स्वामी विवेकानंद और महान जर्मन दार्शनिक ड्यूसेन की भेंट Swami Vivekananda and Paul Jakob Deussen Inspirational Incident in Hindi स्वामी विवेकानंद का जीवन अनेक प्रेरणादायक स्मरणों से भरा पड़ा है। जो लोग मनुष्य की क्षमता को एक सीमित नजरिये से देखते हैं उनके लिए तो विवेकानंद के जीवन को पढ़ना और समझना अत्यंत आवश्यक है। स्वामी विवेकानंद के जीवन की ऐसी ही एक महत्वपूर्ण घटना जर्मनी में घटी जब वे जर्मनी के महान दार्शनिक और विद्वान पॉल जैकब ड्यूसेन के मेहमान थे। ज़रूर पढ़ें: स्वामी विवेकानंद के … [Read more...]
निर्भय सन्यासी स्वामी विवेकानंद की स्पष्टवादिता | पुण्यतिथि पर विशेष
सच्चाई के लिये कुछ भी छोड़ देना चाहिये, पर किसी के लिये सच्चाई नही छोड़नी चाहिये। ऐसे उच्च विचारों वाले महान सन्यासी व युवा शक्ति के प्रतीक स्वामी विवेकानंद लोगों को मात्र संदेश नही देते थे बल्की उन विचारों को अपने जीवन में अपनाकर एक प्रत्यक्ष उदाहरण प्रस्तुत करते थे। आज ४ जुलाई; स्वामी विवेकानंद जी की पुण्यतिथि के अवसर पर हम आपके साथ एक ऐसा ही प्रसंग साझा कर रहे हैं। निर्भय सन्यासी स्वामी विवेकानंद की स्पष्टवादिता भारत भ्रमण के दौरान मैसूर में स्वामी जी की मुलाकात मैसूर राज्य के दीवान … [Read more...]
गुरु-शिष्य की वो मुलाक़ात जिसने स्वामी विवेकानंद का जीवन बदल दिया!
स्वामी विवेकानंद जयंती व युवा दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं! भारतीय इतिहास के संक्रान्ति काल में अपने गुरु के मंगल आशीर्वाद को शिरोधार्य कर के युगपुरुष स्वामी विवेकानंद जी ने धर्म, समाज और राष्ट्र में समष्टि-मुक्ती के महान आदर्श को प्रस्तुत किया। गुरु रामकृष्ण परमहंस के विचारों को अमृत समान मानने वाले स्वामी विवेकानंद जी जब पहली बार रामकृष्ण से मिले तो उनके मन में रामकृष्ण के प्रति एक विरोधाभास विचार उत्पन्न हुआ था। इस मुलाकात का प्रसंग "न भूतो न भविष्यति" में देखने को मिलता है। ये प्रसंग स्वामी … [Read more...]
स्वामी विवेकानंद और राष्ट्रवाद : स्वामी विवेकानंद पुण्यतिथि पर विशेष
An Article on Swami Vivekananda Death Anniversary in Hindi स्वामी विवेकानंद जी की पुण्यतिथि पर विशेष आज ४ जुलाई को स्वामी विवेकानंद जी की पुण्यतिथि है। आज ही के दिन 1902 में, 39 साल की आयु में स्वामी जी का देहांत हो गया था। स्वामी विवेकानंद हर तरह की विविधता के समर्थक थे। बहुलता पर आधारित राष्ट्रवाद उनका लक्ष्य था।उनका कहना था कि- हल पकङे हुए किसानो की कुटिया से नए भारत का उदय हो...मोची मछुआरों और भंगी के दिल से नए भारत का उदय हो... पंसारी की दुकान से नए भारत का जन्म हो... बगीचों और … [Read more...]
स्वामी विवेकानंद का युवाओं को संदेश
आज अत्याधुनिक युग में भी अनेक युवा; स्वामी विवेकानंद जी की बातों का अनुसरण करते हैं एवं उनके उपदेशों को आत्मसात करने का प्रयास कर रहे है। युवाओं में अत्यधिक लोकप्रिय स्वामी विवेकानंद जी ने युवाओं की जिज्ञासाओं का समय-समय पर अत्यधिक सहज और तर्क संगत तरीके से समाधान किया है। स्वामी जी के अनेक प्रसंग आज भी हम सभी के लिए पथ-प्रदर्शक हैं। ऐसे ही एक प्रसंग को आप सबसे साझा करने का प्रयास कर रहे हैं। स्वामी विवेकानंद जी जब अलवर प्रवास पर थे तब एक दिन कुछ युवा अपनी जिज्ञासा शांत करने स्वामी जी के … [Read more...]
