Monkeypox Virus In Hindi
मंकीपॉक्स वाइरस क्यों है खतरनाक, जानें इस के लक्षण और यह कैसे फैलता है !
मंकीपॉक्स एक तरह की संक्रामक बीमारी है, Monkeypox virus एक ऐसा वायरस है जो काफी वर्षों से अफ्रीका के लोगों में आम है। लेकिन पिछले कुछ समय से मंकीपॉक्स दुनिया के अन्य देशों में फैलने लगा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) का कहना है की अब तक इस वायरस (Monkeypox virus) से लगभग लगभग 28 से30 देश प्रभावित हो चुके हैं। यह मुख्यतः कनाडा, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, यूके, ब्रिटेन के अलावा अन्य कई यूरोपियन देशों में इसके काफी मामले सामने आ रहे हैं। इस Monkeypox virus का प्रकोप अभी तक बहुत अधिक तो नहीं है लेकिन कुछ देशों में आए इसके मामलों ने लोगों में इसके प्रति चिंता जरूर पैदा की है।
अभी तक मंकीपॉक्स वायरस के सबसे अधिक मामले ब्रिटेन में पाए गए हैं। भारत में तो अभी तक इसके मामले की कोई पुष्टि नहीं हुई है लेकिन फिर भी विशेषज्ञों के अनुसार इसको लेकर सावधान रहने की आवश्यकता है। क्योंकि मंकीपॉक्स का प्रकोप खतरनाक हो सकता है। मुख्यतः युवाओं के इसकी चपेट में आने का ज्यादा खतरा है।
कोरोना वायरस (Covid-19) जैसी महामारी ने लोगों को स्वास्थ्य के प्रति सजग रहने के लिए मजबूर किया है। इसलिए इस महामारी के बाद लोगों में स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ी है। लेकिन मंकीपॉक्स वायरस से घबराने के बजाय इसके बारे में उचित जानकारी, इसके प्रति जागरूकता व सावधानियां रखना आवश्यक है | आइए जान लेते हैं की यह Monkeypox virus शरीर को किस तरह से प्रभावित कर सकता है और इसके लक्षण क्या है?
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मंकीपॉक्स क्या है ? / What is monkeypox in Hindi
मंकीपॉक्स के वायरस की उत्पत्ति सबसे पहले 1998 में बंदरों के द्वारा हुई थी। इसके बंदरोंमें पाएजाने के कारण ही इसे मंकीपॉक्स के नाम से जाना जाने लगा था। इंसानों में मंकीपॉक्स का सबसे पहला मामला 1970 में एक युवा में सामने आया था। विशेषज्ञ एवं स्वास्थ्य संगठनों के अनुसार चिकनपॉक्स या स्मालपॉक्स की तरह ही मंकीपॉक्स भी एक ऑर्थोपॉक्स वायरस है। मंकीपॉक्स एक संक्रामक बीमारी तो है लेकिन चेचक की तुलना में या मृत्युदर के मामले में यह वायरस कम संक्रामक है।
मंकीपॉक्स के लक्षण / Symptoms of monkeypox in Hindi
इस Monkeypox virus के शुरुआती लक्षण सामान्य फ्लू जैसे ही होते हैं। इस वायरस की चपेट में आने पर शुरुआती लक्षणों में तेज बुखार, सिर में दर्द, हाथों पैरों मेंव मांसपेशियों में तेज दर्द के साथ साथ शरीर का टेंपरेचर बढ़ना जैसी समस्या उत्पन्न होती है। साथ ही इससे बॉडी का इम्यून सिस्टम भी प्रभावित होने लगता है।
एक दो दिन तक बुखार होने के बाद स्किन पर रैशेज या दाने से होने लगते हैं। शुरुआत में यह चेहरे पर होते हैं लेकिन धीरे-धीरे यह दाने चकते का रूप धारण करते हुए हाथों की हथेलियों और पैरों के तलवोंमें होने के साथ साथ पूरे शरीर के अन्य हिस्सों में भी फैलने लगते हैं।और इन चकतों में खुजली होने के साथ साथ दर्द भी होने लगता है। तथा धीरे-धीरे इनमें उभार आने के साथ साथ यह चकते घाव में बदलने लगते हैं। इन घाव से बैक्टीरियल इंफेक्शन का खतरा भी बढ़ता है। Monkeypox virus के और भी काफी लक्षण (Symptoms) दिखाई देते हैं जैसे की…
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Monkeypox Disease Behavior – मंकीपॉक्स बीमारी की पहचान
- तेज बुखार होने के साथ-साथ ठंड अधिक लगाना
- शरीर पर लाल रंग के दाने या चकत्ते होना
- शरीर में थकान व कमजोरी होना
- मांसपेशियों व शरीर में दर्द होना
- सिर में तेज दर्द के साथ बुखार होना
- जोड़ों में दर्द के साथ-साथ सूजन होना
मंकीपॉक्स कैसे फैलता है (How does monkeypox spread)
