क्यों अधिक इनकम से भी आपकी फाइनेंसियल प्रॉब्लम्स ख़तम नहीं हो पातीं?
Financial Problems Reasons in Hindi
संदीप एक मल्टीनेशनल कम्पनी में काम करता है और महीने का 1 लाख कमाता है पर वो फिर भी अपनी finances को लेकर परेशान रहता है. बार-बार उसके मन में यही विचार आता है कि जब मैं करियर की शुरुआत में 50 हज़ार कमाता था तो भी मैं किसी तरह महीने का खर्च निकाल पाता था और आज जब मैं उसका दोगुना कमाता हूँ तो भी पैसे कम ही पड़ते हैं.
दोस्तों, क्या आप संदीप की इस स्थिति से रिलेट कर पा रहे हैं?
क्या आपके साथ भी यही हो रहा है- आपकी इनकम तो बढ़ती जा रही है लेकिन अभी भी आपकी financial problems ख़त्म नहीं हो पा रहीं.
जी हाँ, ये एक कड़वा सच है कि सिर्फ इनकम बढ़ जाने से financial problems ख़त्म नहीं हो जातीं!
पर घबड़ाइए नहीं, आप इस समस्या को फेस करने वाले अकेले व्यक्ति नहीं हैं, बल्कि कई और लोग भी आपके साथ हैं.
जी हाँ, अमेरिका में हाल ही में GOBankingRates द्वारा किये गए एक सर्वे में पता चला है कि लगभग आधे अमेरिकन्स paycheck to paycheck जीते हैं. पेचेक टू पेचेक जीने का मतलब है कि आप हर महीने जितनी सैलरी पाते हैं वो सारी उसी महीने ख़तम कर देते हैं और कोई भी बचत नहीं करते हैं.
आइये, आज इस आर्टिकल में हम 7 ऐसी बातों को जानते हैं जिनके कारण आप अच्छी इनकम के बावजूद अपने finances को लेकर हमेशा परेशान रहते हैं:
1. आप Financial Planning नहीं करते:
Personal Finance category के अपने पिछले लेख – “फाइनेंसियल प्लानिंग क्या होती है और आपके लिए ये ज़रूरी क्यों है?” में मैंने फाइनेंसियल प्लानिंग की importance को बता चुका हूँ. Unfortunately, ज्यादातर लोग ये ज़रूरी काम नहीं करते हैं, खासतौर से अपने career के शुरूआती दिनों में, और इसीलिए वे अक्सर अपनी वित्तीय स्थिति को लेकर परेशान रहते हैं.
कृपया आप इस आर्टिकल को पढ़िए और इस direction में जल्द ही कोई कदम उठाइए.
2. आप पहले खुद को pay नहीं करते:
सैलरी आते ही आपको सबसे पहले अपनी एक महीने की कड़ी मेहनत के लिए खुद को पे करना चाहिए. यानी, आपको कुछ पैसे निकाल कर अलग रख देना चाहिए और बाकी के पैसों से खर्च चलाना चाहिए. For example: जिस दिन आपकी सैलरी क्रेडिट होती है उसके २-३ दिन बाद की डेट पे कोई SIP start कर सकते हैं, और अपने hard work के लिए खुद को reward कर सकते हैं.
मैंने पाया है कि ऐसी कोई भी saving arrangement करना जिसमे पैसे automatically आपके अकाउंट से कट जाते हों सही रहता है. ऐसा न होने पर पैसे कहीं न कहीं और खर्च हो जाते हैं.
3. आप आज की खुशियों को कल की ज़रूरतों से अधिक महत्त्व देते हैं:
आप 5 हज़ार रुपये की सेविंग करने के बजाये 15 हज़ार का नया मोबाइल लेने में यकीन रखते हैं वो भी तब जबकि आपका पुराना मोबाइल बिलकुल सही हो! “Living in the moment” की philosophy तभी भाति है जब “finances for the future” intact हों. पर आप पहले पार्ट में ही यकीन रखते हो और दूसरे को भूल जाते हो!
ऐसा ना करें, इन दोनों के बीच बैलेंस बनाना बहुत ज़रूरी है. ऐसा करना आपको बहुत सी financial stress से बचा सकता है.
