हेल्थ इंश्योरंस एक ऐसा बीमा उत्पाद है जिसे हमेशा से ही गलतफहमियों ने घेर रखा है। खास तौर पर इसके विभिन्न नियमों और अनुछेदों को लेकर हमारे मन में बेवजह ही, बहुत सारी नकारात्मक भावनाएँ बन जाती हैं। इसीलिए ज़रूरी है की इन सभी गलतफहमियों को समय रहते खत्म किया जाये।
आपको समझना होगा की हेल्थ इंश्योरंस आखिर में एक तरह की बीमा पॉलिसी ही है, जिसका प्रमुख उद्देश्य आपको और आपके परिवार को सभी चिकित्सीय समस्याओं और उनपर होने वाले खर्चों से बचाना है। जितनी जल्दी आप इस बीमा योजना में भागीदार बनेंगे, आपके लिए पॉलिसी लाभ उतना ही अधिक साकार होगा।
आइये हम मिलकर हेल्थ इंश्योरंस से जुड़े पाँच मिथकों की पड़ताल करें और जानें की उनमें कितनी सच्चाई है।
हेल्थ इंश्योरंस से जुड़े 5 मिथक
Myths Related to Health Insurance in Hindi
मिथक 1: अगर आप स्वस्थ हैं तो आपको हेल्थ इंश्योरंस की कोई ज़रूरत नहीं है
सच्चाई: हालांकि स्वस्थ रहना एक अच्छी आदत है, किन्तु अच्छा स्वास्थ्य आपको गंभीर बीमारियों और सड़क हादसे जैसी अनपेक्षित घटनाओं से पूरी तरह सुरक्षित नहीं कर सकता है। मलेरिया और डेंगू जैसी बीमारियाँ तो किसी भी व्यक्ति को अपनी चपेट में ले सकती हें।
इसके अतिरिक्त, सड़क हादसों में किसी को भी गंभीर चोटें आ सकती हैं। बीमारी या हादसा कोई भी हो, उसके इलाज में लाखों रुपयों तक का खर्च आ सकता है। ऐसी किसी भी परिस्थिति में हेल्थ इंश्योरंस आपके आर्थिक बोझ को काफी हद तक कम कर सकता है। इसीलिए हेल्थ इंश्योरंस लेना सभी के लिए ऐच्छिक नहीं, बल्कि एक ज़रूरी निवेश है।
मिथक 2: एम्प्लायर द्वारा दिया गया हेल्थ इंश्योरंस आपके लिए पर्याप्त है
सच्चाई: आजकल काफी सारे संगठन अपने कर्मचारियों को कॉर्पोरेट हेल्थ इंश्योरंस प्लान के तहत कवर मुहैया कराते हैं। लेकिन इस स्थिति में भी आप एक पर्सनल हेल्थ प्लान की ज़रूरत को नज़रअंदाज़ नहीं कर सकते। आपकी कंपनी द्वारा दिया गया हेल्थ इंश्योरंस प्लान आपके बूढ़े माता- पिता या फिर अन्य आश्रितों को भी सुरक्षा प्रदान करे, ऐसा ज़रूरी नहीं है। इसके अतिरिक्त, आपकी पॉलिसी तब तक ही लागू होगी जब तक आप अपने वर्तमान कार्यालय में काम कर रहे हैं।
इसीलिए आपको हर स्थिति में एक पर्सनल पॉलिसी कवर लेना चाहिए। जैसे जैसे आपकी उम्र बढ़ती जाती है, आपके स्वास्थ्य में लगातार गिरावट आती रहेगी, किन्तु हेल्थ प्लान की निर्धारित प्रीमियम राशि में बढ़ोत्तरी होती रहेगी। इसीलिए आपको अपने और अपने परिवार के लिए एक पर्सनल हेल्थ प्लान जितनी जल्दी हो सके उतनी जल्दी लेना चाहिए।
मिथक 3: धूम्रपान करने वाले व्यक्ति हेल्थ इंश्योरंस पाने योग्य नहीं होते हैं
सच्चाई: एक सर्वे के अनुसार, लगभग 49 प्रतिशत व्यक्ति जो धूम्रपान या फिर शराब का सेवन करते हैं, उनके मन में ये दुविधा रहती है की क्या वह हेल्थ इंश्योरंस लेने के योग्य हैं अथवा नहीं। हालांकि, ऐसे व्यक्तियों में हेल्थ रिस्क काफी अधिक होता है, किन्तु वह हेल्थ बीमा कवर लेने के लिए अयोग्य बिलकुल नहीं होते।
बल्कि, ऐसे सभी व्यक्ति जो शराब का सेवन अथवा धूम्रपान करते हैं, उन्हें हेल्थ इंश्योरंस पाने के लिए थोड़ी अधिक प्रीमियम राशि का भुगतान करना होता है। साथ ही उन्हें थोड़े कठिन स्वास्थ्य परीक्षण से गुजरना होता है। उसके बाद कहीं जाकर हेल्थ कवर प्राप्त होता है।
मिथक 4: आपको केवल हॉस्पिटल में भर्ती होने पर ही भुगतान प्राप्त होता है
