सत्यमेव जयते
(TRUTH ALWAYS TRIUMPHS)
आज हम अपने प्रतिष्ठित भारत की आजादी का स्वर्णिम अमृत महोत्सव मना रहे हैं, जो 15 अगस्त 2023 तक चलेगा। यह महोत्सव राष्ट्र की जागरूकता का महोत्सव है। यह महोत्सव सुराज्य के सपने को पूरा करने का महोत्सव है। यह महोत्सव वैश्विक शांति व विकास का महोत्सव है। यह अमृत महोत्सव हमें याद दिलाता है भारत की आदर्श राष्ट्रीय महावाक्य सत्यमेव जयते की, जिसे पंडित मदन मोहन मालवीय जी ने राष्ट्र पटल पर लाया, उसका प्रचार प्रसार किया और 26 जनवरी 1950 को भारत सरकार ने उसे आदर्श राष्ट्रीय वाक्य (motto) का दर्जा दिया और जिसको जीवन में धारण करके हम अपने स्वर्णिम भारत के लक्ष्य को पूरा कर सकते हैं।
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सत्यमेव जयते का अर्थ ?
सत्यमेव जयते का अर्थ है सत्य की सदैव विजय होती है। सत्य का शाब्दिक अर्थ है अविनाशी, इसीलिए ईश्वर को ही सत्य माना जाता है। गांधीजी जो सत्य की शक्ति के महान उपासक कहे जाते हैं उन्होंने कहा कि सत्य ही ईश्वर है और सत्य को अपने वास्तविक जीवन में उतारना ही कर्म योग है। अब हम व्यावहारिक जीवन में सत्य को अपनाएं तो सत्यता माना अंदर बाहर एक।कोई छल कपट नहीं ,जरा भी alloy मिक्स ना हो यानी 16 आने खऱा। सत्यता की इतनी महानता है कि सत्यता जीवन में धारण करने से अन्य गुण जैसे ईमानदारी ,वफादारी, निर्भीकता, निर्मलता, प्योरिटी, ट्रांसपेरेंसी आदि अनेक दिव्या गुण अपने आप ही आ जाते हैं।
सत्य की महिमा अपार है फिर भी हम सत्य मार्ग पर क्यों नहीं चल पाते ? इसका उत्तर बहुत सरल है ऊंचाई पर जाने का मार्ग हमेशा कठिन होता है।जैसै अगर हमने पहाड़ी पर चढ़ना है तो हमें बहुत टेढ़े-मेढे रास्तों को पार करना पड़ता है तभी ऊंचाई पर पहुंचते हैं। जबकि नीचे गिरना सहज होता है। दूसरी तरफ सत्य मार्ग कि अनुगामी सामान्यत: अकेला ही चलता है क्योंकि उसका पथ कठिन होने के कारण उसको साथी बहुत कम मिलते हैं। एक और मुख्य कारण यह भी है कि झूठ का रास्ता हमें immediate result देता है और सत्य मार्ग में हमें सब्र करना पड़ता है। अनेक बार हाऱ भी खानी पड़ सकती है लेकिन अंततः विजय सत्य कि ही होती है।
हम इतिहास में देखे तो सत्यता का सबसे बड़ा उदाहरण राजा हरिश्चंद्र की जीवन कहानी मैं मिलता है। कितने कष्ट सहे परंतु सत्य के मार्ग पर अटल रहे और अंत में उन्हें अपना खोया हुआ राज्य, पत्नी, पुत्र सब वापिस मिल गया और आज भी जहां सत्य की बात चलती है राजा हरिश्चंद्र का नाम सम्मान से लिया जाता है है। इसके अतिरिक्त हमारी धार्मिक ग्रंथ रामायण महाभारत और पुराणों में भी सत्य की असत्य पर विजय देख को मिलती है।
सत्य पर अनेक कहावतें प्रसिद्ध हैं। साँच बराबर तप नहीं, झूठ बराबर पाप।सच-सच तो बिट्टू नच। सत्य की नाव हिलती है डुलती है पर डूबती नहीं है। वास्तव में सत्य के मार्ग पर चलने वाला व्यक्ति के जीवन में कठिनाइयां आती हैं, परंतु सत्यता की अथॉरिटी से वह उन कठिनाइयों में भी निडर और निश्चित रहता है , हल्का रहता है जबकि असत्यवादी बोझ से दबा हुआ और चिंतित रहता है, भारी रहता है।
सत्य का जीवन में प्रयोग कैसे करें?
