भारत रत्न, महान विचारक, विद्वान, विज्ञानविद् और उच्चकोटी के इंसान तथा भारत के राष्ट्रपति पद को गरिमा देने वाले हम सबके प्यारे मिसाइल मैन, डॉ एपीजे अब्दुल कलाम को अक्सर आप सब ने बच्चों के बीच मुस्कराते हुए देखा होगा। अपने कार्यकाल में वो लाखों बच्चों से मिले । जब भी कलाम साहब कहीं बाहर जाते, उनके कार्यक्रम में बच्चों से मिलने का एक कार्यक्रम जरूर होता था। आज जब हम सोचते हैं तो, बच्चों से घिरे कलाम साहब का एक ऐसा चेहरा नजर आता है, जो स्वयं की मुस्कान संग लाखों-करोड़ों बच्चो के लिये खुशियों का पैगाम हैं। उनकी उपस्थिति बच्चों में एक नई उमंग का संचार कर दिया करती थी और आज भी उन्हें प्रेरणा देती है।
कलाम साहब का मानना था कि बच्चे ऊर्जा के अंनत स्रोत हैं। बच्चे प्रकृति से जुड़े होते हैं। अपनी निश्छल आशाओं, विश्वास और कल्पनाओं के साथ अंनत ऊर्जा का प्रवाह करते हैं। वे बच्चों की प्राकृतिक ऊर्जा के रहस्य को भली-भाँति समझते थे। कलाम साहब अपने बचपन की बात अपनी पुस्तक अग्नी की उङान में लिखते हैं-
“मै अपने पिता जी की उंगली पकड़कर घर से मस्जिद की गली तक जाया करता था। मस्जिद में जब मेरे पिता जी नमाज पढते तो मैं उन्हे देखा करता था। मेरे मन में ये सवाल उठता था कि, पिता जी नमाज क्यों पढते हैं? मस्जिद क्यों जाते हैं? नमाज पढने से क्या होता है? और सब लोग नमाज क्यों नही पढते? नमाज के बाद जब पिता जी मस्जिद के बाहर आते तो लोग कटोरों में जल लिये उनकी ओर बढते थे। मेरे पिता जी उस जल में अपनी उंगलियाँ डालते और फिर कुछ मंत्र पढते और फिर कहते कि ले जाओ इसे मरीज को अल्लाह का नाम लेकर पिला दो, वो ठीक हो जायेगा।
लोग वैसा ही करते तथा अगले दिन आकर पिता जी का शुक्रिया अदा करते और कहते कि खुदा की रहमत हो गई मरीज ठीक हो गया। मैं इतना छोटा था कि इन सब बातों का अर्थ समझ नही पाता था। किन्तु इतना जरूर लगता था कि जो भी हो रहा है किसी अच्छे उद्देश्य के लिये हो रहा है। जब मैं अपने पिता जी से प्रश्न करता था, तो वे बड़े सहज और सरल भाव से मेरे हर प्रश्न का जवाब देते थे।”
कलाम साहब का कहना है कि-” बचपन में पिता जी के साथ बिता वह पल मेरे लिये खास है और उनके साथ बीते अनुभव की वजह से ही मैं आज बच्चों के उत्तर सरलता से दे पाता हूँ।”
मित्रों, डॉ. कलाम साहब ने बच्चों के बीच बिताए अनुभव के आधार पर अंग्रेजी में ignited minds नामक एक पुस्तक लिखी, जिसे तेजस्वी मन शीर्षक से हिंदी में प्रकाशित किया गया। कलाम साहब ने एक महत्वपूर्ण फैसला लेते हुए तय किया कि वे भारत की सच्ची तस्वीर को यहाँ के बच्चों में तलाशेंगे। उनका मानना था कि वैज्ञानिक कैरियर, पद एवं पुरस्कार सब कुछ बच्चों के आगे गौण है। कलाम साहब सभी अभिभावकों को ये संदेश देते कि, बच्चों की जिज्ञासा को एवं उनके बाल सुलभ सरल एवं सहज प्रश्नों का उत्तर देने का हर संभव प्रयास करना चाहिये। उनकी ये दिली ख्वाइश रहती थी कि वे बच्चों के बीच जायें और उन्ही की तरह सरल एवं सहज बनकर उनसे बात करें। न कोई औपचारिकता हो और न कोई बंधन।
एकबार एक व्यक्ति ने उनसे पूछा कि, आप इतने बड़े वैज्ञानिक हैं तथा राष्ट्रपति जैसे गरिमावान पद पर आसीन होते हुए बच्चों के लिये इतना समय कैसे निकाल लेते हैं? ऐसा क्या मिलता है आपको उनसे?
