संदीप परेशान होकर अपने गुरु के पास जाता है और कहता है-
गुरुजी आपने हमेशा समझाया है कि मेहनत और लगन से काम करते रहो सफलता मिलती रहेगी. मैं मेहनत और लगन से काम कर रहा हूं मुझे सफलता भी मिल रही है लेकिन उस सफलता के साथ जो खुशी जुड़ी होती है… जो सुकून जुड़ा होता है वह मुझे नहीं मिल रहा. मेरा बेटा एक बड़े स्कूल में पढ़ रहा है , मैं एक महंगा घर भी खरीद चुका हूं आपके बताए मेहनत के रास्ते पर चल रहा हूं, लेकिन खुश नहीं हूं! गुरुजी में खुश कैसे रहू कृपया मेरी मदद कीजिए.
गुरुजी मुस्कुराते हुए अंदर कमरे में गए और अपने हाथ में तीन गेंद लेकर आए जिसमें से-
- एक कांच की गेंद थी
- एक रबड़ की गेंद थी
- एक चीनी मिट्टी की
गुरुजी ने उन गेंदों को संदीप के हाथों में दिया और कहा, “तुम इन गेंदों को लगातार एक के बाद एक हवा में उछालते रहो और किसी भी समय कम से कम 1 गेंद हवा में जरूर होनी चाहिए.”
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संदीप थोड़ा हैरान तो हुआ लेकिन गुरुजी की बात मानता चला गया. उसने चुपचाप तीनों गेंद उठायीं और एक के बाद एक हवा में उछालने लगा.
कुछ देर तक तो वह बैलेंस बना पाया लेकिन जल्द ही उसका संतुलन बिगड़ने लगा. उसने जैसे-तैसे कांच और रबड़ की गेंद तो पकड़ ली पर अब वह चीनी मिट्टी की गेंद पकड़ता तो कोई न कोई- गेंद नीचे गिर जाती.
अब ऐसे में उसने तेजी से निर्णय लिया और रबड़ की गेंद को हाथ से छोड़ कर चीनी मिट्टी वाली गेंद पकड़ ली, क्योंकि वह उन तीनो बालों में सबसे कीमती थी और रबड़ की गेंद नीचे गिर कर भी टूटती नहीं.
मतलब रबड़ की गेंद फेंकते हुए उसने कांच की और चीनी मिट्टी की गेंद को बचा लिया. पर फिर भी वह निराश था कि वह गुरुजी का दिया काम ढंग से नहीं कर पाया.
गेंद गिरते ही वह गुरुजी की ओर पलटा, उसने देखा कि गुरुजी मुस्कुरा रहे .
गुरुजी उसके पास आए और उससे पूछा, “बेटा बताओ तुमने रबड़ की गेंद को क्यों गिरने दिया? कांच की या चीनी मिट्टी वाली गेंद को क्यों नहीं?
तब संदीप ने गुरुजी से बोला, “गुरुजी चीनी मिट्टी वॉली गेंद सबसे ज्यादा कीमती थी इसलिए मैंने उसको पकड़ने की सोची और अगर कांच की या चीनी मिट्टी की बोल नीचे गिर जाती तो वो टूट जाती… इसीलिए मैंने इन दोनों को नहीं छोड़ा, बल्कि रबड़ की गेंद छोड़ दी क्योंकि रबड़ की गेंद गिरने पर कोई नुकसान नहीं होता.
गुरुजी उसका जवाब सुनते हुए फिर मुस्कुराए और बोले बेटा तुमने अपनी समस्या का समाधान खुद ही ढूंढ लिया यह तीनों गेंदों तुम्हारे जीवन की प्राथमिकताओं की तरह हैं.
- यह चीनी मिट्टी वाली गेंद तुम, तुम्हारे परिवार, तुम्हारी सोच और तुम्हारी भावनाओं की तरह हैं.
- यह कांच का बाल तुम्हारा काम, तुम्हारी नौकरी तुम्हारे पैसे तुम्हारे सुख सुविधाओं के साधन हैं.
- और यह रबड़ की गेंद तुम्हारी उन चीजों की तरह है जो अगर तुम्हारी जिंदगी में ना भी हो तब भी तुम आराम से जी सकते हो. जैसे कि तुम्हारा महंगा मोबाइल महंगी कार या कोई महंगी घड़ी या फिर महंगे शौक.
तुमने अपनी जिंदगी में कांच की गेंद और रबड़ की गेंद दोनों को महत्व दिया. तुमने एक से एक महंगी चीजें इकट्ठा कर लीं, भौतिकता की चकाचौंध में तुम इतना खो गए कि अपने परिवार की तरफ, अपने रिश्तों की तरफ, यहाँ तक कि खुद अपनी भावनाओं की तरफ भी ध्यान नहीं दिया. इसीलिए आज तुम खुश नहीं हो.
मेहनत करते रहो आगे बढ़ते रहो लेकिन अपनी प्राथमिकताओं को स्पष्ठ रखो. जब भी मन परेशान हो जब भी किसी चीज को बैलेंस ना कर पाओ तो और मजबूरन कोई न कोई गेंद छोडनी पड़े तो रबड़ की गेंद छोड़ दो, खुशियां नहीं रुकेंगी.
पर आज तुम ही नहीं संदीप ज्यादातर लोग रबड़ की गेंद को इतना मजबूती से पकड़ लेना चाहते हैं कि चीनी मिट्टी और कांच की गेंद उनके हाथ से छूट ही जाती है.
काम के पीछे, पैसों के पीछे इतना भी मत भागो कि खुशियां पीछे छूट जाएं.
दोस्तों, आप भी अपने जीवन की प्राथमिकताओं पर ध्यान देते हुए जीवन के लक्ष्य हासिल करें और इस पोस्ट को ज्यादा से ज्यादा लोगों से शेयर कर के ये ज़रूरी सन्देश औरों तक भी पहुंचाएं.
धन्यवाद,
Aman Jaiswal
Blogger : Please visit my blog amanjais.com for inspirational stories in Hindi
Lucknow
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Samson says
Super Stories
Parmeshwar says
Life me jine ka tarika hi apki pahchan hai. For “parmeshwar”
SATYOSH KUMAR says
VERY VERY NICE …
Prakash Pawar says
bahot acchi motivated kahani hai Gopal sir.
Vijay chandora says
Nyc post bhai
Jo bloging krte hai unke liye bhi achhi hai ye story
Bharti hindi says
Bahut acchi story hai…….life ko acche se chalane ke liye use samajhna pasta hai aaur phir us hisab se act karna chahiye…very nice from bhartiHindi.com
Nitin saxena says
Very inspirational story
SoftYuva.com says
अच्छा कहानी था. पढ़ कर अच्छा लगा और काफी कुछ सीखने को मिला. गोपाल जी आप बहुत अच्छा लिखते है.
Mohinder says
Nice thing
Yogesh Gupta says
Thanks bahut hi gyanwardhak story thanks again