Friends, आज मैं आपके साथ, “How to start restaurant business?” Hindi में share कर रहा हूँ।
पिछले Sunday, 13 December की शाम मैं अपनी स्कूटी से गोरखपुर के शाश्त्री चौक पहुंचा। वजह थी food business के बारे में पता करना। जिस restaurant में मुझे जाना था उसके बाहर कुछ पानी लगा था और मेरी तरफ पीठ किया एक आदमी इस ठन्डे मौसम में प्लम्बर से पाइप लीकेज ठीक करा रहा था। जब सामने से देखा तो पता चला वो restaurant owner Mr. Saurabh Srivastava थे, वही शख्स जिनसे मुझे मिलना था।
मैंने सौरभ जी से हाथ मिलाया, तभी प्लम्बर बोला, “ पाइप ठीक करने के लिए साइकिल की पुरानी ट्यूब चाहिए।” और मैं और सौरभ जी उनकी हौंडा एक्टिवा पर सवार होकर चल पड़े ट्यूब की खोज में।
Welcome to entrepreneurship. एक औंट्राप्रेन्योर को सबकुछ करना पड़ता है। 🙂
अगले दो दिनों में मैंने सौरभ जी के साथ 6-7 घंटे बिताये और जानना चाहा कि, “How to start a restaurant”, एक रेस्टोरेंट कैसे शुरू किया जाए ?”
दोस्तों, ये मेरे लिए बहुत अलग तरह का experience था, इसमें मुझे बहुत कुछ जानने को मिला और मजा भी खूब आया। और इसके लिए मैं सौरभ श्रीवास्तव जी को दिल से धन्यवाद देता हूँ। उन्होंने बड़ी ईमानदारी और इत्मीनान से मुझे restaurant business से जुडी कई बातें बतायीं।
और इस Hindi business article में मेरी कोशिश होगी कि मैं सरल शब्दों में उनसे मिली जानकारी आप तक पहुंचा सकूँ।
सौरभ जी के बारे में :
सौरभ जी की उम्र लगभग 37 साल है और वे एक middle class बैकग्राउंड से belong करते हैं। बिजनेस में आने से पहले वे कुछ Insurance companies में as a manager काम कर चुके थे। 24 जनवरी 2013 को उन्होंने “Kathi Junction” (KJ) की franchise, गोरखपुर में start की।
क्या है Kathi Junction ?
KJ restaurants की एक chain है जो रोल्स के लिए जानी जाती है। For ex: Egg rolls, paneer rolls, chicken rolls, etc.
Food बिजेनस ही क्यों ?
क्योंकि उनकी wife, Mrs. Alka Srivastava, जो एक सरकारी स्कूल में पढ़ाती हैं; शुरू से चाहती थीं कि उन लोगों का अपना एक restaurant हो और सौरभ जी भी by nature एक foodie हैं; KJ में बिकने वाले बहुत से rolls इनके खुद के इन्वेंट किये हुए हैं।:)
और बिजनेस में आने की एक बड़ी वजह ये भी है कि वो अपनी दोनों बेटियों के लिए कुछ ऐसा बिल्ड करना चाहते हैं जो उन्हें financial freedom दे सके।
बिजनेस की मौजूदा स्थिति ?
सौरभ जी ने पहले अपना restaurant जहाँ शुरू किया था वहां नए कस्टमर्स का अधिक foot fall न होने के कारण वो अभी तक प्रॉफिट में नहीं आ पाए हैं। और उन्हें हर महीने इसे रन करने के लिए २० हज़ार रुपये अपनी जेब से लगाने पड़ रहे हैं।इसी महीने, December 2015 में उन्होंने अपना restaurant एक better market place में शिफ्ट किया है, जहाँ राह चलते लोग restaurant देखकर उनके पास पहुँच रहे हैं।
अगर आप अपना रेस्टोरेंट खोलना चाहते हैं तो इस YouTube video को ध्यान से देखिये,इसमें दिखाई गयी हर चीज किसी न किसी business requirement की तरफ इशारा करती है !Sorry for a very raw video, I hope it helps!
