गणतंत्र दिवस पर भाषण
26 January Republic Day Speech in Hindi
गणतंत्र दिवस पर भाषण
सम्मानित अधिकारीगण, कर्मचारीगण एवं मेरे प्रिय साथियों,
भारत के 75वें गणतंत्र दिवस के इस शुभ अवसर पर आपको संबोधित करते हुए मैं सम्मानित महसूस कर रहा हूं। आज, हम उस दिन का जश्न मनाते हैं, जब हमारे राष्ट्र ने अपना संविधान और देश का सर्वोच्च कानून अपनाया था, हमारा संविधान एक संप्रभु, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक गणराज्य के नागरिकों के रूप में, हमारे अधिकारों और कर्तव्यों को परिभाषित करता है।
आज, हम उन दूरदर्शी लोगों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं जिन्होंने इस संविधान को बनाया है, इस ख़ास दिन पर हम उन शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं जिन्होंने हमारी आजादी के लिए अपने जीवन का बलिदान दिया | आज हम उन सभी नायकों के सम्मान में “आदरपूर्वक” नमन करते हैं जिन्होंने हमारे देश को बाहरी और आंतरिक खतरों से बचाया है |
2024 गणतंत्र दिवस पर भाषण | 26 January Republic Day Speech in Hindi
मित्रों, भारत का संविधान केवल एक कानूनी दस्तावेज नहीं है, बल्कि यह एक जीवंत दस्तावेज है जो एक विभिन्न और बहुलवादी राष्ट्र की आकांक्षाओं और मूल्यों को दर्शाता है। भारत का संविधान, देश के विभिन्न क्षेत्रों, धर्मों, भाषाओं और विचारधाराओं का प्रतिनिधित्व करने वाले संविधान सभा के सदस्यों के, वर्षों के विचार-विमर्श और बहस का परिणाम है। गौरतलब है की, हमारे संविधान का मसौदा “डॉ. बी.आर. अम्बेडकर” की अध्यक्षता में तैयार किया गया था।
भीमराव अम्बेडकर, जिन्हें व्यापक रूप से भारतीय संविधान का मुख्य वास्तुकार माना जाता है। यह महानुभाव, एक प्रतिभाशाली विद्वान, समाजसुधारक और समाज के उत्पीड़ित और हाशिये पर मौजूद वर्गों के अधिकारों के समर्थक थे। उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि संविधान देश के सभी नागरिकों के लिए, उनकी जाति, पंथ, लिंग या धर्म की परवाह किए बिना, न्याय, स्वतंत्रता, समानता और भाईचारे के सिद्धांतों को पथदर्शन करे |
भारत का संविधान “26 जनवरी 1950” के दिन लागू हुआ था, हम आप को बता दें की, यह तारीख वर्ष 1930 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस द्वारा, “पूर्ण स्वराज या पूर्ण स्वतंत्रता की घोषणा” की वर्षगांठ मनाने के लिए चुनी गई थी। ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन से आज़ादी के लिए देशवासीयों ने कड़ा संघर्ष किया था, जिसमें इस राष्ट्र के सभी क्षेत्रों से लाखों भारतीयों की भागीदारी और योगदान मिला था |
इस जन सैलाब में भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के प्रमुख नेता भी शामिल थे, जैसे की महात्मा गांधी, सुभाष चंद्र बोस, जवाहरलाल नेहरू, सरदार वल्लभभाई पटेल, भगत सिंह, रानी लक्ष्मी बाई और इनके अलावा, कई अन्य फ्रीडम फाइटर जिनके नाम तक इतिहास के पन्नों पर दर्ज नहीं हो पाए हैं ।
आजाद हिन्द का सपना साकार करने के लिए, हमारे देश के अग्रणी स्वतंत्रता सेनानीयों नें अहिंसा, सविनय अवज्ञा, सशस्त्र विद्रोह और क्रांतिकारी गतिविधियों जैसे प्रतिरोध के विभिन्न तरीकों का उपयोग करके, जनता को आंदोलन में शामिल होने के लिए प्रेरित और संगठित किया था । देश को गुलामी से मुक्त कराने के संघर्ष के दौरान, उन्हें अंग्रेजों के हाथों भारी कठिनाइयों, उत्पीड़न और हिंसा का सामना करना पड़ा, लेकिन उन्होंने स्वतंत्र भारत के अपने सपने को कभी छोड़ा नहीं । इसी लिए वहसब हर एक भारतीय के लिए आदरणीय है |
