विश्वास उठ जाए की न जाने कब वो हमें अधर में लटका देंगे तो डॉक्टर्स को दिखा कर ठीक होने के आम प्रतिशत पर भी असर पड़ेगा |
- अगर डॉक्टर्स की मांगें जायज भी हैं तो उन परिवारों का दर्द पूंछियें जिन्होंने अपना प्रियजन इस हड़ताल की वजह से खोया है | ये हड़ताल उनकी जिंदगी में कभी न भरने वाला घाव दे गयी है |
- डॉक्टर्स की हड़ताल के दौरान बीमार हुए व्यक्ति अगर बच भी गए तो उन्होंने व् उनके तीमारदारों ने भयंकर अफरातफरी का ,अनिश्चितता और भय के मंजर को झेला है | उनके किस्से मात्र किसी की आँखों में आँसूं भर देते हैं |उस दर्द का खामियाजा कौन भरेगा ?
- डॉक्टर्स की हड़ताल एक तरह से आतंकवाद ही लगती है | जहाँ डॉक्टर्स अपने सामने मरीजों की जान जाते हुए देखता है फिर भी उसका उपचार नहीं करता | ये उसके द्वारा डिग्री लेते समय ली गयी शपथ के भी खिलाफ है | अधिकतर हॉस्पिटल में ये स्लोगन लगा रहता है ,” ईश्वर ने हमें आपकी सेवा का माध्यम बनाया है | “ अगर ये मात्र वाक्य है तो कोई बात नहीं | परन्तु अगर डॉक्टर्स वास्तव में ऐसा मानते हैं तो यह उन्हें ईश्वर द्वारा प्रदत्त उपचारक शक्ति का उपहास ही है.
- ये सच है की डॉक्टर्स की कुछ जायज मांगें भी होती हैं | जिन्हें सामने लाना भी जरूरी है | पर इसके लिए उन्हें हड़ताल के स्थान पर किसी और तरीके से विरोध प्रदर्शन करना चाहिए | मसलन काली पट्टी बाँध कर काम करके | या मरीजों , आम लोगों द्वारा अपनी बात सरकार के समक्ष रखवा कर के |
- वैसे सरकार को डॉक्टर की हर तकलीफ़ का ध्यान रखना चाहिए अगर फिर भी कोई समस्या है हो डॉक्टर अपने वर्किंग आर कुछ कम कर 2-3 आर के लिए किसी सरकारी दफ़्तर जैसे जिलाधिकारी दफ़्तर के बाहर नारेबाज़ी कर अपना विरोध प्रदर्शन कर सकते हैं पर डॉक्टर को strike करने का अधिकार नहीं दिया जा सकता.
- लोग कहते हैं कि डॉक्टर भी तो इंसान हैं उनकी भी तो शिकायतें और अधिकार हैं पर ये क्यों नहीं समझते कि डॉक्टर आम इंसान नहीं है इन्हें भगवान का दर्जा दिया गया है आप लोगों को जीवन देते हैं आप खुद अपने महत्व को जानते हैं आपका स्ट्राइक करना एसे ही है जैसे भगवान विष्णु संसार का पालन करने से मना कर दें क्या ये संभव है?
- ग़लत को सही करने के लिए सही तरीका अपनाया जाता है अगर ग़लत को सही करने क लिए आप भी ग़लत करेंगे तो आप भी गुनहगार हैं और आप मैं ओर उनमें कोई फरक नहीं है.
- और अगर आप स्ट्राइक को सही मानते हैं तो हर डॉक्टर अपने घर से एक सदस्य को स्ट्राइक पर बैठा दे इससे आपका विरोध भी होगा और काम भी नहीं रुकेगा पर डॉक्टर को स्ट्राइक कि अनुमती नहीं होनी चाहिए.
