Chhath Puja in Hindi
छठ पूजा विधि इतिहास व रोचक तथ्य
छठ पूजा मुख्यतः पूर्वी भारत में मनाया जाने वाला प्रसिद्द पर्व है। बिहार में प्रचलित यह व्रत अब पूरे भारत सहित नेपाल में भी मनाया जाने लगा है। इस पर्व को स्त्री व पुरुष समान रूप से मनाते हैं और छठ मैया से पारिवारिक सुख-समृद्धी तथा मनोवांछित फल प्राप्ति के लिए प्रार्थना करते हैं। कई लोग अपनी मन्नत पूरी होने पर भी यह व्रत उठाते हैं और आजीवन या जब तक संभव हो सके यह व्रत करते हैं।
छठ पर्व दीपावली के छठे दिन मनाया जाता है। छठ पूजा में निर्जला व्रत रहकर उगते और डूबते सूर्य की उपासना की जाती है। यह पर्व चार दिवस का होता है और इस दौरान साफ़-सफाई को विशेष महत्त्व दिया जाता है। कई जगहों पर छठ पूजा पर्व वर्ष में दो बार मनाया जाता है। पहले चैत्र ( March-April) माह में और उसके बाद कार्तिक (October – November) माह में, हालांकि कार्तिक माह में इस व्रत को करने का प्रचलन अधिक है।
- पढ़ें: प्रकाशपर्व दीपावली
छठ पूजा नामकरण इतिहास और अवधि
कार्तिक शुक्ल पक्ष की षष्ठी के दिन इस व्रत को मनाये जाने के कारण इसका नाम ‘छठ’ पड़ा। यह चार दिवसीय व्रत कार्तिक शुक्ल चतुर्थी के दिन शुरू होता है और कार्तिक शुक्ल सप्तमी के दिन इसका समापन होता है।
छठ पूजा के चार दिन का वृतांत
1. चतुर्थी – नहाय खाय: इस दिवस पर पूरे घर की सफाई कर के उसे पवित्र बनाया जाता है। उसके बाद छठ व्रत स्नान करना होता है। फिर स्वच्छ वस्त्र धारण कर के शुद्ध शाकाहारी भोजन ग्रहण कर व्रत का शुभआरंभ करना होता है।
2. पंचमी – लोखंडा और खरना: इस दिवस पर पूरा दिन निर्जल उपवास करना होता है। और शाम को पूजा के बाद भोजन ग्रहण करना होता है। इस अनुष्ठान को खरना भी कहा जाता है। खरना का प्रसाद लेने के लिए आस-पड़ोस के लोगों को भी बुलाया जाता है। प्रसाद में घी चुपड़ी रोटी, चावल की खीर बना सकते हैं।
3. षष्ठी – संध्या अर्ध्य: इस दिवस पर छठ का प्रसाद बनाया जाता है। प्रसाद में चावल के लड्डू, फल, और चावल रूपी साँचा प्रसाद में शामिल होता है। शाम के समय एक बाँस की टोकरी या सूप में अर्ध्य सामग्री सजा कर व्रती, स परिवार अस्ताचलगामी सूर्य को अर्ध्य अर्पण करने घाट की और प्रयाण करता है, किसी तालाब या नदी किनारे व्रती अर्ध्य दान विधि सम्पन्न करता है। इस दिवस पर रात्रि में नदी किनारे मेले जैसा मनोरम दृश्य सर्जित होता है।
4. सप्तमी – परना दिन, उषा अर्ध्य: व्रत के अंतिम दिवस पर उदयमान सूर्य को अर्ध्य दिया जाता है। जिस जगह पर पूर्व रात्री पर अस्ताचलगामी सूर्य को अर्ध्य दिया था, उसी जगह पर व्रती (व्रतधारी) इकट्ठा होते हैं। वहीं प्रसाद वितरण किया जाता है। और सम्पूर्ण विधि स्वच्छता के साथ पूर्ण की जाती है।
छठ पूजा में प्रयोग होने वाली सामग्री
- दौरी या डलिया
- सूप – पीतल या बांस का
- नींबू
- नारियल (पानी सहित)
- पान का पत्ता
- गन्ना पत्तो के साथ
- शहद
- सुपारी
- सिंदूर
- कपूर
- शुद्ध घी
- कुमकुम
- शकरकंद / गंजी