दोस्तों, मुझे जानकार हैरानी हुई कि अभी भी उनका बिजनेस प्रॉफिट में नहीं आ पाया है पर अब location बदलने पर वो काफी optimistic हैं कि कुछ महीनो में वो एक अच्छी स्थिति में होंगे। और उनके optimism की वजह भी मुझे देखने को मिली। जब मैंने Visitor’s Feedback देखा तो लोगों ने रोल्स की बहुत तारीफ़ की हुई थी और कई लोग नयी लोकेशन पर उनकी दुकान खोजते हुए भी पहुंचे थे। मतलब already उनके पास बहुत से satisfied customers हैं, बस ज़रूरत है नए-नए और कस्टमर्स जोड़ने की जो इस नयी location से उन्हें हर रोज मिल रहे हैं। और एक बार जब ये संख्या बढ़ जायेगी तो महीने की डेढ़ लाख की कमाई को 15 लाख और डेढ़ करोड़ भी पहुँचाया जा सकता है।
मैंने पुछा 3 साल से loss में रह कर भी आप टिके कैसे हैं ?
तो उन्होंने बड़ा सीधा सा जवाब दिया –
मेरे पास इस बिजनेस को सफल बनाने के अलावा कोई option नहीं है।
I think, जिसके अन्दर ये सोच है वो देर से ही सही पर सफल ज़रुरु होता है।
Restaurant start करने के लिए पैसे कहाँ से जुटाए?
सौरभ जी के अन्दर शुरू से सेविंग्स की आदत थी। कम उम्र से ही उन्होंने बहुत सारी म्यूच्यूअल फण्ड SIPs खोल रखीं थीं और उन्ही से ये बिजनेस शुरू किया।
इस काम के लिए रोज कितना समय देना पड़ता है ?
रोज सुबह 10 बजे से रात 12 बजे तक, लगभग 14 घंटे देने पड़ते हैं। बस मंगलवार और बृहस्पतिवार को restaurant हाफ टाइम में लिए खुलता है।
यही कारण है कि Saurabh जी एक manager रखने की सलाह देते हैं, नहीं तो एक तरफ आप पर काम का बहुत अधिक बोझ आ जायेगा और दूसरी तरफ आपको parties, birthdays, parent-teachers meeting…किसी भी चीज के लिए टाइम नहीं मिलेगा और आपकी social life spoil हो जायेगी।
Restaurant या Food Business या कोई भी business शुरू करने के लिए loan लेना चाहिए या अपनी सेविंग्स लगानी चाहिए?
पहले आपको लोन के लिए प्रयास करना चाहिए। आप एक प्रोजेक्ट बना कर banks को approach कर सकते हैं। जितना अधिक लोन मिल जाए उतना अच्छा है क्योंकि इस तरह के बिजनेस में running cost ( बिजनेस को चलाने के लिए रोज-रोज होने वाले खर्चे) बहुत होती है और no profit – no loss यानि break even पर पहुँचने में भी बहुत समय लग सकता है, तब game में बने रहने के लिए आपकी सेविंग्स काम आ सकती हैं। साथ ही अगर आपने लोन लिया है और आपका बिजनेस नहीं चला तो आप खुद को bankrupt या दिवालिया घोषित कर सकते हैं।
इस तरह के restaurant को चलाने में हर महीने लगभग कितना खर्च (running cost) हो जाता है ?
1.5 से 2 लाख तक।
Let’s see the bifurcation:
- दुकान का किराया : 30000 per month
सैलरी per month
- 1 कुक : 12000
- 1 हेल्पर (जिसके पास ऑलमोस्ट कुक जैसी एक्सपर्टीज होती है : 10000
- 1 क्लीनर : 4000
- 2 वेटर : 6000 प्रति वेटर = 12000
- 1 डिलीवरी बॉय : 6000 (घर तक रोल्स डिलीवर करने के लिए)
- 1 मैनेजेर : 6000 (six thousand only)
अगर स्टाफ बाहर का है तो उसके खाने और रहने का भी इंतजाम करना पड़ता है।
यानि स्टाफ पर कुल खर्च औसतन : 60000 to 70000 प्रति महीना
रोज का Raw material – सब्जी, अंडे , दूध, पनीर, सिलिंडर, चिकन, मसाला, इत्यादि : 2500 यानि 75000 पर मन्थ
अन्य खर्चे : 10000
टोटल : 30000+70000+75000+10000=185000 per month
OMG ! मैंने तो कभी नहीं सोचा था कि इतना अधिक खर्च आता होगा…शायद आपने भी ना सोचा हो। पर यही हकीकत है।
और दूसरी चीज जो मुझे काफी astonishing लगी – manager और waiter की salary एक ही थी, जबकि waiter को तो tip भी मिलता है, यानी वेटर मैनेजर से ज्यादा कमाता है…what a revelation ! मैंने सोचा शायद बस ये इसी restaurant के लिए हो, पर पता चला कि नहीं अच्छे-खासे होटलों में भी यही हाल है।
सौरभ जी ने बताया इसकी वजह है कि हमारे समाज में वेटर के काम को छोटा काम समझा जाता है। अगर आप manager के लिए vacancy निकालिए तो 100 लोग आ जायेंगे लेकिन अगर आप waiter के लिए वैकेंसी निकालेंगे तो एक्का-दुक्का लोग ही आयेंगे ! यानि demand and supply का चक्कर है!
