Friends, एक बार फिर हाज़िर हूँ एक नयी डिबेट के साथ, हमारा आज का टॉपिक है-
डॉक्टरों को हड़ताल पर जाने की अनुमति नहीं होनी चाहिए!
आज कल अक्सर समाचार देखते वक़्त एक news दिख जाती है— “XYZ State या जिले के Doctors हड़ताल पर चले गए हैं!”
अमूमन हड़ताल पर जाने वाले डॉक्टर्स सरकारी होते हैं पर कई बार इनके सपोर्ट में private nursing homes & hospitals के डॉक्टर्स भी strike कर देते हैं. ज्यादातर मामलों में strike का कारण किसी डॉक्टर के साथ patients द्वारा किया गया दुर्व्यवहार होता है, और कई बार अन्य कारणों से डॉक्टर्स अपनी किसी डिमांड को लेकर भी स्ट्राइक पर चले जाते हैं.
आप इस विषय में क्या सोचते हैं?
यदि आपका सोचना है कि -“डॉक्टरों को हड़ताल पर जाने की अनुमति नहीं होनी चाहिए!” तो इस विषय के पक्ष यानि FOR में अपने तर्क comment के माध्यम से रखिये.
यदि आप इस बात से सहमत नहीं हैं कि -“डॉक्टरों को हड़ताल पर जाने की अनुमति नहीं होनी चाहिए!” तो इस debate topic के विपक्ष यानि AGAINST में अपने तर्क रखिये.
Please note:
- कोई व्यक्ति “For” और “Against” दोनों में तर्क नहीं दे सकता. आप पहले तय कर लीजिये कि आप पक्ष में हैं या विपक्ष में और उसी के मुताबिक अपना कमेंट डालिए.
- आप किसी के कमेन्ट को रिप्लाई करके उसे सपोर्ट या काउंटर भी कर सकते हैं.
💡 कमेन्ट डालने के लिए इस पोस्ट के अंत में जाएं. कमेन्ट करते ही वे आपको साईट पर दिखाई नहीं देंगे. अप्प्रूव होने के बाद ही वे नज़र आयेंगे.
एक पेज पर अधिक से अधिक 10 latest comments ही दिखते हैं, पुराने कमेंट्स देखने के लिए केम्न्ट्स के अंत में दिए “Older Comments” लिंक पर क्लिक कीजिये.
A request: कृपया अपनी बातें numbering करके रखें. ऐसा करने से मुझे debate summarize करने में आसानी रहेगी.
कब तक चलेगी डिबेट ?
यह डिबेट Sunday (11/06/17) तक ओपन रहेगी*. यानि 11 जून तक डाले गए कमेंट्स के हिसाब से ही-
- मैं यहाँ पर “For” और “Against” में दिए points को summarize करूँगा.
- Review Committee फैसला करेगी कि “For” वाले जीते या “Against” वाले.
*रिजल्ट आने तक
और इस दौरान किये गए कमेंट्स में से जिसका कमेंट सबसे प्रभावशाली होगी वही बनेगा- “The Most Effective Debater”
इस डिबेट का रिजल्ट कब पता चलेगा ?
Winner Group और “The Most Effective Debater” का नाम 11 June को ही इसी पोस्ट में अपडेट कर दिया जाएगा.
So, the DEBATE is now open ….comment करना स्टार्ट करिए और दुनिया को अपनी डिबेटिंग स्किल्स दिखाइए.
All the best!
यदि आप एक डॉक्टर हैं या Health Industry से जुड़े हैं तो इस डिबेट में अपना पक्ष ज़रूर रखें!
RESULT OF THE DEBATE Updated- 11th June 2017
इस debate में हिस्सा लेने वाले सभी participants का धन्यवाद. कुछ विचारों को पढ़कर तो सचमुच बहुत अच्छा लगा. Personally मुझे इन डिबेट्स से बहुत फायदा हो रहा है….मेरा अपना vision, सोचने की क्षमता और out of the box solutions खोजने की स्किल्स better हो रही हैं.
तो आइये सबसे पहले मैं “FOR” और “AGAINST” में आये points को यहाँ summarize कर देता हूँ:
For- डॉक्टरों को हड़ताल पर जाने की अनुमति नहीं होनी चाहिए!
- ऐसा करने से कई बेगुनाहों की मौत हो जाती है, किसी और के गलती की सजा निर्दोष लोगों को क्यों दी जाए?
- भारत इतना बड़ा देश है उस हिसाब से देखा जाए…डॉक्टर्स के साथ जो misbehave होता है वो बहुत कम है….इसलिए छुटपुट घटनाओं के कारण इतना बड़ा कदम उठाना गलत है.
- भारत में पहले ही डॉक्टरों की बड़ी कमी है…2000 लोगों पर मात्र 1 doctor होता है…ऐसे में ये भी स्ट्राइक पे जाने लगे तो जनता का क्या होगा?
