एक बूढ़ा कारपेंटर अपने काम के लिए काफी जाना जाता था , उसके बनाये लकड़ी के घर दूर -दूर तक प्रसिद्द थे . पर अब बूढा हो जाने के कारण उसने सोचा कि बाकी की ज़िन्दगी आराम से गुजारी जाए और वह अगले दिन सुबह-सुबह अपने मालिक के पास पहुंचा और बोला , ” ठेकेदार साहब , मैंने बरसों आपकी सेवा की है पर अब मैं बाकी का समय आराम से पूजा-पाठ में बिताना चाहता हूँ , कृपया मुझे काम छोड़ने की अनुमति दें . “
ठेकेदार कारपेंटर को बहुत मानता था , इसलिए उसे ये सुनकर थोडा दुःख हुआ पर वो कारपेंटर को निराश नहीं करना चाहता था , उसने कहा , ” आप यहाँ के सबसे अनुभवी व्यक्ति हैं , आपकी कमी यहाँ कोई नहीं पूरी कर पायेगा लेकिन मैं आपसे निवेदन करता हूँ कि जाने से पहले एक आखिरी काम करते जाइये .”
“जी , क्या काम करना है ?” , कारपेंटर ने पूछा .
“मैं चाहता हूँ कि आप जाते -जाते हमारे लिए एक और लकड़ी का घर तैयार कर दीजिये .” , ठेकेदार घर बनाने के लिए ज़रूरी पैसे देते हुए बोला .
कारपेंटर इस काम के लिए तैयार हो गया . उसने अगले दिन से ही घर बनाना शुरू कर दिया , पर ये जान कर कि ये उसका आखिरी काम है और इसके बाद उसे और कुछ नहीं करना होगा वो थोड़ा ढीला पड़ गया . पहले जहाँ वह बड़ी सावधानी से लकड़ियाँ चुनता और काटता था अब बस काम चालाऊ तरीके से ये सब करने लगा . कुछ एक हफ्तों में घर तैयार हो गया और वो ठेकेदार के पास पहुंचा , ” ठेकेदार साहब , मैंने घर तैयार कर लिया है , अब तो मैं काम छोड़ कर जा सकता हूँ ?”
ठेकेदार बोला ” हाँ , आप बिलकुल जा सकते हैं लेकिन अब आपको अपने पुराने छोटे से घर में जाने की ज़रुरत नहीं है , क्योंकि इस बार जो घर आपने बनाया है वो आपकी बरसों की मेहनत का इनाम है; जाइये अपने परिवार के साथ उसमे खुशहाली से रहिये !”.!”.
कारपेंटर यह सुनकर स्तब्ध रह गया , वह मन ही मन सोचने लगा , “कहाँ मैंने दूसरों के लिए एक से बढ़ कर एक घर बनाये और अपने घर को ही इतने घटिया तरीके से बना बैठा …क़ाश मैंने ये घर भी बाकी घरों की तरह ही बनाया होता .”
Friends, कब आपका कौन सा काम किस तरह आपको affect कर सकता है ये बताना मुश्किल है. ये भी समझने की ज़रुरत है कि हमारा काम हमारी पहचान बना भी सकता है और बिगाड़ भी सकता है. इसलिए हमारी कोशिश होनी चाहिए कि हम हर एक काम अपनी best of abilities के साथ करें फिर चाहे वो हमारा आखिरी काम ही क्यों न हो!
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Note: The inspirational story shared here is not my original creation, I read/heard this story earlier and am providing a modified Hindi version of the same.
Parul Agrawal says
Very Inspiring Story
mahendra gupta says
अच्छी प्रेरक कथा, कई बार व्यक्ति की लापरवाही उसी के लिए सीख बन जाती है
Anshul jain says
thnx its a nice story for me to give in skul project
rajni sadana says
एक-एक बूंद पानी से, जैसे घड़ा भर जाया करता है ;ठीक वैसे ही, ऐसी-ऐसी छोटी -छोटी ,शिक्षाप्रद एवं प्रेरक कहानियाँ हमारे ज्ञान -भण्डार में हमारी “समझ “का धन जोड़ा करती हैं |
आभार
रजनी सडाना
chandan kumar rakshak says
kya baat hai,apne bilkul sahi kaha…
Shabana Parveen says
Really,we don’t know that koun sa kam hamari zindgi banadega ya barbad kardega……….
bipin kumar ray says
this is a very good story so thanku.
Es kahani se hamne bahut kuch sikh liya,so thank
Rajesh says
Thanks very valuable story. we always give our best while doing our first or last work… in any field.. thanks once again for this valuable story.
maneesha says
isse hame sikh milti hai ki har kaam puri mehnat aur lagan se karna chahiye
nd very nice story
saurabh kumar says
mai kya kahu upar he logo ne lekh ki itni tarif kar de, lakin gopal ji such mi bahot achha lekh tha….
🙂
किशोरकुमार सिंह says
गोपालजी,
आपका आलेख पढकर लगा कि यह उस इंसान कि भूल नहीं मेरी भूल है.
काश यह लेख मुझे पहले मिल जाता, फूल बन जाता ये चुभता जो शूल है.
धन्यवाद
धन्यवाद
धन्यवाद