जो नित्य एवं स्थाई प्रतीत होता है, वह भी विनाशी है। जो महान प्रतीत होता है, उसका भी पतन है। जहाँ संयोग है वहाँ विनाश भी है। जहाँ जन्म है वहाँ मरण भी है। ऐसे सारस्वत सच विचारों को आत्मसात करते हुए महात्मा बुद्ध ने बौद्ध धर्म की स्थापना की जो विश्व के प्रमुख धर्मों में से एक है।
विश्व के प्रसिद्द धर्म सुधारकों एवं दार्शनिकों में अग्रणी महात्मा बुद्ध के जीवन की घटनाओं का विवरण अनेक बौद्ध ग्रन्थ जैसे- ललितबिस्तर, बुद्धचरित, महावस्तु एवं सुत्तनिपात से ज्ञात होता है। भगवान बुद्ध का जन्म कपिलवस्तु के पास लुम्बिनी वन में 563 ई.पू. में हुआ था। आपके पिता शुद्धोधन शाक्य राज्य कपिलवस्तु के शासक थे। माता का नाम महामाया था जो देवदह की राजकुमारी थी। महात्मा बुद्ध अर्थात सिद्धार्थ (बचपन का नाम) के जन्म के सातवें दिन माता महामाया का देहान्त हो गया था, अतः उनका पालन-पोषण उनकी मौसी व विमाता प्रजापति गौतमी ने किया था।
सिद्धार्थ बचपन से ही एकान्तप्रिय, मननशील एवं दयावान प्रवृत्ति के थे। जिस कारण आपके पिता बहुत चिन्तित रहते थे। उपाय स्वरूप सिद्धार्थ की 16वर्ष की आयु में गणराज्य की राजकुमारी यशोधरा से शादी करवा दी गई। विवाह के कुछ वर्ष बाद एक पुत्र का जन्म हुआ जिसका नाम राहुल रखा गया। समस्त राज्य में पुत्र जन्म की खुशियां मनाई जा रही थी लेकिन सिद्धार्थ ने कहा, आज मेरे बन्धन की श्रृंखला में एक कङी और जुङ गई। यद्यपि उन्हे समस्त सुख प्राप्त थे, किन्तु शान्ति प्राप्त नही थी। चार दृश्यों (वृद्ध, रोगी, मृतव्यक्ति एवं सन्यासी) ने उनके जीवन को वैराग्य के मार्ग की तरफ मोङ दिया। अतः एक रात पुत्र व अपनी पत्नी को सोता हुआ छोङकर गृह त्यागकर ज्ञान की खोज में निकल पङे।
गृह त्याग के पश्चात सिद्धार्थ मगध की राजधानी राजगृह में अलार और उद्रक नामक दो ब्राह्मणों से ज्ञान प्रप्ति का प्रयत्न किये किन्तु संतुष्टि नहीं हुई। तद्पश्चात निरंजना नदी के किनारे उरवले नामक वन में पहुँचे, जहाँ आपकी भेंट पाँच ब्राह्मण तपस्वियों से हुई। इन तपस्वियों के साथ कठोर तप किये परन्तु कोई लाभ न मिल सका। इसके पश्चात सिद्धार्थ गया(बिहार) पहुँचे, वहाँ वह एक वट वृक्ष के नीचे समाधी लगाये और प्रतिज्ञां की कि जबतक ज्ञान प्राप्त नही होगा, यहाँ से नही हटुँगा। सात दिन व सात रात समाधिस्थ रहने के उपरान्त आंठवे दिन बैशाख पूणिर्मा के दिन आपको सच्चे ज्ञान की अनुभूति हुई। इस घटना को “सम्बोधि” कहा गया। जिस वट वृक्ष के नीचे ज्ञान प्राप्त हुआ था उसे “बोधि वृक्ष” तथा गया को “बोध गया” कहा जाता है।
ज्ञान प्राप्ति के पश्चात महात्मा बुद्ध सर्वप्रथम सारनाथ(बनारस के निकट) में अपने पूर्व के पाँच सन्यासी साथियों को उपदेश दिये। इन शिष्यों को “पंचवगीर्य’ कहा गया। महात्मा बुद्ध द्वारा दिये गये इन उपदेशों की घटना को ‘धर्म-चक्र-प्रवर्तन’ कहा जाता है। भगवान बुद्ध कपिलवस्तु भी गये। जहाँ उनकी पत्नी,पुत्र व अनेक शाक्यवंशिय उनके शिष्य बन गये। बौद्ध धर्म के उपदेशों का संकलन ब्राह्मण शिष्यों ने त्रिपिटकों के अंर्तगत किया। त्रिपिटक संख्या में तीन हैं-
- विनय पिटक
- सुत्त पिटक
- अभिधम्म पिटक
इनकी रचना पाली भाषा में की गई है।हिन्दू-धर्म में वेदों का जो स्थान है, बौद्ध धर्म में वही स्थान पिटकों का है।
भगवान बुद्ध के उपदेशों एवं वचनों का प्रचार प्रसार सबसे ज्यादा सम्राट अशोक ने किया। कलिंग युद्ध में हुए नरसंहार से व्यथित होकर अशोक का ह्रदय परिवर्तित हुआ उसने महात्मा बुद्ध के उपदेशों को आत्मसात करते हुए इन उपदेशों को अभिलेखों द्वारा जन-जन तक पहुँचाया। भीमराव आम्बेडकर भी बौद्ध धर्म के अनुयायी थे।
महात्मा बुद्ध आजीवन सभी नगरों में घूम-घूम कर अपने विचारों को प्रसारित करते रहे। भ्रमण के दौरान जब वे पावा पहुँचे, वहाँ उन्हे अतिसार रोग हो गया था। तद्पश्चात कुशीनगर गये जहाँ 483ई.पू. में बैशाख पूणिर्मा के दिन अमृत आत्मा मानव शरीर को छोङ ब्रहमाण्ड में लीन हो गई। इस घटना को ‘महापरिनिर्वाण’ कहा जाता है। महात्मा बुद्ध के उपदेश आज भी देश-विदेश में जनमानस का मार्ग दर्शन कर रहे हैं। भगवान बुद्ध प्राणी हिंसा के सख्त विरोधी थे। उनका कहना था कि,
जैसे मैं हूँ, वैसे ही वे हैं, और ‘जैसे वे हैं, वैसा ही मैं हूं। इस प्रकार सबको अपने जैसा समझकर न किसी को मारें, न मारने को प्रेरित करें।
भगवान् बुद्ध के सुविचारों के साथ ही मैं अपनी कलम को विराम देना चाहूंगी , “हम जो कुछ भी हैं वो हमने आज तक क्या सोचा इस बात का परिणाम है। यदि कोई व्यक्ति बुरी सोच के साथ बोलता या काम करता है, तो उसे कष्ट ही मिलता है। यदि कोई व्यक्ति शुद्ध विचारों के साथ बोलता या काम करता है, तो परछाई की तरह ही प्रसन्नता उसका साथ कभी नहीं छोडती।“
अनिता शर्मा
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I am grateful to Anita Ji for sharing this inspirational Hindi Essay on Lord Gautam Buddha’s Life in Hindi . Thanks.