अच्छा, एक चीज और जब मैंने पुछा staff local सही रहता है या बाहरी (किसी और शहर से) तो उन्होंने बाहरी को ज्यादा सही बताया – कारण ये कि वो रोज-रोज बहाने बना कर गायब नही होता कि बच्चा बीमार है, शादी में जाना है, etc और काम पे आने के बाद उसे घर जाने की भी जल्दी नहीं रहती, जो कि रात 10-11 बजे तक चलने वाले रेस्टोरेंट्स के लिए सही है। वहीँ लोकल वाला छुट्टी भी ज्यादा लेता है, उसे जाने की भी जल्दी रहती है और धौंस भी दिखाता है।
और अभी इस बिजनेस से आपकी कमाई कितनी हो जाती है ?
सौरभ जी ने बताया कि बिजेनस रन करने के लिए हर महीने लगभग 20 हज़ार रूपये अपनी जेब से देने पड़ते हैं, यानि हम उनकी कमाई लगभग 1.6 lakhs मान सकते हैं।
लेकिन यहाँ ये बात समझनी होगी कि उनकी कमाई का potential बहुत ज्यादा है अगर एक बार restaurant सही से चल गया तो कमाई कई गुना बढ़ सकती है।
Advertising / प्रचार-प्रसार के लिए क्या करना चाहिए ?
Ads को लेकर सौरभ जी का कहना है-
100 में से 95 रेस्टोरेंट खुलने के 6 महीने के अन्दर बंद हो जाते हैं। Survival के लिए ads बहुत ज़रूरी हैं… ads के माध्यम से जो branding आप 1 साल में कर लेंगे उसे बिना ads के करने में 4-5 साल लग जायेंगे। पुरानी कहावत है, “जो दिखता है वो बिकता है..” और दिखाना है तो advertise तो करना ही पड़ेगा।
प्रचार के तरीके :
1) अखबारों में hand bill/ pamphlet डलवा कर :
Saurabh जी इसे सबसे cost-effective advertising method मानते हैं। इसके लिए आपको किसी प्रिंटिंग प्रेस से पैम्फलेट या हैण्ड बिल छपवाने होते हैं।
- Quality के हिसाब से छपवाई 35-40 पैसे से लकेर 75-80 पैसे per pamphlet लग सकती है। अमूमन लोग इन्हें हज़ारों की संख्या में छपवाते हैं।
- एक बार जब pamphlet छप जाएं तो आपको इन्हें सुबह-सुबह, लगभग 4 बजे लेकर ऐसी जगह जाना होता है जहाँ hawkers news paper कलेक्ट करते हैं। Generally, Railway station, bus stand के आस-पास ऐसा होता है और शहर की कुछ और प्रमुख जगहों पर ये काम किया जाता है।
- हॉकर इन्हें बांटने के 10 से 15 रूपये सैंकड़ा, i.e per hundred pamphlet charge करते हैं।
- इस काम के लिए आप खुद जाएं और अपनी आँखों के सामने hand bill/ pamphlet अखबारों के बीच डलवाएं, नहीं तो ये एक्टिविटी बेकार जा सकती है।
2) अच्छी sites पर Hoardings ले कर:
ये तरीका भी अच्छा है पर इसमें पैसे बहुत लगते हैं। कोई अच्छी साईट 25-30 हज़ार पर month से कम में मिलना मुश्किल है। फिलहाल वो इस तरीके को नहीं अपना रहे हैं।
3) Facebook Ads:
ये एक मॉडर्न तरीका है और सौरभ जी को इससे लाभ मिल रहा है। वे $2 per day के हिसाब से इसमें spend कर रहे हैं। इन एड्स में आप अपना लोकल एरिया टारगेट कर रहे है और लोगों तक पहुँच रहे हैं।
4) अखबारों में ऐड देकर :
ये भी एक महंगा तरीका है, इसलिए फिलहाल सौरभ जी इसे नहीं use कर रहे हैं।
5) Google Adwords:
ये तरीका भी अभी तक इन्होने आजमाया नहीं है पर अब इसे try करने का सोच रहे हैं।
6) Radio FM:
Masses तक पहुँचने का ये भी एक अच्छा विकल्प है। सौरभ जी इसे इस्तेमाल कर रहे हैं।
