अवसाद से बाहर कैसे आयें || Depression Se Bahar Kaise Nikle
वर्तमान समय की दिनचर्या, काम का दबाव, गला काट प्रतियोगिता और अकेलापन और इन सभी का परिणाम होता है- अवसाद यानी डिप्रेशन। भारत में लगभग 35% लोग अवसाद या अन्य किसी प्रकार के मानसिक विकार के कम से कम एक बार शिकार अवश्य हुए हैं। परन्तु इससे बचा जा सकता है। अपने जीवन को आध्यात्मिक बना कर। परन्तु अगर आप वर्तमान में अवसाद से घिर गये हैं, तो उससे बाहर कैसे निकलें यही हमारी चर्चा का विषय है।
1. संगति –
यदि आप अवसाद से ग्रस्त हैं, और उससे बाहर नहीं निकल पा रहे हैं, तो आपको अपनी संगति सुधारनी होगी। क्यों कि कबीर कहते हैं –“सच्ची संगति साधु की”
इसका अर्थ यह है कि हमें ऐसे व्यक्तियों की संगति करनी होगी जो विनम्र हैं और सकारात्मकता से भरे हुए हैं। क्यों कि अवसाद हमेशा ही निराशा के कारण ही होता है और जब आप ऐसे व्यक्तियों से बात करते हैं तो वे अपनी सकारात्मकता से आपकी नकारात्मकता को दूर कर देते हैं। और यदि पूरी तरह दूर न भी कर सके तो कम तो अवश्य ही कर देंगें।
“रामचरितमानस के लंका काण्ड में जब राम जी लंका में नहीं पहुँचते, तो सीता जी को निराशा होने लगती है। तब त्रिशला नामक राक्षसी जो बहुत सकारात्मक और समझदार थी, अपनी सकारात्मक बातों से सीता जी की निराशा दूर कर देती थी।“
इस लिए यदि आप अवसाद से ग्रसित हैं, तो सबसे पहले आप एक ऐसे व्यक्ति की संगति खोजें, जो सकारात्मक हो।
2. सद्साहित्य –
यदि आप अवसाद से ग्रस्त हैं, तो आपको कुछ समय अच्छी और सकारात्मक किताब पढ़ने में जरूर लगाना चाहिए। क्यों कि कई बार प्रयास करने पर भी हमें कोई ऐसा व्यक्ति नहीं मिल पाता जो हमें Motivate कर सके।
तब किताबें हमारा सहारा बनती हैं, और हमें उसी प्रकार अवसाद से वाहर निकाल लेती हैं, जैसे कोई सकारात्मक व्यक्ति निकालता है।
“एक बार अन्ना हजारे रेलवे स्टेशन पर बैठे थे और बैठे थे आत्महत्या करने के लिए। क्यों कि उन्हें जीने के लिए कोई वजह नहीं मिल रही थी कि अखिर क्यों मैं जिन्दा रहूँ। जीवन निराशा से भरा था। तभी उनकी नजर स्टेशन के बुक स्टाल पर एक किताब पर पडी और उन्होंने वह किताब ले ली और उसे पढा। जिसने उन्हें आत्महत्या से बचा लिया और उनका पूरा जीवन बदल दिया। यह किताब स्वामी विवेकानन्द की लिखी हुई कोई किताब थी”।
इसलिए सद्साहित्य हमेशा आपका मार्गदर्शन करेगा। गीता, भागवत्, उपनिषद् ये सभी हमारा मार्गदर्शन करने के लिए ही बने हैं। इनके अध्ययन से आपके अन्दर की निराशा जरूर कम होगी।
3. प्रकृति के करीब–
यदि आप अवसाद से ग्रसित हैं, तो आप प्रकृति के करीब जरूर जाये। पेड़ो को देखे, पौधो को देखे, उन पर खेल करती हुई गिलहरियों और चिड़ियोंको देखे ये सब खुश हैं और इसलिए खुश नहीं हैं कि कल को ये प्रधानमन्त्री बनने वाली हैं। भगवान ने इन्हें जो कुछ दिया है ये उसी में खुश हैं। और हम इसलिए दुखी हो रहे हैं कि जो हम चाहते थे वो हमें नहीं मिल सका।
इस लिए जब आप प्रकृति के करीब जायेंगे तो आपकी विचार-धारा में परिवर्तन आयेगा। और आप सकारात्मक हो सकेंगे।
“एक बार स्वामी विवेकानन्द साधना से निराश हो गये। और जाकर जंगल में ठहलने लगे और जा कर एक कोने में बैठ गये। तभी एक बाघ वहाँ दिखाई दिया। स्वामी जी सोचने लगे कि मुझे अभी तक ईश्वर दर्शन नहीं हो सके इसलिए यह शरीर भार रूप ही हैं, यदि यह बाघ इसको खा ले तो कम से कम इसकी भूख तो मिट जायेगी। परन्तु इस बाघ ने स्वामी जी को नहीं खाया। इस घटना के बाद उनका वहाँ पर बहुत गहरा ध्यान लगा था”। तो प्रकृति के करीब अगर आप जायेगे तो आप सकारात्मक होकर ही वापस आयेंगे।
4. खाली न रहना –
