जलेबी और इमरती में क्या अंतर है ?
जलेबी और इमरती दो ऐसी मिठाईयां जिनकी चर्चा मात्र से मुंह में पानी आ जाता है, भारत समेत कई अन्य देशों में लोकप्रिय मिठाईयां हैं। भारत में जब भी स्वादिष्ट मिठाइयों का जिक्र होता है तो उसमे जलेबी और इमरती का नाम जरूर आता है। जलेबी और इमरती दोनों न केवल देखने में एक जैसे दीखते हैं बल्कि दोनों ही चीनी की चाशनी में डुबोकर बनाये जाते हैं। यही कारण है कि कई बार लोग दोनों को एक ही समझ लेते हैं। किन्तु ऐसा नहीं है दोनों एकदम अलग अलग मिठाइयां हैं। आज के इस पोस्ट के माध्यम से हम देखेंगे जलेबी और इमरती में क्या अंतर है।
आइए, सबसे पहले जानते हैं जलेबी की कहानी –
जलेबी क्या है और क्या है जलेबी का इतिहास?
जलेबी भारत की सबसे लोकप्रिय मिठाइयों में से एक है। जलेबी भारत के साथ साथ पाकिस्तान, ईरान और मध्यपूर्व एशिया में भी खूब लोकप्रिय है। जलेबी खमीरयुक्त मैदे के घोल से गोल-गोल या अनियमित आकार में घी में तल कर बनाया जाता है जिसे बाद में चीनी की चाशनी में डुबोकर तैयार किया जाता है। यह अत्यंत ही स्वादिष्ट मिठाई है जिसे गर्म-गर्म खाने का मज़ा ही कुछ और है।
जलेबी की उत्पत्ति के सम्बन्ध में कई मत है। जलेबी जिसे अरबी में जलाबिया या फारसी में जुलबीआ कहा जाता है इसकी उत्त्पत्ति के सम्बन्ध में मध्यपूर्व एशिया की दावेदारी पेश करता है। और हो भी क्यों नहीं मध्यकालीन एक किताब “किताब -अल -तबीक़” में जलाबिया नामक एक मिठाई का वर्णन मिलता है जो इस दावे की पुष्टि करता है। आज भी ईरान में “जुलाबिया” नामक किताब में इसे बनाने की कई विधियों का वर्णन मिलता है।
वैसे जलेबी बनाने की विधियों का वर्णन भारत की पुस्तकों में भी मिला है सत्रहवीं शताब्दी की पुस्तक भोजनकुतूहला और संस्कृत पुस्तक गुण्यगुणबोधनी में इसे देखा जा सकता है। शरदचंद्र पेंढारकर में इसे कुण्डलिका कहा गया है। जलेबी के कई नाम मिलते हैं। प्राचीन नामों की बात करें तो कुण्डलिका और जल वल्लिका का वर्णन तो प्राचीन किताबों में मिलता है।
जलेबी नाम क्यों पड़ा? जलेबी के अन्य नाम
कदाचित मीठे जल से परिपूर्ण होने की वजह से यह जलेबी हो गया हो या फिर जलाबिया या जुलबिया ही बदलते बदलते जलेबी हो गया हो। भारत और पाकिस्तान में इसे जलेबी कहा जाता है। महाराष्ट्र में इसे ही जिलेबी या जिलबी कहा जाता है नेपाल में जेरी जबकि बंगाल में इसे जिलपी बोला जाता है।
क्या है चोटहिया जलेबी
उत्तरप्रदेश और बिहार के कुछ हिस्सों में एक प्रकार की और जलेबी मिलती है जिसे चोटहिया जलेबी कहा जाता है। इस जलेबी में खासियत यह होती है कि इसमें चीनी की चाशनी की जगह गुड़ की चाशनी का प्रयोग होता है। गुड़ की वजह से जलेबी में एक अलग ही सोंधा-सोंधा फ्लेवर आ जाता है।
इमरती क्या है और क्या है इमरती का इतिहास
इमरती भी एक अत्यंत लोकप्रिय मिठाई है। इमरती गोल तथा फूलों के आकार की तरह सुन्दर और खाने में अत्यंत ही नर्म और स्वादिष्ट होती है। इसका स्वाद ही लोगों को इसका दीवाना बना देती है। यह मुंह में रखते ही घुल जाती है और इसका मिठास मन और मष्तिष्क दोनों को चरम आनंद की अनुभूति देता है।
इमरती को उड़द की दाल को पीसकर और उसे घोलकर बनाया जाता है। पहले उड़द की दाल को पीसकर कुछ घंटों के लिए इसे फूलने के लिए छोड़ देते हैं फिर इसे गोल गोल सुन्दर सुन्दर फूलों की आकृति में तेल में तला जाता है फिर इसे चीनी की चाशनी में सोखने के लिए डाला जाता है। इसमें रंग लाने के लिए केशर का प्रयोग होता है।
इमरती भारत और इसके आसपास के देशों में बहुत लोकप्रिय है। इसकी उत्पत्ति के बारे में माना जाता है कि यह मुग़ल रसोइयों के द्वारा इसकी शुरुआत हुई थी। इसे पहले शाही व्यंजन या मिठाई माना जाता था।
साहित्य, इमरती के अन्य नाम
इमरती को झांगरी, ओमरीति या जलेबी परपु भी कहा जाता है। दक्षिण के राज्यों में तो इसे झांगरी कहा जाता है।
जलेबी और इमरती में क्या अंतर है?
