Friends, मैंने अपनी लास्ट पोस्ट- “समय आ गया है अपने अन्दर के डिबेटर को जगाने का!” में लिखा था कि मैं AKC पर डिबेट्स कंडक्ट करना चाहता हूँ. I am glad कि बहुत से रीडर्स ने इस idea को पसंद किया और मुझे ऐसा करने के लिए encourage किया. Thank you everybody. 🙂
तो लीजिये as discussed इस कड़ी में आज मैं पहला debate topic introduce कर रहा हूँ.
हमारा टॉपिक है-
स्कूल में स्टूडेंट्स को स्मार्ट फ़ोन के इस्तेमाल की अनुमति होनी चाहिए!
हम सभी जानते हैं कि भारत में smart phones का इस्तेमाल तेजी से बढ़ा है. सस्ते डेटा प्लान्स और मोबाइल सेट्स ने इन्हें लगभग हर हाथ में पहुंचा दिया है. School going students भी इससे अछूते नही हैं. पर जब बात स्कूल में स्मार्ट फोंस के इस्तेमाल की आती है तो बहुत से लोग इसके पक्ष और बहुत से लोग इसके विपक्ष में होते हैं. और आज इस डिबेट में आपको भी एक स्टैंड लेना है.
जो लोग “For” में हैं उन्हें “स्कूल में स्टूडेंट्स को स्मार्ट फ़ोन के इस्तेमाल की अनुमति होनी चाहिए!” के पक्ष में अपने तर्क कमेन्ट के माध्यम से रखने हैं और जो “ Against” में हैं उन्हें इसके विपक्ष में अपनी दलील देनी है.
इन बातों का ध्यान रखिये:
- कोई व्यक्ति “For” और “Against” दोनों में तर्क नहीं दे सकता. आप पहले तय कर लीजिये कि आप पक्ष में हैं या विपक्ष में और उसी के मुताबिक अपनी बात रखिये.
- आप किसी के कमेन्ट को रिप्लाई करके उसे सपोर्ट या काउंटर भी कर सकते हैं.
कब तक चलेगी डिबेट ?
यह डिबेट Saturday (20/05/17) तक ओपन रहेगी. यानि २० मई तक डाले गए कमेंट्स के हिसाब से ही-
- मैं यहाँ पर “For” और “Against” में दिए पॉइंट्स को summarize करूँगा.
- Review Committee फैसला करेगी कि “For” वाले जीते या “Against” वाले.
- और इस दौरान किये गए कमेंट्स में से जिसका कमेंट सबसे प्रभावशाली होगी वही बनेगा- The Most Effective Debater”
इस डिबेट का रिजल्ट कब पता चलेगा ?
Winner Group और “The Most Effective Debater” का नाम 21 May को इसी पोस्ट में अपडेट कर दिया जाएगा.
So, the DEBATE is now open ….comment करना स्टार्ट करिए और दुनिया को अपनी डिबेटिंग स्किल्स दिखाइए.
All the best!
यदि आप एक स्टूडेंट, अभिभावक या टीचर हैं तो इस मुद्दे पर अपनी राय ज़रूर रखें.
RESULT OF THE DEBATE Updated- 21st May 2017
दोस्तों, Debate 1: “स्कूल में स्टूडेंट्स को स्मार्ट फ़ोन के इस्तेमाल की अनुमति होनी चाहिए!” में हिस्सा लेने के लिए आप सभी का बहुत-बहुत धन्यवाद!
सच कहूँ तो मुझे अंदाजा नहीं था कि ये प्रयोग इतना कामयाब रहेगा… 20-May तक ढेर सारे कमेंट्स आये जिसमे से मैंने लगभग 90 अप्प्रूव किये. और यहाँ बात सिर्फ नंबर्स की नहीं है…बल्कि कमेंट्स की क्वालिटी और उनमे वयक्त किये गए विचारों की है. कुछ कमेंट्स तो इतने अच्छे और बड़े थे जिनका अलग से एक आर्टिकल पब्लिश किया जा सकता है. 🙂
इस वाद-विवाद प्रतियोगिता में विपक्ष में बोलने वालों की संख्या पक्ष वालों से कुछ अधिक थी.मैं यहाँ comments में आये विचारों को For और Against में compile कर रहा हूँ, ताकि आप एक साथ इन्हें देख सकें.
मैंने ज्यादातर पॉइंट्स as it is उठाये हैं और कहीं कहीं पर अपने से बदलाव किया है. कोशिश रही है कि पॉइंट्स रिपीट ना हों पर फिर भी थोड़ा-बहुत repetition हो सकता है:
For
- स्कूल के नोटिस या होम वर्क को कैप्चर करने के लिए कैमरा का इस्तेमाल भी बहुत उपयोगी सिद्ध होता है।
- मेरे पास मेरे फ़ोन में Merriam Webster नामक एक ख़ास ऍप भी है, इनके पास “दिन का शब्द” नामक फीचर है जिसके साथ प्रत्येक दिन के साथ एक नया शब्द सीखने का मौका मिलता है। byju app , gradeup इनसे भी पढाई में काफी मदद मिलती है.
