टर्म इन्शुरन्स / Term Insurance in Hindi
जीवन बीमा या लाइफ इन्शुरन्स फाइनेंसियल प्लानिंग का एक बेहद महत्वपूर्ण अंग है. लेकिन दुर्भाग्यवश, आज भी भारत में ज्यादातर लोग अन्डर इंश्योर्ड हैं, यानी उनके पास जितने अमाउंट का इन्शुरन्स होना चाहिए वो नहीं है.
Image Credit
और ऐसा होने का एक प्रमुख कारण है लोगों को टर्म इन्शुरन्स या अवधि बीमा के बारे में सही जानकारी ना होना. और इसीलिए आज मैं पर्सनल-फाइनेंस श्रेणी में इस टॉपिक को शामिल कर रहा हूँ. तो आइये सबसे पहले जानते हैं-
क्या होता है टर्म इन्शुरन्स? / What is Term Insurance in Hindi
अगर हम शुद्ध जीवन बीमा की बात करें तो ये महज एक व्यक्ति और एक इन्शुरन्स कंपनी के बीच का कॉन्ट्रैक्ट है, जिसमे व्यक्ति की मृत्यु हो जाने पर कंपनी उसके नॉमिनी को पहले से तय एक अमाउंट का भुगतान करती है. और इसके बदले में व्यक्ति कंपनी को कुछ पैसों का भुगतान करता है.
टेक्निकल टर्म्स में हम उस अमाउंट को हम सम इंश्योर्ड या बीमा राशि कहते हैं और व्यक्ति जो पैसे जमा करता है उसे प्रीमियम या बीमा-किस्त कहते हैं.
ये तो हो गयी इन्शुरन्स की बात, अब समझते हैं “टर्म” का क्या मतलब है.
यहाँ टर्म का आशय अवधि से है, यानी एक निश्चित समय काल से.
इसका अर्थ ये हुआ कि-
“ टर्म इन्शुरन्स एक निश्चित अवधि के लिए किया गया जीवन बीमा है.”
यानी, टर्म इन्शुरन्स में तभी बीमा राशि देय होगी जब व्यक्ति की मृत्यु एक तय अवधि के दौरान हुई हो.
टर्म इन्शुरन्स की मुख्य बातें
- इसमें कम प्रीमियम में बड़ा रिस्क कवर मिलता है.
- इसे 18-65 साल के व्यक्ति ले सकते हैं.
- यह प्लान 10, 20, 30 या 40 साल तक की अवधि के लिए / या 75-80 साल की उम्र तक, जो पहले हो जाए के लिए दिया जाता है.
- प्योर टर्म इन्शुरन्स में बीमाधारक की मृत्यु होने पर ही बीमा राशि देय होती है, मृत्यु ना होने पर कोई भी अमाउंट नहीं दिया जाता है.
टर्म इन्शुरन्स की ज़रुरत क्यों है?
क्योंकि आप निश्चिंत होना चाहते हैं कि कल को अगर आप इस दुनिया में नहीं रहे तो आपके पीछे आपके परिवार को पैसों की किल्लत ना झेलनी पड़े.
दोस्तों, टर्म इन्शुरन्स की ज़रुरत को समझाने के लिए मैं बहुत कुछ लिख सकता हूँ, लेकिन मुझे लगता है उन सब बातों से कहीं अधिक आप रहीम दास जी की कही ये बात आसानी से समझेंगे:
रहिमन निज संपति बिना, कोउ न बिपति सहाय ।
बिनु पानी ज्यों जलज को, नहिं रवि सकै बचाय॥
अर्थात मुश्किल समय में आपकी अपनी सम्पत्ति ही सबसे बड़ी मददगार होती है, ऐसे समय में यदि आप खुद सक्षम नहीं हैं तो कोई और आपकी मदद को नहीं आता. जैसे यदि कमल के फूल के पास पानी ना हो तो सूर्य उसे सूखने से नहीं बचा सकता.
और अवधि बीमा योजनायें इसी पानी की व्यवस्था करने का एक उपाय है.
टर्म इन्शुरन्स कम प्रीमियम में आपको एक बड़ा सम ऐश्योर्ड देता है, जो अचानक मृत्यु हो जाने के बाद आपके परिवार को एक बहुत बड़ा आर्थिक सुरक्षा कवच प्रोवाइड करता है.