- आज इस डिबेट से मुद्दा उठा तो बस ये डिबेट तक ही सीमित नहीं रहना चाहिए अगर डॉक्टर का स्ट्राइक पर जाना ग़लत है तो उसी तरह अगर हमारे सामने डॉक्टर के साथ कुछ ग़लत हो तो उसके विरोध में पब्लिक को डॉक्टर का सपोर्ट करना चाहिए और जिस स्तर पर बदलाव ला सकता है उस स्तर पर बदलाव लाना चाहिए.
- ये सही है कि कुछ मरीज डॉक्टर्स पर हाथ उठा कर क़ानून तोड़ते हैं और ऐसे मरीजों को ऐसी हरकत से रोकना ना सिर्फ सरकार और हॉस्पिटल एडमिनिस्ट्रेशन का काम है बल्कि आम नागरिकों को भी इसमें सहयोग करना चाहिए. पर यहाँ पर ये बात भी समझना ज़रूरी है कि ऐसे incidents कई बार ऐसा डॉक्टर्स की लापरवाही की वजह से होते हैं. इसलिए अपने एक गलत साथी के ब्लाइंड सपोर्ट में आने की जगह फैक्ट्स को समझ कर कोई भी कदम उठाना चाहिए.
- डॉक्टर्स अपनी परिस्थितयों का हवाला देकर स्ट्राइक पे जाना जायज ठहराते हैं…लेकिन अगर कुछ ऐसे ही तर्क देकर सेना के जवान भी कहें कि हम भी स्ट्राइक पे जा रहे हैं तो क्या होगा? अगर आग लगी हो और फायर ब्रिगेड वाले कहें कि भाई हम तो स्ट्राइक पे हैं तो क्या होगा? सोचिये! कुछ चीजें ऐसी हैं जहाँ स्ट्राइक नहीं होनी चाहियें, और उन्ही में डॉक्टरों की हड़ताल भी शामिल है.
Against-डॉक्टरों को हड़ताल पर जाने की अनुमति होनी चाहिए!
- पानी जब सर से गुज़र जाए तब क्या होता है? बर्दाश्त हद पार कर जाएं तब क्या होता है? वे जो भगवन का रूप हैं – अंतत: इंसान हैं – उनके जीवन पर कोई आंच आए तब देखने वाला कौन है? गाढ़े पसीने की कमाई पर हाथ डालने वाले बहुत हैं – मारपीट तोड़फोड़ – यह सब क्यों? डॉक्टर हड़ताल पर न जाएं – इसके लिए माहौल हम बनाएं !
- First of all its important to understand why doctors (mostly govt) go on strike.Public healthcare continues to be in dire state in our country with serious lack of basic facilities and poor hygiene level in govt hospitals coupled with endless no of patients per doctor.
- There are endless issues in the public healthcare system and resident doctors bear the brunt bravely and silently most of the time. A strike is only a last resort for medical professionals, and when resorted to, that simply speaks volumes about how hopeless the situation has become.
- There is nothing wrong with doctors going on strike for reasons of better protection and dignity during work, more so because ultimately the benefits trickle down to the only all-important entity of any health system: the patient. Satisfied doctors and better facilities also lead to better patient services.
- Now, let me take on some of the myths one by one: Myth 1- Patient die due to strikes ( कृपया डिटेल्स कमेन्ट सेक्शन में जाकर पढ़ें) Myth 2- Doctors just want pay raises out of strikes.
- Is desh me hadtal par jaane ki anumati doctoro ko honi chahaiye. kyoki yaha sarkar dhang se koi kam to nahi karti aur yaha k kam padhe-likhe log bhi aisi harkate karte h jinse doctors ko pareshani hoti h.Agr kisi bhi kshetr me kisi k sath koi anischitata ho rahi h to hadtal krni chahiye tab hi ye bahri sarkar sunti h.apne adhikaro aur achhi jindagi k lie ye sab jaruri hota h nahi to aisa hi chlta rahega.
