
Our Great Leaders
आज महात्मा गाँधी जी की १४५ वीं एवं श्री लाल बहादुर शाश्त्री जी की १०९ वीं जयंती है। इस अवसर पर हम आपके साथ इन महान विभूतियों के कुछ रोचक तथ्य प्रस्तुतु कर रहे हैं।
महात्मा गाँधी से सम्बंधित कुछ तथ्य
1.गाँधी जी अपनी आत्मकथा में लिखते है कि, “मैं बचपन में बहुत शर्मीला था और स्कूल से छुट्टी होते ही सबसे पहले दौड़ कर घर जाता था ताकि रास्ते में मुझसे कोई बात करके मेरा मजाक न उड़ाए.”
2.गाँधी जी बहुत जोश और उत्साह से चलते थे. वह चलने के बारे में कहते हैं कि ,”चलना व्यायाम का सर्वोत्तम तरीका है.” उन्होंने हाई स्कूल के दौरान आयोजित हुए दौड़ -भाग वाले खेलों बहुत बार भाग लिया. लंडन में एक छात्र के तौर पर वह रोज 12 से 15 किलोमीटर पैदल चल कर पैसे बचाते थे. इससे उन को इंग्लैंड में अच्छी सेहत बनाए रखने और फिट रहने में बहुत सहायता मिलती थी. इसके इलावा उन्होंने अपना हर आंदोलन भी चलकर ही किया . 1930 में वह अपने आश्रम से 387 किलोमीटर चले थे , जिसे दांडी मार्च के रूप में याद किया जाता है.
3.एक बार साउथ अफ्रीका में रेलयात्रा के दौरान एक अंग्रेज ने गाँधी जी को ट्रेन से बाहर निकल जाने के लिए कहा तो गाँधी जी ने कहा कि उनके पास भी वैसा ही टिकट है जैसा कि उनके पास है. मगर उस अंग्रेज और रेलवे अधिकारी ने उन्हें गाड़ी से बाहर धक्का दे दिया. किसी अंग्रेज के साथ गाँधी जी का यह सबसे कड़वा अनुभव था.
4.जब गाँधी जी 1931 मे इंग्लैंड में थे तो उन्होंने रेडीयो प्रसारण द्वारा अमरीकी वासियों को संदेश दिया था. अमरीकी वासीयों ने सबसे पहले जो उनके शब्द सुने थे वह यह थे, “Do i have to speak into this thing?” ( क्या मुझे इस चीज में बोलना है)
5.गाँधी जी दूसरों की सहायता करने में बहुत आनंद लेते थे. एक बार वह ट्रेन में थे. अचानक ट्रेन चली और उनका एक जूता नीचे ट्रैक पर गिर गया. उन्होंने तुरंत ही अपना दूसरा जूता उसके पास फेक दिया ताकि वह जोड़ा जिसे मिले उस के काम आ सके.
6.गाँधी जी समय के बहुत पाबंद थे. वह अपनी डॉलर घड़ी हमेशा पास रखते थे. पर 30 जनवरी 1948 को जिस दिन उनकी हत्या हुई थी , वह प्रार्थना के लिए मीटिंग की वजह से 10 मिनट लेट हो गए थे.
7.टाइम मैगजीन ने उनको 1930 के लिए “Man of the year” चुना था. इसके आलावा टाइम मैगजीन ने आइंस्टाइन को “सदी का पुरूष” चुना था और गाँधी जी को दूसरे नंबर पर रखा था. मगर आइंस्टाइन गाँधी जी को बहुत मानते थे. 1930 में दोनो के मध्य पत्रो द्वारा संवाद भी हुआ था और गाँधीजी ने आइंस्टाइन को भारत आने का न्योता भी दिया था. मगर काम की व्यस्तता और नाजी गतिविधियों के कारण वह भारत न आ सके.
8.भारत की स्वंत्रता प्राप्ती के पश्चात कुछ पत्रकार गाँधी जी के पास आए और उनसे अंग्रेजी में बात करने लगे. मगर गाँधी जी ने सभी को रोका और कहा कि, “मेरा देश अब आजाद हो गया है, अब मैं हमारी हिन्दी भाषा ही बोलूँगा।गुजराती होने के बावजूद भी गाँधी जी हिन्दी ही बोलते थे , राष्ट्र भाषा के विषय में उनका एक विचार है-
“कोई भी देश तब तक उन्नति नही कर सकता जब तक कि वह अपनी भाषा में नही बोलता.”
9.उन्होने भारत और दक्षिणी अफरीका में एक संपादक के तौर पर हरीजन, Indian Opinion(दक्षिणी अफरीका) और युवा भारत सहित कई समाचार पत्रो का हिन्दी, अंग्रेजी और गुजराती भाषा में संपादन किया है.
10.गाँधी जी की आत्मकथा का नाम है “सत्य के प्रयोग”. इसमें 1920 तक उनके जीवन का हर पहलु दिया है. यह 1927 में प्रकाशित हुई थी. 1999 में इस आत्मकथा को 20वी सदी की 100 सबसे आध्यात्मिक किताबों में स्थान दिया गया था ,यह किताब लगभग हर भाषा में छप चुकी है और विश्व की सबसे ज्यादा बिकने वाली पुस्कतो में से एक है.
