
चार धाम
Char Dham Yatra / चार धाम यात्रा
दोस्तों, मैं पिछले 10-12 दिनों से चार-धाम यात्रा( Char Dham Yatra ) पर था। मैंने सोचा था कि यात्रा के दौरान भी मैं blogging करता रहूँगा पर पहाड़ों पर कहीं भी मेरे mobile में ठीक से net access नहीं आया इसलिए आज इतने दिनों बाद मैं आपसे कोई पोस्ट शेयर कर पा रहा हूँ। Sorry for such a long gap dear readers 🙁
चार धाम यात्रा यानि यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ, और बद्रीनाथ की यात्रा।
ये सभी तीर्थ स्थल उत्तराखंड में स्थित हैं। पहले इन्हें छोटा चार धाम कह कर भी पुकारा जाता था पर बाद में इन्हें भी चार धाम कहा जाने लगा भारत की हर दिशाओं, उत्तर में बद्रीनाथ, दक्षिण में रामेश्वरम, पूरब में पूरी और पश्चिम में द्वारिका को भी चार धाम के नाम से ही जाना जाता है।
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मैंने उत्तराखंड में स्थित चारों धाम की यात्रा की। इस यात्रा का हिन्दू धर्म में विशेष महत्त्व है, इनका दर्शन करना मोक्षदायी बताया गया है।
मैं इनके धार्मिक महत्त्व के बारे में अधिक बात नहीं करूँगा, बल्कि आपसे कुछ प्रैक्टिकल बातें शेयर करूँगा ताकि अगर आप भी इस यात्रा पर जाएं तो यहाँ दी गयी जानकारी से लाभ उठा सकें।
यात्रा से पहले :
पता कर लें कि यात्रा कब से शुरू है और कब तक चलेगी:
चार धाम यात्रा हर समय चालू नहीं रहती। सर्दियों में लगभग 6 महीने के लिए यात्रा रोक दी जाती है। और गर्मियों में भी अत्यधिक बारिश होने पर यात्रा कुछ दिनों के लिए रोक दी जाती है। इसलिए प्लान करने से पहले ये जानना ज़रूरी है कि यात्रा की timing क्या है।
तय कर लें कि कौन-कौन जाएगा:
हमारे ग्रुप में 7 बड़े और 5 बच्चे थे, बच्चे 4 साल से 12 साल तक के थे।
ये decide कर लें कि package लेना है या खुद से मैनेज करना है?
आप चाहें तो किसी ट्रेवल कम्पनी से पॅकेज बुक कर सकते हैं या फिर अपने से पूरा प्लान कर सकते हैं। पैकेज लेने के अपने प्लस माइनस हैं, पॅकेज लेने पर जहाँ आपको कुछ सोचना नहीं पड़ता वहीँ आपको पैसे भी अच्छे-खासे देने होते हैं और कम्पनी के हिसाब से चलना पड़ता है।
मैंने मेक माय ट्रिप से हमारे ग्रुप के लिए पैकेज पता किया था तो वे लगभग साढ़े चार लाख का पैकेज बता रहे थे, जिसमे केदारनाथ में दोनों तरफ हेलीकाप्टर सर्विस शामिल थी, पर हरिद्वार तक आने का खर्चा भी आपको खुद ही bear करना था।
हम लोगों ने खुद ही सारा कुछ मैनेज किया और पूरी यात्रा में करीब डेढ़ लाख रुपये लगे, इसमें ट्रेन के टिकट्स शामिल नहीं हैं। और केदारनाथ से सिर्फ एक तरफ की helicopter service included है। हम लोग केदारनाथ पैदल गए थे और लौटे हेलीकाप्टर से थे। और कुछ जगहों पर परिचय होने के कारण हमें धार्मिक संस्थानों द्वारा बहुत कम पैसों में रहने-खाने की सुविधा मिल गयी। यहाँ मैं विशेष रूप से हरिद्वार के श्री चेतन ज्योति आश्रम और बद्रीनाथ के डालमिया आश्रम को धन्यवाद करना चाहूँगा।
