आज गंगा पार होने के लिए कई लोग एक नौकामें बैठे, धीरे-धीरे नौका सवारियों के साथ सामने वाले किनारे की ओर बढ़ रही थी,एक पंडित जी भी उसमें सवार थे। पंडित जी ने नाविक से पूछा “क्या तुमने भूगोल पढ़ी है ?” भोला- भाला नाविक बोला “भूगोल क्या है इसका मुझे कुछ पता नहीं।” पंडितजी ने पंडिताई का प्रदर्शन करते कहा, “तुम्हारी पाव भर जिंदगी पानी में गई।” फिर पंडित जी ने दूसरा प्रश्न किया, “क्या इतिहास जानते हो? महारानी लक्ष्मीबाई कब और कहाँ हुई तथा उन्होंने कैसे लडाई की ?” नाविक ने अपनी अनभिज्ञता जाहिर की तो … [Read more...]
स्वामी विवेकानंद के जीवन के तीन प्रेरक प्रसंग
प्रेरक प्रसंग : पुत्र के लिए प्रार्थना प्रत्येक माता के मन में यह भाव स्वाभाविक होता है कि उसकी संतान कुल की कीर्ति को उज्जवल करे. प्रथम दो संताने शिशुवय में ही मर गयी थीं, इसीलिए माता भुवनेश्वरी देवी प्रतिदिन शिवजी को प्रार्थना करती कि ‘हे शिव ! मुझे तुम्हारे जैसा पुत्र दो.’ काशी में निवास कर रहे एक परिचित व्यक्ति को कह कर उन्हों ने एक वर्ष तक वीरेश्वर शिवजी की पूजा भी करवाई थी. माता भुवनेश्वरी का मन-चित्त भगवान शंकर को सतत याद करके प्रार्थना किया करता. एक रात्रि को स्वप्नमें उन्हें महादेव … [Read more...]
कैसी वाणी कैसा साथ ?
दवे साहेब विश्वविद्यालय के विद्यार्थियो के बीच बहुत प्रसिद्द थे . उनकी वाणी, वर्तन तथा मधुर व्यवहार से कॉलेज के प्राध्यापकों एवं विद्यार्थियो उन्हें ‘वेदसाहेब’ से संबोधन करते थे. ऐसे भी वे संस्कृत के प्राध्यापक थे, और उनकी बातचीत में संस्कृत श्लोक-सुभाषित बारबार आते थे. उनकी ऐसी बात करने की शैली थी जिससे सुनने वाले मुग्ध हो जाते थे. एक दिन विज्ञान के विद्यार्थियो की कक्षा में अध्यापक नहीं थे तो वे वहाँ पहुंच गए. सभी विद्यार्थियों ने खड़े होकर उनका सम्मान किया और अपने स्थान पर बैठ गए। कक्षा … [Read more...]
बीता हुआ कल
बुद्ध भगवान एक गाँव में उपदेश दे रहे थे. उन्होंने कहा कि "हर किसी को धरती माता की तरह सहनशील तथा क्षमाशील होना चाहिए. क्रोध ऐसी आग है जिसमें क्रोध करनेवाला दूसरोँ को जलाएगा तथा खुद भी जल जाएगा." सभा में सभी शान्ति से बुद्ध की वाणी सून रहे थे, लेकिन वहाँ स्वभाव से ही अतिक्रोधी एक ऐसा व्यक्ति भी बैठा हुआ था जिसे ये सारी बातें बेतुकी लग रही थी . वह कुछ देर ये सब सुनता रहा फिर अचानक ही आग- बबूला होकर बोलने लगा, "तुम पाखंडी हो. बड़ी-बड़ी बाते करना यही तुम्हारा काम. है। तुम लोगों को भ्रमित कर रहे हो. … [Read more...]
प्रेम और परमात्मा
संतो की उपदेश देने की रीति-नीति भी अनूठी होती है. कई संत अपने पास आने वाले से ही प्रश्न करते है और उसकी जिज्ञासा को जगाते है; और सही-सही मार्गदर्शन कर देते है. आचार्य रामानुजाचार्य एक महान संत एवं संप्रदाय-धर्म के आचार्य थे . दूर दूर से लोग उनके दर्शन एवं मार्गदर्शन के लिए आते थे. सहज तथा सरल रीति से वे उपदेश देते थे. एक दिन एक युवक उनके पास आया और पैर में वंदना करके बोला : “मुझे आपका शिष्य होना है. आप मुझे अपना शिष्य बना लीजिए.” रामानुजाचार्यने कहा : “तुझे शिष्य क्यों बनना है ?” युवक ने कहा … [Read more...]