- यदि उन्हें अपनी कोई बात बतानी है या अपनी मांग रखनी है तो वे इसके लिए कोई और तरीका अपना सकते है जैसे हाथ पर काली पट्टी बांध कर काम करना.
- लोगो के लिए डॉक्टर भगवान् के समान है और वे विश्वास लेकर आते है उनके भरोसे को नहीं तोडना चाहिए.
- Human service is topmost as they take oath while receiving medical degrees.
- सरकार ढंग से काम नही करती यही बोलकर हर व्यक्ति अपनी जिम्मेदारी अपने राष्ट्र के प्रति कर्तव्यों से मुंह फेर लेता है । यदि डॉक्टर्स ढंग से काम नही कर रहे हे? यदि डॉक्टर्स टाइम पर हॉस्पिटल पर नही पँहुच रहे हे तो वहा दरवाजे के बाहर क्या चिकित्सा मंत्री को बिठाओगे। अब क्या सरकार ये करेगी । नही दोस्तों उस वक्त हमारी जिम्मेदारी बनती हे की हम उस लेट लतीफ को याद दिलाये की वो सरकारी कर्मचारी हे जिसे सरकार ने जन सेवा के लिए चुना है।
- कुछ लोग कह रहे हे की टेक्सी ड्राईवर, शिक्षक, रेलवे इत्यादि हड़ताल करते हे तो डॉक्टर्स क्यों नही??
- चलिए डॉक्टर्स को भी हड़ताल करने दीजिये क्या हड़ताल से डॉक्टर्स के अच्छे दिन आ जाएंगे??? भाई साहब अगर हड़ताल करने से अच्छे दिन आते तो हर पांच साल की पञ्च वर्षीय योजना में हड़ताल का पंचांग तैयार कीजिये और उसके लिये बजट भी।। हड़ताल राष्ट्र के विकास में बाधा हे इसे प्रत्येक क्षेत्र में प्रतिबंधित कर देना चाहिए विशेष कर आपातकालीन क्षेत्र जेसे चिकित्सा क्षेत्र में.
- क्या डॉक्टर का दायित्व नहीं कि वो पहले मरीज की जान बचाये? कहा जाता है कि “मारने वाले से बचाने वाला बड़ा होता है” और हम सभी जानते हैं कि डॉक्टरों को तो दूसरा भगवान अर्थात् ईश्वर का दर्जा प्राप्त है, फिर आजकल के डॉक्टरों में सहानुभूति,उदारता आदि गुणों का अभाव क्यों?
- ऐसा कहा गया है कि “मरीज को औषधि से अधिक प्रेम एवं सहानुभूति के बल पर अधिक शीघ्र ठीक किया जा सकता है” इसलिए मेरे विचार से डॉक्टरों को “पैसे से नहीं पेशे से प्यार करना” चाहिए| न केवल डॉक्टर प्रत्येक कार्यरत व्यक्ति(शिक्षक,इंजीनियर आदि) को ‘कर्म ही पूजा है’ के सिद्धान्त को अपनाकर अपने क्षेत्र में त्याग एवं समर्पण की भावना सहित कार्य करना चाहिए|
- कभी कुछ क्षणों की देर हो जाने पर मरीज की जान चली जाती है तो फिर डॉक्टर एक दिन, दो दिन, तीन दिन……. हड़ताल पर चले जायें तब कितने मरीजों की जान जा सकती है?
- डॉक्टर्स का पेशा इंसान की जान से जुड़ा होने के कारण ही इसे नोबल प्रोफेशन की संज्ञा दी जाती है | डॉक्टर्स के मन में संवेदनाओं का होना ज्यादा जरूरी है क्योंकि वह इंसानों की सेवा में रत है | हर जान कीमती है |जिसका काम लोगों को जीवन देना है लेना नहीं.
- कई बार देखा गया है की दवा से ज्यादा डॉक्टर्स के सहानुभूति पूर्ण शब्द ही बीमार में जीवन शक्ति का संचार कर देते हैं | क्योंकि मनुष्य केवल शरीर ही नहीं मन भी है | अगर मन में डॉक्टर्स के प्रति विश्वास उठ जाए की न जाने कब वो हमें अधर में लटका देंगे तो डॉक्टर्स को दिखा कर ठीक होने के आम प्रतिशत पर भी असर पड़ेगा |
- अगर डॉक्टर्स की मांगें जायज भी हैं तो उन परिवारों का दर्द पूंछियें जिन्होंने अपना प्रियजन इस हड़ताल की वजह से खोया है | ये हड़ताल उनकी जिंदगी में कभी न भरने वाला घाव दे गयी है |
- डॉक्टर्स की हड़ताल के दौरान बीमार हुए व्यक्ति अगर बच भी गए तो उन्होंने व् उनके तीमारदारों ने भयंकर अफरातफरी का ,अनिश्चितता और भय के मंजर को झेला है | उनके किस्से मात्र किसी की आँखों में आँसूं भर देते हैं |उस दर्द का खामियाजा कौन भरेगा ?