लेकिन टर्म इन्शुरन्स ही क्यों? कोई एन्डाओमेन्ट या मनी बैक पॉलिसी क्यों नहीं?
क्योंकि अवधि बीमा पॉलिसी ही एकमात्र ऐसी पॉलिसी है जो सिर्फ रिस्क कवर देने के लिए डिजाईन की गयी है. जबकि बाकी पॉलिसीज में कई अन्य बेनेफिट्स भी होते हैं जो पॉलिसी को बहुत महंगा बना देते हैं.
उदाहरण के लिए: एक तीस साल का व्यक्ति सिर्फ 5-6 हज़ार रु सालाना के प्रीमियम पर 50 लाख तक का बीमा पा सकता है. जबकि एन्डाओमेन्ट बीमा योजना में अमूमन सालाना प्रीमियम का 10 से 20 गुना ही बीमा राशि दी जाती है, यानी पांच हज़ार रुपये में सिर्फ पचास हज़ार से 1 लाख का बीमा. जाहिर है, इन पॉलिसीज का अपना फायदा है पर रिस्क कवर के लिए ये उपयुक्त नहीं हैं.
लेकिन मेरा एडवाइजर टर्म इन्शुरन्स के बारे में मुझे क्यों नहीं बताता?
क्योंकि शुरू से ही इन पॉलिसीज का प्रीमियम कम आता है और जब प्रीमियम कम होगा तो कमीशन भी कम होगा और ऐसे में अधिकतर एडवाइजर इस प्रोडक्ट को प्रमोट नहीं करते. हालांकि, इसका ये मतलब नहीं है कि हर एडवाइजर ऐसा ही करता है, बहुत से वित्तीय सलाहकार अपने क्लाइंट को अवधि बीमा योजनायें ज़रूर देते हैं.
टर्म इन्शुरन्स प्लान कौन-कौन ले सकता है?
कोई भी व्यक्ति जो 18 साल से 65 साल की उम्र का हो वो टर्म प्लान ले सकता है.
टर्म इन्शुरन्स प्लान कितने वर्षों तक के लिए लिया जा सकता है?
यह कंपनी पर निर्भर करता है. बीमा कम्पनियाँ कई अवधियों , जैसे कि 10, 20, 30 या 40 साल तक के लिए ये प्लान उपलब्ध कराती हैं.
अधिकतर मामलों में अवधि बीमा योजना आपको 75 से 80 साल की उम्र के बाद नहीं दी जाती है.
क्या टर्म इन्शुरन्स हर किसी को मिल जाता है?
नहीं, टर्म प्लान देने में कंपनी एक बड़ा रिस्क लेती है क्योंकि आप कुछ हज़ार रुपये देते हैं और तुरंत आपका कई लाख या करोड़ का कवर शुरू हो जाता है. ऐसे में कोई भी व्यक्ति जिसे कोई गंभीर बीमारी हो या उसके जीवन को खतरा हो वो ऐसा प्लान लेना चाहेगा.
इसलिए कंपनी ऐसी पॉलिसी इशू करने से पहले अंडरराइटर द्वारा आपका रिस्क अस्सेस्मेंट कराती है, जिसमे आपका मेडिकल टेस्ट भी किया जा सकता है और आपसे आपके काम, फॅमिली हेल्थ हिस्ट्री और अन्य चीजों के बारे में पूछा जा सकता है.
कम्पनी को जो रिस्क सही लगता है वह उसी की पॉलिसी इशू करती है.
उदाहरण के लिए: यदि किसी को हाई ब्लड प्रेशर और डायबिटीज है तो कम्पनी उसे पॉलिसी देने से इनकार कर सकती है.
इसके अलावा कम्पनी ये भी देखती है कि जिसकी लाइफ पर पॉलिसी ली जा रही है क्या सचमुच उसका परिवार उसके ऊपर आर्थिक रूप से निर्भर है. ऐसा करना इन्शुरन्स से जुड़े अपराध को कम करने में भी सहायक होता है, वरना आपराधिक तत्व अपने जीवनसाथी की लाइफ पे भी बड़ा सम इंश्योर्ड ले उसकी हत्या कर कंपनी से इन्शुरन्स का पैसा लेने की साजिश कर सकते हैं.
क्या मैं अपने अलावा और किसी के लिए भी टर्म इन्शुरन्स ले सकता हूँ?