खुद से मैनेज करना इतना आसान भी नहीं है, हम लोगों के group में कुछ ऐसे लो थे कि सब कुछ smoothly मैनेज हो गया, अगर आपके ग्रुप में भी ऐसे लोग हों तो आप भी self-manage वाला option choose करके एक-आध लाख कम में ही पूरी यात्रा कर सकते हैं।
अगर खुद ही मैनेज करना है तो आगे के स्टेप्स लें :
पैसों का इंतजाम कर लें:
इस यात्रा में कितने पैसे खर्च होंगे ये person to person differ करेगा….फिर भी आप higher end पे सोचें और उतने पैसों का इंतजाम करके ही यात्रा शुरू करें।
Reservation करा लें या flight book कर लें:
इस यात्रा में करीब 10 दिन लगते हैं इसी हिसाब से आप आपना आने-जाने का रिजर्वेशन करा लें।
अगर फ्लाइट से आना है तो आपको दिल्ली, चंडीगढ़ या देहरादून की फ्लाइट बुक करानी होगी। दिल्ली / चंडीगढ़ से हरिद्वार आप ट्रेन या टैक्सी से आ सकते हैं और देहरादून से आप टैक्सी द्वारा आसानी से हरिद्वार या ऋषिकेश पहुँच सकते हैं।
चूँकि हम लोग गोरखपुर से गए थे इसलिए हमने हरिद्वार तक की ट्रेन ले ली थी।
अच्छे से पैकिंग कर लें:
कपड़े:
चूँकि ये धाम ऊँचे पहाड़ों में स्थित हैं इसलिए आपको अपने साथ गर्मी और ठंडी दोनों के हिसाब से कपड़े रखने होंगे। अगर आप मई-जून में जा रहे हैं तो दिन में तो बिना स्वेटर के काम चल जाएगा पर रात में गरम कपड़ों की ज़रूरत पड़ेगी। इसलिए सभी यात्री कम से कम दो जोड़ी स्वेटर/जैकेट, इनर, टोपी-मफलर आदि रख लें। छोटे बच्चों के लिए दस्ताने भी रख लेना सही रहेगा।
खाने-पीने की चीजें:
हम लोगों ने अपने साथ घर की बनी कुछ खाने-पीने की चीजें रख लीं थीं जो हमारे बहुत काम आयीं- मैगी, खजूर/ ठेकुआ, ड्राई फ्रूट्स, नमकीन, आंटे के लड्डू, नीम्बू, सत्तू , हरी मिर्च, प्याज, इत्यादि। पीने के लिए आप एक वाटर कूलर रख सकते हैं जिसमे आप मिनरल वाटर खरीद कर पानी भर सकते हैं। वैसे पहड़ों पर पानी साफ़ होता है पर अगर आपको RO water की आदत है तो मिनरल वाटर लेना ही ठीक होगा।
Daily use के आइटम्स:
ब्रश, शेविंग किट, शैम्पू , क्रीम, बॉडी लोशन, पेपर सोप, इत्यादि।
अन्य आवश्यक सामान:
Torch: तीन-चार लोगों के बीच में 1 टॉर्च ज़रूर रख लें। पहाड़ों में कई बार बिजली नहीं आती और कभी-कभी चढ़ाई करते वक़्त या उतरते समय भी अँधेरा हो जाने पर टॉर्च बहुत काम आते हैं।
रेन कोट:
पहाड़ों में अक्सर दोपहर में बारिश होने लगती है इसलिए आप रेन कोट ले लें तो बेहतर होगा। वैसे आप चाहें तो धाम पर पहुँच कर भी सिर्फ 20 रुपये से लेकर हज़ार रूपये तक के रेन कोट खरीद सकते हैं।