इसके लिए उन्होंने दिन भर में 6-6 सेकंड्स के 10 स्लॉट्स buy किये हैं जो एक महीने तक आते रहेंगे। इसमें आने वाला खर्च 15 से 20 हज़ार महीने का है। एड्स बनवाने के लिए आपको अलग से कुछ नहीं करना होता है, रेडियो वाले इन्हों पैसों में अपने किसी आर्टिस्ट से आपका ad record करवा देते हैं और वही प्ले होता रहता है।
7) फ्लेक्स बैनर लगवा कर:
ये भी प्रचार का एक सस्ता तरीका है। Time to time सौरभ जी इसे यूज करते हैं।
इसमें आपको फ्लेक्स छपवाने होते हैं और इन्हें key locations पर टंगवाना होता है, जैसे शहर के प्रमुख चौराहे, मार्केट , etc. ऐसी जगहों के पैसे नहीं लगते पर साथ ही इस बात की भी गारंटी नहीं होती कि बैनर आज लगाया तो कल तक वहां लगा ही रहेगा। ये भी ध्यान दें कि अगर आपक नगर निगम की किसी प्रॉपर्टी, जैसे बिजली के ख्मभे इत्यादि का अपने प्रचार के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं तो आपको इसके लिए पैसे देने पड़ सकते हैं।
छपाई आपको 6 से 10 रुपये प्रति स्क्वायर फीट की हिसाब से लग सकती है और जो बन्दा बैनर्स टांगेगा उसे आपको per banner 50-60 rupees देने होंगे.
टांगेगा कौन ?
ऐसे बन्दों का पता आपको flex वाला ही दे देगा. एक बात ध्यान रखें कि बैनर टंगवाने खुद जाएं या अपने किसी आदमी को भेजें। नही तो टांगने वाले इधर-उधर टांग कर गायब हो जायेंगे।
Government related क्या-क्या formalities करनी पड़ती हैं ?
अगर आप कोई restaurant या food joint खोल रहे हैं तो आपको इन बातों का ज़रूर ध्यान रखना चाहिए :
- आपको The Food Safety and Standards Authority of India (FSSAI) से license लेना होगा। लाइसेंस कई तरह के होते हैं आपके लिए कौन सा सही रहेगा ये आपको देखना होगा। Saurabh जी ने स्टेट लेवल का license लिया था जिसकी fee Rs. 2500 per annum है। हालांकि, practically आपको इसका दुगना amount तक देना पड़ सकता है। 🙂 India है दोस्तों !
- आपको अपने स्टेट के Department of Commercial Tax से Tax-Payer Identification Number (TIN) लेना होगा। इसका प्रयोग Value Added Tax (VAT) की processing के लिए होता है। This tax is around 12.5 %.
- यदि आपके restaurant में AC लगा है तो आपको day one से सरकार को सर्विस टैक्स देना होगा। It is around 14.5%. यदि AC नहीं लगा है तो भी एक certain level of sales achieve होने के बाद आपको ये टैक्स देना पड़ता है।
- चूँकि आप अपने यहाँ लोगों को काम पे रखेंगे इसलिए आपको Labour Department में registration कराना पड़ता है।
- अपने रेस्टोरेंट के लिए Electricity Department से एक कॉमर्सियल कनेक्शन लेना होगा।
- आपको municipal corporation से पानी का भी एक कनेक्शन लेना होगा।
- आपको Fire Department से एक no objection certificate (NOC) लेना होगा और अपने restaurant में एक fire extinguisher रखना होगा, जो आपको ढाई से तीन हज़ार रुपये में मिल सकता है।
- Gas cylinder के लिए भी आपको किसी गैस एजेंसी से एक commercial connection लेना होगा।
उफ़… इतना सबकुछ करना पड़ेगा… मैंने तो नहीं सोचा था …शायद आपने भी ना सोचा हो…पर करना तो पड़ेगा ही !