डरो मत ! स्वामी विवेकानंद प्रेरक प्रसंग
स्वामी विवेकानंद बचपन से ही निडर थे , जब वह लगभग 8 साल के थे तभी से अपने एक मित्र के यहाँ खेलने जाया करते थे , उस मित्र के घर में एक चम्पक पेड़ लगा हुआ था . वह स्वामी जी का पसंदीदा पेड़ था और उन्हें उसपर लटक कर खेलना बहुत प्रिय था . रोज की तरह एक दिन वह उसी पेड़ को पकड़ कर झूल रहे थे की तभी मित्र के दादा जी उनके पास पहुंचे , उन्हें डर था कि कहीं स्वामी जी उसपर से गिर न जाए या कहीं पेड़ की डाल ही ना टूट … [Read more...]
कद्दू की तीर्थयात्रा
हमारे यहाँ तीर्थ यात्रा का बहुत ही महत्त्व है। पहले के समय यात्रा में जाना बहुत कठिन था। पैदल या तो बैल गाड़ी में यात्रा की जाती थी। थोड़े थोड़े अंतर पे रुकना होता था। विविध प्रकार के लोगो से मिलना होता था, समाज का दर्शन होता था। विविध बोली और विविध रीति-रीवाज से परिचय होता था। कंई कठिनाईओ से गुजरना पड़ता, कंई अनुभव भी प्राप्त होते थे। एकबार तीर्थ यात्रा पे जानेवाले लोगो का संघ संत तुकाराम जी के पास जाकर उनके साथ चलनेकी प्रार्थना की। तुकारामजी ने अपनी असमर्थता बताई। उन्होंने तीर्थयात्रियो … [Read more...]
स्वामी जी का उपदेश
एक बार समर्थ स्वामी रामदासजी भिक्षा माँगते हुए एक घर के सामने खड़े हुए और उन्होंने आवाज लगायी- "जय जय रघुवीर समर्थ !" घर से महिला बाहर आयी। उसने उनकी झोलीमे भिक्षा डाली और कहा, "महात्माजी, कोई उपदेश दीजिए !"स्वामीजी बोले, "आज नहीं, कल दूँगा।" दूसरे दिन स्वामीजी ने पुन: उस घर के सामने आवाज दी - "जय जय रघुवीर समर्थ !"उस घर की स्त्रीने उस दिन खीर बनायीं थी, जिसमे बादाम-पिस्ते भी डाले थे।वह खीर का कटोरा लेकर बाहर आयी। स्वामीजीने अपना कमंडल आगे कर दिया। वह स्त्री जब खीर डालने लगी, तो … [Read more...]
स्वामी विवेकानंद की 150 वीं जयंती – 12 जनवरी 2013
जिन महान विभूतियों ने युग युग में जन्म लेकर मानवजाति के कल्याण हेतु कार्य किये हैं, उनके बचपन को यदि देखा जाए तो उनका बचपन असाधारण कार्यो का एहसास कर ही देता है। बचपन से ही माँ के मुख से रामायण एवं महाभारत की कहानियाँ सुनना नरेन्द्रनाथ(स्वामी जी के बचपन का नाम) को बहुत अच्छा लगता था। रामयण सुनते सुनते बालक नरेन्द्र का सरल शिशुह्रदय भक्तिरस से परिपूर्ण हो जाता था। रामायण से ही जुङी एक घटना एवं उनके बहादुरी के किस्से, आप सबसे share करना चाहते है। वैसे भी जन्मदिन पर हम सभी अपने बचपन को याद कर ही … [Read more...]
स्वामी विवेकानंद के जीवन के 3 प्रेरक प्रसंग
लक्ष्य पर ध्यान लगाओ स्वामी विवेकानंद अमेरिका में भ्रमण कर रहे थे . एक जगह से गुजरते हुए उन्होंने पुल पर खड़े कुछ लड़कों को नदी में तैर रहे अंडे के छिलकों पर बन्दूक से निशाना लगाते देखा . किसी भी लड़के का एक भी निशाना सही नहीं लग रहा था . तब उन्होंने ने एक लड़के से बन्दूक ली और खुद निशाना लगाने लगे . उन्होंने पहला निशाना लगाया और वो बिलकुल सही लगा ..... फिर एक के बाद एक उन्होंने कुल 12 निशाने लगाये और सभी बिलकुल सटीक लगे . ये देख लड़के दंग रह गए और उनसे पुछा , " भला आप ये कैसे कर लेते हैं … [Read more...]