ईमानदारी पर कहानी / Hindi Story on Honesty
रामू काका अपनी ईमानदारी और नेक स्वाभाव के लिए पूरे गाँव में प्रसिद्द थे। एक बार उन्होंने अपने कुछ मित्रों को खाने पर आमंत्रित किया। वे अक्सर इस तरह इकठ्ठा हुआ करते और साथ मिलकर अपनी पसंद का भोजन बनाते।

आज भी सभी मित्र बड़े उत्साह से एक दुसरे से मिले और बातों का दौर चलने लगा।
जब बात खाने को लेकर शुरू हुई तभी काका को एहसास हुआ कि नमक तो सुबह ही ख़त्म हो गया था।
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काका नमक लाने के लिए उठे फिर कुछ सोच कर अपने बेटे को बुलाया और हाथ में कुछ पैसे रखते हुए बोले, “ बेटा, जा जरा बाज़ार से एक पुड़िया नमक लेता आ..”
“जी पिताजी।”, बेटा बोला और आगे बढ़ने लगा।
“सुन”, काका बोले, “ ये ध्यान रखना कि नमक सही दाम पे खरीदना, ना अधिक पैसे देना और ना कम।”
बेटे को आश्चर्य हुआ, उसने पूछा, “पिताजी, अधिक दाम में ना लाना तो समझ में आता है, लेकिन अगर कुह मोल भाव करके मैं कम पैसे में नामक लाता हूँ और चार पैसे बचाता हूँ तो इसमें हर्ज़ ही क्या है?”
“नहीं बेटा,” काका बोले, “ ऐसा करना हमारे गाँव को बर्वाद कर सकता है! जा उचित दाम पे नामक लेकर आ।”
काका के मित्र भी ये सारी बात सुन रहे थे, किसी ने बोला, “ भाई, तेरी ये बात समझ ना आई, कम दाम पे नमक लेने से अपना गाँव कैसे बर्वाद हो जाएगा?”,
काका बोले, “ सोचो कोई नमक कम दाम पे क्यों बेचेगा, तभी न जब उसे पैसों की सख्त ज़रूरत हो। और जो कोई भी उसकी इस स्थिति का फायदा उठाता है वो उस मजदूर का अपमान करता है जिसने पसीना बहा कर..कड़ी मेहनत से नमक बनाया होगा”
“लेकिन इतनी सी बात से अपना गाँव कैसे बर्वाद हो जाएगा?”, मित्रों ने हँसते हुए कहा।
“देखो मित्रों, शुरू में समाज के अन्दर कोई बेईमानी नहीं थी, लेकिन धीरे-धीरे हम लोग इसमें एक-एक चुटकी बेईमानी डालते गए और सोचा कि इतने से क्या होगा, पर खुद ही देख लो हम कहाँ पहुँच गए हैं… आज हम एक चुटकी ईमानदारी के लिए तरस रहे हैं!”
Friends, Paulo Coelho की पुस्तक ‘द डेविल एंड मिस प्रिम’ एक एक अंश से प्रेरित ये कहानी हमें छोटे-छोटे मसलों में भी पूरी तरह ईमानदार होने की सीख देती है और हमें दूसरों के प्रति संवेदनशील होना सिखाती है।
अपनी day-today life में हम बहुत बार ऐसा व्यवहार करते हैं जो हम भी अन्दर से जानते हैं कि वो गलत है। पर फिर हम ये सोच कर कि “इससे क्या होगा!”, अपने आप को समझा लेते हैं और गलत काम कर बैठते हैं और इस तरह society में अपने हिस्से की बेईमानी डाल देते हैं। चलिए, हम सब प्रयास करें कि ईमानदारी की बड़ी-बड़ी मिसाल कायम करने से पहले अपनी रोज-मर्रा की ज़िन्दगी में ईमानदारी घोलें और एक चुटकी बेईमानी को एक चुटकी ईमानदारी से ख़त्म करें!