किसी restaurant के लिए शेफ की कितनी importance है ?
खाने-पीने के धंधे में कुक या शेफ बहुत बड़ी भूमिका निभाता है, बहुत बार इन्ही के चक्कर में restaurant बंद तक हो जाते हैं इसलिए इनका सही बंदोबस्त करना बहुत ज़रूरी है। और मेन कुक के साथ जो हेल्पर होता है उसे भी इतना trained होना चाहिए कि वो कुक की absence में सब कुछ संभाल ले। सौरभ जी को शेफ Kathi Junction वाले ही प्रोवाइड कर देते हैं।
Waiter और बाकी स्टाफ कैसे arrange किये जाएं ?
इसके लिए आपको अपने कॉन्टेक्ट्स पर ही डिपेंड करना होगा। जितने लोगों से हो सके बताएं कि आपको वेटर चाहिए, क्लीनर चाहिए, डिलीवरी बॉय चाहिए।आप ऐसी संस्थाओं से भी संपर्क कर सकते हैं जो manpower प्रोवाइड करते हैं। जैसे Gorakhpur में आप पार्वती सेवा संसथान से संपर्क कर सकते हैं।
Food Business में आने के लिए क्या कोई ख़ास तरह की पढाई फायदेमंद हो सकती है ?
इसके लिए Hotel Management की पढाई बहुत कारगर साबित हो सकती है। लेकिन ये न भी हो और आपके अन्दर “खाने” को लेकर एक जोश है..interest है तो भी आप अच्छा कर सकते हैं। आप Youtube से देखकर भी खाने-पीने की बारीकियों को समझ सकते हैं।
Biggest Mistake / सबसे बड़ी गलती
सौरभ जी से सबसे बड़ी गलती ये हुई कि जब उन्होंने पहली बार काठी जंक्शन खोला तो एक गलत rented location सेलेक्ट कर ली और फिर उसके ब्युटीफिकेशन में बहुत पैसा लगा दिया। ऐसा करने से उनके ऊपर वहीँ continue करने का एक psychological pressure आ गया और शायद इसी वजह से करीब दो साल बाद वो एक better location पे move करने का स्टेप ले पाए।
यदि किसी ने decide कर लिया है कि उसे एक food joint या restaurant खोलना है, तो उसे क्या करना चाहिए ?
उसे ये चीजें करनी होंगी :
Step 0 : Decide करिए कि आप फ़ास्ट-फ़ूड में जायेंगे या proper dining वाला restaurant खोलेंगे। और ये भी सोचिये कि क्या आप कोई franchisee लेंगे या अपना कोई रेस्टोरेंट शुरू करेंगे। आप जो कुछ भी सोचते हैं उससे सम्बंधित बातों का अध्यन करें, ऐसे लोगों से मिलें जो यही काम कर रहे हैं।
यदि आप फ्रंचाइजी के बारे में सोच रहे हैं तो http://www.franchiseindia.com/ पर विजिट कर सकते हैं।
Step 1: Financial Planning या Capital Budgeting करिए। ये हिसाब लगाइए कि आप अपने बिजनेस के लिए कुल कितने पैसों का इंतजाम कर सकते हैं।
पैसों के कई स्रोत हो सकते हैं :
- पापा 🙂
- लोन
- आपकी FD
- उधार
- म्यूच्यूअल फंड्स
- बैंक डिपाजिट
- गोल्ड
- रियल एस्टेट
- Other savings
आपको बिजनेस शुरू करने से पहले मोटी-मोटा अंदाज़ा हो जाना चाहिए कि आपके पास इन्वेस्टमेंट के लिए कुल कितना पैसा है। इस exercise में over optimistic मत होइए, बस उन्ही चीजों को काउंट करिए जिन्हें लेकर आप पूरी तरह कॉंफिडेंट हैं।
Step 2: Budget allocation करिए
Plan करिए कि किस काम में कितना पैसा लगेगा। आप कुछ ब्रॉड categories में बजट एलोकेट कर सकते हैं:
- Franchisee Fee (यदि फ़्रैन्चाइजी ले रहे हैं तो, इस काम में सौरभ जी के लगभग 3.5 lakhs लग गए थे। )
- शॉप का किराया / पगड़ी / एडवांस
- शॉप का interior- furniture, decoration, lighting, painting, etc
- Kitchen से रिलेटेड machinery, बर्तन,
- Advertisement Budget
- Salary
- Running cost कम से कम 6 महीने तक की, ये भी एक बड़ा अमाउंट होगा
