प्रिय मित्रों
2 अक्टूबर 2024 को पूरा देश महात्मा गाँधी जी की 152 वीं जयंती मनायेगा.
इस अवसर पर आज AchhiKhabar.Com पर हम आपके लिए – Mahatma Gandhi Jayanti Speech in Hindi / महात्मा गाँधी जयन्ती पर भाषण लेकर आये हैं.
सरल शब्दों में लिखा ये भाषण निश्चित ही हर class के students या offices में काम करने वाले employees को गाँधी जी पर अपना भाषण तैयार करने में मदद कर सकता है. तो आइये, देखते हैं इसे :
Mahatma Gandhi Jayanti Speech in Hindi
महात्मा गाँधी जयंती पर भाषण
दे दी हमें आज़ादी बिना खडग बिना ढाल…साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल
हाँ, वो कमाल ही तो था; जिसने बिना शस्त्र उठाये विश्व की सबसे बड़ी ताकत को झुकने पर मजबूर कर दिया , भारत छोड़ने पर मजबूर कर दिया और सदियों से दासता की जंजीरों में जकड़े देश को आज़ाद कर दिया.
हाँ ये कमाल ही तो था कि दुनिया में एक ऐसा महात्मा था –
- जो पाप से घृणा करता था पापी से नहीं…
- जो लक्ष्य और उसे प्राप्त करने के साधन दोनों के पवित्र होने की वकालत करता था….
- जो एक गाल पर थप्पड़ मारने पर दूसरा गाल आगे करने को कहता था….
- जिसके भजन में ईश्वर थे तो अल्लाह भी….
माननीय मुख्य अतिथि, आदरणीय प्राचार्य महोदय, सम्मानित शिक्षकगण और मेरे प्यारे मित्रों,
आज दो अक्टूबर को महात्मा गाँधी की जयंती है और आज ही हैं अंतर्राष्ट्रीय अंहिसा दिवस
प्रथम , मैं आप सभी को इसकी हार्दिक बधाई देता हूँ.
मित्रों, क्या आप जानते हैं – मार्टिन लूथर किंग, नेल्सन मंडेला, अल्बर्ट आइंस्टीन, और स्टीव जॉब्स जैसी विश्व की दिग्गज हस्तियों में क्या समानता है?
ये सभी एक आम कद-काठी और चेहरे -मोहरे वाले इंसान मोहन दास करम चंद गाँधी के अनुयायी थे, उन्हें फ़ॉलो करते थे…. क्योंकि वो आम सा दिखने वाला इंसान अन्दर से इतना ख़ास था…इतना ख़ास था…कि आइंस्टीन ने यहाँ तक कह दिया था कि –
आने वाली पीढियां मुश्किल से यकीन कर पाएंगी कि कभी मांस और रक्त से पूर्ण कोई ऐसा भी इंसान था जो इस धरती पर चला था.
मित्रों, आज इस मंच से मैं भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के सबसे प्रमुख राजनैतिक एवं आध्यात्मिक नेता महात्मा गाँधी के अनमोल जीवन पर प्रकाश डालूँगा और आज के परिपेक्ष में गांधी जी कि शिक्षाओं के औचित्य पर अपने विचार रखूँगा.
जन्म व प्रारंभिक जीवन
मित्रों, आज से 150 साल पहले 2 October 1869 को गुजरात के पोरबंदर में करमचंद गाँधी और पुतलीबाई के घर उनकी सबसे छोटी संतान मोहनदास करमचंद गाँधी का जन्म हुआ.
उनका बचपन श्रवण कुमार, प्रहलाद और हरिश्चन्द्र की कहानियां सुनने और उनसे मिली सीख को आत्मसाथ करने में बीता.
पढाई -लिखाई और खेल-कूद में बेहद साधारण रहे मोहनदास का विवाह मात्र 13 साल की उम्र में उनसे 1 साल बड़ी कस्तूरबा से करा दिया गया.
गांधी जी डॉक्टर बनना चाहते थे पर वैष्णव परिवार में चीरफाड़ की अनुमति नहीं थी, सो उन्हें वकालत की पढाई करने को कहा गया.
इसलिए 1888 में कुछ ही महीने पहले पैदा हुए अपने पुत्र हरिलाल और पत्नी कस्तूरबा को छोड़ मोहनदास बैरिस्टर बनने के लिए इंग्लैंड रवाना हो गए.
4 साल बाद वे पढाई पूरी कर भारत लौटे और कुछ दिनों तक बॉम्बे और राजकोट में प्रैक्टिस की जहाँ उन्हें अधिक कामयाबी नहीं मिल सकी… क्योंकि होनी को तो कुछ और ही मंज़ूर था…. 1893 में दादा अब्दुल्लाह नाम के एक व्यापारी ने उन्हें साउथ अफ्रीका बुला लिया, जहाँ भारत की तरह ही ब्रिटिश हुकूमत थी.
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साउथ अफ्रीका प्रवास
23 साल की उम्र में साउथ अफ्रीका पहुंचे मोहनदास को वहां कदम-कदम पर भेदभाव का सामना करना पड़ा।
सही टिकट होने के बावजूद सिर्फ अलग रंग और नस्ल का होने के कारण उन्हें ट्रेन के प्रथम दर्जे से बाहर फेंक दिया गया.
