भगवान् से क्या मांगते थे स्वामी विवेकानंद ? | प्रेरक प्रसंग
आज 12 जनवरी को स्वामी विवेकानंद जयंती है। आप सभी को शुभकामनाएं। आईये इस अवसर पर हम स्वामी जी से सम्बंधित के रोचक प्रसंग जानते हैं.
1884 में स्वामी विवेकानन्द के पिता जी का स्वर्गवास हुआ और उनके जाते ही घर की स्थिति खराब हो गयी। जिन लोगो से उनके पिता ने कर्जा लिया था वे बार-बार घर पर पैसे माँगने आने लगे।
और उनके पैसे चुकाने में घर की सारी पूँजी चली गयी। उनकी चाची ने उनके परिवार को घर से अलग कर दिया। अब 7 सदस्यों के परिवार का भार नरेन्द्र ( स्वामी विवेकानन्द ) के ऊपर आ पड़ा था।
नरेन्द्र उस समय लॉ के प्रथम वर्ष में था। पर घर की परस्थितियों को देखते हुए उसने Law छोड़ दिया और नौकरी की तलाश करने लगा। घर की परिस्थितियाँ इतनी खराब हो गयीं थी कि कभी-कभी दिन में एक बार ही भोजन हो पाता था। नरेन्द्र दिन-दिन भर कम्पनियों के और ऑफिसों के चक्कर लगता था, ताकि एक नौकरी मिल सके, जिससे घर का खर्चा चल सके। पर बहुत प्रयास करने पर भी कोई नौकर नहीं मिली।
नरेन्द्र उस समय B.A. पास था इसलिए अधिकारी वर्ग के पदों के लिये आवेदन करता था। पर जब उसे कोई नौकरी नही मिली, तो फिर उसने क्लर्क के पदों पर भी आवेदन करना प्रारम्भ कर दिया। दिन- दिन भर भूखे-प्यासे पैदल चलकर उसने कई इंटरव्यू दिये, पर कहीं भी उसे एक नौकरी नहीं मिल सकी।
इसी तरह एक दिन जब वह इंटरव्यू में रिजेक्देट होकर लौट रहा था तभी अचानक सड़क के किनारे बेहोश होकर गिर पड़ा।
जब उसे होश आया तब वह घर पर था, लेकिन अब उसका भगवान् पर से विश्वास उठ गया। उसने मन ही मन सोचा –
यदि भगवान् होते तो क्या इतने प्रयास करने पर भी सफलता न देते ?
यह बात किसी ने जाकर दक्षिणेश्वर के काली मन्दिर में श्री रामकृष्ण परमहंस को बतायी।
उन्होनें कहा, “नहीं। नहीं ऐसा नहीं हो सकता। तुम नरेन्द्र से मेरे पास आने के लिये कहना।”
कुछ समय बाद नरेन्द्र रामकृष्ण परमहंस के पास आये तो उन्होने मंदिर में माँ काली की प्रतिमा के समक्ष जाकर कुछ मांगने के लिये कहा।
नरेन्द्र मन्दिर में गया और ध्यानस्त बैठ कर आ गया।
परमहंस जी ने पूछा -“क्या माँगा” ?
उसने कहा – “ज्ञान और भक्ति”।
परमहंस जी ने कहा – “तुमने आपने घर की समस्या के बारे में तो कुछ माँगा ही नहीं। जाओ फिर से जाओ और अपनी बात कह कर आओ”।
ऐसा तीन बार हुआ। पर यह पूछने पर कि उसने क्या माँगा, एक ही जबाब मिलता –
“ज्ञान और भक्ति”
परमहंस जी ने कहा- तुम अपनी समस्या के बारे में क्यो नहीं कुछ माँगते ?
नरेन्द्र ने उत्तर दिया – “क्या ईश्वर से इतनी तुच्छ चीजे माँगूँ”।
परमहंस जी मुस्करा रहे थे और समझ चुके थे कि नरेन्द्र का ईश्वर से विश्वास नहीं उठा है। वह निराशा के कारण ऐसा बोल गया।
यही नरेन्द्र आगे चलकर स्वामी विवेकानन्द हुए और शिकागो में दिए अपने भाषण से सम्पूर्ण विश्व में विख्यात हुए.
—-
मित्रों, नरेन्द्र जिस दौर से गुजरा वह दौर बहुतों की ज़िन्दगी में आता है, पर ऐसा होने पर आप घबराये नहीं और निराश तो बिलकुल भी न हो। ईश्वर ने आपके लिये कुछ और सोच रखा है।
सोचिये अगर स्वामी विवेकानन्द की एक क्लर्क की नौकर लग जाती, तो क्या होता, आज हम जिस रूप में उन्हें जानते हैं, शायद उस रूप में नहीं जानते।
इसलिये ईश्वर पर विश्वास रखो और सदैव अपना लक्ष्य प्राप्त करने के लिए प्रयासरत रहो.
कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।
मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते संगोऽस्वकर्मणि।। 2/ 47।।
धन्यवाद
सुधांशुलानन्द
इंजिनियर
BSES Rajdhani Power Ltd.
————
सुधांशुलानन्द जी पेशे से एक Electrical Engineer हैं। आपकी गहरी रुची योग , ध्यान , आध्यात्म और दर्शन में है। आपको संगीत , साहित्य, और कला का शौक है। आप कविता, कहानी, भजन, पद्य, दोहे, अपनी खुशी से लिखते हैं और अपने लेखन से आप इस संसार के प्रत्येक व्यक्ति को आध्यात्म और वास्तविक धर्म के करीब लाने में प्रयत्नशील हैं।
निरंतर AchhiKhabar.Com पर आपके योगदान के लिए हम आपके आभारी हैं. धन्यवाद.
स्वामी जी से सम्बंधित इन लेखों को अवश्य पढ़ें:
- महान प्रेरणा स्रोत – स्वामी विवेकानंद ( Biography in Hindi / जीवनी )
- डरो मत ! स्वामी विवेकानंद प्रेरक प्रसंग
- स्वामी विवेकानंद और राष्ट्रवाद : स्वामी विवेकानंद पुण्यतिथि पर विशेष
- शिष्टाचार – स्वामी विवेकानंद के जीवन का एक प्रेरक प्रसंग
- युवा शक्ति के प्रतीक स्वामी विवेकानंद (Youth Day Article in Hindi)
- स्वामी विवेकानंद की 150 वीं जयंती – 12 जनवरी 2013
- स्वामी विवेकानंद का युवाओं को संदेश
- युगपुरुष स्वामी विवेकानंद का युवाओं को एक पत्र
Did you like the Swami Vivekananda Prerak in Hindi / स्वामी विवेकानंद प्रेरक प्रसंग आपको कैसा लगा? Please share your comments.
यदि आपके पास Hindi में कोई article, inspirational story या जानकारी है जो आप हमारे साथ share करना चाहते हैं तो कृपया उसे अपनी फोटो के साथ E-mail करें. हमारी Id है: [email protected].पसंद आने पर हम उसे आपके नाम और फोटो के साथ यहाँ PUBLISH करेंगे. Thanks!
Manoj Dwivedi says
आप स्वामी विवेकानंद जी को पढोगे तो उनके हर वाक्य में आपको ऊर्जा मिलेगी ।
अब हर नवजवान सोंचिये इस उपर्युक्त प्रसंग से क्या सीखा ,मैं कहता हूं हर पाठक मुख्यता हर युवक जो आज 18 साल25 और 25 से 35 और 35 से 49 साल तक के है ,उनको ऊर्जा से लबरेज होना चाहिए निराशा तो होना ही चाहिए ,आओ स्वामी विवेकानंद जी को फॉलो करो ऊर्जावान रहोगे ,क्योंकि हर युवकों आपको आपने जो क्षेत्र चुन लिया उस पर डट कर मुकाबला करना और जीतना है ,क्योंकि आपको उसी कार्य के लिए बनाया गया है ,अब देश का नव निर्माण आप को करना है ,जितना आपके पूर्वजों ने देश को दिया उससे दस गुना आपको देना है।
मैथिलीशरण गुप्त की कविता याद करो रण बाकुरों—-
नर हो न निराश करो मनको कुछ काम करो कुछ नाम करो.
ध्यान रहे देश आजाद हो चुका है आपको अब अंग्रेजों से नहीं लड़ना देश निर्माण ,संस्कार निर्माण,संस्कृति रक्षण , ज्ञान विज्ञान रक्षण के लिए लड़ना है।
chotakadam.com says
very nice. thanks.
Manoj Dwivedi says
स्वामी विवेकानंद की मोटिवेशनल स्टोरी पढ़कर अच्छा लगा।
Rajesh bhattacharya says
So much inspirational thank you gopal sir
Rajiv says
Very Intersting Explained
suman says
aapka post sb padhkr mn hi nahi bhar jaata hai sir
Satendersingh says
Bahut hi prernadayak.
Thanks Gopal ji
Veer says
Bahut badhiya hai.
Parth says
DHanywad Anshul ji Achhikhabar par aapke artclas padh kar achha lagta hai. Namste
onkar kedia says
बहुत सुन्दर