- पॉडकास्ट सुनता हूं, आम तौर पर हिंदी साहित्य के लिए और पर्यावरण विज्ञान के लिए।
- इबुक ऍप में दर्जनों बुक्स हैं जिनमे आसान तरीके से सब्जेक्ट को समझा जा सकता है.
- “गर जमाने के साथ चलने की ज़हमत नहीं उठाओगे, गुजरे जमाने के कहलाओगे ”
- मनोविज्ञान कहता की जिस चीज के लिए प्रतिरोध सर्वाधिक होता है मन उसी चीज को करना चाहता है।
- मान लीजिये किसी दिन टीचर स्कूल नहीं आ पाया तो उस दिन वो घर बैठे ही विडियो कॉन्फ़्रेंसिंग, या YouTube live streaming के माध्यम से क्लास ले सकता है.
- स्मार्ट study-आज के प्रतियोगिता इस दौर मे केवल हार्ड वर्क नहीं स्मार्ट वर्क की जरूरत है स्मार्ट फोन स्टूडेंट्स को टाइम efficient बनाता है । वह नोट्स कॉपी करने के बजाए concepts पर ध्यान दे सकते है और टीचर उन्हे नोट्स प्रोवाइड करा सकता है.
- Bags का weight कम होगा –जब रिसर्च बताती है की भरी भरकम bags स्टूडेंट्स पर मानसिक दबाव बनाते है तो ई-बुक उस तनाव को कम कर सकती है;उदाहरण के लिए NCERT का ई-पाठशाला प्लैटफ़ार्म जहां आप सभी बुक्स पढ़ सकते है वो भी traditional feeling के साथ मुफ्त में।
- सारी चिंताओ का सबब इंटरनेट है ,तो क्या बिना इंटरनेट के मोबाइल फोन की अनुमति दी जा सकती है क्योकि आज बहुत सारे एप्प्स मौजूद है जिनके इंटरनेट आवश्यक नहीं है।
- इससे हम अच्छे और ज़रूरी लेक्चर को रिकॉर्ड भी कर सकते हैं और उन्हें अपनी सहूलियत के हिसाब से कई बार और कभी भी देख सकते हैं |
- Pendrive कार्ड Wi-fi की यह ‘ई’ सदी है और इस ‘ई’ सदी में हम ‘ऊ’ सदी के उपकरणों के साथ नहीं जी सकते |अब हमें कुकर के खाने या गैस स्टोव की रोटियों से पेट में गैस नहीं बनती | स्मार्ट फ़ोन का विरोध करना कुछ ऐसा है, मानो आप LPG cylinder छोड़कर मिटटी के बने चूल्हे में उपले और लकड़ियों से खाना बनाने की जिद्द कर रहे हो!
- मुझे नही लगता कि विद्यालय में फोन का लाना गलत है अगर उसे शैक्षिक सामग्री की भांति प्रयुक्त किया जाए क्योंकि फोन एक निर्जीव वस्तु है,जो अपने आप मे किसी के लिए हानिकर नहीं है।
- वस्तुतः स्वतंत्रता के सही मायने न हम सीख पाए न हि अपने बच्चों को सिखा पाए। स्वतंत्रता का अर्थ है-स्वयं को तंत्र में अर्थात अनुशासन में बांध लेना । विद्यालयों में फोन पर रोक लेंगे तो क्या होगा? क्या छात्रों को घर पर वही फोन उपलब्ध नही है? समस्या यही है कि हम बच्चों की जिज्ञासा को उचित मार्ग से शांत नही कर पा रहे। परिणामतः वो फोन से ज्ञान लेने का प्रयास करते हैं । तो सबसे पहले बच्चों को नकारात्मक ज्ञान की बजाय उनकी जिज्ञासा को शांत करने का प्रयास किया जाए।
- Smart phone hone se teacher bhi alert rahega….wo class me time waste nahi karega…aur chapter achhe se taiyar karke aayega, ki kahin bachhe uski galti na pakad lein.
- Smart phone modiji ke digital india ka part hain, to school mein bhi hona chahiye.
- Bachhe waise bhi school ke alava baaki samay mobile use karte hain, to jo log kah rahe hain ki mobile se we bigdenge to we school me phone na use karke bhi bigad jaayenge.
- Smart phones ke jariye parents har samay track kar sakte hain ki unka bachha kahan hai. yani bacche class bunk karke movie nahi jaa sakte, aur aphle kii generation kii tarah apne maa-baap ko bevkoof nahi bana sakte. yani bachhon ke bigdne ke chances kam ho jaaynge.
- har ek cheej ka upyog sahi tareeke se ho sakta hai aur galat tareeke se bhi…lekin iska ye matlab nahi hai ki hm galat hone ke dar se us cheek ka sahi istemaal bhi naa karein.