हाँ, आप हर उस व्यक्ति के लिए टर्म इन्शुरन्स या कोई भी इन्शुरन्स ले सकते हैं जिसमे आपका इन्श्योरेबल इंटरेस्ट हो. यानी, उस व्यक्ति का जीवन समाप्त होने पर आपको आर्थिक या किसी और तरह की हानि सहनी पड़े. By default, आपका अपनी पत्नी और बच्चों में अनंत इन्श्योरेबल इंटरेस्ट होता है.
उदहारण के लिए: आप अपनी पत्नी, अपनी कार के लिए इन्शुरन्स ले सकते हैं लेकिन किसी और की पत्नी या किसी और की कार के लिए नहीं क्योंकि उनमे आपका कोई भी इन्श्योरेबल इंटरेस्ट नहीं है.
क्या कोई भी बीमारी होने पर मुझे अवधि बीमा नहीं दिया जायेगा?
ऐसा नहीं है. कई बार कंपनी कुछ अधिक प्रीमियम चार्ज करके ऐसे व्यक्तियों को पॉलिसी दे देती है.
मैं सिगरेट पीता हूँ. क्या मुझे अवधि योजना मिलेगी?
हाँ, आपको अवधि योजना मिल सकती है लेकिन आपको नॉन-स्मोकर्स की तुलना में अधिक प्रीमियम देना पड़ेगा.
यदि मैं पॉलिसी लेते वक़्त स्मोकर नहीं था, पर कुछ सालों बाद पीने लगा तो?
तो, आपको अपने इंश्योरर को ये बात बतानी होगी और संभव है आपको पहले की तुलना में अधिक प्रीमियम देना पड़े. लेकिन यदि आप नहीं बताते हैं तो बाद में कम्पनी क्लेम देने से मना कर सकती है.
मैं सेना / पुलिस में हूँ. क्या मुझे टर्म इन्शुरन्स मिलेगा?
हाँ, आपको टर्म इन्शुरन्स मिलेगा. बस कम्पनी आपसे एक अलग तरह की प्रश्नावली भरवाएगी.
क्या टर्म इन्शुरन्स में किसी भी तरह मृत्यु होने पर क्लेम दिया जाता है?
नहीं, ऐसे मामले जहाँ कोई गैर-कानूनी काम करते हुए मृत्यु होती है उसमे क्लेम नहीं मिलता है. जैसे-
- शराब पीकर गाड़ी चलते समय मृत्यु होना
किसी क्रिमिनल एक्टिविटी में मृत्यु होना
पहले आतंकवादी हमलों या प्राकृतिक आपदाओं, जैसे भूकंप, सुनामी, बाढ़ इत्यादि में मृत्यु होने पर भी क्लेम नहीं मिलता था पर अब अधिकतर कम्पनियाँ इन मामलों में भी क्लेम देती हैं.
यदि मेरी मृत्यु नहीं होती है तो मुझे टर्म प्लान की बीमा अवधि ख़त्म होने पर क्या मिलता है?
कुछ नहीं. अवधि बीमा योजना का मूल उद्देश्य आपके गुजर जाने के बाद आपके परिवार को सुरक्षा देना है. यह एक प्योर रिस्क कवर प्लान है और इसमें किसी तरह का बीमा धन एकत्रित नहीं होता है.
फिर ऐसे प्लान को लेने का क्या फायदा?
कई लोग जो अवधि बीमा पॉलिसी के बारे में जानते हैं वो भी इसे बस इसलिए लेने से हिचकिचाते हैं कि मेरे जिंदा रहने पर तो कुछ मिलेगा ही नहीं. लेकिन उन्हें समझना चाहिए कि बीमा का सही अर्थ तो उनके बाद परिवार की आर्थिक ज़रूरतों का ख़याल रखना है, अपने रहते में तो वो परिवार की ज़रूरतें पूरी कर ही रहे हैं.
और यदि आप ऐसा प्लान चाहते हैं जिसमे लिविंग बेनेफिट्स भी हों तो वो आप ज़रूर लें पर पहले एक टर्म प्लान लेकर निश्चिंत हो जाएं.
For example:आप 20 हज़ार रु प्रीमियम का एक मनी बैक प्लान लेने की बजाय, आप 5 हज़ार का टर्म प्लान लें और अलग से 15 हज़ार का मनी बैक प्लान ले लें.