- डॉक्टर्स की हड़ताल एक तरह से आतंकवाद ही लगती है | जहाँ डॉक्टर्स अपने सामने मरीजों की जान जाते हुए देखता है फिर भी उसका उपचार नहीं करता | ये उसके द्वारा डिग्री लेते समय ली गयी शपथ के भी खिलाफ है | अधिकतर हॉस्पिटल में ये स्लोगन लगा रहता है ,” ईश्वर ने हमें आपकी सेवा का माध्यम बनाया है | “ अगर ये मात्र वाक्य है तो कोई बात नहीं | परन्तु अगर डॉक्टर्स वास्तव में ऐसा मानते हैं तो यह उन्हें ईश्वर द्वारा प्रदत्त उपचारक शक्ति का उपहास ही है.
- ये सच है की डॉक्टर्स की कुछ जायज मांगें भी होती हैं | जिन्हें सामने लाना भी जरूरी है | पर इसके लिए उन्हें हड़ताल के स्थान पर किसी और तरीके से विरोध प्रदर्शन करना चाहिए | मसलन काली पट्टी बाँध कर काम करके | या मरीजों , आम लोगों द्वारा अपनी बात सरकार के समक्ष रखवा कर के |
- वैसे सरकार को डॉक्टर की हर तकलीफ़ का ध्यान रखना चाहिए अगर फिर भी कोई समस्या है हो डॉक्टर अपने वर्किंग आर कुछ कम कर 2-3 आर के लिए किसी सरकारी दफ़्तर जैसे जिलाधिकारी दफ़्तर के बाहर नारेबाज़ी कर अपना विरोध प्रदर्शन कर सकते हैं पर डॉक्टर को strike करने का अधिकार नहीं दिया जा सकता.
- लोग कहते हैं कि डॉक्टर भी तो इंसान हैं उनकी भी तो शिकायतें और अधिकार हैं पर ये क्यों नहीं समझते कि डॉक्टर आम इंसान नहीं है इन्हें भगवान का दर्जा दिया गया है आप लोगों को जीवन देते हैं आप खुद अपने महत्व को जानते हैं आपका स्ट्राइक करना एसे ही है जैसे भगवान विष्णु संसार का पालन करने से मना कर दें क्या ये संभव है?
- ग़लत को सही करने के लिए सही तरीका अपनाया जाता है अगर ग़लत को सही करने क लिए आप भी ग़लत करेंगे तो आप भी गुनहगार हैं और आप मैं ओर उनमें कोई फरक नहीं है.
- और अगर आप स्ट्राइक को सही मानते हैं तो हर डॉक्टर अपने घर से एक सदस्य को स्ट्राइक पर बैठा दे इससे आपका विरोध भी होगा और काम भी नहीं रुकेगा पर डॉक्टर को स्ट्राइक कि अनुमती नहीं होनी चाहिए.
- आज इस डिबेट से मुद्दा उठा तो बस ये डिबेट तक ही सीमित नहीं रहना चाहिए अगर डॉक्टर का स्ट्राइक पर जाना ग़लत है तो उसी तरह अगर हमारे सामने डॉक्टर के साथ कुछ ग़लत हो तो उसके विरोध में पब्लिक को डॉक्टर का सपोर्ट करना चाहिए और जिस स्तर पर बदलाव ला सकता है उस स्तर पर बदलाव लाना चाहिए.
- ये सही है कि कुछ मरीज डॉक्टर्स पर हाथ उठा कर क़ानून तोड़ते हैं और ऐसे मरीजों को ऐसी हरकत से रोकना ना सिर्फ सरकार और हॉस्पिटल एडमिनिस्ट्रेशन का काम है बल्कि आम नागरिकों को भी इसमें सहयोग करना चाहिए. पर यहाँ पर ये बात भी समझना ज़रूरी है कि ऐसे incidents कई बार ऐसा डॉक्टर्स की लापरवाही की वजह से होते हैं. इसलिए अपने एक गलत साथी के ब्लाइंड सपोर्ट में आने की जगह फैक्ट्स को समझ कर कोई भी कदम उठाना चाहिए.
- डॉक्टर्स अपनी परिस्थितयों का हवाला देकर स्ट्राइक पे जाना जायज ठहराते हैं…लेकिन अगर कुछ ऐसे ही तर्क देकर सेना के जवान भी कहें कि हम भी स्ट्राइक पे जा रहे हैं तो क्या होगा? अगर आग लगी हो और फायर ब्रिगेड वाले कहें कि भाई हम तो स्ट्राइक पे हैं तो क्या होगा? सोचिये! कुछ चीजें ऐसी हैं जहाँ स्ट्राइक नहीं होनी चाहियें, और उन्ही में डॉक्टरों की हड़ताल भी शामिल है.
