दोस्तों, अक्सर अपने लक्ष्य की तरफ बढ़ते हुए हमें अनेकों बाधाओं का सामना करना पड़ता है. सम्भव है कि इस दौरान हम थक जाएं…निराश हो जाएं… हमारे कदम लडखडाने लगें. ऐसे में हमें ज़रुरत होती है खुद को संभालने की, मोटिवेट करने की और मजबूती से आगे बढ़ने की.
- पढ़ें: ये मत सोचो कि (प्रेरणादायक कविता)
और आज AchhiKhabar.Com (AKC) पर मैं आपके समक्ष अभिषेक सिंह जी द्वारा लिखी एक ऐसी ही बेहद प्रेरणादायक कविता शेयर कर रहा हूँ आपको जोश से भर देगी और आपके अन्दर एक नयी उर्जा का संचार कर देगी. तो चलिए पढ़ते हैं –
Inspirational Poem in Hindi For Students
विद्यार्थियों के लिए एक प्रेरक कविता
➡ नोट: कुछ कठिन शब्दों के अर्थ (ब्रैकेट) में दिए हुए हैं. कृपया कविता का पाठ करते समय उन्हें नज़रअंदाज़ करें.
“खुद को नई चाल दो”
शक्तिपुंज (शक्ति का भण्डार) हो अनंत भीरुता (डर) निकाल दो,
डग मगा रहा हृदय तो धीरता (सब्र) विशाल दो,
शिथिल (ढीले-ढाले) तन को मन की स्फूर्ती कमाल दो,
लड़खड़ा रहे कदम तो खुद को नई चाल दो।
आखिरी हो श्वांस पर मन मे ये विश्वास हो,
हे मनुज तुम इस धरा की सौम्य (शांत -सुन्दर) स्वप्न आश हो,
भटकते हुए मन को झटक के सम्भाल दो,
ठेल कर तिमिर (अन्धकार) हृदय का ठोंक करके टाल दो,
अग्नि दीप्ति (तेज) सूर्य हो प्रकाश को उछाल दो,
लड़खड़ा रहे कदम तो खुद को नई चाल दो।
जब कभी एकांत आके तुमको है घेरता,
अस्तित्व खुद का तुमको ही आँखे तरेरता (घूरता),
कमतरी का बोध आके कानों में पुकारता,
जब तुम्हें समय तुम्हारे हाल में ही मारता,
हिय (ह्रदय) में व्याप्त वेदना को मृत्यु तुम अकाल दो,
लड़खड़ा रहे कदम तो खुद को नई चाल दो।
जब तुम्हारे लोग सर्प बन करके डस रहे,
तालियों को पीट कर तुम पर ही हँस रहे,
रक्त तप्त (गरम) हो स्वयं के खून को उबाल दो,
हौसलों की आग फूँक जीत की मशाल दो,
जरा हो जिजीविषा (जीवन) तो मृत्यु को खँगाल दो,
लड़खड़ा रहे कदम तो खुद को नई चाल दो।
तुम अदम्य (अजेय) साहसी हो सत्य की पुकार हो,
तुम ही एक मात्र खुद की जिंदगी के सार हो,
बेड़ियों को काट दे जो तीक्ष्ण (तेज) तुम कृपाण (तलवार) हो,
धधकती हुयी धमक हो जीत का प्रमाण हो,
सिंह (शेर) हो गहन में खुद की गर्जना विकराल (भयानक) दो,
लड़खड़ा रहे कदम तो खुद को नई चाल दो।
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जिला – उन्नाव
अभिषेक जी एक निजी कंम्पनी में वरिष्ठ कार्यकारी अधिकारी के रूप में कार्यरत हैं. उन्हें कविताएँ एवं गीत लिखने का शौक है. शिक्षक दिवस के अवसर पर गुरु के सम्मान में लिखी इस इस उत्कृष्ट कविता को हमारे साथ साझा करने के लिए हम उनके आभारी हैं.
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Note: This motivational poem for students in Hindi may be used by students of class 5, 6, 7, 8, 9, 10, etc to recite in class or school assembly.
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Krishna says
Nice post boss, sun kar accha lga ki apne gorakhpur ke hai aap