- Ek doctor intern ko salary Maharashtra me 6000 to 8000 milti Hai uske Bradley use lagatar 24 se 32 hours k duty laga dete Hai Aur ek intern ko utna experience aur knowledge bhi nahi rahta k woh sab logo ko thik kar sake Phir bhi wo apne pure efforts Lagata Hai phir bhi use Mar padti Hai toh woh kya Karen sarkar aur Court kahta Hai k doctor ko duty pe mar padti Hai toh pade lekin use apni duty Karni h padegi.
- Doctor’s ka koi sunane wala nahi senior doctor na hone k wajah se Sara Kam ka boz intern ya resident doctor par padta hai.
- Aur Doctors Kam Hai isliye wo kisi ko votebank nahi Hai isliye sarkar bhi kuch nahi karti
- India GDP ka 3% se bhi Kam swathya seva par khrch karti Hai jo bahut Kam Hai agar 6-8% GDP medical sector pe Karen toh aisi problem h nahi hongi.
- सबसे पहले Dr. भारत के नागरिक है। उन्हें संवैधानिक हक़ है की वह अपने बात सरकार के सामने रखे । Dr. को प्रत्येक हॉस्पिटल में सुरक्षा नहीं दी जा सकती है और हड़ताल कर सरकार पर दबाव बनाकर कोई कानून पारित करवा सकते है की कोई Dr से दुर्व्यवहार करे तो उसे सजा मिले।
- डॉक्टर्स को उनकी प्रतिकूल परिस्थिति में हड़ताल पर जाने की अनुमति होनी चाहिए!! यह बड़ा क्रूर लगता हो परन्तु यह बात भी सत्य है कि डॉ भी मनुष्य है! उनकी भी ज़िंदगी में परेशानिया होती हैं,वे भी अपने बच्चों और परिवार के लिए एक पिता और एक संरक्षक हैं!!यदि वे स्वम् दुखी हैँ तो मरीज़ों का इलाज़ अच्छे से कैसे कर पाएंगे।
- प्रतिकूल परिस्थितियों में अनुकूल कार्य बहुत कठिन हो जाता है,अतः डॉ चाहकर भी यदि अपनी बातें ऊपर नही पहुँचा पा रहा है तो उसके पास अन्य कोई मार्ग नही बचता!!वह विवश हो जाता है तभी इस क्रूर कदम को उठाता है।
- सरकार को डॉ की उपयोगिता के अनुसार ही उनकी परेशानियों और सुझावों का भी विशेष ध्यान रखना चाहिए जिससे वे इस कदम को उठाने के लिए विवश न हों!
- सभी प्राणियों को अपनी जिंदगी प्यारी होती है,अपना परिवार प्यारा होता है!ठीक उसी प्रकार यदि डॉ की ज़िन्दगी भी प्रतिकूल दिशा में जा रही है तो उन्हें पूर्णतः हक़ होना चाहिए की वे किसी भी तरह अपनी बात की और ध्यान खीचने का प्रयत्न करें. यदि डॉ विपरीत परिस्थितियों में भी रात दिन कार्य करते रहते है तो शायद सरकार को उनकी परेशानियों की गंभीरता का अहसास नहीं होता!! अतः उन्हें अपनी बात रखने की स्वतंत्रता का अधिकार होना चाहिए।
- यह बात पूरी तरह से सच है की इस कशमकश में मरीज़ की हालत बहुत गंभीर हो जाती है,परन्तु डॉ भी तो अपनी गंभीर समस्यो के लिए ही इस मार्ग पर जाने को विवश हुआ है!! अपनी बात को रखने के लिए डॉ को हड़ताल पर जाने की अनुमति होनी चाहिए क्योंकि यदि वह खुद ही ज़िंदा नही रहेगा तो दूसरों को कैसे बचायेगा!!!
- कुछ लोग कमेन्ट कर रहे हैं कि डॉक्टर भगवान् के सामान होते हैं…उन्हें स्ट्राइक पे नहीं जाना चाहिए…पर जब इसी भगवान् को कुछ शैतान जूते-चप्पल से मारते हैं तो ये लोग उफ़ तक नहीं करते….अगर भगवान् समान मानते हो तो तुम्हे खुद डॉक्टर्स के लिए खड़े हो जाना चाहिए… फिर उन्हें स्ट्राइक पे जाने की ज़रुरत ही नहीं पड़ेगी!