Against-डॉक्टरों को हड़ताल पर जाने की अनुमति होनी चाहिए!
- पानी जब सर से गुज़र जाए तब क्या होता है? बर्दाश्त हद पार कर जाएं तब क्या होता है? वे जो भगवन का रूप हैं – अंतत: इंसान हैं – उनके जीवन पर कोई आंच आए तब देखने वाला कौन है? गाढ़े पसीने की कमाई पर हाथ डालने वाले बहुत हैं – मारपीट तोड़फोड़ – यह सब क्यों? डॉक्टर हड़ताल पर न जाएं – इसके लिए माहौल हम बनाएं !
- First of all its important to understand why doctors (mostly govt) go on strike.Public healthcare continues to be in dire state in our country with serious lack of basic facilities and poor hygiene level in govt hospitals coupled with endless no of patients per doctor.
- There are endless issues in the public healthcare system and resident doctors bear the brunt bravely and silently most of the time. A strike is only a last resort for medical professionals, and when resorted to, that simply speaks volumes about how hopeless the situation has become.
- There is nothing wrong with doctors going on strike for reasons of better protection and dignity during work, more so because ultimately the benefits trickle down to the only all-important entity of any health system: the patient. Satisfied doctors and better facilities also lead to better patient services.
- Now, let me take on some of the myths one by one: Myth 1- Patient die due to strikes ( कृपया डिटेल्स कमेन्ट सेक्शन में जाकर पढ़ें) Myth 2- Doctors just want pay raises out of strikes.
- Is desh me hadtal par jaane ki anumati doctoro ko honi chahaiye. kyoki yaha sarkar dhang se koi kam to nahi karti aur yaha k kam padhe-likhe log bhi aisi harkate karte h jinse doctors ko pareshani hoti h.Agr kisi bhi kshetr me kisi k sath koi anischitata ho rahi h to hadtal krni chahiye tab hi ye bahri sarkar sunti h.apne adhikaro aur achhi jindagi k lie ye sab jaruri hota h nahi to aisa hi chlta rahega.
- Ek doctor intern ko salary Maharashtra me 6000 to 8000 milti Hai uske Bradley use lagatar 24 se 32 hours k duty laga dete Hai Aur ek intern ko utna experience aur knowledge bhi nahi rahta k woh sab logo ko thik kar sake Phir bhi wo apne pure efforts Lagata Hai phir bhi use Mar padti Hai toh woh kya Karen sarkar aur Court kahta Hai k doctor ko duty pe mar padti Hai toh pade lekin use apni duty Karni h padegi.
- Doctor’s ka koi sunane wala nahi senior doctor na hone k wajah se Sara Kam ka boz intern ya resident doctor par padta hai.
- Aur Doctors Kam Hai isliye wo kisi ko votebank nahi Hai isliye sarkar bhi kuch nahi karti
- India GDP ka 3% se bhi Kam swathya seva par khrch karti Hai jo bahut Kam Hai agar 6-8% GDP medical sector pe Karen toh aisi problem h nahi hongi.
- सबसे पहले Dr. भारत के नागरिक है। उन्हें संवैधानिक हक़ है की वह अपने बात सरकार के सामने रखे । Dr. को प्रत्येक हॉस्पिटल में सुरक्षा नहीं दी जा सकती है और हड़ताल कर सरकार पर दबाव बनाकर कोई कानून पारित करवा सकते है की कोई Dr से दुर्व्यवहार करे तो उसे सजा मिले।
- डॉक्टर्स को उनकी प्रतिकूल परिस्थिति में हड़ताल पर जाने की अनुमति होनी चाहिए!! यह बड़ा क्रूर लगता हो परन्तु यह बात भी सत्य है कि डॉ भी मनुष्य है! उनकी भी ज़िंदगी में परेशानिया होती हैं,वे भी अपने बच्चों और परिवार के लिए एक पिता और एक संरक्षक हैं!!यदि वे स्वम् दुखी हैँ तो मरीज़ों का इलाज़ अच्छे से कैसे कर पाएंगे।
- प्रतिकूल परिस्थितियों में अनुकूल कार्य बहुत कठिन हो जाता है,अतः डॉ चाहकर भी यदि अपनी बातें ऊपर नही पहुँचा पा रहा है तो उसके पास अन्य कोई मार्ग नही बचता!!वह विवश हो जाता है तभी इस क्रूर कदम को उठाता है।
- सरकार को डॉ की उपयोगिता के अनुसार ही उनकी परेशानियों और सुझावों का भी विशेष ध्यान रखना चाहिए जिससे वे इस कदम को उठाने के लिए विवश न हों!