- हल्दी और अदरक का पौधा
- नाशपाती व अन्य उपलब्ध फल
- अक्षत (चावल के टुकड़े)
- खजूर या ठेकुआ
- चन्दन
- मिठाई
- इत्यादि
छठ पूजा के अन्य नाम
- छठी माई की पूजा,
- डाला छठ,
- सूर्य सस्थी,
- डाला पूजा छठ पर्व
छठ पूजा व्रत के महत्वपूर्ण नियम
छठ पूजा से सम्बंधित कई नियम व मान्यताएं हैं, हालांकि, समय के साथ-साथ इन नियमों में बदलाव होते जा रहे हैं। आइये, हम छठ से सम्बंधित प्रमुख नियम जानते हैं:
1. छठ पूजा के चार दिन घर पर मांस आहार, और लहसुन प्याज नहीं खाये जाते हैं।
2. इस व्रत के दौरान व्रतधारी व्यक्ति ज़मीन पर सोते हैं। और बिछौने में चटाई और ओढ़ने में कंबल प्रयोग करते हैं।
3. छठ पूजा में महिलाएं साड़ी और पुरुष धोती पहनते हैं।
4. छठ व्रत स्त्री और पुरुष दोनों कर सकते हैं। व्रतधारी को इन चार दिनों में शारीरिक स्वच्छता का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
5. छठ पूजा के दौरान अथवा यह पर्व आने वाला हों तब किसी करीबी सगे संबंधी का अवसान हो जाये तब उस वर्ष यह व्रत नहीं करना चाहिए।
6. छठ पूजा के पवित्र पर्व पर काम, क्रोध, मोह, और लोभ का त्याग कर के सुगम सात्विक आचरण करना चाहिए।
7. छठ व्रती बिना सिलाई वाले कपड़े पहनते हैं। जब की त्यौहार में शामिल व्यक्ति नए-नए वस्त्र धारण कर सकते हैं।
8. एक बार छठ पूजा व्रत का आरंभ करने के बाद उसे प्रति वर्ष निरंतर करना चाहिए, जब तक की आगे की पीढ़ी की विवाहित महिला व्रत करना आरंभ न कर दे।
छठ पूजा से जुड़े रोचक तथ्य
- रामायण काल में श्री राम जब देवी सीता का स्वयंवर जीत कर अयौध्य लौटे थे तब उनका राज्यअभिषेक हुआ था। इस दिव्यप्रसंग के बाद श्री राम नें सीता सहित विधिवत कार्तिक शुक्ल पक्ष की षष्ठी पर पूजा की थी। उस समय से इस पूजा का बड़ा महत्व है। पढ़ें: भगवान राम से जुड़े 21 बेहद रोचक तथ्य
- महाभारत काल में जब द्यूतक्रीडा में पांडव अपना सर्वस्व हार चुके थे, तब द्रौपदी (पांचाली) नें इस पवित्र व्रत का अनुष्ठान किया था। पढ़ें: महाभारत रामायण से जुड़ी शाप की 6 कहानियाँ
- अंगराज कर्ण सूर्य देव के परम भक्त थे। वह सूर्यदेव के औजस पुत्र भी थे। कर्ण प्रति दिन प्रातः काल घंटों तक पानी में कमर तक खड़े रह कर उनकी पूजा करते थे। इसी कारण सूर्य देव की उन पर विशेष कृपा भी रही थी। इस प्रसंग के बाद छठ पूजा में सूर्य देव को अर्घ्यदान देने की परंपरा शुरू हुई थी। पढ़ें: दानवीर कर्ण की रोचक कहानी
- सूर्यदेव को आरोग्य के देवता भी कहा जाता है। सूर्य की तेजस्वी किरणें कई प्रकार के रोग दोष नष्ट करने में सक्षम होती हैं। छठ पूजा सूर्योंपासना का एक रूप भी है।
- उत्तर वैदिक काल के अंतिम कालखण्ड में सूर्य देव के मानवीय रूप की कल्पना की गयी है, इसी समय के बाद से उनकी मूर्ति पूजा होने लगी। और जगह जगह उनके मंदिर बने।
छठ पूजा की कथा