कोई आम इंसान होता तो भाग कर वापस आ जाता लेकिन इस और इस जैसे अनगिनत घटनाओं के बावजूद गाँधी जी 21 साल तक साउथ अफ्रीका में रहे और वहां व्याप्त कई कुरीतियों और अत्याचारों के खिलाफ लड़ते रहे.
साउथ अफ्रीका में रह कर ही गाँधी जी ने अपने द्वारा स्थापित किये गए फीनिक्स और टॉलस्टॉय फार्म में सत्याग्रह को एक शस्त्र के रूप में विकसित किया. गाँधी जी द्वारा साउथ अफ्रीका में बिताया समय कितना महत्त्वपूर्ण था ये इस बात से समझा जा सकता ही कि एक भाषण में उन्होंने कहा था-
I was born in India but was made in South Africa.
भारत वापसी और स्वतंत्रता के लिए संघर्ष
गोपाल कृष्ण गोखले के निवेदन पर भारत को अंग्रेजी हुकूमत से स्वतंत्र कराने के उद्देश्य से महात्मा गाँधी 1915 में भारत लौट आये.
चंपारण व खेड़ा सत्याग्रह
भारत आने के बाद गाँधी जी ने जो पहला आन्दोलन चलाया वह था – चंपारण सत्याग्रह. जिसके अंतर्गत 1917 में उन्होंने बिहार के चम्पारण जिले में किसानो को अंग्रेजों द्वारा जबरदस्ती नील की खेती कराये जाने से मुक्ति दिलाई.
इसके बाद इसी साल उन्होंने गुजरात प्रदेश के खेड़ा जिले में बाढ़ और अकाल की स्थिति होने के बावजूद लगान वसूले जाने का अहिंसक विरोध कर अंग्रेजों को समझौता करने पर मजबूर किया.
इन सफल आन्दोलनों कि वजह से गांधी जी की कीर्ति पूरे भारत में फ़ैल गयी और धीरे-धीरे उन्हें गुरुदेव रबीन्द्रनाथ टैगोर द्वारा “महात्मा” और नेताजी सुभाषचन्द्र बोस द्वारा “राष्ट्रपिता” की दी हुई उपाधि भी सर्वव्यापक हो गयी और आम जनमानस उन्हें महात्मा और बापू कह कर पुकारने लगा.
खिलाफत मूवमेंट
इसके बाद भारतीय मुसलमानों के खिलाफत मूवमेंट को अपना सहयोग प्रदान कर गाँधी जी ने मुसलमानों को भी अपने पक्ष में कर लिया और देश में हो रहे हिन्दू -मुस्लिम दंगों पर कुछ सालों के लिए लगाम लग गयी.
असहयोग आन्दोलन
1919 में ब्रिटिश सरकार द्वारा भारत में उभर रहे राष्ट्रीय आन्दोलनों को कुचलने के लिए रॉलेट ऐक्ट लाया गया जिसके अंतर्गत किसी भी भारतीय पर अदालत में बिना मुकदमा चलाए उसे जेल में बंद किया जा सकता था.
इसके खिलाफ गाँधी जी ने असहयोग आन्दोलन चलाया और देशवासियों से अंग्रेजी हुकूमत का शांतिपूर्ण विरोध करने के लिए कहा.
इस दौरान देश भर में लोग अंग्रेजी कपड़ों व वस्तुओं को जलाने लगे.
13 अप्रैल 1919 को जब इसी तरह का एक विरोध प्रदर्शन जालियांवाला बाग़ में किया जा रहा था तब जनरल डायर ने सैकड़ों लोगों को गोलियों से भुनवा दिया….इसेक बावजूद गाँधी जी अहिंसा के मार्ग पर चलने का संदेश देते रहे…और धीरे-धीरे पूरा देश इस आन्दोलन का हिस्सा बना गया.
पढ़ें: बलिदान की अमरगाथा जलियाँवाला बाग
अंग्रेज परेशान हो उठे और ऐसा प्रतीत होने लगा कि जल्द ही भारत को स्वराज मिला जाएगा लेकिन तभी 5 फरवरी 1922 को चौरी- चौरा काण्ड हो गया जिसमे कई पुलिस वालों को जिंदा जला दिया गया.
हमेशा ये कहने वाले कि –
मैं मरने के लिए तैयार हूँ, पर ऐसी कोई वज़ह नहीं है जिसके लिए मैं मारने को तैयार हूँ.
को इस घटना ने क्षुब्ध कर दिया और गांधी जी ने असहयोग आन्दोलन वापस ले लिया.
इसके बाद गाँधी जी कुछ सालों तक जेल में रहे.
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दांडी यात्रा
मार्च 1930 में गाँधी जी ने नमक पर टैक्स लगाने का विरोध करते हुए अहमदाबाद से दांडी तक लगभग 400 किलो मीटर की यात्रा की और क़ानून तोड़ते हुए खुद नमक बनाया.