- सभी प्राणियों को अपनी जिंदगी प्यारी होती है,अपना परिवार प्यारा होता है!ठीक उसी प्रकार यदि डॉ की ज़िन्दगी भी प्रतिकूल दिशा में जा रही है तो उन्हें पूर्णतः हक़ होना चाहिए की वे किसी भी तरह अपनी बात की और ध्यान खीचने का प्रयत्न करें. यदि डॉ विपरीत परिस्थितियों में भी रात दिन कार्य करते रहते है तो शायद सरकार को उनकी परेशानियों की गंभीरता का अहसास नहीं होता!! अतः उन्हें अपनी बात रखने की स्वतंत्रता का अधिकार होना चाहिए।
- यह बात पूरी तरह से सच है की इस कशमकश में मरीज़ की हालत बहुत गंभीर हो जाती है,परन्तु डॉ भी तो अपनी गंभीर समस्यो के लिए ही इस मार्ग पर जाने को विवश हुआ है!! अपनी बात को रखने के लिए डॉ को हड़ताल पर जाने की अनुमति होनी चाहिए क्योंकि यदि वह खुद ही ज़िंदा नही रहेगा तो दूसरों को कैसे बचायेगा!!!
- कुछ लोग कमेन्ट कर रहे हैं कि डॉक्टर भगवान् के सामान होते हैं…उन्हें स्ट्राइक पे नहीं जाना चाहिए…पर जब इसी भगवान् को कुछ शैतान जूते-चप्पल से मारते हैं तो ये लोग उफ़ तक नहीं करते….अगर भगवान् समान मानते हो तो तुम्हे खुद डॉक्टर्स के लिए खड़े हो जाना चाहिए… फिर उन्हें स्ट्राइक पे जाने की ज़रुरत ही नहीं पड़ेगी!
RESULT
हमारी रिव्यु कमिटी ने पक्ष और विपक्ष में रखे गए तर्क के अनुसार निर्णय लिया है कि –
विजेता वो ग्रुप है जिसने पक्ष यानि FOR में अपने तर्क रखे.
यानि कमिटी का मानना है कि “ डॉक्टरों को हड़ताल पर जाने की अनुमति नहीं होनी चाहिए!” के पक्ष में अपना तर्क रखने वाल लोग WINNER हैं.
और
THE MOST EFFECTIVE DEBATER
का खिताब जाता है—-
वंदना बाजपेयी
को. Vandana Ji ( [email protected]) आपको बहुत-बहुत बधाई!
Thank You everybody for your participation. हम जल्द ही एक नयी डिबेट के साथ हाज़िर होंगे! धन्यवाद.
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- Debate 1: “स्कूल में स्टूडेंट्स को स्मार्ट फ़ोन के इस्तेमाल की अनुमति होनी चाहिए!
- Debate 2: कैपिटल पनिशमेंट यानि फाँसी की सजा पर रोक लगनी चाहिए!
बसंत झा says
डॉक्टर्स को उनकी प्रतिकूल परिस्थिति में हड़ताल पर जाने की अनुमति होनी चाहिए!!
यह बड़ा क्रूर लगता हो परन्तु,यह बात भी सत्य है की डॉ भी मनुष्य है!उनकी भी ज़िंदगी में परेशानिया होती हैं,वे भी अपने बच्चों और परिवार के लिए एक पिता और एक संरक्षक हैं!!यदि वे स्वम् दुखी हैँ तो मरीज़ों का इलाज़ अच्छे से कैसे कर पाएंगे।प्रतिकूल परिस्थितियों में अनुकूल कार्य बहुत कठिन हो जाता है,अतः डॉ चाहकर भी यदि अपनी बातें ऊपर नही पहुँचा पा रहा है तो उसके पास अन्य कोई मार्ग नही बचता!!वह विवश हो जाता है तभी इस क्रूर कदम को उठाता है।।
सरकार को डॉ की उपयोगिता के अनुसार ही उनकी परेशानियों और सुझावों का भी विशेष ध्यान रखना चाहिए जिससे वे इस कदम को उठाने के लिए विवश न हों!
सभी प्राणियों को अपनी जिंदगी प्यारी होती है,अपना परिवार प्यारा होता है!ठीक उसी प्रकार यदि डॉ की ज़िन्दगी भी प्रतिकूल दिशा में जा रही है तो उन्हें पूर्णतः हक़ होना चाहिए की वे किसी भी तरह अपनी बात की और ध्यान खीचने का प्रयत्न करें,शायद यदि डॉ विपरीत परिस्थितियों में भी रात दिन कार्य करते रहते है तो शायद सरकार को उनकी परेशानियों की गंभीरता का अहसास नहीं होता!!अतः उन्हें अपनी बात रखने की स्वतंत्रता का अधिकार होना चाहिए।।यह बात पूरी तरह से सच है की इस कशमकश में मरीज़ की हालत बहुत गंभीर हो जाती है,परन्तु डॉ भी तो अपनी गंभीर समस्यो के लिए ही इस मार्ग पर जाने को विवश हुआ है!!
