ओखा हरण की कथा | Okha Haran Story in Hindi | Katha
सुखदेवजी और राजा परीक्षित के संवाद से कथा का प्रारंभ होता है। सुखदेव जी परीक्षित राजा से कहते हैं कि, “हे राजन, बलिराज के पुत्र बाणासुर शंकर भगवान के महान भक्त थे। समस्त सृष्टि में, उनके सामान कोई शिव भक्त न था, ना है और शायद भविष्य में भी कोई ऐसा न होगा।
शिवजी की बाणासुर पर अपार कृपा रही है। इसीलिए उन्हें सहस्त्र (1000) हाथ प्राप्त थे। बाणासुर अपने सहस्त्र हाथों से अलग अलग वादन यंत्र बजाय करते थे।
कठोर तपस्या के उपलक्ष में जब भगवान शिव नें उन्हें वर मांगने को कहा तब, बाणासुर ने कहा, आप मेरे नगर की रक्षा करो। इस पर भोलेनाथ नें उन्हें कहा “तथास्तु“ जब भी युद्ध तुम्हारे द्वार खड़ा होगा, तब मैं सहायता के लिए अवश्य आऊंगा।
बाणासुर का अभिमान
एक समय की बात है जब, बाणासुर को किसी से युद्ध करने की तीव्र इच्छा हुई। लेकिन उस समय उनके सामने लड़ाई के लिए कोई योद्धा तैयार नहीं हो रहा था।
तब बाणासुर भगवान शिव के पास गए, उन्होंने कहा, इस वक्त ब्रह्मांड में मुझसे लड़ सके ऐसा कोई योद्धा नहीं है, इस लिए आप मुझसे युद्ध कीजिये। या फिर किसी ऐसे महारथी को भेजिए जो मुझसे संग्राम करने की चुनौती स्वीकार करे।
बाणासुर की ऐसी विचित्र बात सुन कर महादेव अत्यंत क्रोधित हुए। वह बोले कि, “हे दुष्ट, जब तुम्हारी ध्वजा टूटेगी (युद्ध करने का संकेत ), तब तुम्हे पता चलेगा के, किस प्रचंड योद्धा से तुम्हारा सामना हुआ है।
महादेव के यह शब्द सुन कर बाणासुर हर्षित होते हुए अपने महल पर गए। कब ध्वजा टूटे और कब युद्ध करने का अवसर मिले, वह इस बात की राह देखने लगे।
ओखा और चित्रलेखा का परिचय
बाणासुर की एक पुत्री भी थी जिनका नाम “उषा” था। उसे “ओखा” के नाम से भी पहचाना जाता था। वह एक रात स्वप्न देख रही होती है, स्वप्न में वह अनिरुद्ध को देखती है। जिस से उसका विवाह हो रहा होता है।
सुबह उठने पर वह बहुत चौंक जाती है, चुंकि उसने वास्तव में कभी अनिरुद्ध को देखा भी नहीं होता है। स्वप्न वाली घटना की बात ओखा (उषा) अपनी प्रिय सहेली चित्रलेखा से कहती है।
ओखा की सहेली चित्रलेखा चित्र बनाने में पारंगत होती है, ओखा के वर्णन अनुसार वह एक हूबहू चित्र तैयार कर देती है। और उषा को दिखाती है। ओखा तुरंत उस मनमोहक चित्र को देख कर बोल पड़ती है कि स्वप्न में मेरा जिस से विवाह हो रहा था वह यही युवक है।
अब ओखा की उत्सुकता बढ़ जाती है, वह कहती है कि प्यारी सखी चित्रलेखा तुम किसी भी तरह इस युवक को यहाँ मेरे पास ले आओ। अगर तुम ऐसा न कर पाई तो मैं अपने प्राण त्याग दूंगी।
चित्रलेखा का द्वारिका में आगमन
चित्रलेखा योग विद्या में पारंगत थी, उसने अपनी इस सिद्धि से जान लिया की, अनिरुद्ध भगवान् श्री कृष्ण के पौत्र थे। इसके बाद वह आकाश मार्ग से द्वारिका नगरी की और उड़ चली। ताकि अनिरुद्ध का हरण कर सके।
लेकिन द्वारिका में आ कर अनिरुद्ध का हरण करना इतना भी सहज नहीं था, वहां पर श्रीकृष्ण भगवान् के सुदर्शन चक्र का पहरा था। चित्रलेखा अभी कोई उपाय सोच ही रही थी की वहां नारद जी आ पहुंचे।
चित्रलेखा और नारदजी के बीच कुछ संवाद हुआ, फिर उसके बाद नारद मुनि पहरेदार सुदर्शनचक्र के साथ संवाद करने का प्रयास करने लगे। इसी स्थिति का लाभ उठाते हुए, चित्रलेखा द्वारिका में दाखिल हो गई।
महल के भीतर जा कर उसने अपनी योग विद्या की मदद से अनिरुद्ध को पलंग समेत उठा लिया और सोणितपुर ले आई। जहाँ उसे ओखा के महल में रख दिया।
Okha Haran Story in Hindi
अनिरुद्ध और ओखा का मिलाप
एक दुसरे के बारे में जानने के उपरांत दोनों के मन जुड़ गए, वह एक दूजे को खूब पसंद करने लगे थे, इसलिए ओखा और अनिरुद्ध गुप्त रूप से एक दूसरे की संगत में रहने लगे। कुछ समय बाद ओखा के शरीर में कुछ बदलाव देख कर किसी द्वारपाल को शंका हुई, और उसने यह बात बाणासुर को बता दी।
गुस्से में आगबबूला हुए बाणासुर ने पूरे महल में तलाशी करवाई। इस दरम्यान उन्होंने अनिरुद्ध को वहां पाया और उन्हें पकड़ने के लिए सैनिकों को भेजा।