दुनिया के सफलतम इन्वेस्टर्स में से एक वॉरेन बफे की ये बात हमेशा याद रखिये-
“Do not save what is left after spending, but spend what is left after saving.”
4. आप ‘wants’ को ‘needs’ से अलग नहीं करते हैं:
Need: कुछ ऐसा जिसके बिना काम नहीं चल सकता.
Want: कुछ ऐसा जो आप चाहते हैं कि आपके पास हो पर उसके बिना भी काम चल सकता है.
Finances को लेकर परेशान रहने वाले लोग अपनी अपनी Want को भी Need बना लेते हैं. For example: Genuinely आपको एक कार की जरूरत है, लेकिन आप आराम से afford की जा सकने वाली एक hatchback की जगह एक SUV को अपनी ज़रूरत बना लेते हैं और फिर सालों तक उसका loan pay करते हैं.
कभी भी सिर्फ show off के लिए कोई चीज ना लें, ऐसा करना आपको कुछ दिन की खुशियाँ तो दे सकता है पर long term में वो आपके लिए problems ही कड़ी करेगा.
5. आप spendaholic हैं:
आप financially इस लिए परेशान रहते हैं क्योंकि आपको खर्च करने में मजा आता है…. आपके घर के हर कोने में कोई न कोई ऐसी चीज पड़ी है जो impulse buying का नतीजा है. आपकी वार्डरोब में ऐसे कपड़ों की भरमार है जिन्हें आपने मुश्किल से एक-दो बार ही पहना है. आपके drawer में ऐसे mobile phones पड़े हुए हैं जिनको आपने साल भर भी use नहीं किया. आपको बाहर खाने-पीने में इतना मजा आता है कि हफ्ते में दो बार बाहर ही खाते हैं या आर्डर करके घर पे मंगा लेते हैं.
अगर एक financially stable life चाहते हैं तो spendaholic नहीं frugal, यानी सोच-समझ कर खर्च करने वाला बनें.
6. आप जितना कमाते हैं उससे भी अधिक खर्च करते हैं:
ये कैसे possible है? बिलकुल है, आपके जेब में 3-3 क्रेडिट कार्ड जो पड़े हैं! In fact, आप सैलरी का एक बड़ा हिस्सा पिछले महीने के credit card bill के लिए ही बचा कर रखते हैं. और इस महीने की शुरुआत ही क्रेडिट कार्ड से खरीदारी के साथ करते हैं. इस तरह से आप हेमशा एक debt-trap में फंसे रहते हैं.
बेहतर तो होगा कि आप क्रेडिट कार्ड रखें ही नहीं, लेकिन अगर रखना भी है तो बस एक रखें और वो भी अपने वालेट में नहीं, और उसे सिर्फ और सिर्फ emergency में ही प्रयोग करें.
7. आप “ना” नहीं कर पाते!
As an individual आप पैसे की importance समझते हैं लेकिन आप अपने family members को “ना” नहीं कर पाते. आप अपने spouse के कहने पर कोई भी मूवी देखने चले जाते हैं…अपने बच्चे की जिद को भी “ना” नहीं कर पाते और महंगे-महंगे खिलौने खरीद लाते हैं.
ऐसे करके आप उन्हें आज कुछ खुशियाँ ज़रूर दे रहे हैं लेकिन आपको उन्ही की बेहतरी के लिए “ना” कहना सीखना चाहिए ताकि सिर्फ present नहीं future भी खुशियों से भरा रहे. और एक और कड़वी बात दिमाग में बैठा लीजिये अगर फ्यूचर में कभी पैसों की दिक्कत आई, तो आपके फॅमिली मेंबर्स उन सारे entertaining moments को भूल जायेंगे और कहीं न कहीं इस situation के लिए आपको ही जिम्मेदार ठहराया जाएगा.
इसलिए अपनी और अपने परिवार की खुशियों के लिए आपको कभी-कभी “ना” कहना सीखना होगा.
फ्रेंड्स, अगर एक लाइन में कहूँ तो-
ज्यादा पैसा आपको और ज्यादा वो बना देता है जो आप पहले से हैं.
इसीलिए अधिक पैसे कमाना नहीं अपनों पैसों को सही से manage करना ही financial problem का solution है.
