किसान की समस्या – महात्मा बुद्ध की कहानी
एक बार एक गांव में एक किसान अपने दुखों से बहुत दुखी था। किसी ने उसको बताया कि तुम अपने दुखों के समाधान के लिए गौतम बुद्ध की शरण में जाओ, वह तुम्हारे सभी दुखों का समाधान कर देंगे। यह सुनकर वह किसान बुद्ध की शरण में चल पड़ा।
वह गौतम बुद्ध के पास पहुंचा और कहा हे महात्मा मैं एक किसान हूं और में अपनी जीविका चलाने के लिए खेती करता हूं। लेकिन कई बारवर्षा पर्याप्त नही होती है और मेरी फसल बर्बाद हो जाती है। किसान ने आगे कहा में विवाहित हूं, मेरी पत्नी मेरा ख्याल रखती है और में उससे प्रेम करता हूं, लेकिन कभी कभी वह मुझे परेशान करती है। जिससे मुझे लगता है कि में उससे उकता गया हूं और मुझे लगता है कि अगर वह मेरे जीवन में नही होती तो कितना अच्छा होता।
गौतम बुद्ध उस किसान की बात शांतिपूर्वक सुनते रहें।
किसान ने आगे कहना जारी रखा और बोला मेरे बच्चे भी है वो अच्छे हैं, लेकिन कभी-कभी वो मेरी बात नही मानते और उस समय मुझे बहुत क्रोध आता है, लगता है वो मेरे बच्चे हैं ही नहीं। किसान ऐसी ही बातें बुद्ध से करता गया और उसने अपने सारे दुखों को एक-एक करके बताया।
गौतम बुद्ध ध्यानपूर्वक उस किसान की समस्याओं को सुनते गए, उन्होंने बीच में एक शब्द भी नही कहा। किसान अपनी समस्याएं बताता चला गया और आखिर में किसान के पास बताने को कोई भी समस्या नही बची।
अपना मन हल्का हो जाने के बाद वह चुप हो गया और बुद्ध के जवाब की प्रतीक्षा करने लगा लेकिन बुद्ध ने कुछ नही कहा।
किसान अब और सब्र नहीं कर सकता था, वह आवाज़ ऊँची करते हुए बोला, “क्या आप मेरी समस्याओं का समाधान नही करेंगे?”
“मैं तुम्हारी कोई सहायता नही कर सकता।”, बुद्ध ने उत्तर दिया।
किसान को अपने कानो पर यकीन नहीं हुआ, “ये आप क्या कह रहे हैं, लोग तो बोलते हैं कि आप सभी के दुखों का निवारण कर देते है, तो क्या आप मेरे दुखों का निवारण नही करेंगे?”
बुद्ध ने कहा, “सभी के जीवन में कठिनाइयां होती हैं। तुम्हारे जीवन में कोई नई कठिनाई नही है। ये कठिनाइयां तो सभी के जीवन में आती जाती हैं। कभी मनुष्य सुखी होता है तो कभी दुःखी। कभी उसे पराए अपने लगते है और कभी उसे अपने लोग पराए लगने लगते है। ये जीवन चक्र है, इनसे कोई नही निकल सकता है। वास्तविकता में हमारा जीवन कठिनाइयों से भरा हुआ है। मेरा, तुम्हारा और सभी लोगों का जीवन समस्याओं से ग्रसित है। इसलिए मैं इन समस्याओं का समाधान नहीं कर सकता हूं।
यदि तुम किसी एक समस्या का उपाय कर भी लो तो उसके स्थान पर एक नई समस्या खड़ी हो जाएगी। यही जीवन का अटल सत्य है।
यह सुन कर किसान क्रोधित हो गया, बोला , “सब लोग कहते हैं कि आप महात्मा हैं, मैं यहां एक आस लेकर आया था की आप मेरी सहायता करेंगे। अगर आप मेरी समस्याओं का समाधान ही नही कर सकते तो मेरा यहां आना व्यर्थ हुआ। इसका मतलब सभी लोग झूठ बोलते हैं, मैं बेकार ही आपके पास आया”
इतना बोलकर किसान उठ कर जाने लगा।
तभी बुद्ध ने कहा, “मैं तुम्हारी इन समस्याओं का समाधान तो नही कर सकता हूं, लेकिन हां मैं तुम्हारी एक दूसरी समस्या का समाधान कर सकता हूं।”
किसान ने आश्चर्य से कहा, “इन समस्याओं के अलावा दूसरी समस्या, भला वह कौन सी समस्या है?
