बच्चों की सही परवरिश देने पर हिंदी कहानी
Hindi Story on How To Raise a Child
शहर से कुछ दूरी पर बसे एक मोहल्ले में रुचिका अपने हस्बैंड के साथ रहती थी. उसके ठीक बगल में एक बुजर्ग व्यक्ति अकेले ही रहा करते थे, जिन्हें सभी “दादा जी” कह कर बुलाते थे.

बचपन थामते हाथ!
एक बार मोहल्ले में एक पौधे वाला आया. उसके पास कई किस्म के खूबसूरत, हरे-भरे पौधे थे.
रुचिका और दादाजी ने बिलकुल एक तरह का पौधा खरीदा और अपनी-अपनी क्यारी में लगा दिया. रुचिका पौधे का बहुत ध्यान रखती थी. दिन में तीन बार पानी डालना, समय-समय पर खाद देना और हर तरह के कीटनाशक का प्रयोग कर वह कोशश करती की उसका पौधा ही सबसे अच्छा ढंग से बड़ा हो.
दूसरी तरफ दादा जी भी अपने पौधे का ख़याल रख रहे थे, पर रुचिका के तुलना में वे थोड़े बेपरवाह थे… दिन में बस एक या दो बार ही पानी डालते, खाद डालने और कीटनाशक के प्रयोग में भी वे ढीले थे.
समय बीता. दोनों पौधे बड़े हुए.
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रुचिका का पौधा हरा-भरा और बेहद खूबसूरत था. दूसरी तरफ दादा जी का पौधा अभी भी अपने सर्वश्रेष्ठ रूप में नहीं आ पाया था.
यह देखकर रुचिका मन ही मन पौधों के विषय में अपनी जानकारी और देखभाल करने की लगन को लेकर गर्व महसूस करती थी.
फिर एक रात अचानक ही मौसम बिगड़ गया. हवाएं तूफ़ान का रूप लेने लगीं…बादल गरजने लगे… और रात भर आंधी-तूफ़ान और बारिश का खेल चलता रहा.
सुबह जब मौसम शांत हुआ तो रुचिका और दादा जी लगभग एक साथ ही अपने अपने पौधों के पास पहुंचे. पर ये क्या ? रुचिका का पौधा जमीन से उखड़ चुका था, जबकि दादा जी का पौधा बस एक ओर जरा सा झुका भर था.
“ऐसा क्यों हुआ दादाजी, हम दोनों के पौधे बिलकुल एक तरह के थे, बल्कि आपसे अधिक तो मैंने अपने पौधे की देख-भाल की थी… फिर आपका पौधा प्रकृति की इस चोट को झेल कैसे गया जबकि मेरा पौधा धराशायी हो गया?”, रुचिका ने घबराहट और दुःख भरे शब्दों में प्रश्न किया.
इस पर दादाजी बोले, “देखो बेटा, तुमने पौधे को उसके ज़रुरत की हर एक चीज प्रचुरता में दी… इसलिए उसे अपनी आवश्यकताएं पूरी करने के लिए कभी खुद कुछ नहीं करना पड़ा… न उसे पानी तलाशने के लिए अपनी जड़ें जमीन में भीतर तक गाड़नी पड़ीं, ना कीट-पतंगों से बचने के लिए अपनी प्रतिरोधक क्षमता पैदा करनी पड़ी…नतीजा ये हुआ कि तुम्हारा पौदा बाहर से खूबसूरत, हरा-भरा दिखाई पड़ रहा था पर वह अन्दर से कमजोर था और इसी वजह से वह कल रात के तूफ़ान को झेल नहीं पाया और उखड़ कर एक तरफ गिर गया.
जबकि मैंने अपने पौधे की बस इतनी देख-भाल की कि वह जीवित रहे इसलिए मेरे पौधे ने खुद को ज़िंदा रखने के लिए अपनी जडें गहरी जमा लीं और अपनी प्रतिरोधक क्षमता को भी विकसित कर लिया और आसानी से प्रकृति के इस प्रहार को झेल गया.”
रुचिका अब अपनी गलती समझ चुकी थी पर अब वह पछताने के सिवा और कुछ नहीं कर सकती थी.
दोस्तों, आज कल families छोटी होने लगी हैं. अधिकतर couples 2 या सिर्फ 1 ही बच्चा कर रहे हैं. ऐसे में माता-पिता बच्चों की care करने में उन्हें इतना pamper कर दे रहे हैं कि बच्चे को खुद grow करने और challenges face करने का मौका ही नहीं मिल रहा. As a result वे emotionally और physically मजबूत बनने की जगह कमजोर बन जा रहे हैं.
बच्चों को पालना और plants की देखभाल करने में काफी similarities हैं… ऐसे ही छोड़ देने पर बच्चे और प्लांट्स दोनों बिगड़ जाते हैं और ज़रुरत से अधिक care करने पर वे कमजोर हो जाते हैं… इसलिए बतौर अभिभावक ज़रुरी है कि हम एक सही balance के साथ अपने बच्चों को पाले-पोसें और सही परवरिश दें ताकि वे उस पौधे की तरह बनें जो मुसीबतों के आने पर गिरें नहीं बल्कि अपना सीना चौड़ा कर उनका सामना कर सकें.
आज खुद से एक प्रश्न करिए –
क्या आप अपने बच्चे को सही परवरिश दे रहे हैं?
क्या आप दादा जी की तरह उन्हें ज़िन्दगी की चुनौतियों का सामना करने का अवसर दे रहे हैं या रुचिका की तरह उन्हें pamper कर के कमजोर बना रहे हैं? फैसला आपके हाथ में है… और मुझे पता है सही फैसला लेंगे! 🙂
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Note: This story is inspired from one of the discourses of spiritual guru Gaur Gopal Das Ji.
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bahut hi achhi post h gopal ji ise padh kar hame vo bate yad aa jati h jo hame sikhani chahiye lekin vaqt ke abhav me sikha nahi paate h
हमेशा की तरह आपकी कहानी नई सीख देती है, यह बात सच है कि यदि बच्चों की परवरिश जरूरत से ज्यादा की जाय तो आगे चलकर भी मा बाप पर ही निर्भर रहेंगे , लेकिन असल जिंदगी में सक्सेस वहीं होता है जो खुद अपनी परेशानियों को समझे तथा उससे जूझे,
बच्चों का मन साफ होता है जो वे देखते है उन्हें लगता है कि वह सच है यहां तक कि यदि आप कोई गलत हरकत कर रहे है या मजाक में भी कुछ कह रहे है तो वह उसे सच मान लेता है। क्योंकि उसे तो मजाक का मतलब भी नही पता होता।
Inspirational story ….
Thank you for sharing ☺☺☺☺
Regards
Sandeep jain
बहुत ही उन्दा लेख आपने यहाँ पोस्ट की जो शिक्षाप्रद और मोटिवटिवशनल है।
धन्यवाद शेयर करने के लिए।
Is kahani se bahut hi achhi jankari milti hai.
Very true thoughts…… Thanks
yes it s true…………
Very Good Story
Best Story pyar apne bachho se kaun nahi karta but waqt par sahi parwarish hi asal pyar hai
Very nice and lesson giving story. Well said friend. This is true we all are doing same and showing that we are more caring and loving.