Hindi Story on Taking A Decision
निर्णय लेने पर कहानी
एक पांच साल का लड़का अपने पापा के साथ दिल्ली की एक सुपरमार्केट में घूमने गया. जब शॉपिंग करते-करते वे टॉयज सेक्शन के करीब पहुंचे तो वहन मौजूद रंग-बिरंगे खिलौनों को देखकर उसका जी मचल गया.
“पापा-पापा… मुझे ये कार लेना है…प्लीज न पापा”, लड़के ने पापा का हाथ खींचते हुए कहा.
पापा अपने बेटे को बहुत मानते थे और उसकी ये रिक्वेस्ट ठुकरा नहीं पाए.
“ठीक है बेटा तुम ये कार ले लो!”, पापा ने बेटे को पुचकारते हुए कहा.
बच्चे ने झट से कार उठा ली और ख़ुशी से झूमता हुआ आगे बढ़ने लगा. अभी वो दो-चार ही कदम चले होंगे कि बेटा बोला, ” पापा, मुझे ये कार नहीं चाहिए…मुझे तो वो रिमोट कण्ट्रोल हेलीकाप्टर चाहिए!”
यह सुनते ही पापा कुछ गुस्सा हो गए और बोले, ” हमारे पास अधिक टाइम नहीं है, मार्केट बंद होने वाला है… जल्दी से खिलौना लो और यहाँ से चलो!”
बेटे ने कार रखी और हेलीकाप्टर को अपने कब्जे में लेकर इतराने लगा.
- ये भी पढ़ें: Decision Making Problem – क्या निर्णय लेंगे आप ?
पापा ने बेटे का हाथ पकड़ा और आगे बढ़ने लगे की तभी बेटा जोर से बोला, ” रुको-रुको-रुको पापा, वो देखो वो डायनासौर कितना खतरनाक लग रहा है… मैं वो ले लूँ क्या…बाताओ ना पापा… क्या करूँमैं… ये लूँ कि वो ?”
पापा ने बेटे को फ़ौरन गोद से उतार दिया और कहा, “जाओ…जल्दी से कोई खिलौना चूज कर लो और यहाँ से चलो!”
अगले कुछ पलों तक बेटा इधर-उधर दौड़ता रहा और यही सोचता रहा कि ये लूँ कि वो ? पर वो डिसाइड नहीं कर पाया कि उसे क्या लेना है?
तभी सुपरमार्केट की लाइट्स ऑफ होने लगीं और कस्टमर्स को बाहर निकलने के लिए कहा जाने लगा. पापा भी गुस्से में थे, उन्होंने बेटे को गोद में उठाया और बाहर निकल पड़े. बेचारा बेटा रोता रह गया, उसके मन में यही आ रहा था कि काश उसने कोई टॉय चूज कर लिया होता.
दोस्तों, हम सभी उस लड़के की तरह हैं और ये दुनिया खिलौनों की एक दूकान है, जिसमे हर तरह के ढेरों खिलौने मौजूद हैं… life आपको अलग-अलग स्टेज पे टॉयज की ढेर सारी choices देती है.
कभी आपको education, कभी job या business तो कभी relationship choose करने का option देती है, but unfortunately बहुत से लोग कोई ठोस निर्णय लेने की बजाय यही सोचते रहते हैं किये लूँ कि वो?
- ये पढाई करूँ कि वो?
- ये जॉब करूँ कि वो?
- ये बिजनेस करूँ कि वो?
- इससे शादी करूँ कि उससे?
और इसी चक्कर में कुछ करने का उनका prime time निकल जाता है और बाद में उन्हें उस बच्चे की तरह पछताना पड़ता है या sub-standard option choose करना पड़ता है.
इस बात को याद रखिये कि-
कोई भी निर्णय ना लेने से अच्छा है कोई ग़लत निर्णय लेना!
इसलिए जब life के important decisions लेने की बात हो तब indecisive मत बने रही…अपने निर्णय को लम्बे समय तक टालिये नहीं. अपने circumstances और best of knowledge को use करते हुए एक निर्णय लीजिये और ज़िन्दगी में आगे बढ़ जाइए.
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Note: This story is inspired from The Kid in a Candy Store – A Story About Making Decisions
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vijay patel says
भाई साब बहुत अच्छी लगी हमे आप कि कहानी प्रेरणा दायक हे !
Asween says
Chhote bachche ki yah story kaafi motivational he or aek prerak sandesh deti he ki “Sahi samay par liya gaya sahi nirnay jeevan badal deta he”
kumar says
बेहद ज्ञानवर्धक और नया सिखने वाली कहानी है गोपाल जी हर बार की तरह आपकी ये पोस्ट भी बेहद रोचक है. ज्ञान और प्रेरणा को रूचि के साथ सिर्फ आप ही पेश कर सकते है. कहानी शेयर करने का धन्यवाद
Ajit sable says
आपकी कहानिया बोहोत आछी है।
आपकी हर एक कहानीयोसे कुछ ना कुछ सीखने को मिलता है पर मैं चाहता हूं कि आपकी ये कहानियां मराठी में भी हो तो बोहोत आछा होगा
Ga says
A good story published by you.
A lot of thanks to team AKC
Laxminarayan says
बहोत ही अच्छी और प्रेरणादायक कहानी थी, गोपाल जी |आपकी साईट पर कहानियों और मोटिवेशनल लेखो का बहोत ही अच्छा संग्रह हैं |मैं बहोत दिनों से आपकी साईट का रेगुलर विजिटर हु, हर बार कुछ अच्छा और नया लेख पढने को मिलता है|
इसी तरह से लिखतें रहिये| बहोत, बहोत धन्यवाद |
Dinesh Chauhan says
This is a very nice story.
Sahil Kumar says
ये कहानी उन लोगों के लिए फायदेमंद है जो अपने लक्ष्य को खोजने के चक्कर में ही काफी सारा समय बर्बाद कर देते हैं। जीवन में जरूरी नही कि सब कुछ हमारे मन माफिक हो, कुछ काम तो हमें करने ही पड़ते है, चाहे दिल पर पत्थर रखकर ही क्यों ना करने पड़ें।
Navin says
बहुत अच्छा लगा सर। मुझे ये जानना था कि आप wordpress.com use करते हो या फिर wordpress.org?
Gopal Mishra says
WordPress.org
Hajari prasad says
बहुत अच्छी कहानी है sir