दोस्तों, आज मैं आपके साथ व्यक्तित्व के विषय में लिखा गया एक बेहेतरीन लेख share कर रहा हूँ. यह लेख Mrs. Rajni Sadana ने लिखा है. रजनी जी सूरत, गुजरात की रहे वाली हैं, उन्हें 14 वर्ष का संस्कृत पढ़ाने का अनुभव है, और फिलहाल वो एक गृहणी हैं.
व्यक्तित्व = शरीर ,मन, बुद्धि और आत्मा
‘अच्छीखबर’ के अच्छे –अच्छे मित्रों से लेखन –द्वारा आज यह पहली भेंट हो रही है | ‘ज़िंदगी’ की यात्रा में यह भेंट चिरायु हो ,ऐसी मेरी कामना है | हमारे ऋषियों का मत है कि मानव एक ही समय में शारीरिक रूप में जीने के साथ-साथ सुन्दर -विचारों एवं पवित्र- आदर्शों का जीवन भी जीता है|मानव के विचार ही उसके व्यक्तित्व का दर्पण होते हैं |
दरअसल,जीवन अनुभवों की एक अनवरत धारा है |जब व्यक्ति संसार के संपर्क में आता है, तो उसकी प्रतिक्रियाएँ ही उसके अनुभव बन जाती हैं –कुछ खट्टे और कुछ मीठे |इन्हीं खट्टे- मीठे अनुभवों के परिप्रेक्ष्य में जब हमारे ऋषियों ने विचार किया तो पाया कि जब हम किसी बाह्य वस्तु के संपर्क में आते हैं तो हमारा वह अनुभव हमारे व्यक्तित्व की चार इकाइयों के रूप में होकर पूर्ण होता है- शरीर ,मन, बुद्धि और आत्मा |व्यक्तित्व की इन चारों इकाइयों में जितना अधिक सामंजस्य एवं एकता होगी ,हमारा व्यक्तित्व भी उतना ही सुदृढ़ होगा |
जीवन में कभी-कभी इच्छाएँ पूरी हो जातीं हैं ,सपने भी पूरे हो जाते हैं लेकिन बौद्धिक-स्तर पर हम संतुष्ट नहीं हो पाते और कभी शारीरिक, मानसिक तथा बौद्धिक इन तीनों स्तर पर संतुष्ट होने के बावजूद भी एक अधूरेपन का अहसास हमारा पीछा नहीं छोड़ता | हम किसी भी परिस्थिति में प्रसन्न नहीं रह पाते क्योंकि हमारे व्यक्तित्व की चारों इकाइयां शरीर ,मन ,बुद्धि और आत्मा एक –दूसरे के साथ सामंजस्य स्थापित न कर सकने के कारण, एक दूसरे की विरोधी होकर हमें अपनी –अपनी ओर खींचती हैं |परिणामस्वरूप ,हमारी शांति ,हमारा सुख ,हमारी प्रसन्नता और हमारा आनंद –सब कुछ धीरे –धीरे बिखरने लगता है | पर हम तो ईश्वर की सर्वश्रेष्ठ रचना और बुद्धिजीवी हैं ,ऐसे कैसे हार मान सकते हैं ?हमारे लिए तो हमारे ऋषियों ने परिस्थितियों के ‘स्वामी’ बनने का स्वप्न देखा है ,हम उसे निष्फल कैसे जाने दे सकते हैं? हमारे ऋषियों ने सूक्ष्म विश्लेषण करने पर पाया कि हमारे शारीरिक ,मानसिक तथा बौद्धिक रूप से शांत क्षणों में भी एक दबी हुई निःशब्द पुकार हमारे अंतरतम की गहराई से उठती है कि कुछ ऐसा करना या पाना है जिससे जीवन के वास्तविक रूप से साक्षात्कार हो जाए और यह पुकार इतनी गहरी तथा तीव्र होती है कि उसे नकारा भी नहीं जा सकता | इसी का नाम आध्यात्मिक पुकार है |
जीवन एक बहती –धारा है |कर्म तो हमें करना ही है और प्रसन्नता ,सुख , समृद्धि, शांति एवं आनंद की इच्छा किये बिना हम रह नहीं सकते ,तब हमें चाहिए कि हम अपने अनुभवों को परख कर अपनी आध्यात्मिक पुकार को सुनकर ,बुद्धि से यह निश्चित कर लें कि इस लक्ष्य मन का संकल्प की प्राप्ति के लिए जीवन में कैसे प्रयत्नशील दौड़धूप हों | अंततः ,मैं यही कहना चाहती हूँ कि ईश्वर करें कि हम सब सुन्दर विचारों और पवित्र आदर्शों की आधारशिला पर गर्व से खड़ा ‘जीवन’ जी सकें और अपने जीवन में आनेवाली प्रतिकूल परिस्थितियों में भी हमारा व्यक्तित्व सुदृढ़ बना रहे |
रजनी सडाना
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I am grateful to Mrs. Rajni Sadana for sharing this article with AchhiKhabar.Com. Thanks a lot !
Very good site this, I am very inspired to read in Hindi articles.
I will try it my personal life and social work.
RESPECTED MRS. RAJNI JI,
I HONOURED TO YOUR VALUABLE AND SPIRITUAL THOUGHTS ABOUT HUMAN BODY THOSE DEVELOPED BY PANCHTATVA WITH MANN, BUDDHI, AATMA. .
I THANKFUL TO YOU FOR THIS.
REGARDS.
KAILASH CHANDER SUKHRALIA.
ऐसे विचारो के कारण ही भारत को महानता का दर्जा मिला है।
Main bhi apki traha likhana chahta hu, kuchh article apni diary me likh rakhi,ab mujhe achhikhabar ka site mil gaya h,is traha apni thought is site ki help se distribute karunga,thanks sir
Thanks Rajani ji kafi achha lekh hai aapka.
Hmare Mn v shrir swsth ho yhi hmara vyktitv hai. swasth vyktitv hi hamari sundrta hai. arthat manav ki sundrta unke vyktitv me hai.
Thanks
From, ‘Hina’
bahut achchhi tarah se bataya hai
Ha ye achhi cheez h
very nice
Rajni ji ne vyaktitva ko bahut achchhe se paribhashit kiya.. Vichar bhee uttam lage. Saduwaad.
AchhiKhabar.Com ke pratyek lekh ek anamol khazana hai, in sab ko pad kar mein bahut labhanbhit hua hun. Desh main to bakt nayi nikal pate per sudur dunia ke ek dam niche Antarctica main sare lekh padta huin. puri team aur jo bhee sajjan jude hue hai, sab ko mubrak aur aage bhee ise parkar se manav jait ka bhala karein.
AchhiKhabar.Com ka pratyek lekh ek anamol krati hai.
jivan prabandh par aapke jariye maine bahut sikha hai aur aage bhi sikhna hi chahunga.