पॉलिथीन / पन्नी: जब आप गाडी में बैठ कर पहाड़ पर चढ़ते हैं तो आपको उल्टियाँ आ सकती हैं, ऐसे में आपके पास मौजूद पन्नियाँ बहुत काम आती हैं। कुछ लोग गाडी से सिर निकाल कर भी उल्टी कर लेते हैं पर ये ऐसा करना रिस्की हो सकता है क्योंकि वहां के रास्ते बहुत सकरे और घुमावदार होते हैं और ऐसे में गाड़ियाँ एक दुसरे के बहुत करीब से गुजरती हैं, इसलिए कभी हाथ या सर बाहर न निकालें।
मेरा अनुभव है कि अधिकतर लोगों को यात्रा के पहले-दुसरे दिन ही उल्टी महसूस होती है और बाद में आप comfortable हो जाते हैं।
जूते-चप्पल:
आप ज्यादातर समय चप्पल या सैंडल में ही आराम महसूस करेगे लेकिन चढ़ाई के वक़्त जूते पहनना ज़रूरी है, इसलिए जूते-चप्पल ज़रूर रख लें।
दवाईयां:
बुखार, , सर दर्द, उल्टी, लूज़ मोशन इत्यादि की दवाइयां बच्चों और बड़ों के हिसाब से रख लें। पहाड़ पर यात्रा शुरू करने से आधे घंटे पहले travel sickness avoid करने के लिए एक दावा खायी जाती है, आप इसके बारे में डॉक्टर या केमिस्ट से पूछ सकते हैं।
सफ़र की शुरुआत :
हम लोग ट्रेन से हरिद्वार पहुंचे और वहां पर एक 14 सीटर टेम्पो ट्रैवलर बुक कर ली। सीजन के हिसाब से आपको ये गाड़ी 3000 per day से 6000 per day पर मिल सकती है। बेहतर होगा कि आप हरिद्वार पहुँच कर 4-5 ट्रेवल एजेंट्स से मिलकर रेट पता कर लें और कुछ बार्गेन कर के गाड़ी बुक कर लें। यदि आप पहले से बुक करेंगे तो शायद आपको 10-15 हज़ार अधिक देने पड़ें।
और अगर आपका बजट कम है तो आप सरकारी या प्राइवेट बसों से भी यात्रा कर सकते हैं।
हरिद्वार में भी घूमने के लिए मनसा देवी मंदिर और हर की पौड़ी और अन्य दर्शनीय स्थान हैं। हर की पौड़ी अपनी शाम की गंगा आरती के लिए प्रसिद्द है।
हरिद्वार से आप यमुनोत्री के लिए प्रस्थान करेंगे।
यमुनोत्री में आपको मंदिर तक पहुँचने के लिए 5 किलोमीटर की चढ़ाई करनी होगी।
अगर आप पहली बार पहाड़ पर चढ़ाई कर रहे हैं तो ये 5 किलोमीटर शायद आपकी ज़िन्दगी के सबसे लम्बे 5 किलोमीटर होंगे…जब आपको लगेगा कि आप 2 किलोमीटर चल चुके हैं तो सामने लिखा होगा “यमुनोत्री 4.5 किलोमीटर” 🙂
लेकिन पहुँचने के बाद आपको वहां एक गरम कुण्ड में स्नान करने को मिलेगा जो आपकी थकान मिटा देगा और फिर आप आराम से दर्शन कर पायेंगे।
चढ़ाई करने ( यमुनोत्री और केदारनाथ दोनों जगहों पे ) या मंदिर तक पहुँचने के लिए आपके पास कई options हैं:
⦁ पैदल – पैदल चलते वक्त एक डंडी ले लेना ठीक रहता है, तब भी जब आप एकदम young हों। ये डंडी 10 रूपये किराए पर मिलती है।
⦁ खच्चर / घोड़े द्वारा – इसमें आप खच्चर पर बैठ कर जाते हैं और खच्चर वाला आपके साथ-साथ चलता है। अगर आप इस तरह से जाते हैं तो ध्यान रखें कि खच्चर वाला हर समय घोड़े की लगाम पकड़ा रहे।