इससे आप अपने परिवार को बड़ी आर्थिक सुरक्षा भी दे पायेंगे और निवेश भी कर पायेंगे. लेकिन अगर आप सिर्फ 20 हज़ार का एक मनी बैक प्लान लेते हैं तो आप लम्बी अवधि में भले एक बड़ा कार्पस बना लेंगे लेकिन क्या होगा अगर पॉलिसी लेने के 2-3 साल में ही आपकी डेथ हो जाती है?
इसीलिए टर्म प्लान पहले बाकी सब बाद में!
कितने सम इंश्योर्ड का टर्म प्लान लेना चाहिए?
अगर एक सीधा सा हिसाब रखें तो आपको कम से कम इतने अमाउंट का इन्शुरन्स लेना चाहिए जितना आपके ना रहने पर; उस अमाउंट से हर महीने इतना ब्याज एकत्रित हो जाए जितना आप अपने ऊपर आश्रित लोगों के ऊपर हर महीने खर्च करते थे.
उदाहरण के लिए: आप हर महीने अपने परिवार पर 20 हज़ार रु खर्च करते हैं, यानी 2.4 लाख सालाना और सुरक्षित इंस्ट्रूमेंट्स में इन्वेस्ट करने के बाद 6% का ब्याज मिलता है तो आपको 40 लाख का इन्शुरन्स लेना चाहिए.
ताकि आपकी मृत्यु होने पर परिवार को एकमुश्त 40 लाख रुपये मिल जाएं जिसे वह किसी बैंक में जमा कर हर साल उससे 6% की दर से 2.4 लाख रु प्राप्त कर सके.
अगर ये आपको काम्प्लेक्स लगे तो आप एक थंब रुल फॉलो कर सकते हैं कि आपके पास अपनी सालाना कमाई का कम से कम 10 गुना इन्शुरन्स होना चाहिए.
एक और बात ये भी ध्यान में रखें कि यदि आपको कोई लोन चल रहा हो तो उसको चुकाने सम्बंधित अमाउंट का प्रोविजन भी आप अपनी अवधि बीमा पॉलिसी में करें.
टर्म प्लान लेने से पहले और बाद में इन 15 बातों का ध्यान रखें
1) टर्म प्लान लेने में देर ना करें
आप जितनी कम उम्र में टर्म इन्शुरन्स लेने आपको उतना कम प्रीमियम देना होगा. क्योंकि age बढ़ने के साथ-साथ आपकी लाइफ पे रिस्क भी बढ़ता जाता है… मृत्यु दर बढती जाती है और बीमा कंपनिया आपसे अधिक चार्ज करती हैं.
साथ ही इसका दूसरे नज़रिए से देखें तो कह सकते हैं कि कल किसी ने नहीं देखा है… कब क्या हो जाये कोई कुछ कह नहीं सकता इसलिए जितना जल्दी खुद को इंश्योर्ड कर लिया जाए उतना अच्छा है.
2) “पता करते हैं….” से बचें
कई बार लोग बाज़ार जाते हैं और महंगी से महंगी चीज फटाक से खरीद लेते हैं. लेकिन जब लाइफ इन्शुरन्स, म्यूच्यूअल फंड्स या कोई और वित्तीय प्रोडक्ट लेने की बात आती है तो वे कहते हैं–
“पता करते हैं….”
और अगले कई हफ़्तों… महीनो…सालों… तक वे पता ही करते रह जाते हैं.
अंग्रेजी में इस तरह के व्यवहार को Paralysis of Analysis कहते है. इससे ज़रूर बचें और एक-आध हफ्ते की रीसर्च के बाद कोई न कोई प्लान ज़रूर ले लें.
3) टर्म योजनाओं में उपलब्ध ऑप्शन्स को जानें
आज मार्केट में कई तरह के टर्म प्लान्स आ गए हैं. आप इन्टरनेट के माध्यम से, अपने कीसी मित्र या किसी एडवाइजर से इसके बारे में ज़रूर पता करें कि किस-किस तरह के टर्म प्लान मिल रहे हैं और जो आपको सबसे अधिक सूट करे उसे लें.