RESULT
हमारी रिव्यु कमिटी ने पक्ष और विपक्ष में रखे गए तर्क के अनुसार निर्णय लिया है कि –
विजेता वो ग्रुप है जिसने पक्ष यानि FOR में अपने तर्क रखे.
यानि कमिटी का मानना है कि “ डॉक्टरों को हड़ताल पर जाने की अनुमति नहीं होनी चाहिए!” के पक्ष में अपना तर्क रखने वाल लोग WINNER हैं.
और
THE MOST EFFECTIVE DEBATER
का खिताब जाता है—-
वंदना बाजपेयी
को. Vandana Ji ( [email protected]) आपको बहुत-बहुत बधाई!
Thank You everybody for your participation. हम जल्द ही एक नयी डिबेट के साथ हाज़िर होंगे! धन्यवाद.
Related:
- Debate 1: “स्कूल में स्टूडेंट्स को स्मार्ट फ़ोन के इस्तेमाल की अनुमति होनी चाहिए!
- Debate 2: कैपिटल पनिशमेंट यानि फाँसी की सजा पर रोक लगनी चाहिए!
रवि कुमार says
कुछ लोग कह रहे हे की टेक्सी ड्राईवर, शिक्षक, रेलवे इत्यादि हड़ताल करते हे तो डॉक्टर्स क्यों नही??
चलिए डॉक्टर्स को भी हड़ताल करने दीजिये क्या हड़ताल से डॉक्टर्स के अच्छे दिन आ जाएंगे??? भाई साहब अगर हड़ताल करने से अच्छे दिन आते तो हर पांच साल की पञ्च वर्षीय योजना में हड़ताल का पंचांग तैयार कीजिये और उसके लिये बजट भी।।
हड़ताल राष्ट् के विकास में बाधा हे इसे प्रत्येक क्षेत्र में प्रतिबंधित कर देना चाहिए विशेस कर आपातकालीन क्षेत्र जेसे चिकित्सा क्षेत्र में
Ajay says
Is desh me hadtal PR jaane ki anumati doctoro ko honi chahaiye. kyoki yaha sarkar dhang se koi kam to nahi karti aur yaha k kam padhe-likhe log bhi aisi harkate karte h jinse doctors ko pareshani hoti h.Agr kisi bhi kshetr me kisi k sath koi anischitata ho rahi h to hadtal krni chahiye tab hi ye bahri sarkar sunti h.apne adhikaro aur achhi jindagi k lie ye sab jaruri hota h nahi to aisa hi chlta rahega.
रवि कुमार says
भाई साहब सरकार ढंग से काम नही करती यही बोलकर हर व्यक्ति अपनी जिम्मेदारी अपने राष्ट्र के प्रति कर्तव्यों से मुंह फेर लेता है । यदि डॉक्टर्स ढंग से काम नही कर रहे हे? यदि डॉक्टर्स टाइम पर हॉस्पिटल पर नही पँहुच रहे हे तो वहा दरवाजे के बाहर क्या चिकित्सा मंत्री को बिठाओगे। अब क्या सरकार ये करेगी । नही दोस्तों उस वक्त हमारी जिम्मेदारी बनती हे की हम उस लेट लतीफ को यद् दिलाये की वो सरकारी कर्मचारी हे जिसे सरकार ने जन सेवा के लिए चुना है।।
Sunita tyagi says
पक्ष
1 डाक्टर को भगवान का दूसरा रूप माना जाता है किसी मरीज की जिन्दगी एक डाक्टर के हाथ में होती है। इसलिए उन्हें हड़ताल पर जाने की अनुमति कतई नहीं होनी चाहिए।
2. यदि डाक्टर्स के साथ कुछ गलत होता है या उन्हें सरकार से कोई शिकायत है तो विरोध प्रदर्शन के लिए कोई और विकल्प चुना जा सकता है।
Pankaj Mishra says
Against
The comments made above are quite obvious generally based on hearsay and common perception instead of sound logic and personal experience. People generally have lot of myths and misconceptions about strike by doctors.
