आकर्षण के सिद्धांत पर हिंदी कहानी
How To Apply Law of Attraction in Hindi
मधुसूदन जी दो दिनों से सो नहीं पा रहे थे। वजह? जब भी सोने जाते, कुछ पुरानी बातें याद आ जातीं। अयोध्या की बातें!
वह एक गरीब परिवार से थे। बीस साल पहले घरवालों ने अयोध्या भेजा था। पढ़ने के लिए। साकेत महाविद्यालय में उन्हें प्रवेश मिल गया। वहीं एक आश्रम में रहने और खाने की व्यवस्था हो गयी ।

अयोध्या में अनेक ऐसे मठ और आश्रम हैं, जहां रहकर गरीब छात्र पढ़ते हैं। आश्रम के कार्यों में हाथ बटाते हैं। मधुसूदन बड़े परिश्रमी और मिलनसार थे। जल्दी ही सबसे घुल मिल गए।
आश्रम के प्रमुख एक स्वामी जी थे। संस्कृत के बड़े विद्वान। शिक्षा के अनुरागी। प्रेरक व्यक्तित्व।ओजस्वी वाणी। उम्र पचपन साल। लेकिन चुस्ती और उत्साह में युवाओं जैसे। विद्यार्थियों की शिक्षा उन्हें सबसे प्रिय थी।
- पढ़ें: आखिरी उपदेश ( प्रेरणादायक कहानी )
स्वामी जी एक बात बराबर कहते-
“जेहिं के जेहि पर सत्य सनेहू, सो तेहि मिलहिं न कछु संदेहु”
“मतलब?”
“ये रामचरित मानस की चौपाई है। इसके अनुसार अगर कोई सच्चे मन से किसी चीज़ को चाहे, तो वो उसे मिल जाती है”
“वो कैसे?”
“आकर्षण के सिद्धांत से”
“मैं समझा नहीं”
देखो। जब भी तुम सच्चे दिल से कुछ चाहते हो तो क्या होता है! तुम उसके विचारों में डूब जाते हो। रात-दिन, सुबह-शाम बस वही सोचते हो! विचारों के अनुसार ही तुम्हारे कर्म होने लगते हैं। जैसे ही विचार और कर्म एकरूप हो जाते हैं, व्यक्ति उस वस्तु या परिस्थिति के योग्य बन जाता है। योग्यता आ जाने के बाद वह चीज़ उसे मिलकर ही रहती है !
“इस सिद्धांत से लाभ उठाने का क्या कोई सरल तरीका भी है?”
“हां। ईश्वर के प्रति नियमित और सच्चे दिल से प्रार्थना करके हम आकर्षण के इस सिद्धांत को अपने जीवन में क्रियाशील कर सकते हैं””प्रार्थना करने से क्या होगा?”
“मन की बिखरी शक्ति एक लक्ष्य पर केंद्रित होगी। मानसिक ऊर्जा बढेग़ी। बढ़ी हुई मानसिक शक्ति से कर्मों में दृढ़ता आएगी।यह दृढ़ता लक्ष्य की ओर ले जाएगी”
“क्या सोचने से ही सब हो जाएगा?”
“नहीं। जबतक लक्ष्य प्राप्ति के लिए ईश्वर से सच्ची प्रार्थना नहीं होती, तबतक नहीं। यह ताला जानबूझकर प्रकृति के द्वारा लगाया गया है जिससे मानसिक शक्ति के द्वारा लोग अपनी गलत इच्छाओं को न पूरा कर सकें”
इस तरह के तर्क- वितर्क चलते ही रहते थे। मधुसूदन को यह सिद्धांत कोरी कल्पना लगता था। वहीं स्वामी जी का प्रबल विश्वास था कि अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए हमें ईश्वर से प्रार्थना करनी चाहिए। अगर वो इच्छा हितकारी है तो ईश्वर उसे पूरा करेंगे क्योंकि उनका भंडार अक्षय और अनंत है। जब भी आश्रम में कोई बीमार पड़ता, स्वामी जी सामूहिक प्रार्थना जरूर करवाते।
समय गुजरता गया। मधुसूदन जी की शिक्षा पूरी हो गयी। एक अच्छे सरकारी पद पर लखनऊ में नियुक्ति हो गयी। वह नई परिस्थितियों में रम गए।
बीस- बाइस साल पंख लगाकर उड़ गए। आश्रम से नाता पूरी तरह टूट चुका था। लेकिन दो दिनों से एक अनूठी बात हो रही थी! जब भी बिस्तर पर लेटते, स्वामी जी की याद आती!