11.1948 में गाँधी जी को शाँति के नोबेल पुरस्कार के लिए चुना गया था, पर उनकी हत्या हो जाने पर नोबोल पुरस्कार कमेटी ने उस साल शाँति का पुरस्कार किसी को भी नही देने का निर्णय लिया।
12.गाँधी जी के दांत खराब होने के कारण उनके पास दांतो का एक बनावटी जोड़ा था जिसे वह अपनी कमर के कपड़े में रखते थे. वह उन्हें तभी अपने मुँह में लगाते जब वह खाना खाते. खाना खाने के बाद वह उसे वापस बाहर निकालते, धोते और फिर कमर के कपड़े में बाँध कर रख लेते.
13.जब वह दक्षिणी अफरीका मे थे तब उनकी पगार 1500 डॉलर प्रति वर्ष तक पहुँच गई थी जो उस समय ज्यादातर भारतीयों का सपना होता था. मगर वह इसका भी ज्यादातर हिस्सा दान कर दिया करते थे.
14.शाँति में नोबेल पुरस्कार प्राप्त करने वाले पाँच नेताओं मार्टिन लुथर किंग, दलाई लामा, आंग सान सुई, नेलसन मंडेला और अर्जनटीना के अडोल्फो यह सभी मानते थे कि वे गाँधी जी के विचारो से प्रभावित थे.
15.गाँधी जी फोटो खीचे जाने से बहुत चिढ़ते थे. मगर उस समय वही ऐसे थे जिनके सबसे ज्यादा फोटे खींचे जाते थे.
16.1915 में एक बार गाँधी जी शाँति निकेतन जा रहे थे तो उन्हें रबीन्द्र नाथ टैगोर मिले. गाँधी जी ने उन्हें “नमस्ते गुरूदेव” कह कर संबोधन किया. इस पर टैगोर जी ने कहा, “कि अगर मैं गुरूदेव हूँ तो आप महात्मा है. तब से ही टैगोर जी का प्यारा नाम ‘गुरूदेव’ पड़ा और गाँधी जी के नाम के आगे ‘महात्मा’ लगने लगा.
17.गाँधी जी ने कभी भी हवाई जहाज में सफर नही किया.
18.हमारी आजादी के लिए गाँधी जी बहुत बार जेल गए जिसकी कुल अवधि 6 साल 5 महीने बनती है.
19.भारत के केवल तीन राष्ट्रीय पर्व हैं. 15 अगस्त, 26 जनवरी और गाँधी जी की जयंती 2 अक्टूबर को. इसके इलावा संयुक्त राष्ट्र ने 2 अक्टूबर को ‘अंर्तराष्ट्रीय अहिंसा दिवस’ ऐलान किया हुआ है.
20.गाँधी जी ने लंडन से वकालत की डिग्री प्राप्त की थी और लंम्बे समय तक वकालत का पेशा भी किया था मगर वह इसमें बिलकुल भी सफल नही हुए क्योंकि वह झूठ नही बोलते थे.
शास्त्री जी से सम्बंधित कुछ तथ्य
1.भारत की स्वंतन्त्रता के बाद शास्त्री जी को उत्तर प्रदेश के संसदीय सचिव के रूप में नियुक्त किया गया था जहां उन्हें पुलिस एवं परिवहन मंन्त्रालय सौंपा गया. परिवहन मंत्री के कार्यकाल में उन्होंने प्रथम बार महिला कण्डक्टर्स की नियुक्ती की थी. इतना ही नही उन्हों भीड़ को नियंत्रण में रखने के लिए लाठी की जगह पानी की बौछार का प्रयोग प्रांरम्भ कराया.
2.काशी विद्यापीठ से शास्त्री की उपाधि मिलते ही लाल बहादुर शास्त्री जी ने जन्म से चला आ रहा जातिसूचक शब्द श्रीवास्तव हमेशा-हमेशा के लिए हटा दिया और अपने नाम के आगे ‘शास्त्री’ लगा लिया.
3.1965 में पाकिस्तान ने भारत पर सायं ७:30 बजे हवाई हमला कर दिया. राष्ट्रपति ने आपात बैठक बुलाई जिसमें शास्त्री जी से पूछा गया कि, “अब हमें क्या करना चाहिए ? शाश्त्री जी ने एक वाक्य में तत्तकाल उत्तर दिया, “आप देश की रक्षा कीजिये और मझे बताइयों कि हमें क्या करना है.” बस फिर क्या था. शास्त्री जी के नेतृत्व में भारत ने पाकिस्तान को शिकश्त दी.
Sahil Kumar
Punjab
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We are grateful to Sahil for sharing this Interesting compilation of facts about Mahatma Gandhi and Shri Lal Bahadur Shashtri.
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hme desh ki seva krni chaihe desh ki seva sirf senik bnkar nhi blki us desh ka vikas any gtividhiyo se bhi kiya ja skta hai jaise teachers ……..etc…
best information.
आजकल बापू का अपमान किया जा रहा हे
ये देखकर बहुत दुःख होता हे
वेसे आपका धन्यवाद