- Unseen expenses
- Cushion amount
- etc
इसी समय आप अपनी हर महीने की फिक्स्ड कास्ट का भी एस्टीमेट लगा लें।
Fixed Cost जैसे कि दुकान का किराया, स्टाफ की सैलरी etc. ये वो कास्ट है जो आपको हर महीने bear करनी ही पड़ेगी चाहे आप दुकान खोलें या ना खोलें। इसके आलावा हर महीने होने वाले खर्चे variable cost में आ जायेंगे।
Cushion Amount: आम तौर पे आप जितना सोचेंगे उससे 20 से 40 प्रतिशत अधिक खर्च होगा। इसलिए आप अपने allocation का एक हिस्सा इस हेड में भी रखें। आपकी कोशिश होनी चाहिए कि आपको ये हिस्सा छूना ना पड़े।
Step 3 : Set Target Dates
अब आप अपने माइंड में एक डेट सेट कर लीजिये कि आपको किस दिन restaurant खोलना है और इस हिसाब से काम में जुट जाइए।
Step 4 : एग्जीक्यूशन
अब आपको एक साथ कई चीजें करनी पडेंगी… हर एक औंट्राप्रेनेयोर को करनी पड़ती हैं !
- शॉप के लिए सही लोकेशन खोजना
- शॉप का नाम सोचना
- Menu decide करना
- स्टाफ recruit करना
- शॉप की रंगाई-पोताई – interior decoration कराना
- फर्नीचर लेना
- Utensils और मशीनरी लेना
- Printing related work
- सराकरी काम करना
- प्रचार के बारे में प्लान करना
- etc
Step 5 : उद्घाटन
स्टेप 4 की सभी activities पूरी करने के बाद आप अपने brand new restaurant के उद्घाटन के लिए तैयार हो जायेंगे। यहाँ पर आपको कुछ बातों का ध्यान रखना होगा :
- Inauguration की date decide करना
- Invitation कार्ड छपवाना
- चीफ गेस्ट को सेलेक्ट करना और उनको invite करना
- बाकी लोगों को समय से कार्ड देना
- पंडित और पूजा का सामान arrange करना
- ये प्लान करना की इस दिन हर एक individual का क्या-क्या रोल रहेगा
- etc
सौरभ जी ने उदघाटन से सम्बंधित दो बेहद ज़रूरी बातें बतायीं :
- कभी ऐसे समय के आस-पास उद्घाटन ना रखें जब शहर में कोई VIP movement हो रहा हो। Kathi Junchtion की opening के अगले दिन ही नरेन्द्र मोदी जी की रैली होने से बहुत से रास्ते ब्लाक कर दिए गए थे और सौरभ जी कई लोगों को इनवाईट नहीं कर पाए थे।
- जब सौरभ जी के पास पहले आर्डर आया तो वो बिलकुल तैयार नहीं थे कि आर्डर लेने और उसे किचन तक भेजने का प्रोसेस क्या होगा। आप opening करते समय इस बार का ज़रूर ध्यान रखें।
बेहतर होगा कि आप अपने स्टाफ के साथ मिलकर एक mock drill कर लें कि कैसे चीफ गेस्ट आयेंगे, कौन उनका स्वागत करेगा, reception पे कौन होगा, order कैसे लिया जाएगा, और तमाम बातें जो उस दिन हो सकती हैं उन सबको ध्यान में रखते हुए एक role play kind of activity कर लें। ये आपको उद्घाटन के दिन होने वाली embarrassment से बचा लेगी।
Negative Planning:
हालांकि, सौरभ जी ने खुद ऐसी कोई planning नहीं की थी पर वो सलाह देते हैं कि कोई बिजेनेस स्टार्ट करने से पहले एक negative planning भी कर लेनी चाहिए। मतलब अगर हमारा venture flop हो जाता है… business fail हो जाता है उस केस में क्या करना होगा।
Failure से सम्बंधित कुछ टर्म्स एंड कंडीशन आप जहाँ कहीं भी legal matters हैं वहां include कर सकते हैं। जैसे
- failure के case में आप franchise से पूरी fees या उसका एक बड़ा हिस्सा वापस करने की कंडिशन रख सकते हैं।
- आप दुकान मालिक से भी बिजनेस असफल होने पर एडवांस वापस करने की कोई कंडीशन रख सकते हैं।
- etc
Job छोड़ कर business में आना कितना challenging है ?