सत्य को सिद्ध करने की जरूरत नहीं वह समय आने पर अपने आप ही सिद्ध हो जाता है। वास्तव में सत्यता की चमक सूर्य के समान है जो कभी भी छिपा नहीं रह सकता। हाँ, थोड़े समय के लिए बादलों की बीच छिप सकता है लेकिन उसे फिर प्रकट होना ही है। इसलिए सत्य सिद्ध करने की जिद नहीं करनी है।दूसरी बात सत्य का प्रयोग सभ्यता से करना करना है। हम अपनी प्रैक्टिकल जीवन को देखते हैं कई जगह हम सच तो बोल देते हैं परंतु वह सत्य जो दूसरों को दुख दे, किसी का अपमान करें तो वह सत्य सत्य नहीं रहता बल्कि तो सत्य में alloy mix हो जाता है तो इसलिए सत्यता के साथ सभ्यता का बैलेंस भी चाहिए।
जैसे किसी ने झूठ बोला और हमने उसको तुरंत कह दिया कि तुम तो झूठे हो और दस ळोगों को बता दिया तो हमने उसके संस्कार को और ही पक्का कर दिया। इसलिए ऐसे में व्यक्ति को बड़े ही प्यार से पहले उसे उसकी विशेषताएं बताएं और फिर उसे झूठ बोलने की कमजोरी छोड़ने को कहें तो वह सहज ही हमारी बात सुन लेगा। हम किसी झूठे या बुरे व्यक्ति से घृणा भी करते हैं तो हमारी अंदर कड़वाहट आ जाती है और हमें भी मैला कर देती है। सत्यता माना एकदम निशछल। किसी के लिए भी द्वेष नहीं , एकदम सच्चा सोना।
हम इस कठिन सत्यता की मार्ग को कैसे अपनाएँ ?
यदि हम इस परम सत्य को जानते मानते और स्मृति में रखते हैं हैं कि इन आंखों से हम जो भी देखते हैं वह सब विनाशी है ,यह देह भी एक दिन नष्ट हो जानी है। केवल परमात्मा, आत्मा और प्रकृति के पांच तत्व इन सब को छोड़कर सब क्षणिक है। स्थूल में हम खाली हाथ आए थे और खाली हाथ ही जाना है परंतु सूक्ष्म रूप से अपनी कर्म व भाग्य को लेकर आए थे और साथ भी कर्मों का खाता ही जाना है। इसलिए जीवन में ethics और मूल्यों को महत्व देते हुए हर कर्म करना है।
इसके लिए कुछ प्रेरणादायक पुस्तकें पढ़ा करें और साथ ही अपनी प्रैक्टिकल जीवन में हम अटेंशन रखकर कुछ दिन सत्य के मार्ग पर चलने का अभ्यास करेंगे तो धीरे धीरे वह हमारा निजी संस्कार बनता जाएगा। अब इस शुभ अवसर पर हम यह शुभ प्रतिज्ञा लें कि जैसे हमारे वीरों ने देश को अपने त्याग और बलिदान से स्वतंत्र करवाया वैसे हम भी आज के समय की आवश्यकता को देखते हुए जीवन में सत्यता और श्रेष्ठ मार्ग को अपनाकर स्वर्णिम भारत का आवाहन करें और आने वाली पीढ़ी के लिए प्रेरणा स्रोत बनें।
धन्यवाद!
रीमा गुजराल
VRS प्रशासनिक अधिकारी
Oriental Insurance Co.
Email id.: [email protected]
➡ रीमा जी पिछले12 वर्षों से प्रजापिता ब्रह्माकुमारीज़ ईश्वरीय विश्वविद्यालय की regular student हैं और वहाँ से प्राप्त शिक्षाओं को अपने जीवन मे धारण करती हैं। जिससे उनके जीवन में बहुत बड़ा परिवर्तन आया है। अपना ज्ञान अह्मारे साथ साझा करने के लिए हम रीमा जी के आभारी हैं. सत्य पर इस अद्भुत लेख के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद!
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Anil says
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saran says
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microgaming88 says
Thank you for the information. Reaaly Satyameva Jayate.
lamidas says
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bhardwaj says
The National Defence Academy (NDA) is a joint service academy of the Indian Army. The Union Civil Service Commission (UPSC) conducts the National Defence Examination (NDA) every year.
Ramesh says
Thanks for wonderful article. Isi tarah likhte rahiye .
Krishna Kant says
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Ana says
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