अपनी बात को रखने के लिए डॉ को हड़ताल पर जाने की अनुमति होनी चाहिए क्योंकि यदि वह खुद ही ज़िंदा नही रहेगा तो दूसरों को कैसे बचायेगा!!!
Abhay Dixit says
पक्ष:-
1.हमारे ऋषि मुनियों ने स्वास्थ्य को धन, पतिव्रता पत्नी तथा आग्यकारी पुत्र से भी उँचा स्थान दिया है
“पहला सुख निरोगी काया”
अगर किसी और प्रोफेशन की बात करें तो उनके स्ट्राइक करने का ओरों पर अधिक प्रभाव नहीं होता पर डॉक्टरी एक एसा प्रोफेशन है जो हमारी लाइफ से जुड़ा है डॉक्टर को भगवान का स्थान दिया जाता है इसलिए उन्हे स्ट्राइक का अधिकार नहीं मिलना चाहिए
2. वैसे सरकार को डॉक्टर की हर तकलीफ़ का ध्यान रखना चाहिए अगर फिर भी कोई समस्या है हो डॉक्टर अपने वर्किंग आर कुछ कम कर 2-3 आर के लिए किसी सरकारी दफ़्तर जैसे जिलाधिकारी दफ़्तर के बाहर नारेबाज़ी कर अपना विरोध प्रदर्शन कर सकते हैं पर डॉक्टर को strike करने का अधिकार नहीं दिया जा सकता.
3. लोग कहते हैं कि डॉक्टर भी तो इंसान हैं उनकी भी तो शिकायतें और अधिकार हैं पर ये क्यों नहीं समझते कि डॉक्टर आम इंसान नहीं है इन्हें भगवान का दर्जा दिया गया है आप लोगों को जीवन देते हैं आप खुद अपने महत्व को जानते हैं आपका स्ट्राइक करना एसे ही है जैसे भगवान विष्णु संसार का पालन करने से मना कर दें क्या ये संभव है?
4. ग़लत को सही करने के लए सही तरीका अपनाया जाता है अगर ग़लत को सही करने क लए आप भी ग़लत करेंगे तो आप भी गुनेहगार हैं और आप मैं ओर उनमें कोई फरक नहीं है
5. और अगर आप स्ट्राइक को सही मानते हैं तो हर डॉक्टर अपने घर से एक सदस्य को स्ट्राइक पर बैठा दे इससे आपका विरोध भी होगा और काम भी नहीं रुकेगा पर डॉक्टर को स्ट्राइक कि अनुमती नहीं होनी चाहिए
आज इस डिबेट से मुद्दा उठा तो बस ये डिबेट तक ही सीमित नहीं रहना चाहिए अगर डॉक्टर का स्ट्राइक पर जाना ग़लत है तो उसी तरह अगर हमारे सामने डॉक्टर के साथ कुछ ग़लत हो तो उसके विरोध में पब्लिक को डॉक्टर का सपोर्ट करना चाहिए और जिस स्तर पर बदलाव ला सकता है उस स्तर पर बदलाव लाना चाहिए
vandana bajpai says
मेरे विचार से डॉक्टर्स को हड़ताल जाने का अधिकार नहीं होना चाहिए | डॉक्टर्स का पेशा इंसान की जान से जुड़ा होने के कारण ही इसे नोबल प्रोफेशन की संज्ञा दी जाती है | डॉक्टर्स के मन में संवेदनाओं का होना ज्यादा जरूरी है क्योंकि वह इंसानों की सेवा में रत है | हर जान कीमती है |जिसका काम लोगों को जीवन देना है लेना नहीं | कई बार देखा गया है की दवा से ज्यादा डॉक्टर्स के सहानुभूति पूर्ण शब्द ही बीमार में जीवन शक्ति का संचार कर देते हैं | क्योंकि मनुष्य केवल शरीर ही नहीं मन भी है | अगर मन में डॉक्टर्स के प्रति विश्वास उठ जाए की न जाने कब वो हमें अधर में लटका देंगे तो डॉक्टर्स को दिखा कर ठीक होने के आम प्रतिशत पर भी असर पड़ेगा | अगर डॉक्टर्स की मांगें जायज भी हैं तो उन परिवारों का दर्द पूंछियें जिन्होंने अपना