काफी challenging है। आपको अपना mindset अपना thought-process बहुत बदलना पड़ता है। जहाँ office में आपके ऊपर limited जिम्मेदारियां होती हैं और एक समय के बाद आप खुद को free महसूस कर सकते हैं, बिजनेस में हमेशा कुछ न कुछ लगा रहता है—आपको पचास तरह के काम करने होते हैं, family को भी आप उतना टाइम नहीं दे पाते और physical harassment और tension भी लगी रहती है। शुरूआती कुछ सालों में तो ये सब लगा ही रहता है बाद में भले सब कुछ स्मूथ हो जाए।
New entrants के लिए आपकी advice:
जो लोग इस बिजनेस में हाथ आजमाना चाह रहे हैं उन्हें सौरभ जी की यही एडवाइस है कि location बिलकुल सही choose करें और अगर किसी सही जगह अपनी खुद की प्रॉपर्टी हो तो वहीं पर रेस्टोरेंट शुरू करें। ऐसा करने पर success के chances 50% बढ़ जायेंगे।
कुछ और ज़रूरी बातें :
इस बात-चीत के दौरान सौरभ जी ने कुछ और ज़रूरी बातें बतायीं जो food business में आने वाले किसी भी entrepreneur को ज़रुर जाननी चाहिए:
- Staff के साथ बहुत बैलेंस बना कर चलिए न ज्यादा सख्ती और न ज्यादा नरमी बरतिए।
- Food business में जब volume बढ़ता है तभी प्रॉफिट आता है, इसलिए अधिक से अधिक लोगों तक पहुँचने का प्रयास करिए।हर एक कस्टमर important है, सभी के साथ अच्छा व्यवहार करिए, एक pleasant personality develop करिए।10 satisfied customer मिलकर जितना फायदा करा सकते हैं उससे अधिक नुकसान एक unsatisfied customer अकेले ही करा सकता है।
- Restaurant में एक “Today’s Special Board” लगाना चाहिए। अमूमन आप इस पर जो लिख देते हैं वो अधिक बिकता है। यानि “जो लिखता है वो बिकता है…” 🙂
- रोजमर्रा के सामान के लिए आपने जो वेंडर फाइनल किये हैं उन्हें बीच-बीच में उनकी रेट्स market से cross-check करते रहिये वर्ना आप ठगे जा सकते हैं।
- Cost को हर स्टेज पे control करने की आदत डालिये। अगर आप इस पर ध्यान नहीं देंगे तो ये बहुत तेजी से ऊपर भाग जाएगी। कोई भी चीज कहीं से भी मत ले लीजिये, बाज़ार में घूमिये और best cost effective option का पता करिए, फिर चाहे आप सब्जी ले रहे हों या furniture.
