Hindi Story On Making Complaints
शिकायत करने पर हिंदी कहानी
एक आदमी रेगिस्तान से गुजरते वक़्त बुदबुदा रहा था, “कितनी बेकार जगह है ये, बिलकुल भी हरियाली नहीं है…और हो भी कैसे सकती है यहाँ तो पानी का नामो-निशान भी नहीं है.”
तपती रेत में वो जैसे-जैसे आगे बढ़ रहा था उसका गुस्सा भी बढ़ता जा रहा था. अंत में वो आसमान की तरफ देख झल्लाते हुए बोला-
क्या भगवान आप यहाँ पानी क्यों नहीं देते? अगर यहाँ पानी होता तो कोई भी यहाँ पेड़-पौधे उगा सकता था, और तब ये जगह भी कितनी खूबसूरत बन जाती!
ऐसा बोल कर वह आसमान की तरफ ही देखता रहा…मानो वो भगवान के उत्तर की प्रतीक्षा कर रहा हो!
तभी एक चमत्कार होता है, नज़र झुकाते ही उसे सामने एक कुंवा नज़र आता है!
वह उस इलाके में बरसों से आ-जा रहा था पर आज तक उसे वहां कोई कुँवा नहीं दिखा था… वह आश्चर्य में पड़ गया और दौड़ कर कुंवे के पास गया… कुंवा लाबा-लब पानी से भरा था.
उसने एक बार फिर आसमान की तरफ देखा और पानी के लिए धन्यवाद करने की बजाये बोला, “पानी तो ठीक है लेकिन इसे निकालने के लिए कोई उपाय भी तो होना चाहिए.”
उसका ऐसा कहना था कि उसे कुँवें के बगल में पड़ी रस्सी और बाल्टी दिख गयी.
एक बार फिर उसे अपनी आँखों पर यकीन नहीं हुआ!
वह कुछ घबराहट के साथ आसमान की ओर देख कर बोला, “लेकिन मैं ये पानी ढोउंगा कैसे?”
तभी उसे महसूस होता है कि कोई उसे पीछे से छू रहा है, पलट कर देखा तो एक ऊंट उसके पीछे खड़ा था!
अब वह आदमी अब एकदम घबड़ा जाता है, उसे लगता है कि कहीं वो रेगिस्तान में हरियाली लाने के काम में ना फंस जाए और इस बार वो आसमान की तरफ देखे बिना तेज क़दमों से आगे बढ़ने लगता है.
अभी उसने दो-चार कदम ही बढ़ाया था कि उड़ता हुआ पेपर का एक टुकड़ा उससे आकर चिपक जाता है.
उस टुकड़े पर लिखा होता है –
मैंने तुम्हे पानी दिया, बाल्टी और रस्सी दी…पानी ढोने का साधन भी दिया, अब तुम्हारे पास वो हर एक चीज है जो तुम्हे रेगिस्तान को हरा-भरा बनाने के लिए चाहिए; अब सब कुछ तुम्हारे हाथ में है!
आदमी एक क्षण के लिए ठहरा… पर अगले ही पल वह आगे बढ़ गया और रेगिस्तान कभी भी हरा-भरा नहीं बन पाया.
Friends, कई बार हम चीजों के अपने मन मुताबिक न होने पर दूसरों को दोष देते हैं…कभी हम सरकार को दोषी ठहराते हैं, कभी अपने पेरेंट्स को, कभी कम्पनी को तो कभी भगवान को. पर इस blame-game के चक्कर में हम इस important fact को ignore कर देते हैं कि एक इंसान होने के नाते हममें वो शक्ति है कि हम अपने सभी सपनो को खुद साकार कर सकते हैं.
शुरुआत में भले लगे कि ऐसा कैसे संभव है पर जिस तरह इस कहानी में उस इंसान को रेगिस्तान हरा-भरा बनाने के सारे साधन मिल जाते हैं उसी तरह हमें भी effort करने पर अपना goal achieve करने के लिए ज़रूरी सारे resources मिल सकते हैं.
पर समस्या ये है कि ज्यादातर लोग इन resources के होने पर भी उस आदमी की तरह बस complaint करना जानते हैं… अपनी मेहनत से अपनी दुनिया बदलना नहीं! तो चलिए, आज इस कहानी से सीख लेते हुए हम शिकायत करना छोडें और जिम्मेदारी लेकर अपनी दुनिया बदलना शुरू करें क्योंकि सचमुच सबकुछ तुम्हारे हाथ में है!
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Note: This story is inspired from Watering the Desert – A Story About Making a Positive Difference
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Ashish Kumar says
Nice story
abhi says
Bahot badhiya👌👌👍
Sarwar imam says
My life is change by your success story all the best thank you I hope you have a nice life
प्रदीप कुशवाहा says
आपने ने सही कहा किन्तु दुसरे को दोषी वही ठहराते है जो कुछ करना नही चाहते इसी लिए बहाने बनाते है।
Satwant Yadav says
very inspirational, Thanks.
Amit Kumar Sachin says
बिलकुल सही कहा आपने , इंसान चाहे तो कुछ भी कर सकता है लेकिन जो वह बदलाव दुनिया में चाहता है उसके लिए वो कोई प्रयास नहीं करता है बल्कि दुसरो से बदलाव की उम्मीद रखता है
Manjeet Kumar says
Acchi seekh
SUMAN SONI says
सब कुछ इंसान के हाथ में है |
प्रेरणादायक कहानी
अनिल साहू says
वाकई जानदार गोपाल सर जी.
atoot bandhan says
सब कुछ इंसान के हाथ में है | फिर भी जब वो खुद काम करना नहीं चाहता तो सिर्फ दूसरों को दोष देने में समय बर्बाद करता रहता है | प्रेरणादायक कहानी