प्रियजन इस हड़ताल की वजह से खोया है | ये हड़ताल उनकी जिंदगी में कभी न भरने वाला घाव दे गयी है | डॉक्टर्स की हड़ताल के दौरान बीमार हुए व्यक्ति अगर बच भी गए तो उन्होंने व् उनके तीमारदारों ने भयंकर अफरातफरी का ,अनिश्चितता और भय के मंजर को झेला है | उनके किस्से मात्र किसी की आँखों में आँसूं भर देते हैं |उस दर्द का खामियाजा कौन भरेगा ? डॉक्टर्स की हड़ताल एक तरह से आतंकवाद ही लगती है | जहाँ डॉक्टर्स अपने सामने मरीजों की जान जाते हुए देखता है फिर भी उसका उपचार नहीं करता | ये उसके द्वारा डिग्री लेते समय ली गयी शपथ के भी खिलाफ है | अधिकतर हॉस्पिटल में ये स्लोगन लगा रहता है ,” ईश्वर ने हमें आपकी सेवा का माध्यम बनाया है | “ अगर ये मात्र वाक्य है तो कोई बात नहीं | परन्तु अगर डॉक्टर्स वास्तव में ऐसा मानते हैं तो यह उन्हें ईश्वर द्वारा प्रदत्त उपचारक शक्ति का उपहास ही है ये सच है की डॉक्टर्स की कुछ जायज मांगें भी होती हैं | जिन्हें सामने लाना भी जरूरी है | पर इसके लिए उन्हें हड़ताल के स्थान पर किसी और तरीके से विरोध प्रदर्शन करना चाहिए | मसलन काली पट्टी बाँध कर काम करके | या मरीजों , आम लोगों द्वारा अपनी बात सरकार के समक्ष रखवा कर के |
रामरचन यादव says
डाॅकटरों को हड़ताल पर जाने के इजाजत बिलकुल नहीं होनी चाहिये खासकर सरकारी डॉक्टरों को
हड़ताल से ना सरकार कुछ जाता है ना ही डाॅकटरों का
और बीच गरीब जनता मारी जाती है
हमारे देश मे Doctors को भगवान का देते हैं लोग
रही बात पैसे की इसलिए हड़ताल पर चले जाते है तो doctors अन्य तरीके से भी कमा सकते हैं
हम अभी जहाँ पर एक छोटा clinic है और उस clinic 10 doctors बैठते है पर सबका समय अलग अलग है कोई एक घंटा कोई आधा घंटा बैठते है 150से 300तक फीस लेते ।।
पर वह सरकारी थे या प्राइवेट लेकिन कमाने का तरीका अच्छा था
ना की हड़ताल का तरीका
Gautam says
FOR,
1)सबसे पहले Dr. भारत के नागरिक है। उन्हें संवैधानिक हक़ है की वह अपने बात सरकार के सामने रखे ।
2) हमारी सरकार इतनी active नहीं है। की वह हर क्षेत्र की खामियों का आकलन कर सके और उनकी जरूरत को भाप सके और उस कमी को पूरा कर सके।
3) Dr. को प्रत्येक हॉस्पिटल में सुरक्षा नहीं दी जा सकती है और हड़ताल कर सरकार पर दबाव बनाकर कोई कानून पारित करवा सकते है की कोई Dr से दूर ववहार करे तो उसे सजा मोले।
4) सरकारी हॉस्पिटल की हालत से तो हम सब वाक़िब है वहा तो मांगने पर भी नहीं मिलता है।
GUMNAM says
Lagta hai aap DOCTOR hai
BHai kavi apni family ko gov hospital me general ward me admit karke dekhna
रवि कुमार says
आदरणीय
डिबेट -3 में मेरे द्वारा लिखे गए पॉइंट्स ऑनलाइन नही दिखाई दे रहे है ।
क्या सभी पॉइंट्स ख़ारिज कर दिए गए है या फिर किसी और कारण??
कृपया ई-मेल से स्पष्ट कीजिये।।
आपके उत्तर हे तू प्रतीक्षारत हूँ।।
धन्यवाद
Gopal Mishra says
Please check in Older comments.