उदाहरण के लिए: कुछ ऐसे प्लान्स भी आ रहे हैं जिसमे डेथ होने पर नॉमिनी को पूरी बीमा राशि मिल जाती है और इसके अलावा अगले 10 सालों तक उसे हर महीने पेमेंट की जाती है. इसी तरह कुछ ऐसे भी प्लान हैं जिसमे आप कैंसर जैसी कोई क्रिटिकल इलनेस होने पर बीमा राशि में से एक बड़ा हिस्सा पहले ही पा जाते हैं और बची हुई बीमा राशि का इन्शुरन्स चलता रहता है.
4) लाइफ की महत्त्वपूर्ण स्टेजेज पर अपना कवर बढाएं
मान लीजिये आजा आप नौकरी कर रहे हैं और आपने 40 लाख का बीमा लिया हुआ है. लेकिन 5 साल बाद जब आपकी शादी होती है… बच्चे होते हैं और आप पर निर्भर लोगों की संख्या बढ़ जाती है तब आपको अपना सम इंश्योर्ड भी लेना चाहिए.
ऐसा करने के लिए आप कोई नयी पॉलिसी ले सकते हैं या अपने पुराने insurer से ही कवर बढ़ाने के लिए आग्रह कर सकते हैं.
5) इन्शुरन्स कंपनी से कोई जानकारी ना छुपाएं?
बीमा देने से पहले कंपनी आपसे आपके हेल्थ हिस्ट्री, काम, इत्यादि जैसी कई मटेरियल इनफार्मेशन लेती है. कई बार लोग सोचते हैं कि ये सब बताने पर प्रीमियम बढ़ जाएगा या उन्हें बीमा नहीं मिलेगा और इसलिए वे कुछ बातें छिपा जाते हैं.
लेकिन ऐसा करने पर आप दरअसल इन्शुरन्स के एक ज़रूरी प्रिंसिपल – The Principal of Utmost Good Faith को ब्रीच करते हैं और ऐसे में मृत्यु होने पर कम्पनी क्लेम देने से मना कर सकती है.
वैसे भी आपको सोचना चाहिए कि अगर आप इस तरह से जानकारी छुपा कर बीमा करायेंगे तो अंत में आपका अपने परिवार को आर्थिक सुरक्षा प्रदान करने का उद्देश्य ही हारेगा. अतः ऐसा कभी ना करें.
6) जितने की ज़रुरत लगे उससे थोड़ा अधिक का बीमा कराएं
हो सकता है आज आपको लगे कि 20 लाख का बीमा बहुत है. पर जल्द ही आपकी बढ़ी हुई जिम्मेदारियों और महंगाई की वजह से आपको ये अमाउंट कम लगने लगेगा इसलिए जितनी ज़रुरत लगे उससे थोड़ा बढ़कर ही टर्म इन्शुरन्स कराएं.
7) बीमा के लिए सबसे लम्बी अवधि ही ना चुनें
हो सकता है आप सोचें कि 80 साल तक का बीमा ले लें, तब तक तो मृत्यु हो ही जायेगी और मेरे प्रियजनों को काफी पैसे मिल जायेंगे.
लेकिन ऐसा करना आपके लिए दो कारणों से सही नहीं है-
- पहला, आपको बड़ी जीवन बीमा राशि की ज़रुरत इसलिए है कि कहीं आप कम उम्र में या अपनी जिम्मेदारियां पूरी करने से पहले ही चल बसें तब परिवार पर वित्तीय संकट ना आये. अमूमन आप अपनीं इस तरह की जिम्मेदारियां 65 साल तक की उम्र तक पूरा कर लेंगे. इसलिए आपको उसके आगे टर्म इन्शुरन्स की ज़रुरत नहीं पड़ेगी.
- दूसरा, यदि आप सबसे लम्बी अवधि का टर्म बीमा कराते हैं तो आपको प्रीमियम बहुत अधिक देना होगा. क्योंकि 60 के बाद लाइफ पर रिस्क बहुत तेजी से बढ़ने लगता है और इस रिस्क को कवर करने के लिए कंपनी आपसे अधिक पैसे चार्ज करती है. और ऐसा भी नहीं है कि ये प्रीमियम आपसे तब लिया जाएगा जब आप साठ साल के हो जायेंगे, ये प्रीमियम तो आपसे लेवल प्रीमियम के रूप में शुरू से ही लिया जाएगा.
