Hindi Story on How to be Happy
ख़ुशी कब मिलेगी? | प्रेरणादायक कहानी
एक औरत अपनी ज़िन्दगी से बहुत मायूस थी. किसी को भी उसके दुःख का कारण नहीं समझ आता था क्योकि न उसके पास पैसों की कमी थी ना उसकी personal life में कोई issue था और ऊपर से वो देखने में भी बहुत खूबसूरत थी.
सब सोचते भला अब इसे और क्या चाहिए खुश रहने के लिए?
वह कई साइकोलॉजिस्ट्स से मिली पर सारे उपाय बेकार गए…और धीरे-धीरे उसकी मायूसी सुसाइडल थॉट्स में बदलने लगी… उसे लगा इस दिखावटी, दुःख भरी ज़िन्दगी से अच्छा तो मर जाना है और यही सोच कर वह अपनी कार शहर से कुछ दूरी पर मौजूद एक पहाड़ी की ओर जाने लगी.
पहाड़ी पर पहुँचने से कुछ ही पहले उसे एक गाँव के बाहर एक अधेड़ उम्र का आदमी दिखा जो आवारा कुत्तों को रोटियां खिला रहा था. उसके चेहरे की ख़ुशी और आँखों का संतोष देख कर उस औरत से रहा नहीं गया…उसने फ़ौरन ब्रेक लगाया और गाड़ी से उतर कर उस आदमी के पास पहुंची और पूछा-
” आप इतने खुश हैं…मुझे ख़ुशी कब मिलेगी?”
आदमी मुस्कुराया और बोला, ” अगर तुम मुझसे 6 महीने पहले मिली होती तो शायद तुम्हे मुझसे दुखी इंसान पूरी दुनिया में कोई नहीं दिखता… मेरे जवान बेटे को मेरी आँखों के सामने एक कार कुचल कर चली गयी….उसके मरने के गम में मेरी जीवन साथी…मेरी वाइफ भी कुछ ही महीनो में दुनिया छोड़ कर चली गयी… महीनों तक मैंने मुंह से एक शब्द नहीं निकाला, एक जिंदा लाश की तरह इधर-उधर घूमता रहा.
….लेकिन पिछली सर्दियों में जब एक दिन जब मैं घर लौट रहा था… तभी मुझे लगा मेरे पीछे कोई आ रहा है…देखा तो एक छोटा सा puppy अपने नन्हें पैरों से मेरे पीछे-पीछे चला आ रहा था.
- दिल छू लेने वाली कहानी : सर्दी की एक रात
उससे पीछा छुडाने के लिए मैं जल्दी-जल्दी अपने घर की तरफ बढ़ने लगा…पर वो मेरा पीछा छोड़ने को तैयार ही नहीं था…मैं गेट खोल कर जल्दी से अपने घर में घुस गया. जब खाना खा कर मैं सोने ही वाला था कि उस puppy के रोने की आवाज़ मेरे कानों में पड़ी… खिड़की से देखा तो वो वहीँ गेट के बाहर ठिठुर रहा था…
मेरा दिल पसीज गया… मैंने एक पुराना कम्बल उठाया और puppy को उसमे रख कर अन्दर ले आया…मैंने फट से थोड़ा सा दूध गरम किया और उसे पिलाने लगा…
उसे जल्दी-जल्दी दूध पीता देखकर अजीब सा संतोष हुआ मन में…और पता है मैं कई महीनो बाद उस दिन फिर से एक बार मुस्कुरा रहा था…
मुझे लगा एक छोटे से निःस्वार्थ कदम ने मुझे इतनी ख़ुशी दे दी… आत्महत्या के कगार पर खड़ा मैं फिर से ज़िन्दगी में रौशनी देखने लगा….उस दिन के बाद से ऐसा कोई दिन नहीं है जब मैंने कोई निःस्वार्थ सेवा न की हो…कभी अनाथालय में, कभी गरीबों में, कभी सड़कों पर मैं किसी न किसी तरह खुशियाँ बांटने की कोशिश करता
रहता हूँ…. और तुम्हारे सवाल कि –
ख़ुशी कब मिलेगी ?
का यही जवाब है-
जब निःस्वार्थ हो कर तुम दूसरों की सेवा करोगी…उनको ख़ुशी दोगी तब तुम्हे अपने आप ही ख़ुशी मिल जायेगी
अब औरत उस आदमी की बात समझ चुकी थी उसने गाड़ी वापस घुमाई, उसे पता चल चुका था कि अब उसे क्या करना है.
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दोस्तों, आपको ये कहानी कैसी लगी?
और मैं काफी interested हूँ ये जानने में कि आपको क्या करने में सबसे अधिक ख़ुशी मिलती है? क्या वो किसी की मदद करना है, music सुनना, डांस करना है? या कुछ और… please comment कर के हमारे साथ अपनी thoughts ज़रूर शेयर करें.
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Mohit says
Dil jeet liya sir aapne