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दोस्तों मैं आप सभी लोगो से adnow के पेमेंट के बारे में पूछना चाहता हूँ. 2 महीने से इस्तेमाल कर रहा हूँ, 5 बार पेमेंट के लिए रिक्वेस्ट भी भेज दिया. हर बार यही उत्तर आता हैं अभी 2-4 दिन में भेज देंगे पेमेंट. क्या किसी भी व्यक्ति को adnow ने अभी पेमेंट किया हैं? प्लीज उत्तर दीजियेगा… मुझे तो यह फेक वेबसाइट लग रही हैं, हम सभी लोगो को मुर्ख बना रही हैं? बस अब सिर्फ 1 महीने और देखूँगा और अगर इस adnow ने पेमेंट नहीं किया तो इसके विज्ञापन हटा दूंगा… प्लीज् उत्तर दीजियेगा की किसी को adnow से पेमेंट सच-मुच में मिली हो?
They do pay. One of my friend has got and I am also about to get it through paypal.
Gopal Ji, Kya Aapko AdNow Se Ab Tak Koi Payment Mila Hain ? Ya Fir Waiting For Payment Hi Likh Ke Aa Raha Hain ? Please Tell Some Details
I got one payment from them through Paypal.
Awesome story sir bt ek swal tha apse aap kaise story bnate h mns ye thinking kaha se aati h.. Mujhe bhi aap jaisa blogger banna h… Pls rply jarur de sir.. Agr meri comment se apko dikkt ho to maff kre
nice and cool story sir j..keep writing this type of article in hindi
गोपाल जी, ईमानदारी की बहुत ही अच्छी मिसाल पेश की है आपने इस कहानी में. बहुत ही कम लोग इस तरह की मिसाल दे पाते हैं. अगर समाज के सही लोग इस तरह से सोच कर चलने लगें तो समाज का स्वरुप कितना अच्छा होगा इसकी कल्पना ही कितनी मनमोहक है.
मगर ये बात भी सही है कि आज भी समाज में ऐसे कई लोग हैं जिनकी सोच रामू काका जैसी ही है मगर लोग उन्हें आजकल दकियानूसी या फिर बेवक़ूफ़ समझते हैं लेकिन ऐसे लोगों की अच्छाई का पता हमें तब चलता है जब हम खुद किसी मुसीबत में पड़ते हैं या फिर जब हम पर विपत्ति आती है और कोई भलामानस हमारी मजबूरियों का फायदा न उठाकर सच्चे मन और निःस्वार्थ भाव से हमारी मदद करता है.
दोस्तों अगर हम समाज में अच्छाई देखना चाहते हैं तो सबसे पहले हमें अच्छाई के बीज खुद अपने मन में बोने पड़ेंगे और खुद एक उदहारण और मिसाल बनना होगी तभी हम दूसरों को ऐसा करने के लिए प्रेरणा दे पायेंगे.
हम दूसरों के प्रति जो अच्छाई या भलमनसाहत अपने व्यवहार में लाते हैं उसका फायदा हमें एक न एक दिन जरूर मिलता है. कोई इसे समझे या न समझे लेकिन भगवान इसे जरूर याद रखता है और जब हम सच्चे मन और निःस्वार्थ भाव से किसी मजबूर या जरूरतमंद की मदद करते हैं तो ईश्वर उस अच्छाई का फायदा हमारे जीवन में देर-सबेर किसी न किसी रूप में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से दे देता है, और हमें उस परमपिता परमेश्वर पर विश्वास करके दूसरों के प्रति ऐसी ही रामू काका जैसी भावना रखनी चाहिए.
प्रिय गोपाल जी इस सुन्दर प्रस्तुति के लिए हार्दिक साधुवाद और अच्छीखबर डॉट कॉम को निरंतर तरक्की करते रहने के लिए बधाई.
अनिल साहू
अनिल जी बड़ी ही अच्छी बात कही है आपने. धन्यवाद्.
Very nice story.
i also believe on that thought.
na kisi ko paise kam dena chahiye na jyada.
thanks for share…
thanks sir
ye story Self Improvement ke liye bhi jruri hai.
Nice story
बहुत अच्छा ! मैं कल से ये ज़रूर करूँगा ।
Nice and Best story in hindi to learn. thanks a lot sir 🙂
Ye bahut hi achhi kahani hai.log yadi chhoti chhoti galtiyo par gaur kare to usse bari se bari galti bhi nahi hogi.
Very intresting story sirji