8) टर्म इन्शुरन्स लेने के बाद अपने परिवार को बताएँ
अभी कुछ दिन पहले एक खबर आई थी कि भारत की 23 जीवन बीमा कंपनियों के पास पॉलिसीधारकों का कुल 15000 करोड़ रु से अधिक का अनक्लेम्ड अमाउंट पड़ा है. मैं आश्वस्त हूँ, इसमें एक बहुत बड़ा हिस्सा ऐसी पॉलिसीज का होगा जिसके बारे में पॉलिसीहोल्डर ने अपने घर में बताया ही नहीं होगा. इसलिए, आप अपने द्वारा लिए गए टर्म इन्शुरन्स प्लान की जानकारी उचित व्यक्ति को ज़रूर दें.
9) राइडर का प्रयोग करें
राइडर आपको एक्स्ट्रा कवरेज देता है. एक टर्म इन्शुरन्स पॉलिसी के साथ आप बहुत कम अतिरिक्त प्रीमियम में कुछ राइडर्स ले सकते हैं. जैसे कि-
- गंभीर बीमारी राइडर
- स्थायी विकलांगता राइडर
- दुर्घटनाग्रस्त मौत लाभ राइडर, आदि
अपने एडवाइजर या ऑनलाइन एजेंट से आप इस बारे में डिटेल पता कर सकते हैं.
10) MWP एक्ट का प्रयोग समझें
यदि आप चाहते हैं कि किसी भी सूरत में आपके मरने के बाद आपकी पॉलिसी का सारा बेनिफिट सिर्फ आपकी पत्नी और बच्चों को ही मिले, किसी अन्य रिश्तेदार या क्रेडिटर को नहीं तो आप Marriage Women’s Property Act का प्रयोग कर सकते हैं. अवधि बीमा पॉलिसी लेते समय आप कम्पनी से इस बारे में पूछ सकते हैं.
11) ऑनलाइन टर्म इन्शुरन्स लेने का आप्शन पता करें
आप चाहें तो किसी इन्शुरन्स कंपनी की website या किसी इंश्योरेंस पोर्टल पर जाकर भी पॉलिसी खरीद सकते हैं. अमूमन ऑनलाइन पॉलिसी लेना सस्ता पड़ता है और अब तो ये साइट्स कस्टमर को सर्विस भी अच्छी देने लगी हैं.
12) खराब क्लेम सैटलमेंट रेशियो वाली कम्पनी न चुनें
अगर किसी लाइफ इन्शुरन्स कंपनी के पास 100 डेथ क्लेम आये जिसमे से उसने 98 को क्लेम दे दिया तो उस कंपनी का क्लेम सैटलमेंट रेशियो 98% हुआ. अपना इंश्योरर चुनने से पहले ये पता कर लें कि उसका दावा निपटान अनुपात कितना है. इस अनुपात का बेस्ट होना ज़रूरी नहीं है लेकिन बेहतर होगा अगर ये रेशियो 95% से ऊपर है.
13) अपनी लापरवाही से पॉलिसी लैप्स ना होने दें
यदि आप समय से अपनी पॉलिसी का प्रीमियम जमा नहीं करते तो वो लैप्स हो जाती है. और ऐसे में उस पॉलिसी से जुड़ा कोई भी बेनिफिट देय नहीं होता.
हाल ही में मेरे सामने एक ऐसी घटना आई थी कि व्यक्ति ने इन्शुरन्स तो लिया था पर कुछ समय पहले ही उसकी पॉलिसी लैप्स हो गयी थी और ऐसे में परिवार को बीमा का एक रुपया भी नहीं मिला.
इसलिए कुछ भी हो जाए अपना अवधि बीमा योजना लैप्स ना होने दें.
ये भी जानें कि पॉलिसी लेप्स हो जाने के बाद भी आप उसको रिवाइव करा सकते हैं. इसलिए यदि कभी गलती से पॉलिसी लैप्स हो जाए तो फ़ौरन इन्शुरन्स कंपनी से कांटेक्ट करें और अपनी पॉलिसी रिवाइव कराएं.
14) जिस कम्पनी से पॉलिसी लें उसका फिजिकल प्रेजेंस जांच लें
यदि आप ऑनलाइन पॉलिसी लेते हैं या किसी ऐसे चैनल से लेते हैं जहाँ आपको इन्शुरन्स कंपनी के ऑफिस नहीं जाना पड़ता तो भी आपको ये ज़रूर पता होना चाहिए कि उस कंपनी का नजदीकी ऑफिस कहाँ है.