आज, जब हम भारत का 75वां गणतंत्र दिवस मना रहे हैं, तो हमें अपने स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान और उपलब्धियों को याद करते हुए, उनका सम्मान करना चाहिए, जिन्होंने हमारे देश के लिए अपना सारा जीवन लगा दिया। इसके साथ ही, आज हमें अपने सशस्त्र बलों, अर्धसैनिक बलों, पुलिस बलों और अन्य सुरक्षा एजेंसियों के प्रयासों और सेवाओं की सराहना करनी चाहिए |
यही लोग, हमारी सीमाओं की रक्षा करते हैं, कानून और व्यवस्था बनाए रखते हैं, और हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा और अखंडता के लिए विभिन्न चुनौतियों और खतरों से निपटते हैं। यह “कर्मवीर”, हमारे गणतंत्र के सच्चे संरक्षक हैं, जो हमारे संविधान के मूल्यों और आदर्शों को सदैव कायम रखते हैं ।
मेरे प्यारे दोस्तों, भारत का संविधान न केवल हमारे अधिकारों का स्रोत है, बल्कि हमारी जिम्मेदारियों की याद भी दिलाता है। इस महान राष्ट्र के नागरिक के रूप में, हमारा कर्तव्य बनता है कि, हम संविधान को बनाए रखें और हमेशा उसकी रक्षा करें, तथा संविधान के प्रावधानों और संस्थानों का सम्मान करें, साथ ही इसके कानूनों और नियमों का पालन करें और इसके विकास और प्रगति में अपना योगदान दें।
हमारा कर्तव्य है कि हम अपने राष्ट्र की एकता और विविधता को संरक्षित करें और इसे निरंतर बढ़ावा दें, तथा, देश को समृद्ध बनाने में प्रयासरत रहे इसके साथ ही, हम सब को ईमानदारी से देश की सांस्कृतिक विरासत का सम्मान करना चाहिए और देश के लोगों के बीच भाईचारे और सद्भाना को बढ़ावा देना चाहिए।
मित्रों, देश को विकास की राह पर ले जाने के लिए, लोकतांत्रिक प्रक्रिया में भाग लेना, अपने मताधिकार का प्रयोग करना, अपनी राय व्यक्त करना और अपने प्रतिनिधियों को जवाबदेह बनाना हमारा कर्तव्य है। केवल इतना ही नहीं, यह भी हमारा कर्तव्य है कि हम, अपने समाज के कल्याण के लिए काम करें, अपने साथी नागरिकों, विशेषकर गरीबों और जरूरतमंदों की सेवा करें और अपने पर्यावरण और प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा करें।
भारत के 75वें गणतंत्र दिवस को मनाते हुए आइये हम संविधान, राष्ट्र और स्वयं के प्रति अपनी प्रतिज्ञा को पुनः स्थापित (नवीनीकृत) करें। आइए हम अपने संस्थापकों के सपनों और आकांक्षाओं को पूरा करने का प्रयास करें, जिन्होंने हमें संविधान का यह अनमोल उपहार दिया है । आइए हम अपने संविधान के मूल्यों और सिद्धांतों द्वारा निर्देशित शांति, प्रगति और समृद्धि के मार्ग पर चलें। आइए हम भारत को एक मजबूत, एकजुट और समावेशी राष्ट्र बनाएं, जहां प्रत्येक नागरिक को स्वतंत्रता, सम्मान और न्याय मिले।
इस अवसर पर, मैं डॉ. बी.आर. अम्बेडकर एक उद्धरण के साथ अपना भाषण समाप्त करना चाहूंगा। अम्बेडकर, जिन्होंने कहा था की, “हमें न केवल भारतीय होने पर गर्व होना चाहिए, बल्कि हमें अपने संविधान पर भी गर्व होना चाहिए। दुनिया में कोई अन्य संविधान नहीं है जो इसकी तुलना कर सके।”
जय हिन्द !
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mujhe bahut zaroort thi sir ji