- Quality से समझौता मत करिए, customer बनाने में समय लगता है पर तोड़ने में नहीं। जहाँ तक हो सके खाने पीने का raw material खुद ही लाइए। सामान सही आएगा तो quality मेन्टेन की जा सकती है।
- छोटे से छोटे खर्चों का भी लिखित हिसाब रखिये। तभी आप जान पायेंगे कि कितना लगा और कितना मिला।
Frachise लेने वालों के लिए सलाह :
आप हर के लेवल पे negotiate कर सकते हैं। Franchise के कहने पर सौरभ जी ने शुरू में ही अपने restaurant के look and feel पर बहुत खर्चा कर दिया पर वो इसे avoid कर सकते थे। साथ ही आप रेवेनुए शेयरिंग की टर्म्स एंड कंडीशंस में भी फेर-बदल कर सकते हैं। यानि Franchisees flexible होती हैं और बात चीत करके आप कुछ चीजें अपने फेवर में कर सकते हैं। इसके लिए ज़रुरु ट्राई करिए।
दोस्तों, ये पोस्ट शायद अब तक की मेरी सबसे लम्बी पोस्ट है (4000+ words) , और अगर आप पढ़ते-पढ़ते यहाँ तक पहुंचे हैं तो सबसे पहले मैं आपको अपना कीमती समय देने के लिए धन्यवाद देता हूँ। 🙂 साथ ही एक बार फिर मैं Saurabh जी को अपनी और AKC के सभी रीडर्स की तरफ से बहुत-बहुत धन्यवाद और ढेर सारी शुभकामनाएं देता हूँ।
Naturally, अगर आप restaurant business में interested हैं तो आपके पास इससे रिलेटेड और भी प्रश्न हो सकते हैं। कृपया आप अपने प्रश्न comments के माध्यम से हमें बताएं ताकि सौरभ जी या कोई और अनुभवी entrepreneurs आपके questions answer करना चाहे तो कर सके।
और अंत में एक बात और कहना चाहूँगा कि इस पोस्ट में शेयर की गयी बातें एक individual के अनुभव के आधार पर हैं और जो rates mention किये गए हैं वे Gorakhpur के मार्केट के हिसाब से हैं।इसलिए जब आप ये काम शुरू करिए तो open minded रहिये और जो भी challenges आएं उनका सामना करिए, आपके अन्दर जो entrepreneurship का बीज है तो उसे पनपने दीजिये और एक दिन खुद बनकर दिखाइए एक successful entrepreneur .
All the best !
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suraj singh says
Sir This is awsm business plan. aap ke research or plan schedule se ek baat to finely mere mind me aa chuki h.. ke business karna h to Risk to lena hi padega. but ek chotti si problem mere sath h..
or wo ye hai ke main abhi Job karta hu.. even last 6 years se. or mene family problem ke hote hue jaada study bhi nhi kar paya.. but meri knowledge or mere EXPERIENCE ne mera bhaut sath diya…. main kaafi time se apn business shuru karna chaahta hu.. bcz ek lambe samay se me job me hu.. or ab to shaadi bi karli. ek beti h. to ab jada planing karni padti h.. you know very well this is a india. and i m middle class man. etna bada BUJAT na mera h. or na mere bs ka. but i m not a looser.. sir plzz koi aesa idea de. ke main apna khud ka without Frachise ke ek acha se or best Restaurant open kar.. khaane ka chaska de sakhu.. mtlb apna khud ka restaurant open karna h. so plz help me. a solid and awsm Ides’s give me. i m waiting your rply…
thanks and regard
SURAJ CHAUHAN
FROM
MATHURA (UP)
Hariom Singh says
Sir fast food open karne me total kitna kharch aayega .
Or kya sabhi license open karne se pahle Lena jaruri hai.
rohit says
hlo, m ye janna chahta hu k labour or food department se license lena h to m restornt kholne k phle krana hoga ya fr phle m restornt khol lu fr licens k liyr apply kru
plz reply soon
chndu says
Thanx for aritcal
amaranth mishra says
Bahut achhi jankari di aapne
Akshay sharma says
Agr me chahu that mera restaurant naturally or different ho
Or agr me ise education city kota me open krna chahu to
Mene finally decide kr liya h that Mujhe ek restorant kholna h
Rahul says
Sir caters buisness ke bare main bataye naa
Naman Tripathi says
Sir online internet seva ya common service center ke bare me bataiye.
Nisha says
Sir I want to start my own resturent bina francase k so guide me and I have no saving for start up my business agr loan se start kru to kya processure and kya m starting me business and side job kru sakti hu
vipin says
AGR apki koi saving nhi h to ap bank she chote level p loan le
kamil qureshi says
Kisi ko kabab. Ka kaam karna hoto call kree (7771094316)
santosh nirankari says
sir ji i am business consultant in pune mujey kuch tandoori cheif ki requirment hai