मंकीपॉक्स के तेजी से बढ़ते हुए मामलों को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी WHO इस पर नजर रखे हुए हैं। पूरे विश्व के कई स्वास्थ्य संगठन इसके बारे में अध्ययन कर रहे हैं।
यह Monkeypoxvirus किसी संक्रमित जानवर के काटने, उसके खून, शरीर के तरलपदार्थों या उसे छूने से हो सकता है। विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि यह चूहों और गिलहरियों जैसे कुतरने वाले जानवरों से अधिक फैलता है।
मंकीपॉक्स से संक्रमित जानवर का मांस खाने या कच्चा मांस खाने से भी इस बीमारी के फैलने का खतरा अधिक होता है।
मंकीपॉक्स संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आई हुई किसी भी वस्तु को छूने सेभी व्यक्ति इस संक्रमण की चपेट में आ सकता है।
इस वायरस से संक्रमित व्यक्ति से अगर कोई सामान्य व्यक्ति अत्याधिक करीब या निकट संपर्क में आ जाता है तो इसके फैलने का खतरा और बढ़ जाता है।
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मंकीपॉक्स को लेकर रखी जाने वाली सावधानियां (Precautions of monkeypox)
किसी भी प्रकार के वायरस की तरह ही मंकीपॉक्स के वायरस से बचने के लिए भी कुछ आवश्यक सावधानियां रखना बेहद जरूरी होता है।
इस वायरस को अधिकफैलने से रोकने के लिए इससे संक्रमित रोगी से आवश्यक दूरी बना कर रखना जरूरी होता है।
मंकीपॉक्स वायरस से संक्रमित होने के कुछ समय बाद वैक्सीन लगाई जा सकती है, चेचक में लगाई जानेवाली jynneostmvaccine दवा को मंकीपॉक्स में प्रभावी माना जाता है।
इस वायरस से बचाव का सुरक्षित उपाय है स्वच्छता, सावधानी और इस वायरस को लेकर उचित जानकारी होना है क्योंकि इससे संक्रमित रोगी 1 हफ्ते तक ठीक हो सकता है।
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मंकीपॉक्स का उपचार (monkeypox Disease Treatmement)
मंकीपॉक्स के वायरस का अभी तक कोई विशेष उपचार तो नहीं है लेकिन कुछ दवाओं का सेवन करने से इस वायरस को फैलने से नियंत्रित जरूर किया जा सकता है।
इसको लेकर विशेषज्ञों द्वारा की गई रिसर्च के अनुसार मंकीपॉक्स वायरस के लक्षण स्मालपॉक्स (Smallpox) से काफी हद तक मिलते जुलते होते हैं इसलिए इसका उपचार करने में स्मालपॉक्स यानी चेचक कीदवाओं का प्रयोग किया जा सकता है।
यह वायरस कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता (Emunity) वाले लोगों को अधिक प्रभावित करता है। इसलिए शरीर में पानी की पूर्ति के लिए लिक्विड पदार्थों का अधिक सेवन करना चाहिए, साथ ही पोषक तत्वों से भरपूर भोजन व खाद्य पदार्थों का नियमित सेवन करना इम्यून सिस्टम को मजबूत कर के इस संक्रमण से बचाने में सहायक है।
विशेषज्ञों का मत है कि स्मालपॉक्स यानी चेचक में प्रयोग किया जाने वाला इंजेक्शन भी मंकीपॉक्स के उपचार में प्रभावी होता है।
महत्वपूर्ण : इस लेख में लिखी गई तमाम जानकारीयों को सूचनात्मक उद्देश्य हेतू लिखा गया है अतः किसी भी सुझाव या जानकारी को आजमाने से पहले योग्य चिकित्सक से परामर्श अवश्य कर लेना चाहिए।
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श्रवण बिश्नोई
श्रवण जी Nirogihealth.com का फाउंडर हैं. आप मूलतः श्री गंगानगर, राजस्थान के रहने वाले हैं और पिछले 12 वर्षों से आयुर्वेद और घरेलू नुस्खों के उपयोग सम्बन्धी जानकारी अपने ब्लॉग पर शेयर कर रहे हैं. हम उनके इस काम की सराहना करते हैं और उनके उज्जवल भविष्य की कामना करते हैं.
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shaheena says
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Rehan35 says
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Rohit taak says
मंकीपॉक्स वायरस के बारे में बहुत अच्छी इनफार्मेशन आपने दी है. पढ़कर बहुत अच्छा लगा.
Cosmetica says
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Anam says
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