⦁ बास्केट/ टोकरी या पिट्ठू द्वारा- इसमें आपको एक बास्केट में बैठना होता है जिसे अपनी पीठ पर उठा कर एक बन्दा आपको ऊपर तक ले जाता है। ये सुविधा छोटे बच्चों के लिए best है।
⦁ पालकी- इसमें तीन से चार बन्दे एक पालकी पर बैठा कर यात्री को ऊपर तक ले जाते हैं। इसमें भारी-भरकम या उम्रदराज लोग बैठ कर जाते हैं।
⦁ हेलीकाप्टर – केदारनाथ में बहुत से लोग हेलीकाप्टर से ऊपर-नीचे यात्रा करते हैं। यहाँ आप चाहें तो एक तरफ की यात्रा पैदल और एक तरफ हेलीकाप्टर से कर सकते हैं। हम लोगों ने चढ़ाई पैदल की थी और लौटे हेलीकाप्टर से थे, per person 3500 रु लगे थे।
सरकार की तरफ से हर एक सर्विस ( except helicopter) के अधिकतम रेट तय किये गए हैं, पर कई बार लोग अपना मनमाना रेट लेने की कोशिश करते हैं। लेकिन यदि आप अपनी यात्रा early morning में शुरू करते हैं तो आपको सही रेट पर पिट्ठू ,खच्चर इत्यादि मिल सकते हैं।
कई लोग ये भी करते हैं कि वे शुरू के कुछ किलोमीटर पैदल चलते हैं और बाद में खच्चर या पिट्ठू कर लेते हैं, तब ये आपको सस्ते मिल जाते हैं, provided समय अधिक न हुआ हो। यानि किसी भी केस में सुबह-सुबह जल्दी यात्रा शुरू करना ही ठीक रहता है।
यमुनोत्री के बाद हम लोग गंगोत्री गए। यहाँ पर गाड़ी एक दम अंत तक चली जाती है और आपको बहुत कम पैदल चलना पड़ता है। गंगोत्री में गंगा स्नान का बहुत अधिक महत्त्व है। हम लोग यहाँ शाम को पहुंचे और गंगा जी के अति शीतल जल में स्नान किया। ध्यान रखिये कि यहाँ पानी बर्फ की तरह ठंडा होता है इसलिए छोटे बच्चों को स्नान ना ही कराएं तो बेहतर है और खुद भी 1-2 मिनट से अधिक पानी में ना रहें।
गंगोत्री से ही गौमुख जाने का रास्ता है। पर अत्यंत कठिन और time taking होने के कारण बहुत कम लोग ही गौमुख जाते हैं।
गंगोत्री दर्शन के बाद हम लोग केदारनाथ के लिए निकले। 2013 में वहां आई तबाही के कारण मन में कुछ डर भी था और जब दोपहर में चढ़ाई करते वक़्त तेज बारिश होने लगी तो डर और भी बढ़ गया। यहाँ की चढ़ाई सबसे कठिन थी। तबाही के बाद जो नया रास्ता बना है वो पहले से लम्बा है, अगर State Disaster Response Force (SDRF) के जवानो की मानें तो जो रास्ता पहले 14 किलोमीटर का था अब वो 20 km से अधिक का हो गया है। और ऊपर से कहीं-कहीं पे ये बहुत खराब भी है और कई जगह खड़ी चढ़ाई भी है। इसलिए मेरी समझ से, अगर आप पैदल जाते हैं तो चारो धामों में ये सबसे कठिन है।
लेकिन इसका एक दूसरा पहलु ये है कि जब आप पैदल जाते हैं तो आपको बहुत से ऐसे natural scenes देखने को मिलते हैं जिनकी आप कल्पना भी नहीं कर सकते…झरने…पहाड़ियां….तेज बहती नदिया…हरे-भरे रास्ते…ये सब मन मोह लेते हैं। और कहीं कहीं पे तो आप सचमुच बादलों के बीच चलते हैं…ये सब अनुभव पैदल मार्ग पर यात्रा कर के ही मिल सकता है!
