डर का सामना करने की सीख देती कहानी
पूजा और पाखी जुड़वा बहनें थीं और दोनों को ही प्यानो बजाना बेहद पसंद था. वे स्कूल के बाद एक प्यानो टीचर के पास जातीं और प्यानो बजाना सीखतीं. घर जाकर भी वे रोज घंटों प्रैक्टिस करतीं और दिन प्रति-दिन उनकी प्यानो-स्किल्स बेहतर होती जा रही थी.
एक दिन क्लास ख़त्म होने के बाद प्यानो-टीचर बोले-
“तुम दोनों के लिए एक अच्छी खबर है..”, दोनों बहनें गौर से टीचर की बात सुननें लगीं, “ इस बार दुर्गा पूजा के दौरान तुम दोनों को पहली बार स्टेज पे सबके सामने अपना हुनर दिखाने का मौका मिलेगा!”
दोनों एक-दूसरे को देखने लगीं… उनके दिल तेजी से धड़कने लगे, उन्हें डर था कि पता नहीं वे इतने लोगों के सामने परफॉर्म कर पाएंगी या नहीं?
अगले कुछ हफ़्तों तक दोनों ने जम के तैयारी की और अंततः दुर्गा पूजा का दिन भी आ गया! दोनों अपने माता-पिता के साथ स्टेज के पास बैठी बाकी बच्चों का प्रोग्राम देख रही थीं.
उनके मन में कई सवाल चल रहे थे-
“अगर मैंने वहां जाकर गलती कर दी तो…अगर मैं अपनी धुन भूल गयी तो….सब लोग कितना हँसेंगे…कितनी बदनाम होगी…”
वे ऐसा सोच ही रही थीं कि तभी एंकर ने एनाउंस किया, “और हमारा अगला टैलेंट है-पूजा”
अपना नाम सुनकर पूजा के पैरों तले जमीन खिसक गयी… उसका चेहरा पीला पड़ गया… मम्मी-पापा ने उसे स्टेज पे जाने के लिए एंकरेज किया पर वो कुर्सी से ही चिपकी रही.
अंत में मम्मी ने एंकर को आवाज दी—”माफ़ कीजियेगा..पूजा की तबीयत ठीक नहीं है!”
“कोई बात नहीं… दोस्तों हम बढ़ते हैं अपनी अगली परफ़ॉर्मर की तरफ….और अब स्टेज पर आ रहीं हैं…पाखी…”, एंकर ने बड़े अंदाज से पाखी का नाम पुकारा.
पाखी की हालत भी अपनी बहन पूजा की तरह थी…कुछ क्षणों के लिए वो भी कुर्सी से चिपकी रही… मम्मी-पापा ने उसका भी उत्साह बढ़ाया और डर का सामना करने को कहा… पाखी ने गहरी सांस ली और स्टेज की तरफ जाने लगी… उसके हाथ-पाँव कांप रहे थे… इतना नर्वस वो इससे पहले कभी नहीं हुई थी!
उसने परफॉर्म करना शुरू किया, उससे कई गलतियाँ हुईं…जी में आया कि स्टेज छोड़ कर भाग जाए…पर वो टिकी रही और अपनी परफॉरमेंस पूरी की!
पाखी की हिम्मत के लिए लोगों ने तालियों से उसका उत्साहवर्धन किया!
इसके बाद फिर दोनों पहले की तरह प्यानो सीखने लगीं. समय के साथ दोनों में काफी सुधार आया. और कुछ महीनों बाद एक बार फिर टीचर ने उन्हें सूचना दी- “ अगले महीने शहर में एक कॉन्सर्ट आयोजित हो रहा है और तुम दोनों को उसमे परफॉर्म करना है!”
इस बार भी पूजा और पाखी एक दूसरे को डर के मारे देखने लगीं.
जब कन्सर्ट का दिन आया तो एक बार फिर पूजा अपनी सीट से नही उठ पायी और पाखी पिछले बार की तुलना में अधिक कॉंफिडेंट थी और उसने पहले से बेहतर परफॉर्म किया.
दोस्तों, पूजा और पाखी की कहानी हम सबकी कहानी है. जब हम पूजा की तरह fear को अपने ऊपर हावी होने देते हैं और उसका सामना करने से पहले ही हार मान लेते हैं तो हमारा self-confidence घटता जाता है लेकिन अगर हम हिम्मत दिखाते हैं और fear को face करते हैं तो हमारा आत्मविश्वास बढ़ता जाता है और हम ज़िन्दगी में बेहतर कर पाते हैं.
यहाँ ये भी ध्यान देने वाली बात है कि पूजा और पाखी में कोई और अंतर नहीं था. दोनों जुड़वाँ बहनें थीं… सिखाने वाला टीचर भी same था… लेकिन बस एक “डर” की वजह से पूजा कुर्सी पर बैठी थी और पाखी stage पर perform कर रही थी!
क्या आप भी किसी चीज को लेकर बहुत डरते हैं? क्या आप भी failure के डर से खुद को बाँध कर रखते हैं? यदि ऐसा है तो इस डर को अपने भीतर से निकाल फेंकिये… और देखिये ज़िन्दगी के पास आपको देने के लिए कितना कुछ है!
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Note: This story is inspired from : The Two Pianists – A Story About Developing Courage
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Aakash Ak47 says
Hi sahi main yeh toh kahani mujhe bi bohut achi lagi 👌👌
Thankyou so much.
kuldeep sharma says
aap ne jo dar ke bare me batya hai vah bahut hi aacha hai kahvat hai ki dar kar naoka paar nahi hoti aor khosit karne walo ki hr nahi hoti isliye zindgi me khosit karna nahi bhulna chahiye thank for you sir
vikas jadhav says
Bahut badhiya sir aisa aksar hi hamlogo ke sath bhi hota haiii..Thanks for sharing such a great artical
Sunita says
Very nice … Motivating
paresh barai says
बहुत ही बढ़िया कहानी है। गोपाल जी, वेरी नाइस वर्क।
Deepak gupta says
Bhut hi achhi khani hai ise mai aur bhi logo ko sunana pasand kruga……kyo ki isme ak apnapan juda hai..
Abhishek Bhardwaj says
Bahut hi achchi kahani hai…Thank U
Sumit kumar keshri says
Bahut badhiya sir aisa aksar hi hamlogo ke sath bhi hota haiii..
kumar says
bahut hi badhiya shabdo me apne dar par kabu pane ka solution bataya h gopal sir actualy ham kisi kam ko ek bar ignore kar de to dobara nahi kar pate h isliye jab bhi koi moka mile khud ko jahir karne ka chhodna nahi chahiye. thanks for yor word
Gopal Mishra says
Very correct Kumar Ji