Buddha Purnima / Budhha Jayanti will be celebrated on on 25th May this year .
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prashant says
hi friends I m Prashant or mai janaa chata hu ki kya goutam budh arya the ya nahi….
Reshma says
Hi .Gautam Buddha is shakya not arya.
Reshma
Vivek shakya says
Helllo…lord buddha of shaky bot arya .arya is lord mahabeer naked respected god
Rahul kumar says
Mail is sansarik jiwan se that chuka hun Aur sda sda ke like is jiwan se mukt Hona chahta hun.kya mai bhi sanyasi jiwan yapan krna chahta hun Aur bhgwan Buddha ka shisay banana chahta hun. Hmari madad kre Aur upay btaye.thanks
Md.Rehan says
(अपना दीपक स्यवं बनो)
“ना जीत चाहिए”ना हार चाहिए”
मनुष्य को जीवन की सफलता के लिए तथागत गौतम बुद्ध का ज्ञान चाहिए।
ऐसै मित्रो को साथ चाहिए जो मानव को मानव से जोड सके और नफरत को प्यार में बदल सके।
“बुद्ध ही शुद्ध है बुद्ध ही सत्य है”
“आओ मिलकर बुद्धमय भारत बनाये।”
MD.Rehan
Student of B.com
RLSY College Bettiah(Bihar)
suraj singh says
Mai bhi is moh maya ke jaal se mukt hona chta hu plz aap mujhe koi sanstha se contact kra de jha mai sewa kr sku plz sir
sumkt says
aap “vipassana” sadhna karo..jo buddh ka btaya gya marg he
bhoopendra singh says
Bhagwan buddha ne samadhi m kiska dhyan kiya or kya gyan prapt or kaise hua plz contact me 885609624
nikhilesh gajbhiye says
dear priya,
aapka sawal bahut muze bahut mahattwapurna laga esiliye main aapke sawal ka jawab dene ka prayas kar raha hu
aapne es lekh ko dhyan se padha honga to aapko yaha ek bat likhi gae hai ki bhagwan buddha ki pura parivar buddha dharma ko swikar kar liya tha,
bhagwan buddha ki patni aur unke putra rahul ne bhi buddha dharma ko apna liya,
jab bhagwan buddha ki patni aur bete ne bhddha dharma ko apnaya to yashodhara bhikshuni bani, aur putra rahul bhikshu bane
aur wo aajiwan bhikshu aur bhikshuni bane rahe
aapko pata ho to bhikshugan shadi nahi karte
yehi wo bat thi jiske karan bhagwan buddha ka koe wanshaj nahi hai..
.
i hope aapko mere ye bate aapke sawal ka jawab ho….
aap agar aur bhagwan buddha ke bare me sahi me janwakari pana chahte ha to krupaya internet me search na kare……
agar aapko bhagwan buddha ke bare me sahi jankari chahiye to aap Buddha granth TRIPITAKA padho…
Priya dhote says
Gautam Buddha ne jo bhi updesh diya he uska palan karne se hume unke jesa gyan to nahi par antarman ki shanti jarur milti he……agar kisi ka acha nahi sich sakte to bura bhi mat karo ye unki angulimal ki katha se pata chalta he……but mam kya gautam k vansh me abhi koi bhi jinda nahi?????????…….unka putra rahul ke bad ka muze janana he plz meri help kijiye
Ramchandra says
Gautam Buddha Jo ek mahan gyani hai.. Lekin unka nidhan rog honese huwa ..yah bat kuch achhi nahi lagti.. Kya aap muje puri tarah se samjhana chahenge?
dd ganvir says
Pad kr atmik santusti mila ,,,,
सिद्धार्थ बौद्ध says
अत्त दीपो भवः
(अपना दीपक स्यवं बनो)
“ना जीत चाहिए”ना हार चाहिए”
मनुष्य को जीवन की सफलता के लिए तथागत गौतम बुद्ध का ज्ञान चाहिए।
ऐसै मित्रो को साथ चाहिए जो मानव को मानव से जोड सके और नफरत को प्यार में बदल सके।
“बुद्ध ही शुद्ध है बुद्ध ही सत्य है”
“आओ मिलकर बुद्धमय भारत बनाये।”
(सिद्धार्थ बौद्ध)
सुलतानपुर यू पी इंडिया