- basto ke badte bojh or kitabo ke badte mulya se sayad aaj koi achuta nai hai.aise me smart phone ki anumati dena students ke liye raahta ki baat hai.
- pustako ke saath ek sima hai. aap samajhte ho to samjho warna raato smarts phone haame ek question ko solve karne ke kai tarike bata sakte hai.
- यह सोच कि विद्यार्थियों को स्मार्टफोन नहीं चलाना चाहिए यह हमारे समाज की हीनता को प्रदर्शित करता है की जब मां-बाप ही ऐसे हो तो बच्चों से कैसे उम्मीद की जा सकती है वह उनको मना करके यह साबित करते हैं कि वह अपने समय में क्या किया करते थे!
- सभी जानते है, समय के साथ चलना समझदारी है। विद्यार्थीयोंको इसे शैक्षणीक, शिक्षा, परीक्षाअभ्यास हेतू कारण उपयोग होता है ए अवगत है। अगर हमे डिजिटल भारत बनानाहै तो ऐ आवश्यक है၊
- Bike चलाने से हमे समय का कितना फ़ायदा होता है ओर उससे दुर्घटना होने का भी डर होता है तो क्या हम bike चलाना छोड़ देते है नही ना, ऐसे सैंकडो उदाहरण है life में और मेरे हिसाब से अगर student study में help के लिये smartphone का use करना चाहते है तो उन्हे रोकना नही चाहिये.
- मुझे याद है, स्कूल के दिनों में अगर हमे किसी question का answer नहीं पता होता था तब हम सोचते थे बाद में खोज लेंगे और वो बाद कभी नहीं आता था…लेकिन अगर स्मार्ट पहने हाथ में है तो सब अभी संभव है…here and now…इसलिए it should be allowed.
- दरअसल हम किसी नयी बात या नयी चीज़ को स्वीकार करते ही नहीं हैं |ये जानते हुए भी हर नयी चीज़ सही हो ये ज़रूरी नही ठीक वैसे ही हर पुरानी चीज़- बात या परम्परा सही हो – ज़रूरी नहीं |
- दरअसल, हर दौर में हमें कोसने के लिए एक खलनायक चाहिए होता है ….बीसवीं सदी की शुरुआत में खलनायक था उपन्यास…इसके बाद आया पारसी थियेटर….इसके बाद रेडियो आया …लगा यही खलनायक है…फिर लगा फिल्म तो बहुत खराब चीज़ है |फिर खलनायक तो टीवी है |फिर वीडियो फिर केबल ,फिर मोबाइल ,फिर नेट और अब स्मार्ट फ़ोन | हम पुराने खलनायक छोड़कर नए चुनते जाते हैं और जैसे ही एक नया ताकतवर ज़रिया आता है पिछले को छोड़कर अगले को कोसने में लग जाते हैं |कोसने के यह परम्परा बुजुर्गियत पारम्परिकता की पहचान है |
- जहां तक स्मार्ट फोन के स्कूल कॉलेज में इस्तेमाल की बात है वैसे ही है जैसे कमरे में एक नयी खिड़की रखने की इजाजत पर बात हो रही हो | एक तरफ हम पेपरलेस ,बेगलेस सिस्टम की बात कर रहे हैं दूसरी तरफ यह बहस करें कि स्मार्ट फ़ोन |अगर स्मार्ट बोर्ड्स होंगे ,स्मार्ट क्लास होंगे तो स्मार्ट फोने में कौन सा खोट है |
- जिन्हें स्मार्ट फ़ोन से बड़ी तकलीफ नज़र आती हो उन्हें सुगाता मित्र के build_a_school_in_the_cloud को ज़रूर देखना चाहिए |यह इस शिक्षाविद के प्रयोग को बताता कि एकअध्ययन में कैसे साबित हुआ कि कमज़ोर बच्चे नहीं हमारा एजुकेशन सिस्टम है |और इसमें स्मार्ट स्क्रीन फ़ोन टैब जैसी चीज़े निश्चित तौर पर कल की अनिवार्यता यानी ज़रुरत होंगीं |
- जो लोग स्कूलों में स्मार्ट फ़ोन का विरोध कर रहे हैं उनसे कहना चाहूँगा-
चेहरे के दाग़ हैं तू ज़रा गौर से तो देख
आईना ही क्यों साफ़ किये जा रहा है तू
कबीर भी याद आते हैं
बुरा जो देखन मैं चला बुरा न मिलिया कोय
जो दिल खोजा आपना मुझ सा बुरा न कोय
- हम अपने अलावा सारे जहां में कमियाँ ढूढ़ लेते हैं बस खुद में ही कोई ख़ामी नज़र नहीं आती |असल में ये बीमारी है -खामख्याली की या गिलास को आधा खाली देखने की|
- जब computer आया था तो इसका कितना विरोध हुआ था |और अब कल्पना करें कंप्यूटर न होता तो हमारा क्या होता ? क्षमा कीजिये बच्चे स्मार्ट फ़ोन के कारण बिगड़ते हैं या बड़ों के कमज़ोर संस्कारों से?
