एक 7 साल की लड़की को मैथ्स पढ़ा रहे टीचर ने पूछा ,” अगर मैं तुम्हे एक सेब दूं , फिर एक और सेब दूं , और फिर एक और सेब दूं , तो तुम्हारे पास कितने सेब हो जायेंगे ?”
लड़की ने कुछ देर सोचा और , और अपनी ऊँगली पर जोड़ने लगी …
” चार ” , लड़की का उत्तर आया .
टीचर थोड़ा निराश हो गया, उसे लगा कि ये तो कोई भी बता सकता था. “शायद बच्चे ने ठीक से सुना नहीं .” – टीचर ने मन ही मन सोचा .
उसने पुनः प्रश्न दोहराया ; ” ध्यान से सुनो – अगर मैं तुम्हे एक सेब दूं , फिर एक और सेब दूं , और फिर एक और सेब दूं , तो तुम्हारे पास कितने सेब हो जायेंगे ?”
लड़की टीचर का चेहरा देख कर समझ चुकी थी कि वो खुश नहीं है, वह पुनः अपनी उँगलियों पर जोड़ने लगी, और सोचने लगी कि ऐसा क्या उत्तर बताऊँ जिससे टीचेर खुश हो जाए . अब उसके दिमाग में ये नहीं था कि उत्तर सही हो , बल्कि ये था कि टीचर खुश हो जाये.
पर बहुत सोचने के बाद भी उसने संकोच करते हुए कहा , ” चार “
टीचर फिर निराश हो गया , उसे याद आया कि लड़की को स्ट्रॉबेरी बहुत पसंद हैं , हो सकता है सेब
पसनद न होने के कारण वो अपना फोकस लूज़ कर दे रही हो.
इस बार उसने बड़े प्यार और जोश के साथ पूछा ,” अगर मैं तुम्हे एक स्ट्रॉबेरी दूं , फिर एक और स्ट्रॉबेरी दूं , और फिर एक और स्ट्रॉबेरी दूं , तो तुम्हारे पास कितने स्ट्रॉबेरी हो जायेंगे ?”
टीचर को खुश देख कर , लड़की भी खुश हो गयी और अपने उँगलियों पर जोड़ने लगी …अब उसके ऊपर कोई दबाव नहीं था बल्कि टीचर को ही चिंता थी कि उसका नया तरीका काम कर जाये .
उत्तर देते समय लड़की फिर थोड़ा झिझकी और बोली , ” तीन !!!”
टीचर खुश हो गया , उसका तरीका काम कर गया था . उसे लगा कि अब लड़की समझ चुकी है है ,और अब वो इस तरह के किसी भी प्रश्न का उत्तर दे सकती है .
“अच्छा बेटा तो बताओ , अगर मैं तुम्हे एक सेब दूं , फिर एक और सेब दूं , और फिर एक और सेब दूं , तो तुम्हारे पास कितने सेब हो जायेंगे ?”
पिछला जवाब सही होने से लड़की का आत्मविश्वास बढ़ चुका था , उसने बिना समय गँवाए उत्तर दिया , ” चार .”
टीचर क्रोधित हो उठा , ” तुम्हारे पास दिमाग नहीं है क्या , ज़रा मुझे भी समझाओ कि चार सेब कैसे हो जायेंगे .”
लड़की डर गयी और टूटते हुए शब्दों में बोली , ” क्योंकि मेरे बैग में पहले से ही एक सेब है .”
Friends, कई बार ऐसा होता ही कि सामने वाले का जवाब हमारे अनुकूल नहीं होता है तो हम अपना temper loose कर देते हैं, पर ज़रुरत इस बात की है कि हम उसके जवाब के पीछे का logic समझें . विभिन्न माहौल और cultures में पले -बढे होने के कारण एक ही चीज को अलग-अलग तरीकों से देख-समझ सकते हैं , इसलिए जब अगली बार आपको कोई अटपटा जवाब मिले तो एक बार ज़रूर सोच लीजियेगा कि कहीं ऐसा तो नहीं कि आप भी छुपे हुए सेब को नहीं देख पा रहे हैं.
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this is vry important concept need to be understood.
Very nice story. Maja aa gaya par ke, i am really happy to read this story
सच तो यही है, झूठ कैसे बोले..
Awesome sir ji great story.
3 ya 4 Kuchh bi ho yaar! Kamal hai!
nice story sir ji……………….. I like it………… thanks ………
Friends, कई बार ऐसा होता ही कि सामने वाले का जवाब हमारे अनुकूल नहीं होता है
जवाब अनुकूल पाना प्रश्न पूछने पर निर्भर करता है
दो शिष्यों ने अपने महात्मा जी से प्रश्न किया पहले शिष्य ने पूछा गुरु जी क्या में ध्यान के वक्त सिगरेट पी सकता हू गुरूजी ने कहा नही ऐसी गलती मत करना ध्यान के वक्त सिगरेट नही पी सकते हो
दूसरे ने पूछा गुरु देव सिगरेट पीते वक्त ध्यान कर सकते है गुरु जी बोले हा क्यों नही भगवान का ध्यान किसी भी वक्त किया जा सकता है
देखा जाये तो प्रशन पूछना एक कला है तो अनुकूल उत्तर पाना उपलब्धि होती है
Good insight.
Sir Ji, Great Advise………..
Heart-touching story, Thanks…..
nice story sir
thank you 🙂