और अगर आप अभी तक ऐसा नहीं कर रहे थे तो कोई बात नहीं, past cannot be changed…लेकिन फ्यूचर को हेमशा बेहतर बनाया जा सकता है. और future financially sound बनाने के लिए एक चीज जिसे मैं बहुत अधिक emphasize करता हूँ वो है- Mutual Funds.
कैसे म्यूचुअल फंड्स आपकी फाइनेंसियल प्रॉब्लम्स को कम या ख़त्म कर सकते हैं?
मैंने देखा है और खुद भी experience किया है कि पैसे बचाने का सबसे अच्छा तरीका है कि हम एक ऐसा सिस्टम सेटअप करें कि हर महीने पैसा हमारे अकाउंट से automatically deduct हो कर कहीं इन्वेस्ट हो जाए. और Mutual Funds के Systematic Investment Plans (SIPs) ठीक यही काम करते हैं.
आप 500रु के छोटे अमाउंट से भी SIP शुरू कर सकते हैं. साथ ही आप इसे जब चाहें तब स्टॉप भी कर सकते हैं. Personally मेरे लिए यह पैसे बचाने और उन्हें grow करने का सबसे अच्छा तरीका रहा है. Historically equity mutual funds में निवेश करना किसी भी bank FD, RD, या insurance plan के मुकाबले अच्छा रिटर्न देता है. साथ ही यहाँ कभी भी अपना पैसा withdraw करने की flexibility भी होती है.
इसलिए, आपको अपनी income के proportionate SIPs ज़रूर शुरू करने चाहिए. I assure you आपका उठाया यही एक कदम आपकी financial problems को बहुत हद्द तक कम या ख़त्म कर देगा. So, just go for it!
तो दोस्तों, Personal Finance की इस पोस्ट में आज इतना ही… जल्द मिलते हैं अगले article के साथ.
Till then take care…save money…invest wisely!
Thank You
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Sonu says
पैसा कमाने और निवेश करने में बहुत अंतर होता है। अच्छा कमाने के साथ-साथ यह भी सोचना चाहिए Financial Goals Achieve कैसे हो? जिसके लिए आपने बहुत ही अच्छी जानकारी साझा की है
Anuj Mishra says
Bilkul sahi , ham earning 10 rupaye karte hai lekin kharch 12 rupaye kar dete hai , life ko apne jaruri ke hisab se jina chahiye
Ganesh Godik says
Useful
Good Khabar says
बिल्कुल सटीक बिंदुओं को आपने दर्शाया है, हम जीवन भर अपने खर्चो को कम करने मे लगे रहते है भले हमारी तनख्वाज कितनी भी अधिक क्यू ना हो लेकिन हमें समझ ही नही आता की हमारी तनख्वाह आखिर खर्च कहा हो जाती है, लेकिन आपके इन मुख्य बिंदुओ को पढ़ कर पता चलता है कि हम कहां कहां ध्यान नही देते जिसके कारणवश हम अपनी तनख्वाह का कुछ अंश भी नही बचा पाते अपने भविष्य के लिए और परेशान रहा करते है।
आपका बहुत धन्यवाद, आपने बहुत अच्छी जानकारी शेयर की है।
alok kumar says
Bilkul sahi likha hai.Adhikatar log aaj apne befjul ke kharcho kee vajah se hee pareshan hai.
Amul Sharma says
Ek Behtareen Article….sabhi points bahut kaam ke hain first n second points sabse jaruri hain….thanks Gopal sir
V N MISHRA says
Nice thing i will follow
Vishnu says
Be fujul kharch ki definition ko pehchan chaiye. Eg.kharch Karne ke bad pachtava na ho.
हर्षवर्धन श्रीवास्तव says
आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन में शामिल किया गया है। सादर …. आभार।
Gopal Mishra says
शामिल करने के लिए धन्यवाद!
KRISHNA MOHAN SINGH says
बिलकुल जब जरुरत हो “ना” कहने की तो बेसक सदैव “ना” ही बोलना चाहिए – गोपाल भाई जी।
Warren Buffett की इस सूत्र को सदैव ही याद रखना चाहिए –
Rule No.1: Never lose money. Rule No.2: Never forget rule No.1. Warren Buffett