- अभी महज़ एक दशक बाद हम जब झांकेंगे अतीत में तो हँसेंगे खुद पर कि हम स्मार्ट फोंस के खिलाफ खड़े थे |हम अंधेरों से डरे हुए लोग अंधेर में लग जाते हैं और एक दिया भी जलाने की ज़हमत नहीं करते |हम स्मार्ट फ़ोन की इस दुनिया में बच्चों के संस्कारों को इतना स्मार्ट बनाएं कि वह चुन सकें कि उन्हें पाना क्या है और जाना कहाँ है ?यकीनन एक प्रयास तो करके देखिये कहते हैं न
चाइल्ड इज द फादर ऑफ़ मैन
कहीं ये हम खुद से ही तो नहीं डरे हुए हैं और नाहक ही बच्चों को कटघरें में खडा कर बैठे हैं ?
Against
- Class me bhi smart phone mil gya to bachhe sochenge internet me sabhi information to hai hi me bad me is cheej ko pdh luga. aur talte- tal te kab exam aajayega unhe pta bhi nhi chlega.
- यदि स्कूल प्रशासन बच्चों को स्मार्ट फ़ोन इस्तेमाल करने की अनुमति देता है तो इस से स्कूल प्रशासन का ही बोझ बढ़ जायेगा जैसे कभी किसी का फ़ोन चोरी हो गया, किसी ने किसी का फ़ोन तोड़ दिया, क्लास रूम में कभी किसी की घंटी बजेगी कभी किसी की जैसा सेमीनार में अक्सर देखने को मिलता है.
- स्कूल में स्मार्ट फ़ोन इस्तेमाल करने की आज्ञा मिलने से भेद भाव बढ़ जायेगा, कियोंकि हर स्कूल में कुछ बहुत अमीर, कुछ मिडिल क्लास और कुछ गरीब माँ-बाप के बच्चे भी पढ़ते हैं अब उदाहरण के तोर पर एक बच्चा तो 30 हजार का फ़ोन लेकर आएगा एक 20 हजार का और एक 3 हजार का इस से एक तो भेद भाव उत्पन्न होगा, माँ- बाप को बच्चे महंगे फ़ोन के लिए परेशान करेंगे अब माँ-बाप बड़ी मुश्किल से तो किताबे-ड्रेस इत्यादि लेकर दे पते हैं ऊपर से अब स्मार्ट फ़ोन का खर्चा.
- स्कूल सामान्यत: विद्यार्थियोँ के व्यवहारिक ज्ञान को विकसित करने के लिए बनाए जाते हैँ लेकिन अगर स्कूल मेँ स्टूडेँट स्मार्टफोन का उपयोग करता है तो उसका व्यावहारिक ज्ञान विकसित की जगह संकुचित रुप ले लेगा।
- पहले से ही बहुत ज्यादा यूज करते हैं,स्कूल में भी हो गया तो हेल्थ problems आएँगी ही आएँगी.
- ek school children Ko smjh nhi aata ki uske liye useful kse h…..vo to mobile phone ko apne mje k liye use krega….or उसे इस mje ki अादत pad jayegi….jo ki vo chah kr bhi us gandi aadat Ko nhi chhod payega.
- स्कूल मे स्मार्टफोन साथ मे होने से बच्चे उस पर ही निर्भर रहना रहना शुरू कर देंगे जिस प्रकार से हमें कैलकुलेटर की आदत पड़ चुकी है यदि कैलकुलेटर 6+4=12 कह दे तो हम मान लेंगे 6+4=12 ही होता है क्योंकि हमें खुद के दिमाग पर तो भरोसा रहा ही नहीं, मेरे कहने का मतलब है की बच्चा खुद की स्मरणशक्ति का इस्तेमाल छोड़कर फ़ोन की मेमोरी पर निर्भर हो जायेगा.
- सबसे पहले हमें खुद के अंदर झांक के देखना होगा यदि हम अपनी कार्य अवधि के दौरान अपना फेसबुक, अपना व्हाट्सप्प, जीमेल इत्यादि को देखे बिना नहीं रह पाते तो आज-कल के बच्चे तो हमसे ज्यादा चंचल और एक्सपर्ट हैं.
- अगर किसी स्टूडेंट को स्कूल टाइम में अपने घर से कांटेक्ट करना किसी कारणवश जरुरी भी हो जाता है तो ऐसे में वह स्कूल ऑफिस से अनुमति लेकर वहीँ के फ़ोन से कॉल कर सकता है। ऐसे में स्टूडेंट को खुद का फ़ोन स्कूल में ले जाने की जरुरत ही क्या है?