कलाम साहब ने कहा कि, “बच्चों के स्तर पर उतर कर मेरे मन में नई-नई उमंगे हिलोरे लेने लगती हैं। दुनिया का कोई भी काम मुझे मुश्किल नही लगता। मेरे हौसले आसमान छूने लगते हैं। बच्चों से बाते करके, उनकी आँखों में आँखे डालकर उनके भावों के साथ एकाग्रता स्थापित करते ही, तन मन में एक अद्भुत ऊर्जा का संचार होने लगता है।”
विभिन्न जगहों पर बच्चों से मुलाकात के दौरान बच्चे डॉ कलाम से प्रश्न पूछा करते थे। बच्चों द्वारा पूछे गये कुछ प्रश्नो का जिक्र, हम आप सबसे करना चाहेंगे।
कलाम साहब अक्सर कहते थे कि-
” सपने वे नही होते जो नींद में देखते हैं, सपने वो होते हैं जो नींद न आने दें”
इसी सपने की बात पर एकबार एक बच्चे ने कलाम साहब से पूछा कि, “सर मैने आपकी अग्नी की उड़ान पुस्तक पढी आप हमेशा सपने की बात क्यों करते हैं?”
कलाम साहब ने उत्तर देते हुए कहा कि, “पहले तुम तीन बार स्वपन स्वपन स्वपन बोलो। तुम पाओगे कि स्वपन ही विचार बनते हैं और विचार कर्म के रूप में बाहर आते हैं। यदि स्वपन नही होंगे तो क्रान्तिकारी विचार भी जन्म नही लेंगे। मित्रों, हम यहाँ कलाम साहब की एक कविता का जिक्र करना चाहेंगे,
” स्वप्न स्वप्न स्वप्न
स्वप्नों में छुपा है सृजन
स्वप्नों में है मूर्त छवि
होते विचार हैं
जिनसे जन्मा कर्म
करता निर्माण है। “
बच्चों से मुलाकात के दौरान एकबार एक बच्चे ने पूछा कि, “सर आप जैसा वैज्ञानिक बाहरी व्यक्तित्व को महत्व क्यों नही देता?
प्रश्न सुनकर कलाम साहब ने कहा, “मुझे 1980 की एक बात याद आ रही है। मैं वो बताता हूँ। शायद उस वाक्ये में तुम्हे तुम्हारे प्रश्न का उत्तर मिल जाये। 1980 में SLV 3 से रोहिणी नामक रॉकेट को सफलता पूर्वक लॉच किया गया था। मैं एस एल वी – 3 का परियोजना निदेशक था। इसरो के प्रमुख डॉ. सतीश धवन ने मुझे संदेश भेजा कि प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी की उपस्थिति में एक बधाई समारोह आयोजित किया गया है। अतः तुम तुरन्त दिल्ली के लिये रवाना हो जाओ। तब मैने झिझकते हुए डॉ. धवन को बताया कि, मेरे पास कोई सूट या बूट नही है। मैं पैंट शर्ट और चप्पल में कैसे जाऊँ? तब डॉ. सतीश धवन ने कहा ,
कलाम तुमने विजय का परिधान पहन रखा है। तुमको चिंता करने की जरूरत नही है।
एक अन्य बच्चे ने पूछा, “सर, क्या आप प्रश्नों के रूप में बच्चों द्वारा दागी गई मिसाइल से डरते है?”
