बहुत समय पहले की बात है हिमालय के जंगलों में एक बहुत ताकतवर शेर रहता था . एक दिन उसने बारासिंघे का शिकार किया और खाने के बाद अपनी गुफा को लौटने लगा. अभी उसने चलना शुरू ही किया था कि एक सियार उसके सामने दंडवत करता हुआ उसके गुणगान करने लगा .
उसे देख शेर ने पूछा , ” अरे ! तुम ये क्या कर रहे हो ?”
” हे जंगल के राजा, मैं आपका सेवक बन कर अपना जीवन धन्य करना चाहता हूँ, कृपया मुझे अपनी शरण में ले लीजिये और अपनी सेवा करने का अवसर प्रदान कीजिये .” , सियार बोला.
शेर जानता था कि सियार का असल मकसद उसके द्वारा छोड़ा गया शिकार खाना है पर उसने सोचा कि चलो इसके साथ रहने से मेरे क्या जाता है, नहीं कुछ तो छोटे-मोटे काम ही कर दिया करेगा. और उसने सियार को अपने साथ रहने की अनुमति दे दी.
उस दिन के बाद से जब भी शेर शिकार करता , सियार भी भर पेट भोजन करता. समय बीतता गया और रोज मांसाहार करने से सियार की ताकत भी बढ़ गयी , इसी घमंड में अब वह जंगल के बाकी जानवरों पर रौब भी झाड़ने लगा. और एक दिन तो उसने हद्द ही कर दी .
उसने शेर से कहा, ” आज तुम आराम करो , शिकार मैं करूँगा और तुम मेरा छोड़ा हुआ मांस खाओगे.”
शेर यह सुन बहुत क्रोधित हुआ, पर उसने अपने क्रोध पर काबू करते हुए सियार को सबक सिखाना चाहा.
शेर बोला ,” यह तो बड़ी अच्छी बात है, आज मुझे भैंसा खाने का मन है , तुम उसी का शिकार करो !”
सियार तुरंत भैंसों के झुण्ड की तरफ निकल पड़ा , और दौड़ते हुए एक बड़े से भैंसे पर झपटा, भैंसा सतर्क था उसने तुरंत अपनी सींघ घुमाई और सियार को दूर झटक दिया. सियार की कमर टूट गयी और वह किसी तरह घिसटते हुए शेर के पास वापस पहुंचा .
” क्या हुआ ; भैंसा कहाँ है ? “, शेर बोला .
” हुजूर , मुझे क्षमा कीजिये ,मैं बहक गया था और खुद को आपके बराबर समझने लगा था …”, सियार गिडगिडाते हुए बोला.
“धूर्त , तेरे जैसे एहसानफरामोश का यही हस्र होता है, मैंने तेरे ऊपर दया कर के तुझे अपने साथ रखा और तू मेरे ऊपर ही धौंस जमाने लगा, ” और ऐसा कहते हुए शेर ने अपने एक ही प्रहार से सियार को ढेर कर दिया.
किसी के किये गए उपकार को भूल उसे ही नीचा दिखाने वाले लोगों का वही हस्र होता है जो इस कहानी में सियार का हुआ. हमें हमेशा अपनी वर्तमान योग्यताओं का सही आंकलन करना चाहिए और घमंड में आकर किसी तरह का मूर्खतापूर्ण कार्य नहीं करना चाहिए.
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Note: The Hindi story shared here is a part of Hitopdesha Tales.
Note: The inspirational story shared here is not my original creation, I have read it before and I am just providing a Hindi version of the same.
Navratan Singh says
Very good story Sir
From
Navratan Singh
Computer Operator
शुभ्रांशु शंकर says
आप अत्यधिक धनी गुणों से परिपूर्ण हैं ……….आपकी भी सभी गुणगान करते रहेंगे……………
Abhishek, says
Financial Planning par bhi kuch tips Dijiye Sir
S.K. SINGLA says
बहुत अच्छी कहानी है सर जी मगर दो गलतियाँ हैं 1 “गुनगान” की जगह ‘गुड़गान ‘ और 2 शेर ने पने (अपने आना है ) क्रोध पर काबू पाते ……
Gopal Mishra says
Thanks for pointing out, will correct it tonight.
Jyoti Mishra says
Self control is vital..
Sahil Jain says
very inspirational story gopal ji.one can relate it with their own life.
never forget someone who helped you when there was nobody with you.
Narinder Kumar, UNAIDS CIVIL SOCIETY AWARDEE, STATE AWARDEE says
One of the best lesson. Thanks Gopal Mishra Ji.
Brij Bhushan Gupta, New Delhi, 9810360393 says
Achchhi Seekh……….
प्रवीण पाण्डेय says
सच है, अपनी सीमायें समझनी चाहिये और उसका अतिक्रमण नहीं करना चाहिये।
saurabh kumar says
nice