राजा प्रियवद निःसंतान थे। तब संतान प्राप्ति हेतु महर्षि कश्यप नें यज्ञ करा कर राजा प्रियवद की धर्म पत्नी मालिनी को यज्ञाहुति के लिए तैयार की गयी खीर दी। इस खीर के प्रभाव से उन्हे एक पुत्र उत्पन्न हुआ। परंतु उनका पुत्र मृत पैदा हुआ था। इस दुखद घटना के शोक में लीन प्रियवद अपने मृत पुत्र को गोद में ले कर शमशान गए। और पुत्र वियोग में स्वयं के प्राण त्यागने की चेष्ठा करने लगे।
उस समय ईश्वर की मानस पुत्री देवसेना प्रकट हुईं, उन्होने कहा कि-
श्रृष्टि की मूल प्रवृति के छठे अंश से उत्पन्न होने के कारण मैं षष्ठी देवी कहलाती हूँ।
फिर उन्होने राजा प्रियवद को अपनी पूजा करने और अन्य लोगों को इस के लिए प्रेरित करने को कहा। इसी घटना के बाद प्रियवद नें कार्तिक माह की शुक्ल षष्ठी को पूजा की थी और पुत्र-रत्न प्राप्त किया था।
छठ पूजा विशेष
इस पवित्र व्रत को निरंतर करने से जीवन में सुख-संपत्ति और शांति मिलती है तथा यश, पुण्य और किर्ति का उदय होता है। पाप नष्ट होते हैं, दुर्भाग्य योग समाप्त होता है। निसंतान दंपत्ति को संतान प्राप्ति होती है। प्रत्यक्ष देवता सूर्य की कृपा दृष्टि बनी रहती है।
आप सभी को छठ पूजा की अग्रिम शुभकामनाएं।
➡ छठ पूजा पर और अधिक जानकारी के लिए Wikipedia पर यह लेख पढ़ें
Team AKC
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varun sharma says
छठ पूजा में स्नान करने का शुभ महूरत???
Primary Ka Master says
छठ पूजा के बारे में इतने विस्तार से पहली बार पढने को मिला। हार्दिक आभार आपका!
gyanipandit says
हमारे देश में हर राज्य के अलग अलग त्यौहार हैं उनमेसे बहुत से त्यौहार के बारेमें हर किसी को नहीं पता आपने छठ पूजा की विधि और उसके पीछे का इतिहास की जानकारी बड़े ही विस्तारपूर्वक दी हैं, इस वजह से जिन्हें इसके बारेमें ज्ञान नहीं था उनके ज्ञान में वृद्धि हो गयी.
arvind srivastva says
Very nice story….
हर्षवर्धन श्रीवास्तव says
आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन 1850वीं ब्लॉग बुलेटिन – आर. के. लक्ष्मण में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर …. आभार।।
atoot bandhan says
सूर्योपासना का महापर्व छठ लोक आस्था से तो जुड़ा ही है इसका धार्मिक , सामाजिक व् वैज्ञानिक महत्व भी है | इसी कारण बिहार और उत्तर प्रदेश से निकलकर अब ये पूरे भारत में मनाया जाने लगा है | छठ पर्व के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डालता आपका ये लेख अनुकरणीय है |
कबीर says
रथ पे होके सवार, सूर्य देव आये आपके द्वार।
सुख सम्पति मिले आपको अपार, छठ पर्व की शुभकामनाये मेरा आप करे स्वीकार।
acchitips.com की तरह से गोपाल जी आपको और सभी पाठको को छठ पूजा के पावन पर्व पर हार्दिक शुभकामनाये.. Wishing you a happy Chhath Puja.
Anam says
अच्छी जानकारी साझा करने के लिए थैंक्स.
Mahatab singh says
Chhath parv ke baare mein bahut hi vistar se jankari di.
bahut badhiya bhai.
suraj jha says
jai ho !
bahut achha apne chhath parv k bare mai logo ko bataya.
bahut achha laga…..
Rana maiya aapki sabhi kamana pura karaye…