Amit Kumar Sachin says
मेरा मानना है कि डॉक्टरों को हड़ताल पर जाने की अनुमति नहीं होनी चाहिए क्योंकि
कोई भी डॉक्टर अपनी कुछ मांग को मनवाने के लिए ही हड़ताल पर जाता है वो चाहे उनकी सैलेरी बढ़ने से सम्बंधित हो या उनकी सुविधा बढ़ाने से । इस संबंध में यदि कोई भी डॉक्टर हड़ताल पर जाता है और इस कारण एक भी मरीज की जान चली जाती है तो यह उस डॉक्टर के लिए शर्म की बात है क्योंकि अपनी थोड़ी सी सुख सुविधाओं को बढ़ने के लिए मरीज की जान से खेलने का हक़ उसे कौन सा कानून या धर्मशास्त्र देता है
अगर उसे लगता है कि उसे उसका वाजिब हक़ नहीं मिल रहा है तो उसे कोई और तरीका अपनाना चाहिए न की सीधे कामकाज बंद करके हड़ताल पर चले जाना चाहिए
डॉक्टरी का पेशा सीधे मरीजो की जान से जुड़ा हुआ है , यह अन्य लोगो के मामले में बेहद ही संवेदनशील कार्य है , भगवान के बाद डॉक्टर ही है जो लोगो की जान बचाते है
अगर कोई इंजीनियर , वकील , शिक्षक अपनी मांगों को मानाने के लिए कुछ दिन हड़ताल पर चला जाता है तो उससे केवल समाज को थोड़ी सी क्षति होती है किसी की जान नहीं जाती है, लेकिन डॉक्टर का पेशा ही ऐसा है कि यदि एक दिन के लिए भी डॉक्टर्स हड़ताल पर चले जाये तो कई लोगो की जान चली जा सकती है
Nandkishor says
Ek doctor intern ko salary maharashtra me 6000 to 8000 milti Hai uske Bradley use lagatar 24 se 32 hours k duty laga dete Hai
Aur ek intern ko utna experience aur knowledge bhi nahi rahta k woh sab logo ko thik kar sake
Phir bhi wo apne pure efforts Lagata Hai phir bhi use Mar padti Hai toh woh kya Karen sarkar aur Court kahta Hai k doctor ko duty pe mar padti Hai toh pade lekin use apni duty Karni h padegi
Doctor’s ka koi sunane wala nahi senior doctor na hone k wajah se Sara Kam ka boz intern ya resident doctor par padta Hai
Aur Doctors Kam Hai isliye wo kisi ko votebank nahi Hai isliye sarkar bhi kuch nahi karti
India gdp ka 1% se bhi Kam swathya seva par khrch karti Hai jo bahut Kam Hai lekin neta logo ke liye gdp ka 1 se 2 % khrch hota Hai agar 4% gdp medical sector pe Karen toh aisi problem h nahi hongi
manoj yadav says
सरकार को ये पहले सुनिश्चित करनी चाइये कि डॉक्टर को कोई समस्या न आये।
और डॉक्टरों को हड़ताल के माध्यम से किसी भी मुद्दे को सुलझाने के बजाये कोई दूसरा असरदार तरीका सोचना चाहिए, जिससे किसी भी मरीज़ को कोई भी समस्या न आने पाए और डॉक्टर को होने वाले समस्या का समाधान भी समय रहते हो जाये।
भगवन के बाद कोई दूसरा अगर है तो वो डॉक्टर ही हैं जो किसी को नयी ज़िन्दगी दे सकते हैं.
pinky rajput says
पक्ष
“डॉक्टरों को हड़ताल पर जाने की अनुमति नहीं होनी चाहिए”
कारण-
1- प्राय: ऐसा सुनने या देखने में आता है कि छोटी-छोटी बातों पर ही डॉक्टर हड़ताल करने पर आमादा हो जाते हैं, जिससे मरीजों को बेहद मुश्किलों का सामना करना पड़ता है|
2- यदि डॉक्टर एक दिन भी हड़ताल पर चले जायें तो भी अधिक संख्या में मरीजों की जान जान जा सकती है अथवा जाती है|
3- हस्पतालों का बुरा हाल है जितनी यहाँ सुविधा एवं व्यवस्था होती है उससे अधिक मात्रा में मरीज|
4- वर्तमान समय में प्रत्येक व्यक्ति किसी न किसी प्रकार के रोग से पीड़ित है,जिससे हस्पतालों में भीड़ का माहौल बना रहता है, ऐसी स्थिति में यदि डॉक्टर हड़ताल पर चले जायेंगे तो इलाज कौन करेगा?
4- क्या डॉक्टर का दायित्व नहीं कि वो पहले मरीज की जान बचाये? कहा जाता है कि “मारने वाले से बचाने वाला बड़ा होता है” और हम सभी जानते हैं कि डॉक्टरों को तो दूसरा भगवान अर्थात् ईश्वर का दर्जा प्राप्त है, फिर आजकल के डॉक्टरों में सहानुभूति,उदारता आदि गुणों का अभाव क्यों?
ऐसा कहा गया है कि “मरीज को औषधि से अधिक प्रेम एवं सहानुभूति के बल पर अधिक शीघ्र ठीक किया जा सकता है” इसलिए मेरे विचार से डॉक्टरों को “पैसे से नहीं पेशे से प्यार करना” चाहिए| न केवल डॉक्टर प्रत्येक कार्यरत व्यक्ति(शिक्षक,इंजीनियर आदि) को ‘कर्म ही पूजा है’ के सिद्धान्त को अपनाकर अपने क्षेत्र में त्याग एवं समर्पण की भावना सहित कार्य करना चाहिए|
5- कभी कुछ क्षणों की देर हो जाने पर मरीज की जान चली जाती है तो फिर डॉक्टर एक दिन, दो दिन, तीन दिन……. हड़ताल पर चले जायें तब कितने मरीजों की जान जा सकती है?
6- डॉक्टरों को हड़ताल करने की अनुमति देने का मतलब मरीजों की ज़िन्दगी से खिलवाड़ करना है इसलिए यह अनुमति कतई नहीं दी जानी चाहिए|