- स्टूडेंट जब घर से स्कूल के लिए जाता है तो स्कूल में तुरंत सबसे पहले प्रार्थना सभा होती है, उसके तुरंत बाद क्लास शुरू हो जाती हैं, बीच में भोजन टाइम होता है जिसमे स्टूडेंट खाना खाता है, इसके तुरंत बाद फिर से क्लास शुरू, क्लासेस पूरी होने के तुरंत बाद छुट्टी और फिर स्टूडेंट सीधे घर पर जाता है। तो अब समझने वाली बात यह है कि स्टूडेंट को फ़ोन यूज़ करने का समय मिल ही नहीं सकता और यदि समय ही नहीं मिलता तो ऐसे में स्टूडेंट को फ़ोन स्कूल में ले जाने की जरुरत ही क्या है?
- एक पेड़ जब तक एक पौधा होता है तब तक उसे देख – रेख,खाद -पानी की अधिक आवश्यकता होती है और एक पेड़ बन जाने पर नहीं उसी तरह बच्चों को भी अधिक देख -रेख की आवश्यकता होती है .स्कूल में स्मार्ट फ़ोन का उपयोग उसी तरह होगा जैसे एक पौधे को ज्यादा पानी देना .हम लाड़ प्यार में बच्चो को स्मार्ट फ़ोन थमा तो देंगे पर उसका अपने हित में कैसे उपयोग करे ये वह नहीं जानते.
- मेरे विचार से यदि स्कूल में स्मार्ट फ़ोन हो गया तो इसके शारीरिक, मानसिक और अध्यात्मिक दुष्परिणाम बच्चों में देखने को मिलेंगे और स्कूल अनुशासनहीनता के गढ़ बन जायेंगे.
- स्मार्ट फ़ोन के पास ज्ञान का भंडार हो सकता है परन्तु गुरु -शिष्य परंपरा द्वारा अर्जित ज्ञान ही श्रेष्ट है.
- जब नौजवानों को स्मार्ट फोन की इतनी ज्यादा लत है तो आप कैसे कह सकते की स्कूल में स्मार्ट फोन इस्तमाल करने की अनुमति मिलने पर पढ़ाई के समय में बच्चों का ध्यान स्मार्ट फोन में नही होगा?
- तकनीक के दौर में जब बच्चा बचपन से लेकर बड़े होने तक हमेशा फ़ोन से चिपका रहता है तो स्कूल टाइम ही ऐसा समय है जब बच्चो को इससे दूर किया जा सकता है | मेरे हिसाब के कम से कम 10वी तक तो बच्चो को स्कूल में स्मार्टफोन की अनुमति नही होनी चाहिए.
- वैसे भी स्मार्टफोन के आने के बाद खेलकूद की कमी के कारण बच्चो का शारीरिक विकास बाधित होता है | स्कूल में अगर अनुमति मिल जाए तो वो फ्री टाइम या खेलकूद पीरियड सभी में मोबाइल पर गेम खेलना ज्यादा पसंद करेगा जिससे बालक का मानसिक विकास भले हो जाए लेकिन शारीरक विकास रुक जाएगा | केवल यही 6 से 8 घंटे विद्यालय के बालको को सर्वांगीण विकास का अवसर देता है |
- स्मार्टफोन की बजाय अगर हम किंडल और इ बुक रीडर बच्चो को दे तो बेहतर होगा.
- एक विद्यार्थी के लिए उसका सबसे बड़ा गुरु उसका अध्यापक ही होता है | एक अध्यापक ही सही व्यक्तित्व का निर्माण कर सकता है एक स्मार्ट फोन नही|
- यदि स्कूल में स्मार्ट फोन उपयोग होने लगेगा तो विद्यार्थी का ध्यान पढ़ाई से हट कर गेम्स में और नेट में ज्यादा रहेगा | क्लासरूम में टीचर हर बच्चे पर नज़र नहीं रख सकती कि बच्चा स्मार्टफोन पर क्या कर रहा है |
- अगर प्रैक्टिकल रूप से देखे तो आजकल भी बच्चे फोन या कंप्यूटर से विद्या सम्बन्धी उतनी हे जानकारी इकट्ठा करते है जितनी स्कूल होम वर्क या exams के लिए जरूरी है | इसके आलावा तो सिर्फ गेम्स ही खेलते है | एक्स्ट्रा नॉलेज gain नहीं करते |अतः मैं स्कूल में स्मार्ट फोन के उपयोग के बिलकुल खिलाफ हूँ| यदि ऐसा होता है तो उनका बचपन ही छिन जाएगा |
- Jab humare pass mobile phone hota hai to hum apne apko utna concentrate nahi kar pate hai jitna mobile ke bina.
