बहुत समय पहले की बात है, दो अरबी दोस्तों को एक बहुत बड़े खजाने का नक्शा मिला. खजाना किसी रेगिस्तान के बीचो-बीच था.
दोनों ने योजना बनाना शुरू की. खजाने तक पहुँचने के लिए बहुत लम्बा समय लगता और रास्ते में भूख- प्यास से मर जाने का भी खतरा था. बहुत विचार करने पर दोनों ने तय किया कि इस योजना में एक और समझदार दोस्त को शामिल किया जाए, ताकि वे एक और ऊंट अपने साथ ले जा सकें जिस पर खाने-पीने का ढेर सारा सामान भी आ जाए और खजाना अधिक होने पर वे उसे ऊंट पर ढो भी सकें.
पर सवाल ये उठा कि चुनाव किसका किया जाए?
बहुत सोचने के बाद मोहम्मद और रिजवान को चुना गया. दोनों हर तरह से बिलकुल एक तरह के थे और कहना मुश्किल था कि दोनों में अधिक बुद्धिमान कौन है? इसलिए एक प्रतियोगिता के जरिये सही व्यक्ति का चुनाव करने का फैसला किया गया.
दोनों दोस्तों ने उन्हें एक निश्चित स्थान पर बुलाया और बोले, “आप लोगों को अपने-अपने ऊंट पर सवार होकर सामने दिख रहे रास्ते पर आगे बढ़ना है. कुछ दूर जाने के बाद ये रास्ता दो अलग-अलग रास्तों में बंट जाएगा- एक सही और एक गलत. जो इंसान सही रास्ते पर जाएगा वही हमारा तीसरा साथी बनेगा और खजाने का एक-तिहाई हिस्सा उसका होगा.”
दोनों ने आगे बढ़ना शुरू किया और उस बिंदु पे पहुँच गए जहाँ से रास्ता बंटा हुआ था.
वहां पहुँच कर मोहम्मद ने इधर-उधर देखा, उसे दोनों रास्तों में कोई अंतर समझ नहीं आया और वह जल्दी से बांये तरफ बढ़ गया. जबकि, रिजवान बहुत देर तक उन रास्तों की ओर देखता रहा, और उन पर आगे बढ़ने के नतीजे के बारे में सोचता रहा.
करीब 1 घंटे बाद बायीं ओर के रास्ते पर धूल उड़ती दिखाई दी. मोहम्मद बड़ी तेजी से उस रास्ते पर वापस आ रहा था.
उसे देखते ही रिजवान मुस्कुराया और बोला, “गलत रास्ता ?”
“हाँ, शायद!”, मोहम्मद ने जवाब दिया.
दोनों दोस्त छुप कर यह सब देख रहे थे और वे तुरंत उनके सामने आये और बोले, “बधाई हो!
“शुक्रिया!”, रिजवान ने फ़ौरन जवाब दिया.
“तुम्हे नहीं, हमने मोहम्मद को चुना है.”, दोनों दोस्त एक साथ बोले.
“पर मोहम्मद तो गलत रास्ते पर आगे बढ़ा था… फिर उसे क्यों चुना जा रहा है?”, रिजवान गुस्से में बोला.
“क्योंकि उसने ये पता लगा लिया कि गलत रास्ता कौन है और अब वो सही रास्ते पर आगे जा सकता है, जबकि तुमने पूरा वक़्त बस एक जगह बैठ कर यही सोचने में गँवा दिया कि कौन सा रास्ता सही है और कौन सा गलत. समझदारी किसी चीज के बारे में ज़रूरत से ज्यादा सोचने में नहीं बल्कि एक समय के बाद उस पर काम करने और तजुर्बे से सीख लेने में है.”, दोस्तों ने अपनी बात पूरी की.
Friends, हमारी life में भी कभी न कभी ऐसा point आता है जहाँ हम decide नहीं कर पाते कि कौन सा रास्ता सही है और कौन सा गलत. और ऐसे में बहुत से लोग बस सोच-विचार करने में अपना काफी समय बर्बाद कर देते हैं. जबकि, ज़रुरत इस बात की है कि चीजों को over-analyze करने की बजाय मोहम्मद की तरह अपने options को carefully consider करके action लिया जाए और अपने experience के आधार पर आगे बढ़ा जाए.
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Hindi Story on Not Over Analyzing / ज़रुरत से ज्यादा सोच-विचार ना करने की सीख देती यह कहानी आपको कैसी लगी? कृपया कमेंट के माध्यम से बताएँ.
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Kashif says
jabardast story thank you
vijay patel says
ji ha sir ji apne yh bahut achchhi khani btayi isme achchhi sikh di gyi hai ki insan ko sochne me jyada smy brbad nhi krna chahiye apna kam krke or age bdhkr shi rasta chunna chahiye
Dheerendra says
this is a very good story.
thanks sir…..
Shivlal says
Very nice story.
Dina ( Heart Touching ) says
main achi khabar ka niymit pathak hoon mujhe is website ki sabhi post bhoot hi rochak aur acchi lagti hai. inki sabhi post shikshapard hoti hai jo aik sikh deti hai.
MANI says
NICE POST JI
VISHAL says
nice story
GAGAN MEHRA says
NICE STORY WITH DEEP MORAL.. YES,IT IS RIGHT.SOMETIMES WE SPEND TOO MUCH TIME THINKING WHAT OPTION IS RIGHT FOR US OR WHAT IS NOT…AT THIS SITUATION,”DON’T THINK MORE,JUST DO IT”
Yuvraj Dodiya says
बहुत ही अच्छी कहानी है।
आशीष देसाई says
बहुत खूब कहाँ