इस पर अनिरुद्ध नें पास लगे दरवाज़े का एक हिस्सा उठा कर बाणासुर के सैनिकों को लहूलुहान कर दिया। जिसके बाद बाणासुर का गुस्सा सातवें आसमान पर जा पहुंचा, उसने अनिरुद्ध को नागपाश में बाँध लिया।
दूसरी तरफ द्वारिका में अनिरुद्ध को न पा कर सब चिंता में पड़ गए। तभी नारदजी ने वहां पहुंच कर अनिरुद्ध के बारे में सूचना दे दी। इसके बाद यदुवंशी सेना समेत बलराम और श्री कृष्ण सब सोणितपुर पहुंचे।
इन सब ने मिल कर बाणासुर की भव्य नगरी को चहुओर से घेर लिया। बाणासुर भी अपनी शक्ति के मध् में चूर था, ऊपर से वह अपमानित भी महसूस कर रहा था। वह भी सेना समेत वहां लड़ने आ पहुंचा।
भगवान शिव अपना वचन पूरा करने आए
शिवजी ने पूर्व काल में बाणासुर को युद्ध में साथ देने का वचन दिया था। इस लिए पुत्रों सहित वह बाणासुर का साथ देने आ पहुंचे। तब कृष्ण भगवान और शिव जी का भयंकर युद्ध हुआ। इस युद्ध में कई अन्य राजाओं नें भी बाणासुर की तरफ से कृष्ण भगवान के विरुद्ध भीषण युद्ध किया।
अंत में बाणासुर और कृष्ण भगवान का भयंकर युद्ध हुआ, जिसमें कृष्ण भगवान नें सुदर्शन चक्र से बाणासुर के कई हाथ काट दिए।
तब बाणासुर का पराभाव देख कर महादेव कृष्ण भगवान के पास आए और कहा कि हे प्रभु, यह बाणासुर मेरा प्रिय भक्त है और देवी पार्वती नें उन्हें अपना पुत्र माना है। इस लिए वह मुझे अत्यंत प्रिय है। मैंने इसे अभय दान भी दिया है। इसलिए आप उस पर कृपा करो।
कृष्ण भगावन नें बाणासुर का अभिमान उतारा
तब कृष्ण भगवान बोले, बाणासुर का घमंड उतारने के लिए ही मैंने उसके हाथ काटे हैं। ओर चार हाथ जो बाकि रहे हैं उसे धारण कर के बाणासुर आप का पार्षद बन कर चारोओर से निर्भय बनेगा।
इसके बाद बाणासुर कृष्ण भगवान के समीप आ कर नमन करते हैं। फिर बाणासुर अनिरुद्ध को नागपाश से मुक्त कर ओखा (उषा) के साथ रथ पर बैठा कर वहां उपस्थित कराते हैं। तब श्री कृष्ण उन दोनों को ले कर द्वारिका लौटते हैं।
जहाँ भगवान् श्री कृष्ण ओखा को पास बैठा कर उस पर प्रसन्न हो कर कहते हैं कि, हे पुत्री तुम्हे जो माँगना है मांग लो, आज मैं बहुत प्रसन्न हूँ।
इस पर ओखा भगवान् कृष्ण से प्रार्थना करती है कि, हे प्रभु मेरे पिता को एक पुत्र दो जिस से उनका वंश आगे बढे। इस बात पर कृष्ण भगवान नें उन्हें तथास्तु कहा।
इस तरह बाणासुर को एक पुत्र हुआ, जिझक नाम गयासुर रखा गया। गयासुर नगरी भी है जहाँ सभी देवी देवता विद्यमान हैं।
आज भी गया जी में श्राद्ध तर्पण करने से पितॄ मुक्ति होती है। यही गया नगर बाणासुर का पुत्र कहा गया है। तो इस तरह भगवान् कृष्ण ने सब की लाज रखी, और बेडा पार किया।
इस पावन कथा को चैत्र माह में सुनने पर भक्तों का कल्याण होता है। इस कहानी को सुनने से “हर” और “हरी” की कृपा प्राप्त होती है। तथा सारे कष्ट दूर होते हैं।
Read Also :
- बजरंगबली हनुमान जी की 12 अद्भुत कहानियां
- श्रीमद्भागवत गीता से समझिये वास्तव में योग है क्या ?
- कौन हो तुम? राम या रावण!
- माँ दुर्गा से जुड़े 5 बेहद रोचक व भक्तिपूर्ण प्रेरक प्रसंग
- विक्रम बेताल की रहस्यमयी कहानियां
- तेनालीराम की चुनिंदा कहानियां
- कृष्ण, बलराम और राक्षस
ओखा हरण की रोचक कहानी चैत्र माह में पढने और सुनने का बड़ा महत्व है, ( Okha Haran Story In Hindi) आप को कैसी लगी, यह कमेन्ट कर के ज़रूर बताइयेगा|
यदि आपके पास Hindi में कोई article, inspirational story या जानकारी है जो आप हमारे साथ share करना चाहते हैं तो कृपया उसे अपनी फोटो के साथ E-mail करें. हमारी Id है:achhikhabar@gmail.com.पसंद आने पर हम उसे आपके नाम और फोटो के साथ यहाँ PUBLISH करेंगे. Thanks!
Stories aap sach me bahut achhi laate ho. Bachhon ko to sunaate hi hain, khud bhi padhne me bahut achha lagta hai.
Bahut hi achhi kahani hai । Isse padakr kaafi khuch seekhne ko mila dhanyabad aapki saari kahaniya kaafi achhi ha।