- जलेबी मैदे के घोल से बनायीं जाती है वहीँ इमरती उड़द की दाल को पीसकर बनायीं जाती है।
- जलेबी की शुरुवात मध्यपूर्व के देशों से विशेषकर ईरान से माना जाता है वहीँ इमरती की शुरुवात उत्तर भारत से माना जाता है।
- जलेबी को बनाने के लिए मैदे में खमीर का उठना आवश्यक माना जाता है जबकि इमरती को बनाने के लिए उड़द के दाल में खमीर की आवश्यकता नहीं होती है।
- जलेबी का आकार गोल होता है किन्तु यह अनियमित आकार का होता है किन्तु इमरती का आकार गोल, सुघड़ और फूल की तरह होता है।
- जलेबी कड़क और करारी होती है वहीँ इमरती नर्म और खुशबूदार होती है।
- जलेबी का स्वाद गर्म गर्म खाने में है जबकि इमरती गर्म और ठन्डे दोनों में जायकेदार होती है।
- जलेबी की तुलना में इमरती को ज्यादा स्वास्थकर माना जाता है। इसका कारण है कि जलेबी मैदे की बनी होती है जबकि इमरती उड़द की।
- जलेबी बनाने में कोई रंग आदि का प्रयोग नहीं किया जाता है जबकि इमरती बनाने में रंग के लिए केशर का प्रयोग किया जाता है।
- जलेबी जहाँ सुबह या शाम को नाश्ते के साथ ज्यादातर खायी जाती है वहीँ इमरती को नाश्ते और खाने दोनों के साथ खाया जाता है।
कई अंतरों के बावजूद जलेबी और इमरती अपने स्वाद की वजह से मिठाइयों में अपना विशिष्ट स्थान रखती हैं और खाने वालों को अपना दीवाना बना देती हैं। उम्मीद है जलेबी और इमरती कथा आपको पसंद आयी होगी साथ ही जलेबी और इमरती के बीच के अंतर को भी आपने जान लिया होगा।
अखिलेश शर्मा
अखिलेश शर्मा एक प्रोफेशनल ब्लॉगर हैं। वर्तमान में ये दो ब्लॉग “सांस द लाइफ” और “क्या अंतर है” में सक्रिय हैं. जिनमे saansthelife.comमें आप रोचक जानकारियों के साथ साथ, साहित्य, स्वास्थ्य, स्पोर्ट्स, मोटिवेशनल स्टोरीज आदि विभिन्न विषयों पर डिटेल जानकारी पा सकते हैं. वहीँ kyaantarhai.com ब्लॉग विभिन्न टर्म्स के बीच अंतर को स्पष्ट करने के लिए है जिसमे रोचक टर्म्स के साथ साथ अध्ययन सम्बन्धी विषयों में विभिन्न टॉपिक्स के बीच के अंतर को बताया गया जिससे कि किसी को भी खासकर छात्रों को कन्फ्यूजन न रहे और उनकी पढ़ाई में भी मदद मिल सके।
We are grateful to Akhilesh Ji for his valuable contribution and wish him all the best for his future.
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Anil Kumar Sahu says
Interesting information. Thanks.
Nakul says
Gazab Man, Inka ithihaas to wakai mai Behtreen hai
daisy says
ye pdhke bhut mza aaya. jo kbhi nhi socha vo pdhne ko mila. ab to aur b pdhne ka mn hai aap nye-nye posts aese hi likhte rhiye.
onkar kedia says
सच में रोचक
Global says
muje kuch smj ni aaya
Rajesh says
Nice article
Harshita says
Shi m bhut smjdharee Vali baat mili
Rizwan Ahmad says
Wakai socha nahi tha in mithaiyon ka itihaas itna rochak hoga.
Parth says
maja bhi aaya aur munh me paani bhi
akhilesh says
बहुत बहुत धन्यवाद गोपाल सर जी, आभारी हूँ।