- आचार्य चाणक्य विधार्थी के लिए अपने ग्रंथ अर्थशास्त्र मे बताते है की विद्या अध्ध्यन के समय विधार्थी को काम वासना ,क्रोध ,लालच से दूर रहना चाहिए।स्मार्ट फोन का उपयोग करने से विधार्थी मे ये अवगुण आसानी से घर कर जाते है। वर्तमान मे किये गए सर्वे बताते है के स्मार्ट फोन के उपयोग से विधार्थी सबसे ज्यादा प्रभवित हुए है।उनकी क्षमताये काम हुई है।
- KAHA JATA HAI KI KITABE VYAKTI KI SABSE ACHHI DOST HOTI HAI AUR YADI SMART PHONE KE CHAKKAR ME HUM APNE IS DOST KA SAATH SCHOOL MEIN NAA DE PAAYE TO VYAKTI SHIKSHIT NHI BALKI AADHUNIK BAN KA RAH JAAYEGA. HUMEIN AADHUNIK HONE KE SAATH SAATH SHIKSHIT BHI HONA HAI.
- कुछ स्टूडेंट्स अव्यवहारिक होते है . अगर उनके हाथ में स्कूल में स्मार्ट फ़ोन रहा तो वो किसी लड़की या अपनी किसी टीचर का फोटो भी ले सकते है जो गलत है.
- स्कूल में बच्चे केवल किताबी ज्ञान प्राप्त करने नहीं जाते , वे वहां और भी बहुत कुछ सीखते हैं.जो व्यक्तित्व विकास में आवश्यक है. बेशक स्मार्ट फ़ोन हमें हमारी किताबी समसयाओ का समाधान दे सकता है पर हमारे वियक्तित्व विकास के लिए स्कूल में स्मार्ट फ़ोन आवश्यक नहीं है.
- यदि स्कूल में बच्चे स्मार्ट फ़ोन ले जाने लगेंगे तो वे सारी problem के solution स्मार्ट फ़ोन में ही खोजने की कोशिश करेंगे जिस से गुरु शिष्य सम्बन्ध ख़राब होंगे और बच्चे मानसिक रूप से कमजोर बनेंगे.
- स्कूल जाने वाले बच्चे पूरी तरह develop नहीं होते उनके अंदर हर चीज को जानने की curiosity होती है. क्या सही है क्या गलत वे इसमें भेद नहीं कर पाते और कभी कभी गलत की ओर आकर्षित हो जाते है.और एक क़क्षा में सभी बच्चो के स्मार्ट फ़ोन पर निगरानी रखना एक दुष्कर कार्य है.
- हर चीज अच्छी और बुरी दोनों होती है पर जब आप केवल उसके अच्छे गुणों को लेते है तभी आपको समझदार कहा जाता है. हर चीज का एक समय होता है. हम बच्चो को पैदा होते ही तो पेंसिल नहीं पकड़ा देते ? उसी तरह हम स्कूल के बच्चो को स्मार्ट फ़ोन नहीं थमा सकते क्यों की वे पूरी तरह परिपक्व नहीं होते है. और वैसे भी स्मार्ट फ़ोन का उपयोग कम और दुरपयोग अधिक किया जाता है और स्कूल में allow हो जाने पर और अधिक दुष्परिणाम सामने आएंगे.
- स्मार्ट में बहुत सी सुविधाए जो हमे घंटो तक मोबाइल से जोड़े रखती है facebook , WHATSAPP INSTAGRAM ये APPS हमारा समय खर्च करती करती और इनसे हमे कोई खास फायदा भी नहीं होता.स्टूडेंट्स अगर इनपर समय जो समय देंगा वो उतना समय उनकी पढाई में से कम होंगा.
- स्मार्टफोन का साधन के रूप में कम उपयोग होता है जबकि मनोरंजन हेतु अधिक|
- ‘गूगल गुरु’ के पास ज्ञान का भण्डार है किन्तु उसकी सार्थकता एवं तथ्यपरकता नितान्त अविश्वसनीय है|
- स्कूल के नैसर्गिक वातावरण में ही बहुत से ऐसे दृश्य होते है, जो स्वयं में किसी अध्यापक से कम नही है। स्मार्टफोन छात्रों को सही और गलत में फर्क करना नही सिखाता।
- नैतिक मूल्य जो छात्रों को घर,परिवार अध्यापक से मिल सकता है, वो स्मार्टफोन नही दे सकता।
- बच्चो के सामाजिक,प्राकृतिक चारित्रिक,बौद्धिक विकास के लिए उन्हें स्मार्टफ़ोन से ज्यादा स्मार्ट नरिशिंग एवं पेरेंटिंग की जरुरत है।
- Students aaj smart phone use karenge to doston se dur jayenge, mail jol kam hoga, aaj bade hi aksar smart phone use karte karte apnose dur hote chale hain, we phone pe to touch me hote hain par haqeeqat me bagal me hote hue bhi koson door.