डॉ. कलाम ने उत्तर दिया, ” मिसाइल मेरे जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। मैं प्रश्नों की मिसाइल से तनिक भी नही डरता। बच्चे जब प्रश्न पूछते हैं तो मुझे खुशी होती है। आप सबके प्रश्न तो सच्चाईयों का आभास कराते हैं और संदेश देते हैं कि हम जीवन की सच्चाईयों से भागे नही बल्की उनका जमकर मुकाबला करें।”
डॉ. कलाम साहब का कहना है कि, “व्यक्ति ,परिवार और समाज के केन्द्र में सबसे महत्वपूर्ण ईकाइ बच्चे हैं। बच्चों को केन्द्र में रखकर सोचने पर हमारी सोच सकारात्मक हो जाती है। हम उन गुनाहों को करने में झिझकते हैं जिनके कारण बच्चों के जीवन तबाह हो जाते हैं।”
स्वामी विवेकानन्द जी भी कहते हैं कि-
मानवता का संचार उनके ह्रदयों में नही होता जो सच्चाई छिपाते हैं और गलतियां करते हैं, यह केवल उनके ह्रदय में होता है जो मन के सच्चे और भोले होते हैं, बिलकुल बच्चों की तरह, अतः जब कभी तय न कर पाओ कि तुम जो करने जा रहे हो वह सही है या गलत तो बच्चों के पास जाओ – वे बता देंगे, सही क्या है?
डॉ एपीजे अब्दुल कलाम बच्चों के दिलों के साथ अपने दिल के तार इतनी सरलता से जोड़ लेते थे कि विश्वास करना कठिन हो जाता था। ये कहना अतिश्योक्ति न होगा कि, बच्चों को जीवन की धुरी मानने वाले डॉ. कलाम साहब का जीवन अनुभवों का पुस्तकालय है, उनके जीवन से हम सब आज भी ऊर्जावान हो रहे हैं। बच्चों को सफल भारत का भविष्य मानने वाले और बच्चों की कल्पनाओं को नित नई ऊंचाई देने वाले ऊर्जावान कलाम साहब आज भी भारतीय समाज के लिये ही नही अपितु सम्पूर्ण मानव समाज के लिये अनमोल विरासत हैं।
जय हिंद जय भारत
अनिता शर्मा
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We are grateful to Anita Ji for sharing a very good article on Dr. APJ Abdul Kalam’s views about children.
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Drishti says
🙏
MINAKSHI YADAV says
Thnx for sharing a very good article on Dr. APJ Abdul Kalam ji.
Arun yadav says
Thank you sir
APJ Abdul kalaam ji
नयीचेतना says
भारत के राष्ट्रपति और महान वैज्ञानिक को सत-सत नमन.
Ranvijay says
“भारत के राष्ट्रपति पद को गरिमा देने वाले” वाक्य दिल को छू लिया। धन्यवाद।
विक्रम कुमार SB says
बहुत अच्छी लेख है गोपाल जी .
धन्यवाद इतना अच्छा लेख हमारे साथ share करने के लिए .
कभी फुर्सत मिले तो हमारे ब्लॉग पर पधारे .
http://achhibaaten.com
Imran Khan says
Henry Miller ke quotes hindi me update kariye please
JeevanDarpan.Com says
“सपने वे नही होते जो नींद में देखते हैं, सपने वो होते हैं जो नींद न आने दें” भारत के ऐसे महान सपूत को जीवन दर्पण(http://jeevandarpan.com) की ओर से सत सत नमन. #हमें उनपर गर्व है. #उनकी कमी भारत को हमेशा खलेगी !
Brij Bhushann Gupta says
GYANVARDHAK JAANKARI of Dr. APJ Abdul Kalam’s views about children……………..
9810360393, 7503299978
a n nair says
Its worthy article Advice to children must read