सच्चाई: यह सिर्फ एक गलतफहमी है की हेल्थ इंश्योरंस आपको सर्जरी के बाद हॉस्पिटल में भर्ती होने की स्थिति में ही कवर करता है। आजकल मेडिकल विज्ञान ने इतनी तकनीकी उन्नति कर ली है कि बहुत बार सर्जरी के बाद पेशेंट को भर्ती होने कि आवश्यकता ही नहीं पड़ती है। मोतियाबिंद ऑपरेशन अथवा किडनी स्टोन हटाने जैसी डे-केयर प्रक्रियाओं के बाद पेशेंट बिना अस्पताल में भर्ती हुये, कुछ घंटों के बाद ही आसानी से घर वापस जा सकते हैं।
इसीलिए जाने-माने इंश्योरंसकर्ता आपको अपने हेल्थ इंश्योरंस प्लान के अंतर्गत हॉस्पिटल में भर्ती होने के साथ साथ डे-केयर प्रक्रियाओं में होने वाले खर्चों का भी भुगतान करते हैं। इसके अतिरिक्त, कुछ हेल्थ प्लान आपको दंत चिकित्सा, डॉक्टर परामर्श शुल्क, आयुर्वेदिक और यहां तक कि यूनानी उपचार से जुड़े खर्चों का भी भुगतान प्रदान करते हैं।
मिथक 5: हेल्थ इंश्योरंस केवल टैक्स बचाने के लिए उपयुक्त होता है
सच्चाई: भारत में ज़्यादातर व्यक्ति इंश्योरंस पॉलिसियों को केवल टैक्स बचाने का एक माध्यम मानते हैं, जो कि कभी-कभार किसी आपातकालीन चिकित्सीय स्थिति में काम आ सकता है। लेकिन ऐसा सोचना सही नहीं है। हेल्थ इंश्योरंस आपको भविष्य में होने वाले सभी आकस्मिक मेडिकल खर्चों से निपटने में मदद करता है। साथ ही साथ आपको टैक्स में भारी छूट भी दिलाता है। किन्तु सिर्फ टैक्स बचाने के लिए किसी भी हेल्थ प्लान में निवेश करना, आपको बहुत महंगा पड़ सकता है। इसीलिए ज़रूरी है कि आप पॉलिसी पत्र को ध्यानपूर्वक पढ़ें और बीमा से जुड़ी सभी शर्तों को समझकर ही अपने लिए उपयुक्त हेल्थ इंश्योरंस का चुनाव करें।
हेल्थ इंश्योरंस एक अत्यंत लाभकारी बीमा उत्पाद है। यह न केवल आपको दीर्घकाल में होने वाले सभी चिकित्सीय खर्चों से लड़ने में मदद करता है, बल्कि वर्तमान में आपको टैक्स में भारी छूट जैसे अतिरिक्त लाभ भी प्रदान करता है। किन्तु अधिकतर व्यक्ति हेल्थ इंश्योरंस को एक पेचीदा निवेश मानकर, इससे कतराते रहते हैं और व्यर्थ की धारणाएँ बनाते रहते हैं। आपको यह समझना चाहिए की हेल्थ इंश्योरंस आपको मानसिक शांति के साथ साथ बहुत सारी अन्य सहूलियतें देता है। आवश्यकता है तो बस अपने मन से हर तरह के भ्रम को निकालकर, इस सुविधा को अपनाने की।
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Manoj Dwivedi says
बहुत अच्छी जानकारी हेल्थ इन्शुरन्स के बारे में ,आजकल थोड़ा जागरुक हुए हैं,पर अभी भी बहुत सी भ्रांतियां पाले हैं।
lalaji thakor says
बहुत अच्छी जनकारी दि है हेल्थ इंसोरेंस के बारे मे अब मे भी हेल्थ इंसोरेंस करा लुंगा
Suraj says
Bhut acchi jaankaari…
Nitish says
बहुत अच्छी जनकारी दि है हेल्थ इंसोरेंस के बारे मे अब मे भी हेल्थ इंसोरेंस करा लुंगा
shivcharan says
Gopal Bhai you are doing a great job. in our country as such work are very useful.
keep this.
I thanks a lot of you.
i am regular reader of Acchhikhabar.com
Rashid Ansari says
nice post thanks for sharing it
Mukesh Singh says
thanks gopal bhai for useful information. you are actually full of knowledge !
Narayan Uttam Swami says
Thunks Sir Health Insurance के बारे बताने के लिए 😄 😄 😄 😄
Parth says
Thank you sir, sachhai jaannae ke baad lag raha hi mujhe bhi policy le leini chahiye.
satyadeep singh says
nice, can you please tell which company claim settlement percentage is good?
Gopal Mishra says
MAX BUPA and STAR HEALTH have good numbers.