- Bachhe ek aisa matti ka ghada hai jisko ek kumbhar apni tarike se apni idea se ek achha aakar dekar banata hai jiski market value koi bhi nahi kar sakta. lekin smart phone agar bachhe use karte hai toh woh kabhi bhi bhi kumbhar yani teacher ke idea se nahi banege…balki ek machine jiska koi hriday nahi hai wo unka kumbhar ban jaayega….aur jiske andar dil nahi hai wo gyan to de sakta hai par emotions nahin.
- Internet पर वे कम जानकारी होने के कारण scam के शिकार हो जाते है ।
- स्मार्ट फोंस की वजह से बच्चे “discussion” करना और मेहनत करके problems के solution ढूंढना भूल जायेंगे…हर सवाल का जवाब जब फ़ोन पे होगा…तो बच्चों का दिमागी विकास सही से नहीं हो पायेगा. For example: अगर किसी को जानना हो कि First Battle of Panipath कब हुई थी तो स्मार्ट पहने वाला बच्चा कुछ ही सेकंड्स में गूगल पर देखकर ये बता देगा…लेकिन without smart phone…एक बच्चा हिस्ट्री की बुक निकालेगा…उसमे खोजबीन करेगा और तब उसे सही डेट पता चलेगी….इससे वो न सिर्फ पानीपत की लड़ाई की डेट जानेगा बल्कि उससे जुडी कई और बातें जान पायेगा. और हम जानते हैं न कि जो चीज मेहनत करके मिलती है उसकी कीमत होती है!
- स्मार्ट फोंस की वजह से बचपन की गहरी दोस्ती खतरे में पड़ जायेगी….स्कूल में इससे दूर रहना ही अच्छा है.
- आज सस्ते मोबाइल में भी कैमरा और अन्य ऐसी सुविधाएं हैं जिससे कुछ श्रेणी में अपराध को भी बढावा मिलेगा।बालमनोविज्ञान के दृष्टीकोंण से अंत में यही कहना चाहेंगे कि शिक्षालय को हम आधुनिकता से दूर रख कर अपनी किताबों एवं प्रयोगिक शैली से ही उत्तम शिक्षा तथा मानसिक विकास कर सकते हैं। हम जितना प्राकृतिक संसाधनो का उपयोग करेंगे उनके रचनात्मक गुणों के विकास में सहयोग दे सकेंगे।
- शायद आप यकीन ना करें लेकिन १०-१२ साल के बच्चे भी फ़ोन पे porn देखते हैं…इसे स्कूल में allow करना मतलब future porn stars की एक breed तैयार करना है.
- Smart phones se hum sab handicaped ho rahe he. If we go back in our history, old education system, “The Gurukul Sysytem” : Student learn without textbooks. There are 3 types of students: Ekpathi, Dvipathi & Tripathi,-meaning those who learnt on hearing once, twice, thrice respectively..
- Smart phone nhi smart library honi chahie agar smart mind ki kamna krte Ho.
- स्मार्ट फ़ोन का मतलब बच्चों की नज़र सिर्फ और सिर्फ Entertainment होता है, जिससे उनका ध्यान पढाई से हट जायेगा और वो भटक सकते हैं, जो नहीं होना चाहिए…
- aaj ke samaj ko dekhte hue student galat way par ja skte hai aur parents ke pas Itna time nahi h ke vo apne child par ye dhyaan de sake ke hamara child Kya kar rha
- कुछ लोग रेडियो और टीवी के example दे रहे हैं कि वो आया तो उसका भी विरोध हुआ…ठीक है…लेकिन पहली चीज उन उपकरणों की क्षमता बहुत ही सीमित थी….और दूसरा वो किसी के पर्न्स्नल इक्विपमेंट नहीं थे….उसे एक साथ कई लोग देखते थे…लेकिन स्मार्ट फ़ोन एक बहुत स्ट्रोंग डिवाइस है और ये पूरी तरह पर्सनल है….यानि अगर कोई इसका इस्तेमाल गलत तरीके से करता है तो कोई उसे चेक नहीं कर सकता है….माना इसमें अमृत भी छिपा है…लेकिन ज्यादातर जगहों पर ज़हर नज़र आता है….क्या आप अपने बच्चों को ज़हर देना चाहेंगे?
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According to a new survey from CareerBuilder : ऑफिस में productivity loss और distraction के लिए सबसे अधिक जिम्मेदार smartphones हैं. खुद ही सोचिये जब बड़े इनका सही इस्तेमाल नहीं कर पा रहे हैं तो क्या school going kids कर पायेंगे?
- Britain की संस्था RSPH ने अपनी स्टडी में पाया है कि बेहद popular instagram, facebook app आदि, बच्चों की mental health के लिए नुकसानदायक हैं. क्या हम अपने बच्चों को स्कूल में भी इनकी एक्सेस देकर कुंएं में धकेलना चाहते हैं?
RESULT
हमारी रिव्यु कमिटी ने पक्ष और विपक्ष में रखे गए तर्क के अनुसार निर्णय लिया है कि –
विजेता वो ग्रुप है जिसने विपक्ष यानि AGAINST में अपने तर्क रखे.