First of all its important to understand why doctors (mostly govt) go on strike. Public healthcare continues to be in dire state in our country with serious lack of basic facilities and poor hygiene level in govt hospitals coupled with endless no of patients per doctor. that’s why majority refrain from going to these places. On the other hand doctors attending the patients have no choice as they have to
encounter the government almost every day in all its various (frequently vicious) avatars: corruption, apathy, helplessness to assist patients in need, archaic rules and laws, annoying regulations, MLAs and local politicians making unethical demands, etc. There are endless issues in the public healthcare system and resident doctors bear the brunt bravely and silently most of the time. A strike is only a last resort for medical professionals, and when resorted to, that simply speaks volumes about how hopeless the situation has become.
Person into any profession has right to raise voice for his genuine demands including doctors. If bank, railway employees can go on strike then why not doctors
In a democratic society, whenever unjust rules and laws are not taken back by an authority, or when an authority fails in its duties, then non-cooperation by aggrieved citizens remains the most effective peaceful way to register protest. There is nothing wrong with doctors going on strike for reasons of better protection and dignity during work, more so because ultimately the benefits trickle down to the only all-important entity of any health system: the patient. Satisfied doctors and better facilities also lead to better patient services.
Now, let me take on some of the myths one by one
Myth 1- Patient die due to strikes
Reality – You will find similar death statistics in big government hospitals on any non-strike day.There are dozens of other reasons that causes the death of a hospitalised patient and strike can only be rarest of the rare reason. Whenever there is a fire in a hospital, or a natural calamity, most doctors and healthcare workers rush for patients’ safety first and foremost without caring about their own. And even when in a government hospital residents go on strike, there are always other trained, professional personnel (including senior doctors) present to take care of critical patients. No one is allowed to die due to negligence.
Myth 2- Doctors just want pay raises out of strikes.
Reality- There are two issues here. Firstly, why should demanding better pay be considered wrong? And secondly, a greater number of medico strikes (like the recent one) happen for better security and infrastructure than for higher pay.
Everyone wants a reasonable salary, and it is high time we got rid of the notion of expecting some kind of ideal “selfless” attitude from doctors with respect to remuneration. In India even school teachers have been known to strike for better pay by boycotting classes and even exams of students. Everyone has a right to a decent life, be it doctors, teachers or taxi drivers. So when government apathy forces a section of citizens to go on strike, we need to at least try to understand their agony and give them a sympathetic hearing.
Secondly, the living conditions of most resident doctors in India are outrageous. Crowded rooms, filthy bathrooms, pests everywhere, inadequate sleep—these are just the tip of the iceberg. The government is aware of the situation but has hardly done any concrete job of improving their conditions. In such a scenario, when doctors have to additionally suffer assaults from patients and their relatives, with the government and police being unhelpful, a strike becomes inevitable. Resident doctors won’t go on a strike unless forced to: toiling hard to see a smile on a patient’s face is far more satisfying than dealing with corrupt, self-centred authorities.
All in all, people should remember that striking doctors are not a nuisance, but a sign of a healthy, thriving and peace-loving democracy. A sign that someone somewhere is fed up with misgovernance and peacefully exhibiting their dissatisfaction (unlike the kind of protests we see the likes of the ABVP and Shiv Sena resorting to).