स्वामी विवेकानंद के जीवन के तीन प्रेरक प्रसंग
प्रेरक प्रसंग : पुत्र के लिए प्रार्थना प्रत्येक माता के मन में यह भाव स्वाभाविक होता है कि उसकी संतान कुल की कीर्ति को उज्जवल करे. प्रथम दो संताने शिशुवय में ही मर गयी थीं, इसीलिए माता भुवनेश्वरी देवी प्रतिदिन शिवजी को प्रार्थना करती कि ‘हे शिव ! मुझे तुम्हारे जैसा पुत्र दो.’ काशी में निवास कर रहे एक परिचित व्यक्ति को कह कर उन्हों ने एक वर्ष तक वीरेश्वर शिवजी की पूजा भी करवाई थी. माता भुवनेश्वरी का मन-चित्त भगवान शंकर को सतत याद करके प्रार्थना किया करता. एक रात्रि को स्वप्नमें उन्हें महादेव … [Read more...]
युवा शक्ति के प्रतीक स्वामी विवेकानंद
उन्नीसवीं शताब्दी में विदेशी शासन की दासता से दुखी और शोषित हो रही भारतीय जनता को जिन महापुरुषों ने अंग्रेजों के विरुद्ध संर्घष के लिए प्रोत्साहित किया उनमें, स्वामी विवेकानंद जी प्रमुख थे। अपनी ओजस्वी वांणी से उन्होने जन-मानस के मन में स्वतंत्रता का शंखनाद किया। अपनी मातृभूमि के प्रति उनके मन में अत्यधिक सम्मान था। भारत माता की गुलामी और उसके तिरस्कार को देखकर स्वामी जी का मन व्याकुल हो जाता था। उनके मन में राष्ट्रप्रेम कूट-कूट कर भरा था। मद्रास के अनेक युवा शिष्यों को उन्होने लिखा था कि, “भारत … [Read more...]
डरो मत ! स्वामी विवेकानंद प्रेरक प्रसंग
स्वामी विवेकानंद बचपन से ही निडर थे , जब वह लगभग 8 साल के थे तभी से अपने एक मित्र के यहाँ खेलने जाया करते थे , उस मित्र के घर में एक चम्पक पेड़ लगा हुआ था . वह स्वामी जी का पसंदीदा पेड़ था और उन्हें उसपर लटक कर खेलना बहुत प्रिय था . रोज की तरह एक दिन वह उसी पेड़ को पकड़ कर झूल रहे थे की तभी मित्र के दादा जी उनके पास पहुंचे , उन्हें डर था कि कहीं स्वामी जी उसपर से गिर न जाए या कहीं पेड़ की डाल ही ना टूट … [Read more...]
स्वामी विवेकानंद की 150 वीं जयंती – 12 जनवरी 2013
जिन महान विभूतियों ने युग युग में जन्म लेकर मानवजाति के कल्याण हेतु कार्य किये हैं, उनके बचपन को यदि देखा जाए तो उनका बचपन असाधारण कार्यो का एहसास कर ही देता है। बचपन से ही माँ के मुख से रामायण एवं महाभारत की कहानियाँ सुनना नरेन्द्रनाथ(स्वामी जी के बचपन का नाम) को बहुत अच्छा लगता था। रामयण सुनते सुनते बालक नरेन्द्र का सरल शिशुह्रदय भक्तिरस से परिपूर्ण हो जाता था। रामायण से ही जुङी एक घटना एवं उनके बहादुरी के किस्से, आप सबसे share करना चाहते है। वैसे भी जन्मदिन पर हम सभी अपने बचपन को याद कर ही … [Read more...]
युगपुरुष स्वामी विवेकानंद का युवाओं को एक पत्र
युगपुरुष विवेकानंद जी का एक पत्र जिसमें उन्होंने भारतीय संस्कृति और धर्म का जन-जन में संचार करने के लिये युवाओं का आह्वान किया है। स्वामीजी ने अपने अल्प जीवन में धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र और प्रगतिशील समाज की परिकल्पना की थी। स्वामी जी ये पत्र 19 नवम्बर 1894 को न्युयार्क से भारत के श्रीयुत, आलासिंगा, पेरुमल आदि भक्तों को लिखे थे। ये पत्र उनकी भावनाओं-मान्यतओं और जीवन दर्शन का स्पष्ट प्रमाण है। मित्रों, उस पत्र का कुछ अंश आप सभी से share कर रहे हैं। हे वीर हद्रय युवकों, यह बङे संतोष की बात … [Read more...]