एक दिन एम्प्लाइज जब ऑफिस पहुंचे तो उन्हें गेट पर एक बड़ा सा नोटिस लगा दिखा :” इस कंपनी में जो व्यक्ति आपको आगे बढ़ने से रोक रहा था कल उसकी मृत्यु हो गयी . हम आपको उसे आखिरी बार देखने का मौका दे रहे हैं , कृपया बारी-बारी से मीटिंग हॉल में जाएं और उसे देखने का कष्ट करें .”
जो भी नोटिस पढता उसे पहले तो दुःख होता लेकिन फिर जिज्ञासा हो जाती की आखिर वो कौन था जिसने उसकी ग्रोथ रोक रखी थी … और वो हॉल की तरफ चल देता …देखते देखते हॉल के बाहर काफी भीड़ इकठ्ठा हो गयी , गार्ड्स ने सभी को रोक रखा था और उन्हें एक -एक कर के अन्दर जाने दे रहा था.
सबने देखा की अन्दर जाने वाला व्यक्ति काफी गंभीर हो कर बाहर निकलता , मानो उसके किसी करीबी की मृत्यु हुई हो !… इस बार अन्दर जाने की बारी एक पुराने एम्प्लोयी की थी …उसे सब जानते थे ,सबको पता था कि उसे हर एक चीज से शिकायत रहती है …. कंपनी से , सहकर्मियों से , वेतन से हर एक चीज से !
पर आज वो थोडा खुश लग रहा था …उसे लगा कि चलो जिसकी वजह से उसकी लाइफ में इतनी प्रोब्लम्स थीं वो गुजर गया …अपनी बारी आते ही वो तेजी से ताबूत के पास पहुंचा और बड़ी जिज्ञासा से उचक कर अन्दर झाँकने लगा …पर ये क्या अन्दर तो एक बड़ा सा आइना रखा हुआ था.
यह देख वह क्रोधित हो उठा और जोर से चिल्लाने के हुआ कि तभी उसे आईने के बगल में एक सन्देश लिखा दिखा –
“इस दुनिया में केवल एक ही व्यक्ति है जो आपकी ग्रोथ रोक सकता है और वो आप खुद हैं . इस पूरे संसार में आप वो अकेले व्यक्ति हैं जो आपकी ज़िन्दगी में क्रांति ला सकता है .
आपकी ज़िन्दगी तब नहीं बदलती जब आपका बॉस बदलता है , जब आपके दोस्त बदलते हैं , जब आपके पार्टनर बदलते हैं , या जब आपकी कंपनी बदलती है …. ज़िन्दगी तब बदलती है जब आप बदलते हैं , जब आप अपनी लिमिटिंग बिलीफ्स तोड़ते हैं , जब आप इस बात को रीयलाईज करते हैं कि अपनी ज़िंदगी के लिए सिर्फ और सिर्फ आप जिम्मेदार हैं . सबसे अच्छा रिश्ता जो आप बना सकते हैं वो खुद से बनाया रिश्ता है . खुद को देखिये , समझिये …कठिनाइयों से घबराइए नहीं उन्हें पीछे छोडिये … विजेता बनिए , खुद का विकस करिए और अपनी उस वास्तविकता का निर्माण करिए जिसका करना चाहते हैं !
दुनिया एक आईने की तरह है : वो इंसान को उसके शशक्त विचारों का प्रतिबिम्ब प्रदान करती है . ताबूत में पड़ा आइना दरअसल आपको ये बताता है की जहाँ आप अपने विचारों की शक्ति से अपनी दुनिया बदल सकते हैं वहां आप जीवित होकर भी एक मृत के समान जी रहे हैं।
इसी वक़्त दफना दीजिये उस पुराने ‘मैं’ को और एक नए ‘मैं’ का सृजन कीजिये !!!”
————–——–
Note: The inspirational story shared here is not my original creation, I read/heard this story earlier and I am providing a modified Hindi version of the same.
Rammohansingh says
Rammohansingh;
Main to yahi kahunga ki har kisi se sikhne ki jarurat h air self defence banned ki jarurat bhi vaise sab log sari achchi shikshaye to mante nhi per jo log es achchhikhabar.com ko padte honge bo thora bahut to sikhte aur apnane ki kosis karte honge i,m very happy from read it,s
Hindishayariclub says
sahi hai hum khud hi apni growth KO limited soch se rok dete hai . thanks
rakesh says
I feeling good of this motivational statement
yuvraj Singh chouhan says
धन्यवाद आप ने ये सब कुछ बता कर मुझे आगे बढ़ने का होसला दिया हे