It would be constructive if the general public too to shed their scepticism about doctors’ strikes. Ultimately the strikes benefit the common citizen, since an improvement in the conditions of public hospitals and resident doctors will lead to a betterment of services offered. Besides, as citizens we must always extend support to a genuinely dissenting individual, since tomorrow it might be us who are dissenting and in need of support. As someone has said, “All it takes for evil to succeed is for a few good people to do nothing.”
vijaya says
पानी जब सर से गुज़र जाए तब क्या होता है? बर्दाश्त हद पार कर जाएं तब क्या होता है? वे जो भगवन का रूप हैं – अंतत: इंसान हैं – उनके जीवन पर कोई आंच आए तब देखने वाला कौन है? गाढ़े पसीने की कमाई पर हाथ डालने वाले बहुत हैं – मारपीट तोड़फोड़ – यह सब क्यों?
डॉक्टर हड़ताल पर न जाएं – इसके लिए माहौल हम बनाएं !
रवि कुमार says
श्रीमान अच्छा माहोल लोगों को बनाने की जरूरत नही यदि अच्छा माहौल बनाने की किसी को जरूरर हे तो डॉक्टर्स को क्योंकि डॉक्टर के साथ किसी प्रकार का दुर्व्यवहार हुआ हे तो यकीनन 99 प्रतिशत उसके स्वयं के दुर्व्यवहार का परिणाम होगा । आमजन जान बूझकर क्यों डॉक्टर्स के साथ दुर्व्यवहार करेगा ?? कोई एक वजह बताइये ????
Mani kant Mishra says
bahut achey par aap hindi ka pryog kijiye
Parth says
कुछ ऐसे ही तर्क देकर सेना के जवान भी कहें कि हम भी स्ट्राइक बे जा रहे हैं तो क्या होगा?
अगर आग लगी हो और फायर ब्रिगेड वाले कहें कि भाई हम तो स्ट्राइक पे हैं तो क्या होगा?
सोचिये!
कुछ चीजें ऐसी हैं जहाँ स्ट्राइक नहीं होनी चाहियें, और उन्हें में डॉक्टरों की हड़ताल भी शामिल है.
SANDEEP DELU says
1.STRIKE KI BAJAY BATCHIT SE APNI DEMANDS RAKHI GA SAKTI HAI.
हर्षवर्धन says
For
1- अनुमति नही होनी चाहिए पर किसी को डॉक्टर के सात दुर्व्हवार भी नही करने देना चाहिए।
2,डॉक्टर की सुरक्षा का खयाल भी रखना चाहिए।
3-हरताल किसी भी चेज का समाधान नही भाई।
P K Goel says
For
The govt & PVT doctors should not be allowed to go on strike being one of the essential service.
Human service is topmost as they take oath while receiving medical degrees.
However their genuine demands must be heard at appropriate administrative level timely
Strict action should be taken against corrupt doctors who are playing with patients ‘ health
viram singh says
for
doctors को हड़ताल पर जाने की बिलकुल अनुमति नहीं होनी चाहिए.
1. भारत में पहले से ही डॉक्टर की कमी है.
2. यदि उन्हें अपनी कोई बात बतानी है या अपनी मांग रखनी है तो वे इसके लिए कोई और तरीका अपना सकते है जैसे हाथ पर काली पट्टी बांध कर काम करना.
3. लोगो के लिए डॉक्टर भगवन के समान है और वे विश्वास लेकर आते है उनके भरोसे को नहीं तोडना चाहिए.
Anam says
For, it should be stopped
Parth says
For
मुझे लगता है कि डॉक्टर्स को हड़ताल पर नहीं जाने देना चाहिए:
1) ऐसा करने से कई बेगुनाहों की मौत हो जाती है, किसी और के गलती की सजा निर्दोष लोगों को क्यों दी जाए?
२) भारत इतना बड़ा देश है उस हिसाब से देखा जाए…डॉक्टर्स के साथ जो misbehave होता है वो बहुत कम है….इसलिए छुटपुट घटनाओं के कारण इतना बड़ा कदम उठाना गलत है.
३) भारत में पहले ही डॉक्टरों की बड़ी कमी है…2000 लोगों पर मात्र 1 doctor होता है…ऐसे में ये भी स्ट्राइक पे जाने लगे तो जनता का क्या होगा?