बुद्ध ने कहा, वह यह कि –
तुम नही चाहते कि तुम्हारे जीवन में कोई समस्या हो।
इसी समस्या के कारण ही दूसरी कई समस्याओं का जन्म हुआ है। तुम इस बात को स्वीकार कर लो कि सभी के जीवन में समस्याएं होती हैं, कठिनाइयां होती हैं। तुम सोचते हो कि तुम इस दुनिया में सबसे ज्यादा दुःखी हो और तुम्हारे जितना कोई ओर दुःखी नहीं है!
- पढ़ें: बुद्ध और अनुयायी
तुम अपने आस पास देखो, क्या वो लोग तुमसे कम दुःखी हैं?
तुम्हें अपना दुःख बड़ा लगता है लेकिन जो लोग तुम्हारे आस-पास रहते हैं उनको उनका दुःख बड़ा लगता है। इस दुनिया में सभी को अपना दुःख बड़ा लगता है। चाहे दुःख छोटा हो या फिर बड़ा हो लेकिन वह जिसके साथ घट रहा है, उसके लिए वह दुःख बड़ा प्रतीत होता है।
अगर तुम ध्यानपूर्वक देखोगे तो समझ जाओगे कि यह जीवन सुख-दुःख से भरा हुआ है। इसको तुम कभी नही बदल सकते हो।
लेकिन हाँ, तुम सुख – दुःख से ऊपर अवश्य उठ सकते हो, यह तुम्हारे लिए संभव है।
सुख और दुःख को हम आने से रोक नही सकते है लेकिन सुख और दुःख का हम पर कोई प्रभाव न पड़े ऐसी व्यवस्था हम कर सकते हैं। और इसकी शुरुआत इस तथ्य को समझने के साथ शुरू होती है कि हम कुछ भी कर लें जीवन में सुख-दुःख आने ही आने हैं, लेकिन हमें उनसे विचलित नहीं होना चाहिए।
इसलिए आज से तुम यह चाहना छोड़ दो कि तुम्हारे जीवन में कोई समस्या ही ना आये, और तब तुम जीवन में आने वाले सुख-दुःख को स्वयं में समा सकोगे। तूफ़ान के मध्य में भी शांत रह सकोगे और हर्षोल्लास के शोर में भी संतुलित रह पाओगे।”
किसान बुद्ध की चरणों में गिर पड़ा! वह समझ चुका था कि अब उसे क्या करना है!
मित्रों, यह जीवन सुख-दुःख से भरा हुआ है। ऐसे में यह सोचन गलत है कि दुःख कभी आये ही नहीं। इस कहानी में भगवान् बुद्ध द्वारा कही गई बातें हमें दुःख से घबराने या सुख में अत्यंत उत्साहित होने की जगह एक संतुलित जीवन जीने का सन्देश देती हैं. यदि आपको ये कहानी पसंद आई हो तो कृपया इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर करें।
धन्यवाद,
विक्रम खोड़वाल जी एक प्राइवेट कंपनी में इंजीनियर हैं और thinkdear ब्लॉग के माध्यम से हिन्दी सुविचार, प्रेरणादायक कहानियां, जीवनी, मोटिवेशनल पोस्ट, सेल्फ इंप्रूवमेंट पोस्ट, ज्ञानवर्धक पोस्ट, महत्त्वपूर्ण जानकारी आदि विषयों पर जानकारी प्रस्तुत करते हैं।
We are grateful to Vikram Ji for contributing this story from Lord Buddha’s Life. Thank You. 🙂
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Rupon Engti says
Sukh dukh ko santulit rakho aapko jannat se Kam nahi lagoge, jeevan mein dukhi rahogi toh nark se bhi kam nahi lagoge
Sandy says
Thank You Super Post. Awesome.
yashwantsagar says
thank u bhut hi usefull post
rahul kumar says
nice story
Aj gurjar says
Nice lekh sir