यानि कमिटी का मानना है कि “स्कूल में स्टूडेंट्स को स्मार्ट फ़ोन के इस्तेमाल की अनुमति नहीं होनी चाहिए!” का सपोर्ट करने वाले लोग WINNER हैं.
और
THE MOST EFFECTIVE DEBATER
का खिताब जाता है—- यहाँ पर fight थी Anshul Gupta और Mukesh Pachauri जी के बीच में …. but ultimately the most effective debater का title एक ऐसे व्यक्ति को जिसने अपने पॉइंट्स “For the motion” में रखे थे. उनका नाम है –
मुकेश पचौरी
मुकेश जी आपको बहुत-बहुत बधाई!
Thank You everybody for your participation. हम जल्द ही एक नयी डिबेट के साथ हाज़िर होंगे! धन्यवाद.
Fisu says
Shayari for this debate please
Ananya Kumari says
School mein smartphone allow nahi hone chahiye varna bathroom mein jaakar PUBG khelenge😂😂 aur paper mein cheating karenge😡
Rohit Topwal says
I read in AMS School in rishikesh gumaniwala
This website is very useful for me
nitesh Kumar thandar says
against sir
MADHVI VERMA says
हर वस्तु में अच्छाई और बुराई होती है ,वस्तु को इस्तेमाल करते वक़्त अच्छाइयों को ग्रहण करना है और बुराइयों से दूर रहना है |
anirudh says
great….debate…. aaj kal bahut se aise apps hai jo privacy ke liye use kiye jaa sakte hai… ye internet par parental control apps ke naam se jaane jaate hai…
bhuneshwar sahu says
against
श्रीमान गोपाल जी
मै क्लास रूम में मोबाइल के उपयोग की बात से सहमत नहीं हूँ इसके पीछे कारण यह है
०१) ये बात सही है की शिक्षक भी किताब की बाते ही छात्रो को बताते है और छात्र उसे मोबाइल से भी देख सकते है परन्तु इस प्रक्रिया में छात्रो का ध्यान दो तरफ़ा हो जायेगा जिससे छात्रो के एकाग्रता पर काफी बुरा असर होगा
०२)एक महान शिक्षक क्लास में inspirational बाते भी बताते है जो छात्रो के लिए आवश्यक होते है अगर छात्रो के पास मोबाइल होगा तो इन बातो में छात्रो का ध्यान नहीं होगा
०३) इन्टरनेट बहुत अच्छा साधन तो है परन्तु इसका अति भी नुकसानदायक है,क्लास में मोबाइल के उपयोग से बच्चे नेट पर ही दुबे रहेंगे जिससे उनकी आँखों और उनके दिमाग को नुकसान पहुचेगा
०४)मोबाइल के उपयोग क्लास में करने से इस बात की गारेंटी नहीं ली जा सकती की छात्र केवल cours से related चीजो को ही देखेंगे हो सकता है वो fb या wattsapp पर चेट करने लग जाये
०५)जो चीजे शिक्षक बता रहा हो और कही गलती से भी कोई ऐसी बात कह दे जो कोर्से में नहीं है तो छात्रों और टीचर के बिच टकरार उत्पन्न होगा जो सही नहीं है
०६)एक ही क्लास रूम में अनेक तरह के लोग पढ़ते है जो लोग अमीर है उनके फोन को देखकर सामान्य बच्चे के मन में ग्लानी की अनुभूति होगी जिससे यह संभव है की वो या तो उस मोबाइल को चोरी करेगा या चार में जाकर अच्छे मोबाइल के लिए बोलेगा इन दोनों परिस्थितिया छात्र व उनके चर्वालो के लिए सही नहीं है
०७)क्लास में मोबाइल भोने के उपयोग से बच्चों में मेहनत करने की भावना कम हो जायेगा मन लो हमें कुछ अंक को गुणा करना है अगर बचे के पास मोबाइल रहेगा तो calculator से कैलकुलेट करके उत्तर देगा पर अगर मोबाइल नहीं है तो वह खुद से उसका हल निकलेगा जिससे उसके दिमाग का विकास ज्यादा होगा
मुकेश पचौरी says
धन्यवाद
एक अरसे बाद मेरे अन्दर के डिबेटर को जगाने के लिए |यह बहुत शानदार पहल है इसके लिए आप बधाई के पात्र हैं |दरअसल यह वाद विवाद के बहाने संवाद कायम करने का आला अंदाज़ है |आज लाइक्स, ट्रोल तथा फेन फोल्लोविंग के दौर में हम सहमति -असहमति को समझने और दूसरे पक्ष के अलग तर्कों को समझने तो दूर ,सुनने की ज़हमत भी नहीं उठाते |
ऐसे में आप वाकई सिर्फ नाम की नहीं काम की अच्छीखबर दे रहे हैं |