केदारनाथ में आपको सरकार द्वारा बनाये गए I-card की ज़रूरत पडती है। ये कार्ड आप वहां पहुँच कर या पहले भी कहीं बनवा सकते हैं। अमूमन ड्राइवर्स इसके बारे में जानते हैं और वे पहले ही आपका कार्ड बनवा देते हैं।
केदारनाथ में भक्तों की लम्बी कतार लगी होती है और अगर आप VIP नहीं हैं तो आपको काफी समय लाइन में बिताना होता है।
हम लोगों ने भगवान् शंकर के इस पावन तीर्थ स्थल के दर्शन किये और इसके बाद बद्रीनाथ के लिए निकल पड़े।
बद्रीनाथ में भी गाड़ी अंत तक चली जाती है और आपको अधिक चलना नहीं पड़ता। पहुँचने पर आपको यहाँ भी गर्म कुण्ड में स्नान करने का अवसर मिलता है, जहाँ आप अपनी थकान मिटा कर श्री बद्री विशाल के दर्शन कर सकते हैं।
इन चारो धामों में सबसे अधिक भीड़ आपको यहीं मिलेगी। और रात में ठंड भी काफी होगी।
बद्रीनाथ के बिलकुल करीब आपको गणेश गुफा, व्यास गुफा और भीम सेतु के दर्शन करने को भी मिलेंगे। माना जाता है कि महर्षि व्यास और गणेश जी ने इन्ही गुफाओं में महाभारत को लिपिबद्ध किया था और भीम सेतु के बारे में माना जाता है कि जब पांडव स्वर्ग की ओर बढ़ रहे थे तब द्रौपदी सरस्वती नदी नहीं पार कर पा रही थीं, इसलिए महबली भीम ने एक बड़ी सी चट्टान उठा कर नदी पर रख दी जिस पर चल कर आसानी से नदी पार की जा सकती थी। भीम के पैरों के निशाँ आज भी वहां देखने को मिलते हैं, और अभी भी लोग इस सेतु का प्रयोग करते हैं।
बद्रीनाथ दर्शन के बाद हम लोग वापस हरिद्वार के लिए निकल पड़े और इस तरह से हमने अपनी चार धाम यात्रा पूरी की।
इन चार धामों के आलावा भी आप कई ख़ूबसूरत और धार्मिक स्थानों का आनंद उठा सकते हैं:
हर्षिल- इस जगह “राम तेरी गंगा मैली” फिल्म की शूटिंग हुई थी। यह स्थान गंगोत्री जाते वक्त पड़ता है।
Comments में कई लोगों ने pic share करने को कहा, so here is one at Harshil:

With wife Padmaja and cutie Parth
चोपता- इस जगह को मिनी स्विट्ज़रलैंड भी कहते हैं, वाकई ये एक बेहद खूबसूरत जगह है। ये जगह केदारनाथ जाते समय पड़ती है।
हनुमान चट्टी- बद्रीनाथ जाते वक्त हनुमान जी के इस मंदिर पर ज़रूर रुकें। यह वही स्थान है जहाँ हनुमान जी ने भीम का अहंकार तोडा था। हुए ये था कि हनुमान जी को रास्ते में बैठे देख भीम ने उन्हें रास्ते से हट जाने को कहा। तब हनुमान जी ने भीम से खुद उनकी पूछ हटाने को कहा और भीम अपनी पूरी ताकत लगा कर भी उनकी पूँछ नहीं हिला पाए।
रुद्रप्रयाग: वो जगह जहाँ अलकनंदा और मन्दाकिनी नदी मिलती हैं। यहाँ से आप केदारनाथ और बद्रीनाथ के लिए जा सकते हैं।
देवप्रयाग: यहाँ पर अलकनंदा और भागीरथी नदियाँ मिलती हैं और गंगा के नाम से जानी जाती हैं।
लक्ष्मण झूला: यह नदी पर रस्सियों के सहारे बनाया गया एक पुल है जो ऋषिकेश में पड़ता है।
इसके आलावा भी छोटे-बड़े कई स्थान हैं जहाँ आप जा सकते हैं, पर अधिकतर लोग समय की कमी के कारण इन्ही स्थानों को विजिट कर पाते हैं।