अगर आप अवसाद से ग्रस्त हैं, तो आप को एक मिनट को भी खाली नहीं रहना चाहिए। क्यों कि खाली दिमाग आपके अन्दर विभिन्न तरह की नकारात्मकता को भर देता है। महात्मा गाँधी का कहना था –“बेशक आपके सारे काम महत्वहीन हो सकते हैं, परन्तु फिर भी आप काम करें, यह अधिक महत्वपूर्ण हैं”।
यदि आपके पास कोई काम नहीं हैं, और आपको समझ में भी नहीं आ रहा कि क्या किया जाये। तो आप लगातार भगवान का नाम लेते रहें। इससे आप नकारात्मकता से तो बच ही जाते हैं साथ ही भगवान के नाम की पवित्रता से परिपूर्ण भी हो जाते हैं।
5. अपने मित्र जरूर बनायें-
अधिकतर जो लोग निराशा से ज्यादा ग्रसित होते हैं ,उनके कोई ऐसे मित्र नहीं होते जिनके साथ वे अपनी बात Share कर सकें। इसलिए उनकी बाते उनके अन्दर भरी रह जाती हैं।
आपका एक मित्र ऐसा जरूर होना चाहिए, जिससे आप अपनी हर बात Share कर सकें और वह उसको समझे न कि उसकी खिल्ली उड़ाये।
और यदि बहुत खोजने पर भी ऐसा कोई व्यक्ति आपको अपने जीवन में न मिले तो फिर आप अपनी सारी बात भगवान के साथ Share करना शुरू करें। वे सभी के मित्र हैं। आपको जरूर शान्ति मिलेगी।
6. संगीत –
अगर आप अवसाद से ग्रस्त हैं, तो संगीत आपके लिए वरदान साबित हो सकता है। परन्तु वह संगीत सकारात्मक और ईश्वरीय अवयवों से युक्त होना चाहिए। वह शास्त्रिय संगीत हो सकता है, कीर्तन हो सकता है,भगवान का भजन हो सकता हैं और कोई भी Meditative Sound हो सकता हैं। आप अपनी रुचि के अनुसार किसी एक को चुन सकते हैं।
7. ईश्वर के करीब-
और अब सबसे मुख्य बात, जो व्यक्ति वास्तव में ईश्वर के करीब होता है, वह कभी भी निराश नहीं होता हैं। आप ईश्वर के करीब जाईये, आपकी सारी निराशा भाग जायेगी। आपका मन आनन्दित हो जायेगा। आप भगवान के नाम का जप कीजिए, उनके नाम का कीर्तन कीजिए, भगवान के चरणो का ध्यान कीजिए और अपने आप को भगवान के चरणों में समर्पित कर दीजिए।
“रामकृष्ण परमहंस को जब भगवान के दर्शन नहीं हुए, तब उन्होंने आत्महत्या करने के लिए हाथ में तलवार उठा ली, ठीक उसी समय उनके हाथ से तलवार गिर गयी और उन्हें काली के दर्शन हुए”।
“सनातन गोस्वामी श्री चैतन्य महाप्रभु से मिलने के लिए पुरी गये तो रास्ते में उन्हें चर्म रोग हो गया, परन्तु इसके बाबजूद महाप्रभु नियमित इन्हें गले से लगाते थे। इस कारण ग्लानि से इन्होनें जगन्नाथ रथ यात्रा के रथ के नीचे अपने प्राण त्यागने का प्रण किया। परन्तु महाप्रभु ने इनसे कहा कि आत्महत्या करने से कुछ नहीं होगा। हरि नाम करों, हरि नाम। और हम सभी जानते हैं कि सनातन गोस्वामी का गौड़ीय वैष्णव ग्रन्थकारों में मुख्य स्थान हैं”।
अत: हम भगवान को जितना अधिक समर्पित होते जायेगें उतना ही मात्रा में हम सकारात्मक होते जायेगें। और निराशा और अवसाद हमारे पास भी नहीं आयेंगें। मित्रों आपको निम्न उपायों से अवसाद से मुक्ति पाने में जरूर सहायता मिलेगी। परन्तु यदि यह अधिक बड़ गया है, तो आपको उचित काउन्सलर और डॉक्टर की आवश्यकता है।
“धन्यवाद”
“हरे कृष्ण”
धन्यवाद
सुधांशुलानन्द
इंजिनियर
BSES Rajdhani Power Ltd.
सुधांशुलानन्द जी पेशे से एक Electrical Engineer हैं। आपकी गहरी रुची योग, ध्यान, आध्यात्म और दर्शन में है। आपको संगीत, साहित्य, और कला का शौक है। आप कविता, कहानी, भजन, पद्य, दोहे, अपनी खुशी से लिखते हैं और अपने लेखन से आप इस संसार के प्रत्येक व्यक्ति को आध्यात्म और वास्तविक धर्म के करीब लाने में प्रयत्नशील हैं।
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AWAIS ALI says
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abbeautycare says
good blog
Sikandar says
Thank you
Kunal kumar says
सही बात आभार अवसाद मे आजकल सभी जी रहे है आपके शब्द अवसाद से निकलने मे मदद करेगा
Chandan says
i needed it
Onkar Kedia says
सुंदर
Parth says
Thanks