आपके जाने के बाद परिवार वालों को क्लेम सेटल कराने के लिए ऑफिस के चक्कर लगाने पड़ सकते हैं ऐसे में अगर कोई ऑफिस होगा ही नहीं तो परिवारजनों को दिक्कत हो सकती है.
15) अपनी मौजूदा लोकेशन, कांटेक्ट नंबर और काम के बारे में कम्पनी को अवगत कराएं:
यदि आप भारत छोड़ कर किसी और देश में रहने जा रहे हैं तो इस बारे में कंपनी को सूचित करें. ज्यादातर देशों में आपका बीमा ऐसे ही जारी रहेगा. लेकिन अगर आप अफगानिस्तान, सीरिया या किसी युद्धग्रस्त देश में जा रहे हैं तो कम्पनी कवर स्टॉप कर सकती है.
इसके अलावा यदि आप एड्रेस या मोबाइल नंबर बदलता है तो इसकी जानकारी इन्शुरन्स कंपनी को अवश्य दें, ताकि वे समय-समय पर आपको रिन्यूअल व अन्य चीजों के बारे में याद दिला सके.
धन्यवाद!
पर्सनल फाइनेंस के इन लेखों को भी पढ़ें:
- ELSS – Tax बचाने के साथ-साथ Wealth बढाने का सबसे अच्छा तरीका!
- 15 मिनट में कैसे शुरू करें ऑनलाइन म्यूच्यूअल फण्ड SIP?
- फाइनेंसियल प्लानिंग क्या होती है और आपके लिए ये ज़रूरी क्यों है?
- 3 स्टेप में जानें कि रिटायरमेंट के समय आपको कितने पैसों की ज़रुरत होगी!
- मैजिक ऑफ़ कम्पाउंडिंग – तीन दोस्तों के करोड़पति बनने की कहानी!
Did you like this article on What is Term in Hindi ? / टर्म इंश्योरेंस क्या है ? Please share your comments.
यदि आप Personal Finance पर हमारे साथ कोई article share करना चाहते हैं तो कृपया achhikhabar@gmail.com पर भेजें. Select होने पर पर हम उसे आपके नाम और फोटो के साथ यहाँ PUBLISH करेंगे. Thanks!
Nmskar sir….
Bahut achha Article hai sir….
Pahle mujhe lagaa tha ki ye Article mere kaam ka nhi hai .
Fir maine sochaa Aapne publish kiya hai to kuch knowledgeable hi hoga….
But jab maine Read kiya to mashaallah article ekdum Hatke hai ji…..
Bahut si esi jaankaariyaan sikhne ko mili jo
Hmein pahle maaloom nhi thi….
Is Article ko read karne ke baad hmein lgta hai ki aapne Term insurance se Related Almost sabhi topic cover kar liye hai ……is Article mein….
Ye ek behtreen Article hai jo….
Har naagrik ko Read krne ki jrurt hai…
Hmne to yah Article apne frnds ko bhi share kar diya hai …
Aur hamein ummeed hai ki Aapke is Article ko padhkar kaafi logon ne insurance karwaa liya hogaa…. Yaa soch vichar mein lge honge..
Kyonki ismein unhe aapke dwara proper jaankaari mili hai…
Thank you very much sir once again….
Ek behd achhe aur most important Article ke liye…
Your Reader…..
Sandeep jain
Very much useful information. However, I want to know the name of company which gives term plan to a person whose education qualification is below 10th standard pass.
educational qualification does not matter.
Wonderful information Gopal bhai
Thanks Ashish
क्या ऐसा कोई नियम है कि 3 वर्षों तक प्रीमियम देने के बाद टर्म इंश्योरेंस में 3 वर्ष पहले जो नियम और शर्तें लागू थी वह अब नहीं रह जाएंगी
नहीं, ऐसा कुछ नहीं है.
THANKS FOR THIS INFORMATION BUT I WANT TO KNOW HEALTH INSURGENCE FOR ME AND MY FAMILY.
आज की जरुरत है ऐसी पोस्ट
Thank you for Ur valuable information , It’s a noble cause for a family and country , Previous week I have buyed a term plan with Icici all in one with rider and accidental death benefit.
very informative artical
Very good article on Term Insurance.
Shyam Sunder Singh
Term & Health Insurance Specialist, Patna
M-9334276531
Very valuable advice. Sir,Somany thanks for writing in details.