जीवन को परिवर्तित करने वाले उपाय जो मैंने ब्रह्माकुमारीज़ से सीखे
Life-Changing Lessons Which I Learnt From The Brahma Kumaris in Hindi
Who am I ? मैं कौन हूँ ?
Who am I? यह एक ऐसा विषय है जिसे हम जानते हुए भी अनजान बने हुए हैं। मैंने श्रीमद्भागवत गीता के श्लोकों का अध्ययन कई बार किया था जिससे मुझे आत्मा के विषय में पूरी जानकारी थी। फिर भी अपना पूरा समय और focus देह के रखरखाव, देह के पदार्थ और देह के वैभवों की प्राप्ति में लगा रहता था। परमात्मा, जिन्हें truth यानि सत्यम शिवम सुंदरम कहा जाता है , उनका ज्ञान हमें सबसे पहले हमारे ही सत्य स्वरूप की स्मृति दिलवाता है।
जब मैं प्रथम दिन प्रजापिता ब्रह्माकुमारीज़ ईश्वरीय विश्वविद्यालय में गई तो वहाँ टीचर ने मुझे विस्तार में आत्मा के बारे में परिचय दिया। उन्होंने बताया आत्मा एक star की तरह tiny point of light है जो हमारे मस्तक के बीच विराजमान है। आत्मा परमधाम की रहने वाली है जो इस सृष्टि रूपी रंगमंच पर अपना पार्ट निभाने के लिए आती है।
इसी बिंदु में सातों गुण –
- शांति
- पवित्रता
- प्रेम
- आनंद
- सुख
- ज्ञान व
- शक्तियाँ
विद्यमान हैं । आत्मा ही मन द्वारा सोचने व बुद्धि द्वारा समझने और निर्णय लेने का कार्य करनी है। उन्होंने बताया कि आत्मा को केवल जानना और मानना ही काफी नही बल्कि स्वयं को soul consciousness की स्थिति में स्थित होकर हर कर्म करना है। जैसे एक ड्राइवर गाड़ी चलाने के लिए accelerator, clutch आदि को use करता है उसी प्रकार मैं आत्मा भी इस body रूपी costume को धारण करके organs द्वारा कर्म कराती हूँ । परंतु भूल यह हो गयी कि मैं खुद को गाड़ी यानी देह समझ बैठी और अपनी original identity से दूर होती गई। जो most valuable मैं (soul) हूँ, उसको ignore करके सारा समय body consciousness में ही रहती। जिसके कारण मेरे (आत्मा के) ऊपर पाँच vices ने अपना प्रभाव डाल लिया या कहें कि मैं आत्मा रूपी सीता रावण की कैद में आ गई।
फिर टीचर ने आगे समझाया कि अब हमें अगर इन विकारों के पंजे से निकलना है तो फिर से अपने सत्य धर्म यानी आत्मिक स्वरूप में स्थित होना होगा। सिर्फ खुद को ही आत्मा नहीं समझना बल्कि दूसरों को भी उनके original आत्मिक स्वरूप में देखना है। जैसे-जैसे हम soul consciousness को practice में लाते जाएंगे हमारी soul के गुण अर्थात peace, purity, happiness, love ये सब emerge होना शुरू हो जाएंगे और बुराइयाँ merge होती जाएंगी।
फिर मैं घर गयी तो मैने अपने परिवार के सदस्यों को बड़े स्नेह से देखा कि ये आत्मा मेरे पति का role play कर रही है, ये shiny stars मेरे बेटा-बेटी का, मेरे भाई-बहन आदि का role कर रहे हैं। इस प्रकार का अभ्यास कुछ दिन किया तो एक बड़ा transformation देखा। मेरी संबंधों से जो expectations थीं, complaints थीं या possessiveness थी, वो कम होने लगी और एक true love , unconditional love feel होने लगा। Acceptance बढ़ने लगी और response में देखा कि उन लोगों की भी मेरे से complaints समाप्त होनी शुरू हो गई। ऐसा नही की उनकी गलती पर उनको समझाया नही, लेकिन love और acceptance के साथ समझाया तो उन्होंने भी मेरी बात को ध्यान से सुना। इस प्रकार सभी संबंधों में सुधार आया। Physical और mental health improve हुई। साथ ही बड़ी शांति और bliss की feeling महसूस हुई जो पहले कभी नही हुई थी।
हालाँकि ये natural होने में तो बहुत time लगता है क्योंकि हमें soul दिखाई नही देती, दिखती तो देह ही है। परंतु जब ज्ञान मिल गया तो divine intellect को use करके consciously खुद को भी और दूसरों को भी soul देखने का अभ्यास करना है ,कर्म करते हुए भी बीच- बीच मे अपने को अपने सत्य स्वरूप की स्मृति दिलानी है।
यह आत्मा का ज्ञान सभी धर्म वालों के लिए है। आप किसी भी धर्म के हैं, अपने धर्म में रहते हुए ही सुबह शाम 10-10 minute व कर्म करते भी बीच बीच में Soul consciousness की practice कर सकते है। ब्रह्माकुमारीज़ की website पर soul consciousness की practice के लिए कुछ commentaries दी हुई हैं आप उनकी भी सहायता ले सकते हैं।
अंत में मेरी आप सभी से ये request है कि आप भी कुछ दिन soul consciousness का अभ्यास ज़रूर करके देखिए। आपको जीवन में बहुत subtle अनुभव प्राप्त होंगे। उन अनुभवों को आप हमसे भी share कीजिए।
धन्यवाद
रीमा गुजराल
VRS प्रशासनिक अधिकारी
Oriental Insurance Co.
Email id.: [email protected]
रीमा जी पिछले12 वर्षों से प्रजापिता ब्रह्माकुमारीज़ ईश्वरीय विश्वविद्यालय की regular student हैं और वहाँ से प्राप्त शिक्षाओं को अपने जीवन मे धारण करती हैं। जिससे उनके जीवन में बहुत बड़ा परिवर्तन आया है। अपना ज्ञान अह्मारे साथ साझा करने के लिए हम रीमा जी के आभारी हैं. धन्यवाद.
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Kishan says
Bahot Achchha laga sir ji