उन्होंने आश्रम के एक ट्रस्टी का नंबर लिया। बात की। पता चला कि स्वामी जी को कानों से बहुत कम सुनाई देता है।
मधुसूदन के मन में इच्छा जगी। स्वामी जी को कान की मशीन (Hearing Aid) देनी चाहिए। उन्होंने अपने पड़ोस में ही रहने वाले एक विशेषज्ञ चिकित्सक से बात की। उनके बताए पते पर एक ऑडियोलॉजिस्ट से जाकर मिले। कान की मशीन खरीद ली। उसे चलाने और फिट करने का तरीका समझ लिया।
रात को घर लौटकर उन्होंने एक फैसला किया। कल अयोध्या जाऊंगा।
अगले दिन खूब सवेरे उठे। सुबह आठ बजे वे आश्रम पहुंच चुके थे।उस समय विद्यार्थी सुबह का जलपान कर रहे थे।
एक छात्र से बातचीत शुरू हुई।
“बूढ़े स्वामीजी कैसे हैं?”
“ठीक हैं, लेकिन अब कानों से सुनाई नहीं देता”
“इलाज हुआ कि नहीं”
“डॉक्टर देखने आया था। कान की मशीन बोला है”
“मशीन तो लग गयी होगी अब?”
“कैसे लगेगी! अयोध्या या फैज़ाबाद में वैसी कान की इलेक्ट्रॉनिक मशीन मिली नहीं।लखनऊ में ही मिलती है”
“लखनऊ से मंगाया नहीं?”
“स्वामी जी कहते हैं, आश्रम का धन विद्यार्थियों के लिए है। अगर वास्तव में उन्हें इस मशीन की जरूरत होगी तो ईश्वर इसे खुद लखनऊ से भेज देंगे”
“अच्छा!!!!”
“हाँ। हम आश्रमवासी पिछले तीन दिनों से हर शाम को सामूहिक प्रार्थना कर रहें हैं कि ईश्वर स्वामी जी की समस्या का निदान करें”
मधुसूदन जी के पूरे शरीर में जैसे कंपन हो रहा था। वह उस विद्यार्थी के साथ स्वामी जी के कमरे में गए। वे बहुत वृद्ध हो चुके थे। स्मृति भी कम हो चुकी थी। मुश्किल से मधुसूदन को पहचान पाए। बगल की मेज पर ही डॉक्टर का पुर्जा पड़ा था।उसपर ठीक उसी पावर और ब्रांड की हियरिंग एड का नाम लिखा था जो वे लखनऊ से लेकर आये थे!
मधुसूदन जी अपने आंसू नहीं रोक सके। तो क्या वह ईश्वर से की गई प्रार्थना के उत्तर में अयोध्या आये थे! प्रार्थना की शक्ति कितनी असीम होती है, उन्हें आज इसका अहसास हो रहा था!
उनके मन में अप्रत्याशित तौर से हियरिंग एड देने की इच्छा जगी! उन्हें एक विशिष्ट ब्रांड और पावर का महंगा हियरिंग एड ही पसंद आया! वे अयोध्या आये! ये सबकुछ उस प्रार्थना की शक्ति से हुआ, जो हर मनुष्य के हृदय में विद्यमान है! आज उन्हें इसका प्रत्यक्ष प्रमाण मिल गया।
मधुसूदन ने स्वामी जी के कान में मशीन लगाई। अच्छी तरह सब कुछ सेट किया। साथ वाले विद्यार्थी को भी समझा दिया। अब स्वामी जी आराम से सुन सकते थे।
थोड़ी देर वार्तालाप के बाद चलने की आज्ञा मांगी। स्वामीजी ने उन्हें हनुमानगढ़ी के प्रसिद्ध लड्डुओं का प्रसाद पूरे परिवार के लिए दिया। स्वामीजी को प्रणाम करके जब वे आश्रम से चले तो उनका हृदय अब पूरी तरह शांत था।

इन कहानियों को भी पढ़ें
Did you like the story on How To Apply Law of Attraction in Hindi? Please share your comments.
यदि आपके पास Hindi में कोई article, inspirational story या जानकारी है जो आप हमारे साथ share करना चाहते हैं तो कृपया उसे अपनी फोटो के साथ E-mail करें. हमारी Id है:achhikhabar@gmail.com.पसंद आने पर हम उसे आपके नाम और फोटो के साथ यहाँ PUBLISH करेंगे. Thanks!
I am surprised after reading the story. I can also realized the power of attraction in my life.
Nice best story hai nice work
Nice story
Hello Gopal,
Your blog and stories are very much motivational and impressive.
Hope this will reach to this young generation which will help them to do something better in their life.
बहुत ही प्रेरक कहानी है। मुझे बहुत अच्छी लगी।
ना पूछो कि मेरी मंजिल कहाँ है
अभी तो सफर का इरादा किया है
ना हारूंगा हौंसला उम्र भर
ये मैंने किसी से नहीं खुद से वादा किया है
अच्छा लगा | भैया
BAHUT BADIYA … PADKAR BAHUT ACCHA LAGA
Thanks Jagdish Ji
प्रेरणास्पद कहानी.
धन्यवाद अनिल जी. कैसे हैं आप?
This is the same message in the movie “The secret”.Please watch this movie. This principle will help to understand more