इस आन्दोलन को आपार जन समर्थन मिला, यहाँ तक कि विश्व के कई देशों में मीडिया ने इसे प्रमुखता से उछाला. अंग्रेज दबाव में थे और गाँधी जी को राउंड टेबल कांफ्रेंस के लिए लन्दन बुलाया गया, लेकिन इसका परिणाम भी निराशाजनक रहा.
रोचक प्रसंग
मित्रों, इसी समय का एक प्रसिद्द किस्सा आपको ज़रूर सुनाना चाहूँगा. गाँधी जी जब इंग्लैंड के राजा
King George से Buckingham Palace में मिलकर निकले तो उन्हें सिर्फ धोती पहने देख एक पत्रकार ने पूछा – क्या आपने पर्याप्त कपड़े पहने हुए हैं ? तब उन्होंने कहा –
लेकिन किंग जॉर्ज ने इतने कपड़े पहनें हैं जो हम दोनों के लिए ही पर्याप्त हैं.
भारत छोड़ो आन्दोलन
इसके बाद 1942 में गाँधी जी के नेतृत्व में एक बहुत बड़ा आन्दोलन – भारत छोड़ो हुआ.
यह एक शक्तिशाली आंदोलन बन गया जिसमें पुलिस की गोलियों से हजारों की संख्या में स्वतंत्रता सेनानी या तो मारे गए या घायल हो गए और हजारों गिरफ्तार कर लिए गए।
यही वो समय था जब गाँधी जी ने देशवासियों को एकजुट करते हुए अंतिम स्वतंत्रता के लिए अहिंसावादी संघर्ष जारी रखने को कहा और “करो या मरो” का नारा दिया.
इस पर गाँधी जी को दो साल के लिए जेल में डाल दिया गया लेकिन इस आन्दोलन ने पूरे देश को संगठित कर दिया और अंततः सैकड़ों सालों की गुलामी और असंख्य बलिदानों के बाद 15 अगस्त 1947 को भारत आज़ाद हो गया.
हत्या
मित्रों, ये विडम्बना ही कही जायेगी कि दुनिया भर को अहिंसा का पाठ पढ़ाने वाले महात्मा गाँधी का अंता हिंसा द्वारा किया गया. 30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोडसे द्वारा गोली मार कर उनकी हत्या कर दी गयी.
गाँधी आज भी जिंदा हैं
लेकिन क्या उन गोलियों से गांधी मर गए…
नहीं, गाँधी आज भी एक विचार के रूप में जिंदा हैं, और हेमशा रहेंगे…
आज भी स्वच्छ भारत अभियान हो या सिंगल यूज प्लास्टिक को ख़त्म करने की मुहीम…
Sustainable Development की बात हो या सहिष्णुता की…
विरोध दर्ज करने की बात हो या दिलों को जीतने की …. हमें गांधी ही याद आते हैं… हमें गांधी गिरी ही याद आती है.
गांधी आज भी जिंदा हैं क्योंकि गांधी सत्य का ही एक रूप है और सत्य शाश्वत होता है….वह कभी नहीं मरता …कभी भी नहीं.
मित्रों , अंत में मैं बस इतना कहना चाहूँगा कि गलत हैं वो लोग जो कहते हैं मजबूरी का नाम महात्मा गाँधी… क्योंकि मजबूरी नहीं मजबूती का नाम है महात्मा गाँधी.
जय हिन्द
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➡ गाँधी जी के बारे में और अधिक जानकारी के लिए विकिपीडिया पर यह लेख पढ़ें
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Note: This speech in Hindi may be used to write a short Mahatma Gandhi Essay in Hindi ( महात्मा गाँधी पर निबंध ) by students of Class 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 and 12.
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Sam Hood says
Thanks for sharing the valuable article on Mahatama Gandhi.
Keep Writing!
Lokesh Rajput says
Very very good articals and thanks for u my respected person…thank u very much.bhart Mata ki jai,, Jai Hind ,,Jai bhart,.,,,
Lokesh Rajput says
Jai Hind Jai bhart, AJ k liye ap sbhi Ko bahut bahut shubhkanaen ,,apka artical very very good h bakai damdar bhasn h bolne m itna jhosh to sunne m kya hoga,, gajab sir ….god bless u..
ajay rana says
really nice lecture amazing facts in this bhut acha likha hai sir kafi interesting or attractive bi hai
Sandeep says
Very very good speech and essay
Karan Chandresha says
प्रिय सर
आप हमेशा हम सबके लिए एक बहुत ही अच्छा आर्टिकल लेकर आते हैं जिसे पढ़कर हमें कभी ना खत्म होने वाला मोटिवेशन मिलता है जो हमेशा अच्छा बनने और आगे बढ़ने को प्रेरित करता है.
बहुत-बहुत धन्यवाद 🙏🙏🙏
Gopal Mishra says
धन्यवाद करण जी
A Chandra says
Gandhi ji ki durdersita and confidence ko salam! His deeds give us tremendous energy to tolerate for our poor and connect them in the mainstream of development
Parth says
Mahatma Gandhi ki Jay. Very effective and informative speech. Thanks