चार धाम यात्रा के दौरान खाना और रहना:
खाना: पहाड़ों पर घूमते वक्त खाने-पीने का विशेष ध्यान रखें। कहीं भी और कभी भी ना खाएं। हम लोगों ने दो-तीन बार नाश्ते या दोपहर के खाने के वक्त किसी दूकान में अपनी दी हुई मैगी या सब्जी बनवा कर खायी। और जिस रेस्टोरेंट में भी खाए एक बार वहां के किचन पर भी नज़र डाल ली। पहाड़ों पर कई जगह मेडिकल फैसिलिटी उपलब्ध नहीं हो पाती इसलिए भी कुछ उल्टा-सीधा खा कर बीमार होने से बचना बहुत ज़रूरी है।
आप कभी-कभी अच्छे भंडारों और लंगर में भी खाना खा सकते हैं। अमूमन, इन भण्डारों में अच्छा खाना मिलता है पर अगर कहीं से भी खाने की quality को लेकर डाउट हो तो यहाँ ना खाएं। और बच्चों को भी देख-समझ कर ही कुछ खिलाएं।
रहना: रहने के लिए आपको सस्ते और महंगे हर तरह के होटल मिल सकते हैं। और चाहें तो आप धर्मार्थ चलाई जा रही धर्मशालों में भी ठहर सकते हैं। होटल तय करते समय bargaining बहुत चलती है क्योंकि टूरिस्ट के मुकाबले रूम्स कहीं ज्यादा उपलब्ध होते हैं। सस्ते रूम पाने का एक तरीका ये भी है कि आप main market से कुछ पहले ही अपनी गाड़ी रोक लें और वहां पर रूम खोजें। इसमें आपका ड्राईवर आपकी काफी मदद कर सकता है।
फ्रेंड्स, उम्मीद करता हूँ यहाँ दी गयी जानकारी से आपको ज़रूर कुछ लाभ मिलेगा। यदि चार धाम की यात्रा से सम्बन्धित आपके पास कुछ आइडियाज हैं तो हमसे कमेंट्स के माध्यम से ज़रूर शेयर करें।
धन्यवाद!
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very good Gopal sir…..itne dino se koi post share nahi ki thi….bahut bekar feel ho raha tha…..but now…..welcome back….aur haan! aapne is post me bahut acchi jankari di hai…..
bahut hi useful info.
Apne to online hi 4 dham ki yatra krwa di thanks!
Welcome sir and thanks for sharing this information.
Priyanka Pathak
काम से ब्रेक लेना भी जरूरी होता हैं, आखिर यात्रा करने से हमारी जीवन में कुछ यादें बन जाती हैं और हम उन दिनों को याद करते हैं… थैंक्स गोपाल जी…
गोपाल जी,
अच्छा ब्रेक लिया आपने, चार धाम घूमकर आ गये पढ़कर अच्छा लगा. जैसे की राजकुमार जी ने कहा – कुछ फोटो आपको शेयर करने चाहिए.
धन्यवाद्,
Mayur – also known as Gyani Pandit
आप लोगों की डिमांड पर….मैंने एक फोटो शेयर कर दी है:)
Nice pic Gopalji, so sweet family….
Thanks.
शानदार जानकारी देने के लिए धन्यवाद… ओम नमः शिवाय
Sir kuch photo share kejeye aapka
बहुत ही बढिया जानकारी!आभार!
Aap jo Char Dham kii Yatra Ghum kr aye ho….or jo apne describe kiya bhut bhut acha h, aisa lga jaise m whi hu..bhut acha lga,or asha h m bhi kbhi jau ghar walo k sath.. Thank u.
Gopal ji mujhe ye janana tha ki aap sirf yahi ek blog chalate hain ya fir koi English ya hindi blog bhi chalate hain.
Only this blog.